Bhabhi Sex

पति का दोस्त मेरी चूत का असली हकदार है

पढ़िए करिश्मा की कामुक कहानी, जिसमें पति के दोस्त पंकज ने उसकी चुदाई की प्यास बुझाई। HotSexStory.xyz पर इस गर्म कहानी का मज़ा लें!

मेरे प्यारे दोस्तों, मेरा नाम करिश्मा है। मैंने आपकी तमाम चटपटी और गर्मागर्म कहानियाँ पढ़ीं, और मेरा दिल भी कर उठा कि अपनी दिलकश और कामुक कहानी आपके सामने पेश करूँ। आज मैं HotSexStory.xyz पर अपनी एक ऐसी सेक्सी कहानी लेकर आई हूँ, जो आपकी रातों को और भी रंगीन कर देगी। उम्मीद है, मेरी ये कहानी आपके दिल में आग लगा देगी और आपको वो सारा मज़ा देगी, जिसकी आप तलाश में हैं।

मैं पहले अपने बारे में थोड़ा बता दूँ। मेरी उम्र 24 साल है, और मेरा फिगर ऐसा है कि मर्दों की नज़रें मुझ पर टिक ही जाती हैं। मेरे भारी-भरकम चूचियाँ और कसी हुई गांड किसी को भी दीवाना बना सकती है। लेकिन मेरी ज़िंदगी में एक कमी थी—मेरे पति। उनका होना न होना बराबर था। उनकी नज़रें शराब की बोतल पर ज़्यादा रहती थीं, और मेरी चूत की प्यास बुझाने का उन्हें ज़रा भी ख्याल नहीं था। कई दिनों से मैं चुदाई के लिए तड़प रही थी, मेरी बूर रात-दिन मचल रही थी, और मैं किसी मर्द के मज़बूत हाथों की तलाश में थी जो मुझे वो सुख दे सके, जिसकी मुझे सख्त ज़रूरत थी।

बाज़ार की वो रात

एक रात की बात है, मेरे पति ने फिर शराब के नशे में धुत्त होकर घर को सराय बना लिया था। मैं खाना लेने बाज़ार जाने की सोच रही थी। तभी मेरे पति का दोस्त पंकज आ धमका। पंकज, 24 साल का हट्टा-कट्टा जवान लड़का, करीब 5.7 फीट का कद, और वो मर्दाना जिस्म जो किसी भी औरत को बेकाबू कर दे। मैंने उससे कहा, “पंकज, चल मेरे साथ बाज़ार, कुछ खाने का सामान लेना है।” वो तुरंत तैयार हो गया।

मैंने एक टाइट टी-शर्ट और ढीली सी कैप्री पहनी थी। टी-शर्ट में मेरे बड़े-बड़े चूचियाँ ऐसे उभर रहे थे जैसे दो रसीले आम हों। और पैंटी? वो तो मैंने छोड़ा ही था। कैप्री इतनी ढीली थी कि मेरी जाँघों का नज़ारा आसानी से देखा जा सकता था। घर पर थोड़ी शराब मैंने भी चढ़ा ली थी, और पंकज ने भी दो पैग ठोक लिए थे। शराब का नशा और मेरी तड़प मुझे और बेकरार कर रहे थे।

मैंने घर में अकेले में अपनी कैप्री में हाथ डालकर अपनी बूर को अच्छे से सहलाया। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरे निप्पल टी-शर्ट के ऊपर से सख्त होकर चमक रहे थे। फिर मैं पंकज की बाइक के पीछे बैठ गई। रात के 12 बज चुके थे, सड़कें सुनसान थीं, और हवा में ठंडक थी। मैं उससे चिपककर बैठी, मेरा एक चूचिया उसकी कमर में धंस रहा था। मेरा सख्त निप्पल उसकी पीठ में चुभ रहा था, और वो जानबूझकर बार-बार ब्रेक मार रहा था ताकि मैं और करीब आ जाऊँ।

मुझे पता था कि पंकज मुझे पसंद करता है। उसकी नज़रें मेरे बदन पर बार-बार ठहरती थीं। मैंने सोच लिया कि आज रात मैं उससे अपनी प्यास बुझवाऊँगी। मैंने उससे मज़ाकिया लहजे में पूछा, “पंकज, वो तेरी गर्लफ्रेंड रुपाली का क्या हुआ? अब बात नहीं करता उससे?”

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वो बोला, “छोड़ दिया भाभी, बस मेरा काम हो गया था।”

मैंने नाटक करते हुए पूछा, “काम मतलब?”

वो हँसा और बोला, “भाभी, वो तो मैंने खा ली थी।”

उसकी ये बात सुनकर मेरी चूत में आग सी लग गई। मैंने जानबूझकर हैरानी का नाटक किया और पूछा, “खा लिया मतलब? तूने उसके साथ…” मैंने बात अधूरी छोड़ दी।

वो बेशर्मी से बोला, “हाँ भाभी, वही जो आप सोच रही हो।”

मैं और गर्म हो गई। मैंने पूछा, “और रुपाली?”

वो बोला, “उसे तो मुझसे पहले भी कई लोग खा चुके थे, और मेरे बाद भी उसने नया बॉयफ्रेंड बना लिया।”

उसकी ये बिंदास बातें सुनकर मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसे अभी कह दूँ, “पंकज, मुझे भी खा ले!” लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने मज़ाक में कहा, “तू बड़ा कमीना है, पंकज!”

वो चुप हो गया, लेकिन मेरे दिमाग में अब बस एक ही प्लान चल रहा था—कैसे इस मर्द से अपनी चुदाई करवाऊँ।

प्लॉट में चुदाई की शुरुआत

बाइक पर बैठे-बैठे मैं उससे और चिपक गई। मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था, और मैंने धीरे से उसका लौड़ा पकड़ लिया। उसका लौड़ा पैंट के अंदर तन रहा था, और मैं समझ गई कि वो भी गर्म है। मैंने उससे कहा, “पंकज, मेरा एक काम कर दे।”

वो बोला, “बोलो भाभी, क्या काम है?”

मैंने कहा, “पहले बाइक कहीं रोक।”

उसने सड़क किनारे बाइक रोकी। मैंने कहा, “यहाँ नहीं, थोड़ा और आगे चल।” फिर एक सुनसान प्लॉट के पास मैंने बाइक रुकवाई। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे प्लॉट में एक खोखे के पीछे ले गई। वहाँ अंधेरा था, और माहौल कामुक। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने भारी चूचियों पर रख दिया और बोली, “पंकज, चोद दे मुझे। मैं बहुत प्यासी हूँ। मेरी बूर तड़प रही है, प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दे।”

वो हैरान हुआ, लेकिन मेरे चूचियों को मसलते हुए बोला, “करिश्मा भाभी, ये क्या कह रही हो?”

मैंने कहा, “हाँ पंकज, मैं सच कह रही हूँ। मेरे पति से कुछ नहीं होता, और मैं कई दिनों से तड़प रही हूँ।”

वो चुप रहा, लेकिन मेरे चूचियों को मसलता रहा। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी कैप्री में सरकाया। जैसे ही उसकी उंगलियों ने मेरी गीली बूर को छुआ, मैं सिहर उठी और चिल्ला पड़ी, “उई माँ!” मैंने उसके बाल पकड़े और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, और मैं उसकी जीभ को चूसने लगी।

मैंने उसका लौड़ा पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। उसका लौड़ा इतना बड़ा और सख्त था कि मैं पागल हो गई। तभी पास से एक बाइक की आवाज़ आई, और हम दोनों अलग हो गए। लेकिन मेरी बूर अब और बेकरार थी। बाइक पर बैठते ही मैंने फिर उसका लौड़ा पकड़ लिया और बोली, “पंकज, आज मुझे तेरा ये बड़ा लौड़ा अपनी बूर में चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए।”

वो हँसकर बोला, “तुझे बड़ी जल्दी है मेरे लौड़े की!”

मैंने कहा, “साले, इतने लौड़े ले चुकी हूँ कि बस छूकर ही बता देती हूँ कि लौड़ा कितना बड़ा है।” फिर मैंने कहा, “घर पहुँचकर तू और मेरे पति पीना। मैं तुझे एक गोली दूँगी, उसे पेग में डाल देना। वो बेहोश हो जाएगा, फिर हम मज़े करेंगे।”

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घर में चुदाई का खेल

घर पहुँचे तो मेरा पति पहले ही इतना पी चुका था कि खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। मैं खुश हो गई। मैं बाथरूम में गई, अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतारकर सिर्फ टी-शर्ट पहन ली। मेरे सख्त निप्पल टी-शर्ट के ऊपर से चमक रहे थे। पंकज मुझे देखकर मुस्कुराया।

मैं किचन में गई, और पंकज मेरे पीछे आया। उसने मेरा एक चूचिया दबाते हुए कहा, “गोली की ज़रूरत नहीं, साले ने वैसे ही बहुत पी ली है।”

मैंने कहा, “ज़्यादा समझदार मत बन, गोली दे दे। मैं कोई रिस्क नहीं लूँगी।” उसने मेरा निप्पल टी-शर्ट के ऊपर से मसला, और मैं चीख पड़ी। मेरे पति ने बाहर से पूछा, “क्या हुआ?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, गरम बर्तन पकड़ लिया।”

पंकज मुस्कुराकर बाहर चला गया। मैंने खाना प्लेट में डाला और डाइनिंग टेबल पर सर्व करने लगी। मैं जानबूझकर झुकी ताकि पंकज मेरे चूचियों का दीदार कर सके। थोड़ी देर बाद मेरा पति खाना खाते-खाते टेबल पर ही सो गया।

पंकज ने मौका देखकर मेरे बाल पकड़े और मुझे चूमने लगा। उसका एक हाथ मेरी टी-शर्ट में घुस गया और मेरे चूचियों को मसलने लगा। मैं उसकी गोद में बैठ गई, और हम दोनों स्मूच करने लगे। मेरा पति टेबल पर पड़ा था, और मैं किसी गैर मर्द को चूम रही थी—ये सोचकर मेरी बूर पानी छोड़ने लगी।

मैंने उसका लौड़ा पकड़ा और पैंट के ऊपर से दबाने लगी। वो बोला, “करिश्मा, मेरी जान, कहाँ जा रही है?”

मैंने कहा, “मदारचोद, आज बड़ी जान-जान कर रहा है। इतने दिन से तुझे चूचियाँ दिखा रही थी, पैंटी तक दिखाई, और तू डरता रहा, गांडू!”

वो बोला, “साली रांड, तेरा बदन कपड़ों में से ही ऐसा दिखता है कि मुठ मारनी पड़ती थी। तेरे कसे चूचियाँ और जाँघें देखकर लौड़ा खड़ा हो जाता था।”

मैंने कहा, “साले, थोड़ी हिम्मत करता तो मुठ मारने की ज़रूरत नहीं पड़ती। मेरी बूर मार लेता!”

चुदाई का तूफान

उसने मुझे गोद में बिठाया और मेरी टी-शर्ट के ऊपर से चूचियाँ चूसने लगा। फिर उसने मेरा एक चूचिया बाहर निकाला और निप्पल मुँह में ले लिया। मैं मस्ती में चिल्ला उठी, “आह्ह्ह माँ! चूस मेरे चूचियाँ, मसल इन्हें!”

दो मिनट बाद मैंने टी-शर्ट उतार दी। उसने मुझे फिर गोद में बिठाया और बोला, “करिश्मा, तेरे चूचियाँ जबरदस्त हैं!”

मैं ज़मीन पर बैठ गई और उसकी पैंट खोल दी। उसका लौड़ा अंडरवियर में तन रहा था। मैंने अंडरवियर के ऊपर से लौड़ा काटा, फिर उसे बाहर निकाला। उसका लौड़ा 8-9 इंच का मोटा और सख्त था। मैंने उसे चाटना शुरू किया और मुँह में लेकर चूसने लगी। वो मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोदने लगा।

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पांच मिनट बाद उसने मुझे डाइनिंग टेबल पर बिठाया, मेरी कैप्री उतारी, और मेरी बूर पर मुँह रख दिया। मैं चिल्ला पड़ी, “आह मदारचोद, चाट मेरी बूर! मज़ा आ रहा है!” उसने मेरी बूर का दाना चाटा, और मैं मस्ती में पागल हो गई।

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उसने पूछा, “करिश्मा, परसों वो सुनार क्या कर रहा था?”

मैंने कहा, “सच बताऊँ, उससे चुद रही थी।”

वो बोला, “पक्की चुड़क्कड़ है तू!”

उसने फिर मेरी बूर चाटी, और मैंने उसका सर अपनी बूर पर दबा दिया। मेरी बूर ने रस छोड़ दिया, और उसने सारा रस चाट लिया।

बूर और गांड की चुदाई

उसने मुझे टेबल पर घुमाया और घोड़ी बनाया। उसने अपने लौड़े का सुपाड़ा मेरी बूर पर टिकाया और एक धक्के में पूरा लौड़ा अंदर डाल दिया। मैं चिल्ला पड़ी, “उई माँ! क्या लौड़ा है तेरा, मेरी बूर फट गई!”

वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मैं भी अपनी गांड हिलाकर उसका लौड़ा ले रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “चोद मदारचोद, मेरी बूर का भोसड़ा बना दे!”

पांच मिनट बाद उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया, मेरी एक टाँग उठाई, और लौड़ा मेरी बूर में डाल दिया। मैं पागल हो रही थी। फिर उसने मुझे बेडरूम में ले जाकर बेड पर लिटाया और चोदने लगा। मैं झड़ने वाली थी। मैंने उसकी कमर पर टाँगें लपेट लीं, और मेरी बूर ने रस छोड़ दिया।

वो बोला, “करिश्मा, बूर में झड़ जाऊँ?”

मैंने कहा, “नहीं, मेरे मुँह में झड़।”

मैं ज़मीन पर बैठ गई, और उसने मेरे मुँह में लौड़ा डालकर पिचकारी छोड़ी। मैंने उसका सारा माल पी लिया।

गांड की प्यास

हम सोफे पर बैठे। मैं उसका लौड़ा हिला रही थी। वो फिर तन गया। मैंने लौड़ा अपने चूचियों पर रगड़ा और चूचियों से चुदवाया। फिर मैं उस पर बैठ गई और लौड़ा अपनी बूर में लेकर उछलने लगी। वो मेरे चूचियाँ चूस रहा था।

पांच मिनट बाद मैं घोड़ी बनी और बोली, “पंकज, अब मेरी गांड की प्यास बुझा दे।”

उसने लौड़ा मेरी गांड पर टिकाया और आधा लौड़ा अंदर डाल दिया। मैं मस्ती में गांड मरवाने लगी। पांच मिनट बाद उसने फिर मेरी बूर में लौड़ा डाला और मेरी बूर में झड़ गया।

आखिरी मज़ा

मैं तृप्त हो चुकी थी। हमने मेरे पति को बेड पर लिटाया। पंकज मेरे चूचियों से खेल रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने एक बार और चुदाई करवाई। फिर वो अपने घर चला गया, और मैं तृप्त होकर सो गई।

दोस्तों, ये थी मेरी गर्मागर्म कहानी। उम्मीद है, आपको मज़ा आया होगा।