Bhabhi Sex

लिंग की प्यासी शादीशुदा भाभी की चुदाई

पढ़ें लखनऊ के एक लड़के और 28 साल की खूबसूरत शादीशुदा औरत विद्या की हॉट सेक्स स्टोरी। अकेलेपन से तड़पती विद्या और लखनऊ बॉय की दोस्ती कैसे बनी चुदाई का रसीला खेल। गोरी हसीना, टाइट चूत और गर्म साँसों की पूरी कहानी।

यह कहानी मेरी और एक 28 साल की शादीशुदा औरत की है, जिसका नाम विद्या है—हाँ, यह नाम मैंने अपनी कल्पना से चुना है। विद्या एक ऐसी खूबसूरत हसीना थी, जिसे देखकर दिल की धड़कनें तेज हो जाएँ। उम्र 28 साल, गोरा रंग इतना चमकदार कि मानो चाँद की रोशनी उसकी देह पर ठहर गई हो। उसकी हाइट करीब 5 फीट 6 इंच थी, कमर पतली और नाजुक, जैसे किसी शायर की गजल का मिसरा हो। उसके वक्ष, 32 साइज के, सुडौल और टाइट, किसी के भी होश उड़ा दें। और उसके चूतड़—मोटे, गोल, और रसीले—जिन्हें देखकर कोई भी पागल हो जाए। वो हर मायने में एक मादक सपना थी।

विद्या का पति एक बड़ी कंपनी का मालिक था, जो अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहता था। मैं एक नेटवर्किंग साइट पर “लखनऊ बॉय” के नाम से कमेंट करता था—कुछ ऐसा कि, “अगर कोई भाभी, आंटी, डिवोर्सी या विधवा सेक्स का सुख या गहरी दोस्ती चाहती हो, तो लखनऊ बॉय से संपर्क करें।” नीचे अपना मोबाइल नंबर छोड़ देता था। शुरू में दूर-दराज से मिस्ड कॉल्स और मैसेज आते थे—कभी लड़कियों के, कभी भाभियों के। लेकिन एक दिन कुछ खास हुआ।

रात के 9:30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी। मैंने स्क्रीन देखी—अनजान नंबर। दिल में एक हल्की-सी हलचल हुई। मुझे अंदाजा था कि शायद कोई लड़की या भाभी होगी। मैंने कॉल उठाई। उधर से एक नर्म, मादक आवाज गूँजी, “क्या मैं लखनऊ बॉय से बात कर सकती हूँ?” उसकी आवाज में एक अजीब-सी कशिश थी, जो सीधे दिल को छू गई।

“हाँ, मैं ही हूँ। आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?” मैंने थोड़ा संभलते हुए कहा।
“जी, मैंने आपका नंबर नेट से लिया है। क्या आप मेरे साथ दोस्ती करेंगे?” उसकी आवाज में हल्की-सी झिझक थी, पर एक गहरी चाहत भी छुपी थी।
“बिल्कुल करूँगा। आपका नाम और सिटी?” मैंने उत्सुकता से पूछा।
“मेरा नाम विद्या है, और मैं लखनऊ की हूँ,” उसने जवाब दिया।
“वाह, क्या बात है! मैं भी लखनऊ का हूँ,” मैंने खुशी से कहा। मेरे लिए ये पहली बार था कि कोई लखनऊ की महिला मुझसे इस तरह जुड़ी।

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उस रात हमारी बातें देर तक चलीं। उसने बताया कि उसका पति हमेशा बाहर रहता है, और वो अकेलापन महसूस करती है। उसकी आवाज में एक उदासी थी, पर साथ ही एक तड़प भी, जो मुझे धीरे-धीरे उसकी ओर खींच रही थी। फिर हमारी बातें रोज होने लगीं। पहले दोस्ती, फिर हल्की-फुल्की फ्लर्टिंग, और धीरे-धीरे सेक्स की गर्मागर्म बातों तक पहुँच गईं। एक दिन उसने अचानक पूछा, “क्या तुम मुझे सेक्स का सुख दे सकते हो?” उसकी आवाज में नजाकत के साथ-साथ एक जलन थी, जो मेरे जिस्म में आग लगा गई। मैंने बिना सोचे “हाँ” कह दिया।

उसने मुझे अपने घर का पता दिया—लखनऊ का एक पॉश इलाका, मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं। अगले दिन मैं तैयार होकर निकल पड़ा। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने बेल बजाई। दरवाजा खुला, और सामने विद्या खड़ी थी। उसे देखते ही मेरे पैर जम गए। क्या हसीन थी वो! गुलाबी साड़ी में उसका गोरा बदन चमक रहा था। पतली कमर से साड़ी नीचे सरक रही थी, और उसके टाइट ब्लाउज में कैद वक्ष मानो बाहर आने को बेताब थे। उसने मुझे मुस्कुराते हुए अंदर बुलाया।

उसका घर भीतर से शानदार था—कीमती सजावट, मखमली सोफे, और एक हल्की-सी खुशबू जो हवा में तैर रही थी। विद्या ने मुझे जूस का ग्लास थमाया। बातों-बातों में उसने घर दिखाया, और आखिर में हम बेडरूम में पहुँच गए। कमरा मंद रोशनी से भरा था, बिस्तर पर गुलाबी चादर बिछी थी, और हवा में एक मादक सा जादू था। वो मेरे करीब आई। उसकी साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। मैंने और इंतजार नहीं किया—उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मेरे साथ बहने लगी, उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराई, और हम दोनों एक-दूसरे में खो गए।

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करीब पंद्रह मिनट तक हम बस चूमते रहे—उसके होंठों का स्वाद, उसकी गर्म साँसें, और उसका नरम जिस्म मेरे हाथों में। फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज पर गया। मैंने उसके टाइट बूब्स को दबाना शुरू किया—क्या मस्त गोलाई थी, कड़क और रसीले। वो सिसकारियाँ लेने लगी। हमारा पूरा शरीर एक-दूसरे से रगड़ खा रहा था, जैसे दो आग के गोले आपस में भिड़ गए हों। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और अपने कपड़े उतार फेंके। उसने भी अपनी साड़ी खोल दी, फिर ब्लाउज, पेटीकोट—और अब वो सिर्फ लाल ब्रा और सफेद पैंटी में थी। उसकी चमकदार जाँघें, सपाट पेट, और पैंटी के नीचे छुपी उसकी चूत की हल्की-सी उभार—मैं तो बस उसे निहारता रह गया। उसका चेहरा शर्म से लाल हो चुका था, पर आँखों में एक जंगली चाहत चमक रही थी।

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मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी छोटी, दो इंच की चूत मेरे सामने थी—गुलाबी, नम, और मादक। मैंने पहले हाथ से उसे सहलाया, फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी चूत का नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुल गया। वो सिसकारियाँ भर रही थी, अपने बूब्स को खुद ही मसल रही थी। बीस मिनट तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा—कभी धीरे, कभी तेज। आखिरकार वो झड़ गई। उसका गर्म पानी मेरे मुँह में आया, और मैंने उसे पूरा चाटकर साफ कर दिया।

अब मेरा लंड फूलकर 7 इंच का हो गया था—पहले कभी इतना सख्त नहीं देखा था। विद्या ने उसे हाथ में लिया, सहलाया, चूमा, और फिर अपने मुँह में ले लिया। वो चूसने में थोड़ी अनुभवहीन थी, पर उसकी बेताबी देखते बनती थी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे उसकी जिंदगी उसी पर टिकी हो। मैं इतना उत्तेजित हो गया कि कब मेरे लंड से पानी निकल गया, पता ही नहीं चला। उसने सारा पानी पी लिया और मेरे लंड को चाटकर साफ कर दिया।

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से टाइट हो गया। उसने अपने पैर फैलाए और मेरे लंड को अपनी चूत पर रखा। मैंने धीरे-धीरे आधा लंड अंदर घुसाया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि आगे नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा पीछे खींचा और एक जोरदार झटका मारा। वो चीख पड़ी, उसकी आँखों से आँसू छलक आए। मैं रुक गया, उसे सहलाया, और फिर धीरे-धीरे झटके लगाने लगा। उसकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। मैं उसे बीस मिनट तक चोदता रहा—कभी धीरे, कभी तेज। आखिर में मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। वो संतुष्ट लग रही थी, उसकी साँसें तेज थीं, और चेहरा सुकून से चमक रहा था।

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हम एक घंटे तक एक-दूसरे से चिपककर सोते रहे। फिर उसने मुझे उठाया और एक ग्लास गर्म दूध दिया। दूध पीकर मैंने कपड़े पहने, उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया, और चल पड़ा। जाते-जाते उसने मुझे पाँच हजार रुपये देने की कोशिश की, पर मैंने मना कर दिया। उसके बाद जब भी मौका मिलता, हम मिलते और ऐसी ही मादक चुदाई का आनंद लेते। विद्या मेरे लिए एक सपना बन गई थी—एक ऐसा सपना जो हर बार हकीकत में और भी रसीला हो जाता था।