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कमसिन साली का प्यार और चुदाई-2

Kamsin sali ka pyar aur chudai-2

चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से रिंकु का शरीर गंगना गया। उसका जिस्म मस्ती में कांपने लगा। वह बोल उठी। “हाय जीजू… ये आप क्या कर रहे हैं… मेरी चूत क्यों चाट रहे हैं… आह… मैं पागल हो जाऊंगी… ओह… मेरे अच्छे जीजू… हाय… मुझे ये क्या होता जा रहा है…” रिंकु मस्ती में अपनी कमर को जोर जोर से आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को चूस रही। उसके मुंह से थूक निकल कर मेरी जांघों को गीला कर रहा था। मैंने भी चाट-चाट कर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था। करीब 10 मिनट तक हम बाप-साले ऐसे ही एक दूसरे को चूसते चाटते रहे। हम लोगों का पूरा बदन पसीने से भीग

चुका था। अब मुझसे सहा नहीं जा रहा था। मैंने कहा। “रिंकु साली अब और बर्दाश्त नहीं होता। तू सीधी होकर, अपनी टांगे फैला कर लेट जा। अब मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसा कर तुम्हें चोदना चाहता हूँ”

मेरी इस बात को सुन कर रिंकु डर गई। उसने अपनी टांगे सिकोड़ कर अपनी बुर को छुपा लिया और घबरा कर बोली। “नहीं जीजू, प्लीज ऐसा मत कीजिए। मेरी चूत अभी बहुत छोटी है और आपका लंड बहुत लम्बा और मोटा है। मेरी बुर फट जाएगी और मैं मर जाऊंगी। प्लीज इस ख्याल को अपने दिमाग से निकाल दीजिए।”

मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुम्बन जड़ते हुए कहा। “डरने की कोई बात नहीं है रिंकु। मैं तुम्हारा जीजा हूँ और तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। मेरा विश्वास करो मैं बड़े ही प्यार से धीरे-धीरे चोदूंगा और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा।”

“लेकिन जीजू, आपका इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा? इसमें तो उंगली भी नहीं घुस पाती है।” रिंकु ने घबराए हुए स्वर में पूछा।

“इसकी चिंता तुम छोड़ दो रिंकु और अपने जीजू पर भरोसा रखो। मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा।” मैंने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया।

“मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू, फिर भी बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होने वाला है।” रिंकु का डर कम नहीं हो पा रहा था। मैंने उसे फिर से धांधस दिया। “मेरी प्यारी साली, अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ। मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोदूंगा। बहुत मजा आएगा।”

“ठीक है जीजू, अब मेरी जान आपके हाथों में है।” रिंकु इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गई लेकिन उसके चेहरे से भय साफ झलक रहा था।

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मैंने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई। फिर उसकी दोनों टांगों को खींच कर पलंग से बाहर लटका दिया। रिंकू डर के मारे अपनी चूत को जांघों के बीच दबा कर छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैंने उन्हें फैला कर चौड़ा कर दिया और उसकी टांगों के बीच खड़ा हो गया। अब मेरा तना हुआ लंड रिंकू की छोटी सी नाजुक चूत के करीब हिचकोले मार रहा था। मैंने धीरे से वैसलीन लेकर उसकी चूत में और अपने लंड पर चिपोड़ ली ताकि लंड घुसाने में आसानी हो। सारा मामला सेट हो चुका था। अपनी कामुक साली की मक्खन जैसी नाजुक बुर को चोदने का मेरा पुराना ख्वाब पूरा होने वाला था। मैं अपना लंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। कठोर लंड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर में रिंकू की फुड़ी (क्लिटोरिस) कड़ी होकर टन गई। वह मस्ती में कापने लगी और अपने चूचियों को जोर जोर से हिलाने लगी।

“बहुत अच्छा लग रहा है जीजू… ओ… ओ… ओ… ओह… बहुत मजा आ रहा है… और रगड़िए जीजू… तेज तेज रगड़िए…” वह मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को मसलने लगी थी। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। मैं बोला।

“मुझे भी बहुत मजा आ रहा है साली। बस ऐसे ही साथ देती रहो। आज मैं तुम्हें चोदकर पूरी औरत बना दूंगा।” मैं अपना लंड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ता जा रहा था। वह फिर बोलने लगी। “हाय जीजू जी… ये आपने क्या कर दिया… ओह… मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ रहा है… मेरी चूत के अंदर आग लगी हुई है जीजू… अब सहा नहीं आता… ओह जीजू जी… मेरे अच्छे जीजू… कुछ कीजिए न… मेरी चूत की आग बुझा दीजिए… अपना लंड मेरी बुर में घुसा कर चोदिए जीजू… प्लीज… जीजू… चोदो मेरी चूत को।”

“लेकिन रिंकू, तुम तो कह रही थी कि मेरा लंड बहुत मोटा है, तुम्हारी बुर फट जाएगी। अब क्या ह

ो गया?” मैंने यूं ही प्रश्न किया।

“ओह जीजू, मुझे क्या मालूम था कि चुदाई में इतना मजा आता है। आआआह अब और बर्दाश्त नहीं होता।” रिंकू अपनी कमर को उठा-उठा कर पटक रही थी।

“हाए जीजू… ओह… आग लगी है मेरी चूत के अंदर… अब देर मत कीजिए… अब लंड घुसा कर चोदिए अपनी साली को… घुसा दीजिए अपना लंड मेरी बुर के अंदर… फट जाने दीजिए साली को… कुछ भी हो जाए मगर छोड़िए मुझे” रिंकू पागलों की तरह बड़बड़ाने लगी थी। मैं समझ गया, लोहा गरम है इसी समय छोट करना ठीक रहेगा।

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मैंने अपना फनफनाया हुआ कठोर लंड उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छे तरह सेट किया। उसकी टांगों को अपने पेट से सटा कर अच्छे तरह जकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा।

अचानक रिंकू के गले से एक तेज चीख निकली। “आआआआआआह… बाप रे… मर गई मैं… निकालो जीजू… बहुत ज्यादा हो रहा है… बस करो जीजू… नहीं चुदावाना है मुझे… मेरी चूत फट गई जीजू… छोड़ दीजिए मुझे अब… मेरी जान निकल रही है।” रिंकू बेहाल होने लगी थी।

मैंने देखा, मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत को फाड़ कर अंदर घुस गया था। और अंदर से पानी भी निकल रहा था। अपनी दुलारी साली को बिलबिलाते देख कर मुझे दया तो बहुत आई लेकिन मैंने सोचा अगर इस हालत में मैं उसे चोद दूंगा तो वह दुबारा फिर कभी इसके लिए राजी नहीं होगी। मैंने उसे हौसला देते हुए कहा। “बस साली थोड़ा और सह लो। पहली बार चुदावाने में तो सहना ही पड़ता है। एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मजा ही मजा है” मैं रिंकू को धैर्य देने की कोशिश कर रहा था मगर वह चटपटा रही थी।

“मैं मर जाऊंगी जीजू… प्लीज मुझे छोड़ दीजिए… बहुत ज्यादा हो रहा है… प्लीज जीजू… निकाल लीजिए अपना लंड।” रिंकू ने गिड़गिड़ाते हुए अनुरोध क

िया। लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था। मेरी साली रिंकू बिलखती रही और मैं उसकी टांगों को कस कर पकड़े हुए अपने लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करता रहा। थोड़ी-थोड़ी देर पर मैंहोस किया कि मेरी साली को  कुछ आराम हो रहा था। चुदाई के साथ-साथ अब उसे मजा भी आने लगा था क्योंकि अब वह अपने चूताड़ को बड़े ही लय-ताल में उपर नीचे करने लगी थी।

उसके मुंह से अब कराह के साथ-साथ सिसकारी भी निकलने लगी थी। मैंने पूछा, “क्यों साली, अब कैसा लग रहा है? क्या कुछ आराम हुआ?”

“हाँ जीजू, अब थोड़ा-थोड़ा अच्छा लग रहा है। बस धीरे-धीरे धक्के लगाते रहिए। ज्यादा अंदर मत घुसाइएगा। बहुत दुखता है।” रिंकू ने हाँफते हुए स्वर में कहा। वह बहुत ज्यादा लस्ट पास्ट हो चुकी थी।

“ठीक है साली, तुम अब चिंता छोड़ दो। अब चुदाई का असली मजा आएगा।” मैं हौले-हौले धक्के लगाता रहा। कुछ ही देर बाद रिंकू की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी।

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मेरा लंड भी अब कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा। हर धक्के के साथ फच-फच की आवाज आनी शुरू हो गई। मुझे भी अब ज्यादा मजा मिलने लगा था। रिंकू भी मस्त होकर चुदाई में मेरा सहयोग देने लगी थी। वह बोल रही थी।

“अब अच्छा लग रहा है जीजू, अब मजा आ रहा है… … उऊऊऊऊह जीजू… ऐसे ही चोदते रहिए। और अंदर घुसा कर चोदिए जीजू… … आआआआआह आपका लंड बहुत मस्त है जीजू जी… … बहुत सुख दे रहा है…” रिंकू मस्ती में बड़बड़ाए जा रही थी।

मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था। मैंने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। तेजी से धक्के मारने लगा। अब मेरा लगभग पूरा लंड रिंकू की चूत में जा रहा था मैं भी मस्ती के सातवे आसमान पर पहुंच गया और मेरे मुंह से मस्ती के शब्द फूटने लगे।

“हाए रिंकू… … मेरी प्यारी साली… … मेरी जान… … आज तुमने मुझ से चुदावा कर बहुत बड़ा उपकार किया है… … हाँ… … साली… … तुम्हारी चूत बहुत ताज्जुब है… … बहुत मस्त है… … तुम्हारी चूची भी बहुत कसी कसी हैं। ओह… … बहुत मजा आ रहा है…” रिंकू अपनी चूताड़ उचाल-उचाल कर चुदाई में मेरी मदद कर रही थी। हम दोनों जीजा-साली मस्ती की बुलंदियों को छू रहे थे। तभी रिंकू चिल्लाई, “जीजू… … मुझे कुछ हो रहा है… … आआआआ

आहहहहहह… … जीजू… … मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है… … उऊऊऊऊहहहहहहह… … जीजू… … मजा आ गया… … उऊऊऊऊहहहहहहहहहह… … माँ…” रिंकू अपनी कमर उठा कर मेरे पूरे लंड को अपनी बुर के अंदर समा लेने की कोशिश करने लगी। मैं समझ गया कि मेरी साली का क्लाइमेक्स आ गया है। वह झड़ रही थी। मुझ से भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था। मैं खूब तेज-तेज धक्के मार कर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर में हम बाप-साली एक साथ स्खलित हो गए। बरसों से एकत्र मेरा ढेर सारा वीर्य रिंकू की चूत में पिचकारी की तरह निकलकर भर गया।

मैं उसके ऊपर लेट कर चिपक गया। रिंकू ने मुझे अपनी बांहों में कस कर जकड़ लिया। कुछ देर तक हम दोनों जीजा-साली एक दूसरे को चूमते-चाटते और बातें करते रहे और कब नींद के आगोश में चले गए पता ही नहीं चला।