हल्के भूरे रोएँ में से झाँकती गुलाबी रंग की चूत 2
Halke bhure roa me se jhankti gulabi rang ki chut-2
इतने कमाल की मुनिया के बारे में, बस सपने में सोचता था पर आज वो मेरे सामने थी।
अब मैंने उसकी मुनिया पर किस किया और वो शर्मा के सिहर गई।
मैंने पूछा – अदा, अब तो कुछ नहीं कहोगी ना?
अदा बोली – अभी तो बहुत कुछ बचा है।
अब बर्दाश्त नहीं होता, अभिनव।
मैंने बोला – मैं भी तेरे पीछे कब से पड़ा था, सच में तेरे जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी।
वो इतराते हुए बोली – चल झूठा।
मैं झट से उसकी गुलाबी रंग की चूत को चाटने लगा, उसकी सिसकारियाँ अब तेज हो गई थी।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसको ऐसे ही चाटता रहा और बीच-बीच में अपनी उंगली उसकी चूत के होंठों में घुसा देता और वो मेरा सिर अपनी चूत में दबा लेती।
पाँच मिनट बाद वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेने लगी ओर मुझे अपने अंदर समा लिया।
मैं समझ गया कि वो झरने वाली है, अब मैं और तेज़ी से उसकी चूत चाटने लगा।
कुछ ही देर में वो तेज़ी के साथ झड़ गई। मैं भी उसका सारा रस पी गया।
फिर मैं उठा, अब उसकी बारी थी।
वो भी किसी खिलाड़ी से कम नहीं थी, बिना देरी करते हुए उसने मेरी बेल्ट खोली और पैंट उतरा, लेकिन उतारने में उसे दिक्कत आ रही थी क्योंकि मेरा टॉवर खड़ा था।
मैंने अपना लण्ड झुकाया और उसने पैंट खींच के उतार फेंकी और ज़रा भी देरी ना करते हुए, चड्डी भी उतार फेंकी और लण्ड को पकड़ लिया।
वो हैरानी से मेरे लण्ड को देख रही थी। शायद उसने इससे पहले इतना लंबा लण्ड कभी नहीं देखा था।
फिर वो लण्ड को चूसने लगी, दस मिनट में मैं झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
वो उठी और बोली – मज़ा आ गया अभिनव, तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही बड़ा है।
उसके मुँह से लण्ड सुनते ही में और जोश में आ गया और बोला – बेफिकर रह, आज ये तेरा है।
फिर मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत के ऊपर अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
वो अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे लण्ड को अपने अंदर सामने की पूरी कोशिश कर रही थी।
मैंने भी देरी ना करते हुए एक ज़ोर का झटका लगाया लेकिन लण्ड का सुपाड़ा ही अंदर गया था की उसकी चीख ने मुझे डरा दिया।
मैंने झट से उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और लगातार चूसने लगा।
फिर एक और ज़ोर का झटका लगाया, इस बार मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ और वो तो बुरी तरीके से काँप गई और उसकी आँखो में आँसू आ गए।
मैं रुका और उसे चूसता रहा।
अब वो भी तैयार हो गई और मेरे होंठ चूसने लगी।
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए और वो भी मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी देर उसे ऐसे ही चोदता रहा, फिर अचानक से पूरे ज़ोर का एक और धक्का लगाया और पूरा लण्ड अंदर घुसा दिया।
उसने ज़ोर से मुझे पकड़ लिया और हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं लगातार उसे चोदता रहा, जल्द ही वो भी सिसकारियाँ भरने लगी और अपनी कमर उठा-उठा के साथ देने लगी।
३० मिनट में वो ३ बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ? – मैंने पूछा।
उसने बोला – बेफिकर रहो, अभी मैं सेफ हूँ… अंदर ही झड़ जाओ।
मैंने अपनी गति और बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा और २ मिनट में, मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
आधे घंटे तक हम ऐसे ही रहे, फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और वापस कॉलेज आने लगे।
उसे चलने में दिक्कत आ रही थी।
मैंने उसे थोड़ी दूर तक सहारा दिया और इसी बहाने उसकी गाण्ड को खूब दबाया।
जल्द ही मैं आपको अपनी अगली कहानी सुनाऊंगा, कैसे मैंने उसकी गाण्ड मारी और कैसे उसकी बाकी सहेलियों को चोदा…
मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा…