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कमसिन साली का प्यार और चुदाई-1

Kamsin sali ka pyar aur chudai-1

भरी जवानी में औरत के बिना जीवन गुजारना और ऊपर से एक बच्चे की पालन-पोषण की जिम्मेदारी सचमुच बड़ा ही मुश्किल था। लेकिन छोटी साली रिंकू ने नवजात बच्चे को अपने छाती से लगा कर घर को काफी कुछ संभाल लिया। दीदी के गुजरने के बाद रिंकू अपनी माँ के कहने पर कुछ दिनों के लिए मेरे पास रहने के लिए आ गई थी। रिंकू तो वैसे ही खूबसूरत थी, बदन में जवानी के लक्षण उभरने से और भी सुंदर लगने लगी थी। औरत के बिना मेरा जीवन बिलकुल सूना सूना सा हो चुका था। लेकिन सेक्स की आग मेरे शरीर और मन में दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी। रातें गुजारना मुश्किल हो गया था। कभी कभी अपनी साली रिंकू के कामुक गोलाइयों को देख कर मेरा मन ललचाने लगता था। मगर वह मेरी सागी साली थी यही सोच कर अपने मन पर काबू कर लेता था। फिर भी कभी कभी मन बेकाबू हो जाता और जी चाहता कि रिंकू को नंगी करके अपनी बाहों में भर लू।

उसके छोटी छोटी कसी हुई चूचीयों को मुँह में भरकर देर तक चूसता रहूं और फिर उसे बिस्तर पर लेटा कर उसकी नन्ही सी चूत में अपना मोटा लंड घुसा कर खूब चोदू।

एक दिन मैं अपने ऑफिस के एक दोस्त के साथ एक इंग्लिश फिल्म देखने गया। फिल्म बहुत ज्यादा सेक्सी थी। नग्न और संभोग के दृश्यों की भरमार थी। फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था सेक्स का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था। घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले सीन्स को बार-बार सोच रहा था और जब भी उन्हें सोचता, रिंकू का चेहरा मेरे सामने आ जाता मैं बेकाबू होने लगा था। मैंने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो, अपनी साली को छोड़ूंगा जरूर। घर पहुँचने पर रिंकू ने ही दरवाजा खोला। मेरी नज़र सबसे पहले उसके भोले-भाले मासूम चेहरे पर गई फिर टी-शर्ट के नीचे ढकी हुई उसकी नन्ही चूचियों पर और फिर उसके टां

गों के बीच छिपी हुई छोटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पर। मुझे अपनी और अजीब नज़रों से देखते हुए पकड़ रिंकू ने पूछा, “क्या बात है जीजू, ऐसे क्यों देख रहे हैं?” मैंने कहा, “कुछ नहीं रिंकू…..बस ऐसे ही……. तबीयत कुछ खराब हो गई।” रिंकू बोली। “अपने कोई दवा ली या नहीं?”

“अभी नहीं” मैंने जवाब दिया और फिर अपने कमरे में जाकर लंगोट पहन कर बिस्तर पर लेट गया।

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थोड़ी देर बाद रिंकू आई और बोली, “कुछ चाहिए जीजू?”

जी में तो आया कि कह दूं “साली मुझे चोदने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए।” पर मैं ऐसा कह नहीं सकता था।

मैंने कहा “रिंकू, मेरे टांगों में बहुत दर्द है। थोड़ा तेल ला कर मालिश कर दो।”
“ठीक है जीजू,” कह कर रिंकू चली गई और फिर थोड़ी देर में एक कटोरी में तेल लेकर वापस आ गई। वो बिस्तर पर बैठ गई और मेरे दाहिने टांग से लंगोट घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी। अपनी 14 साल की साली के नाजुक हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “रिंकू ज्यादा दर्द तो जांघों में है। थोड़ा घुटने के ऊपर भी तेल मालिश कर दे।”
“जी जीजू” कह कर रिंकू ने लंगोट को जांघों पर से हटाना चाहा। तभी जानबूझ कर मैंने अपना बाया पैर उपर उठाया जिससे मेरा फुनफुनाया हुआ खड़ा लंड रिंकू के बाहर हो गया। मेरे लंड पर नजर पड़ते ही रिंकू सकपका गई। कुछ देर तक वह मेरे लंड को कंखियों से देखती रही। फिर उसे लंगोट से ढकने की कोशिश करने लगी। लेकिन लंगोट मेरी टांगों से दबी हुई थी इसलिए वो उसे ढक नहीं पाई। मैंने मौका देख कर पूछा, “क्या हुआ रिंकू?”

“जी जीजू। आपका अंग दिख रहा है।” रिंकू ने सकुचाते हुए कहा।

“अंग, कौन सा अंग?” मैंने अनजान बन कर पूछा।

जब रिंकू ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने अंदाज़ से अपने लंड पर हाथ रख

ते हुए कहा, “अरे! ये कैसे बाहर निकल गया?” फिर मैंने कहा, “साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शर्माना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो।” मेरी बात सुन कर रिंकू घबरा गई और शरमाते हुए बोली,
“ची जीजू, कैसी बात करते हैं, जल्दी से ढकिए इसे।”
“देखो रिंकू ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना।

तुम्हारी जीजी जब थी तो इसकी खूब सेवा करती थी, रोज इसकी मालिश करती थी। उसके चले जाने के बाद बेचारा बिल्कुल अनाथ हो गया है। तुम इसके दर्द को नहीं समझोगी तो कौन समझेगा?” , मैंने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली।

“लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हूँ। मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,”

“ठीक है रिंकु, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नहीं समझ सकती और पाप-पुण्य की बात करती हो तो जाने दो,” मैंने उदासी भरे स्वर में कहा।

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“मैं आपको दुखी नहीं देख सकती जीजू। आप जो कहेंगे, मैं करूँगी।” मुझे उदास होते देख कर रिंकु भावुक हो गई थी। उसने अपने हाथों में तेल चिपोड़ कर मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया। अपने लंड पर रिंकु के नाजुक हाथों का स्पर्श पाकर, वासना की आग में जलते हुए मेरे पूरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई। मैंने रिंकु की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया।

“बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो। बहुत आराम मिल रहा है,” मैंने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।

थोड़ी ही देर में मेरा पूरा जिस्म वासना की आग में जलने लगा। मेरा मन बेकाबू हो गया। मैंने रिंकु की बाह पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसके दोनों छूचियाँ मेरी छाती से चिपक गई। मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर उसके होंठों को चूमने लगा। रिंकु को मेरा यह प्यार शायद समझ में नहीं आया।

वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली, “जीजू ये आप क्या कर रहे हैं?”

“रिंकु आज मुझे मत रोको। आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो।”

“लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?” रिंकु ने आश्चर्य से पूछा।

“साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर संभाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो। मैं औरों की बात नहीं जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हूँ। तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हूँ। प्लीज आज मुझे मत रोको रिंकु।” मैंने अनुरोध भरे स्वर में कहा।

“मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है।” रिंकु ने कहा। “पाप-पुण्य सब बेकार की बातें हैं साली। जिस काम से दोनों को सुख मिले और किसी का नुकसान न हो वो पाप कैसे हो सकता है?” मैंने अपना तर्क दिया।

“लेकिन जीजू, मैं तो अभी बहुत छोटी हूं।” र

िंकु ने अपना डर जताया।

“वह सब तुम मुझ पर छोड़ दो। मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा।” मैंने उसे भरोसा दिलाया।

रिंकु कुछ देर गुमसुमा सी बैठी रही तो मैंने पूछा, “बोलो साली, क्या कहती हो?”

“ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए। मैं सिर्फ आपकी खुशी चाहती हूँ।” मेरी साली का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था।

रिंकु की स्वीकृति मिलते ही मैंने उसके नाजुक बदन को अपनी बाहों में बेंच लिया और उसके पतले-पतले गुलाबी होंठों को चूसने लगा। उसका विरोध समाप्त हो चुका था। मैं अपना एक हाथ उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छोटी-छोटी छूचियों को हल्के-हल्के सहलाने लगा। फिर उसके निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगा। थोड़ी ही देर में रिंकु को भी मजा आने लगा और वह शी… शी… ई… करने लगी।

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“मजा आ रहा है जीजू… आह… और कीजिए बहुत अच्छा लग रहा है।”

अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया। हल्के विरोध के बावजूद मैंने रिंकु की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक छूची को मुंह में लेकर चूसने लगा। दूसरी छूची को मैं हाथों में लेकर धीरे-धीरे दबा रहा था। रिंकु को अब पूरा मजा आने लगा था। वह धीरे-धीरे बुदबुदाने लगी। “ओह… आह… मजा आ रहा है जीजू… और जोर जोर से मेरी छूची को चूसिए… आआह… आपने ये क्या कर दिया?… ओह… जीजू।”

अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होती देख कर मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने कहा, “रिंकु मजा आ रहा है ना?”

हाँ जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है। आप बहुत अच्छी तरह से चूची चूस रहे हैं।” रिंकु ने मस्ती में कहा।

“अब तुम मेरा लंड मुंह में लेकर चूसो, और ज्यादा मजा आएगा।” मैंने रिंकु से कहा।

“ठीक है जीजू।” वो मेरे लंड को मुंह में लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी तो मैंने उसकी बाह पकड़ कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा मेरे लंड के पास और उसके छूटड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गए। वो मेरे लंड को मुंह में लेकर ऐसाक्रीम की तरह मजे से चूसने लगी। मेरे पूरे शरीर में हाय वोल्टेज का क्रंद दौड़ने लगा। मैं मस्ती में बड़बड़ाने लगा।

“हाँ रिंकु, हाँ… शाबाश… बहुत अच्छा चूस रही हो, … और अंदर लेकर चूसो।” रिंकु और तेजी से लंड को मुंह के अंदर बाहर करने लगी। मैं मस्ती में पागल होने लगा।

मैंने उसकी स्कर्ट और चड्डी दोनों को एक साथ खींच कर टांगों से बाहर निकाल कर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत को देखने लगा। वाह! क्या चूत थी, बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम। छोटे छोटे हल्के भूरे रंग के बाल उगे थे। मैंने अपना चेहरा उसकी जांघों के बीच घुसा दिया और उसकी नन्ही सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा।