गरम भाभी को पेला बहन की शादी में
दोस्तों, मेरी बहन की शादी में कुछ ऐसा हुआ जो मुझे आज भी याद है। वहाँ तीन लड़कियाँ थीं जिनसे मैंने बात की थी: एक नौकरानी, उसकी बहन और मेरी भाभी। ये तीनों ही आज भी मुझसे जुड़ी हुई हैं, लेकिन मेरे पास उनसे बात करने के लिए समय नहीं होता।
जैसे पिछली कहानी में मैंने आपको बताया था कि मैं अपने गाँव में शुरू में बहुत बोर हुआ था। वहाँ मेरे दोस्त भी नहीं थे, इसलिए अकेले दिन बिताना मुश्किल हो रहा था। फिर मुझे पता चला कि रूबी भाभी आ रही हैं। वह मेरे दूर के रिश्ते की भाभी थीं और वह मुंबई में रहती थीं।
जब मैंने उसे पहली बार देखा तो क्या कहूँ दोस्तों, मैं बस देखता ही रह गया। वह बहुत लंबी नहीं थी, शायद 5 फीट की, लेकिन उसका शरीर बहुत अच्छा बना हुआ था। उनका फिगर अगर बताऊँ तो 32-28-34 होगा, मतलब गाल बिलकुल गोलाकार थे जो पूरे शरीर से भी पता चलता था और चूची भी मस्त थीं।
लेकिन पहली बार मैंने सोचा नहीं मेरी होगी और मेरे मन में कुछ ग़लत भी नहीं था, लेकिन दोस्तों मेरी नज़र बहुत खरी है। धीरे-धीरे मुझे समझ आ गया कि भाभी कुछ चाहती हैं। उनकी बातों से, उनके हरकतों से, बस एक छोटी-सी चिंगारी की ज़रूरत थी जो हम दोनों को एक दूसरे के पास जला देती।
जैसे आप जानते हैं कि नवंबर-दिसम्बर में कितना ठंड होता है, ऐसे ही हम दोनों एक ही रजाई में बैठे हुए थे और कुछ रोमांटिक बातें चल रही थीं।
उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या दिल्ली में रहते हो तो कोई गर्लफ्रेंड तो होगी। मैं भी मौका देखकर हाँ कर दिया और उनकी बात आगे बढ़ी। उन्होंने कहा कितनी गर्लफ्रेंड बनाई है। मैंने सच्चाई सब बता दी। तो उन्होंने कहा आप दिखने से तो बहुत अच्छे लगते हैं। मैंने कहा हूँ अच्छा ही हूँ बस थोड़ा बेख़बर हूँ।
फिर मैंने उनकी बात लेनी चाही लेकिन वह उदास हो गई बोली क्या बताऊँ आपको कि आपके भाई बिस्तर पर गरम नहीं होते। मैं गंभीर होकर बोला तो आप फिर कैसे रहती हैं।
तो उन्होंने कहा अब तो आदत हो गई है इस पर मैंने उनके पैरों पर हाथ रख दिया और बोला देखो सेक्स में कोई समस्या नहीं है अगर आपको वह खुश नहीं कर पाते तो आप प्लेबॉय को देख लो।
उन्होंने कहा नहीं ये पाप है मैं ग़लत नहीं कर सकती। तब मैंने उन्हें समझाया कि इसमे ग़लत क्या है अब एक बात बताओ आप और आपका बेस्ट फ्रेंड हैं अब अगर आपके बेस्ट फ्रेंड को खेलना पसंद नहीं तो क्या आप खेलेंगे तो वह आपके बेस्टफ्रेंड के साथ चिटिंग होगी क्या।
तो उसने कहा नहीं। मैंने उन्हें समझाया कि अगर भाईया को पसंद नहीं तो आप move करो क्योंकि सेक्स से माइंड और शरीर दोनों फिट रहते हैं इन सब बातों से उनपर नशा छा रहा था उनके मुंह से अचानक निकल गया कोई ऐसा लड़का भी तो हो जिस पर विश्वास कर सकूं।
तो मैंने जल्दी से हाथ को उनके जांग तक पहुँचा दिया और बोला ये लड़का कैसा है तो वह मेरे तरफ़ देखकर मुस्कुराई। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत पर पहुँचा दिया दोस्तों मुझे उनके चूत में लगने का एहसास हुआ। मैं समझ गया भाभी गरम हो गई। मैंने हाथ निकाला और उनके रस को अपने नाक के पास ले जाकर सुंघा। ये देखकर वह मस्त हो गई।
मैं फिर उसे चाट लिया। ये देखकर वह गरम हो गई। मैंने दोबारा उंगली डाली और इस बार उंगली उनकी चूत में डालने लगा और वह भी दोनों टांग फैला दी। मैं पूरी उंगली उनकी चूत में घुसा दिया वह मस्त हो रही थी। मैं अब उसे मदहोश करना चाहता था इसलिए मैंने अपनी उंगली उनकी चूत से निकालकर उनकी चूत पर उंगली घुमाना शुरू कर दिया।
जैसे ही उंगली उनकी चूत के पास जाती तो जानकर दोनों टांग और चौड़ा करती। लेकिन मैं अंदर उंगली नहीं डालता बल्कि उनके क्लिटर पर उंगली फेरता हूँ। आप लोग तो जानते होंगे जब किसी महिला के दाने पर उंगली चले तो क्या होता है और जो आंटी, भाभी और सेक्सी गाल खानी पढ़ रही हो उनको एहसास होगा कि जब उनके नाज़ुक छेद के पास कोई उंगली घुमाता है तो क्या होता है।
वो मेरे इस तरह करने से इतनी गरम हो गई कि रजाई में ही उसने अपना साड़ी उठा दिया और जबरदस्ती मेरी उंगली पकड़कर अंदर डालने लगी। मैंने भाभी को बोला अकेले-अकेले मज़ा लेना चाहती हो भाभी।
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वो बोली प्लीज डालो ना अंदर अब रह नहीं जा रहा हूँ। मैंने भी भाभी के हाथ पकड़कर अपने लिंग पर लगा दिया। वह समझ गई। उसने तुरंत अपना हाथ मेरे लिंग में डाल दिया और सीधा मेरे लंड को पकड़ लिया। वह बोली छोटा है आपका। मैंने कहा भाभी अभी तक जितने को चोदा है सब शुरू में ही यही बोलते हैं लेकिन बाद में रोज़ बुलाती है। भाभी हंसने लगी और मेरे लंड को पकड़कर मसलने लगी।
दोस्तों, मेरा लंड 5.5 इंच का होगा लेकिन मेरे अंदर बहुत जवान स्टैमिना है किसी भी महिला को पागल करने का। वह मुझे इंग्लिश स्टाइल ज़्यादा पसंद है। मेरा मानना है अगर हमे मज़ा चाहिए तो पहले उन्हें मज़ा दो इतना कि वह ख़ुद आपको मज़ा देने चाहें और ऐसा ही कुछ मैं भाभी के साथ कर रहा था।
लेकिन अचानक मेरी आंटी कमरे में आई और हम सामान्य हो गए। अब सब खाना खाने के बाद सब घर जाने वाले थे लेकिन मेरी दादी मेरी आंटी को रुकने के लिए मजबूर कर रही थी और बच्चों को भी रुकने को कह रही थी। तब भाभी को छोड़ने को मुझे ही बोला गया।
भाभी ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई। अब हमारा घर थोड़ा दूर था तो रास्ते में हम सामान्य हो गए क्योंकि अगर किसी को पता चल जाता तो हमें समस्या हो जाती। घर में घुसते हुए मैंने भाभी को पकड़ लिया। भाभी भी मना नहीं कर पाई। मैंने जल्दी से भाभी के और उसके साड़ी को उठा दिया। वह समझ गई और क्योंकि हमारे पास समय नहीं था मुझे भी घर जाना था।
मैंने पीछे से सीधा अपना मोटा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। वह सहन कर रही थी और कुछ समझ रही थी। उससे पहले मेरा लंड उसकी चूत में फंस चुका था। उसने कहा कोई आएगा तो समस्या हो जाएगी।
मैंने बोला तो चल जाऊँ क्या? उसने कहा नहीं अब मेरे राजा जो करना है कर लो पता नहीं कब मौका मिले और तुमने नहीं किया तो रात भर अतृप्त रहूंगी। मैं समझ गया।
भाभी भी फुल मूड में है दोस्तों जल्दी बाज़ी में क्योंकि आपका ध्यान पूरी तरह से सेक्स पर नहीं रहता और आप जल्दी से जर्ज भी नहीं करते। मैंने लगभग आधे घंटे तक चुदाई की। अंत में भाभी झर गई।
उन्होंने मुझे दूर कर दिया और बोली जाओ अब कोई आएगा तो समस्या हो जाएगी। मैं समझ गया भाभी झर गई। मैंने अपने आप को संभाला और वहाँ से निकलने की सोचा। मैंने भाभी को बोला एक किस दो तो भाभी ने अपने होठ मेरे होठ से लगा दिया। मैं उनके होठ को छूने लगा वह भी मना नहीं कर पाई।
तब बाहर खड़े हुए मेरे चाचा आए तब भाभी ने मुझे हटाया और मैं जाने लगा। तो चाचा ने बोला रात बहुत हो गई है खाना पिया है यही पर सो जाओ। मेरी तो समझो लॉटरी लग रही थी।
मैंने कहा नहीं मैं चल जाऊंगा तो चाचा बोले घर पर भी सोएगा ही तो यहीं सो जाओ नहीं तो तेरी भाभी को डर बहुत लगता है अंधेरे में। मैंने भाभी की तरफ़ देखा तो भाभी ने भी बोला रुक जाओ।
तो मैंने कहा ठीक है रुक जाता हूँ। चाचा ने भाभी के कमरे में दूसरा बिस्तर है उस पर सो भाभी के पास मैं हाँ मैं सर हिलाकर भाभी के कमरे में वापस आ गया और भाभी ने दरवाज़ा बंद कर लिया। अब मेरी भाभी की तो मस्ती हो गई। मैंने सीधा भाभी के ब्लाउज में हाथ डाला भाभी रोकना चाहती थी।
लेकिन मैं रुका नहीं उसके होठ को अपने कब्जे में ले लिया। धीरे-धीरे भाभी भी साथ दे रही थी। मैं भाभी के साड़ी को ऊपर उठा और उसके ऊपर चढ़ गया। अपना सारा कपड़ा खोलकर उसकी जांग और मेरे जंग रगड़ने लगे और उसके चूत पर मेरा लंड रगड़ने लगा।
वो भी अब साथ दे रही थी और मैं एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और एक हाथ से उसके होठ को पास रखकर होठ चुस रहा था। अब भाभी बहुत गरम हो गई। उसने मुझे नीचे लेट दिया और वह मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को पकड़कर अपने चूत पर लगा दिया।
मैंने उसे थोड़ा ऊपर उठाया और डाका मारने का जगह बनाया। अब स्थिति कुछ ऐसी थी कि वह घोड़ी बनी हुई थी और मैं नीचे से उसकी चूत में लंड डालकर तेज़ी से झटके मार रहा था। पूरी कमरे में दोनों की जांग टकराव की आवाज़ गूंज रही थी।
भाभी पहली बार इस रफ़्तार में चुदाई करवा रही थी। उनके लिए ये एहसास बहुत अच्छा था। हम लोग पूरी रात चुदाई का खेल खेले। सुबह 3.30 बजे जाकर हम अलग हुए और भाभी ने मुझे पूछा आपने ये सब चीज कहा से सीखी? आप बहुत बेहतरीन लगते हो। मैंने कहा अब दोबारा मौका मिलेगा वह बोली मेरे साथ मुंबई चलो रोज़ ही मौका लेंगे लेकिन उस पागल को कौन समझाएगा और मेरा दिल्ली में जो आंटी, भाभी है उनका क्या होगा?