नौकर-नौकरानी चुदाई

कामवाली बाई को बनाया घरवाली-2

Kamwali bai ko banaya gharwali-2

में तैयार हो रहा था तो में कांच से उसको अपना बेड साफ करते वक़्त उसकी गांड, बूब्स को देख रहा था, अभी भी में टावल में खड़ा हुआ था और उसके सेक्सी गदराए बदन को देखकर मेरा लंड अब खड़ा हो चुका था, तभी अचानक मेरा टावल नीचे गिर गया और में पूरा नंगा हो गया. तभी रेशमा ने मुझे देख लिया कि मेरा लंड तनकर खड़ा हुआ है, में थोड़ा घबरा गया और टावल को उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुक गया. तभी उसने मस्ती में आकर मेरा टावल पकड़कर खींच लिया तो मैंने उससे कहा कि यह सब क्या है रेशमा? प्लीज तुम मुझे मेरा टावल दे दो.

फिर उसने मुझसे कहा कि तुम अभी तक बच्चे हो, इसीलिये मैंने आपका टावल खींचा और वो हंसते हुए शरमाकर चली गई. फिर मैंने फ़टाफट अपने कपड़े पहने और में भी तुरंत किचन के पास चला गया, वो किचन से बाहर खिड़की के पास खड़ी हुई थी. वो वहां पर खड़ी होकर चाय पी रही थी. फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके धीरे धीरे उसके पीछे चला गया और मैंने उसकी गांड को पीछे से कसकर पकड़ लिया. फिर उसने पीछे मुड़कर देखा और में अब थोड़ा सा घबरा गया था.

फिर उसने मुझसे पूछा कि आकाश तुम यह क्या कर रहे हो? लेकिन मैंने उससे कुछ नहीं कहा, में बस थोड़ा सा पीछे हो गया, जिसकी वजह से मेरा लंड अब उसकी गांड के पीछे था, लेकिन मुझे अभी तक याद नहीं था कि मेरा हाथ अभी भी उसकी गोरी गोरी कमर पर था. अब उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि आकाश फिर से करो ना और अब वो ज़ोर से हंसने लगी और अब में मन ही मन बहुत खुश हो गया और मुझे भी इस बात का पक्का विश्वास हो गया कि रेशमा भी मेरे साथ अपनी चुदाई के लिए तैयार है, क्योंकि वो अब कुतिया की तरह अपनी गांड को थोड़ा ऊपर करके चाय पीने लगी.

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अब में ज़रा भी नहीं हिचकिचाया और मैंने एक बार फिर से जाकर उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी कमर को उसके कूल्हों से चिपका दिया और जैसे ही मैंने उसकी गांड पर अपनी जाँघ रखी तो वैसे ही मेरा लंड करीब दो सेकेंड में उसकी गरमी पाकर बड़ा होकर उसकी गांड को साड़ी के ऊपर से धक्के देने लगा और अब मैंने उससे कहा कि रेशमा में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, में तुम्हें बहुत प्यार करूंगा और तुम्हें बहुत अच्छी तरह से रखूंगा.

दोस्तों यह सब सिर्फ़ पांच सेकेंड के अंदर अंदर हुआ, लेकिन अब तक उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. फिर वो उठी और अपना सर मोड़कर ठीक से खड़ी होकर अपनी जीभ मुझे दिखाकर आआहह आकाश कहने लगी और अब उसने अपने हाथ को पीछे करके मेरी गांड पर रख दिया था. में समझ गया कि उसको अब मुझसे क्या क्या चाहिए? तो में झट से उसके पीछे गया और रेशमा एकदम सीधा हो गई, उसके हाथ से अब चाय नीचे गिर गई और तभी उसने मुझे किस किया और कहा कि आज तुम्हारी माँ थोड़ा सा जल्दी से आनी वाली है और हम लोग बचा हुआ काम कल करते है, तुम अब मुझे छोड़ो ना, मुझे जाने दो, लेकिन मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अब उसे ज्यादा ज़ोर से जकड़ लिया था.

तभी वो अब मुझसे कहने लगी कि देखो बाहर कोई आ रहा है, लेकिन मैंने नहीं सुना और में अब उसकी गर्दन को चूमने लगा, वो मुझसे छूटने का बहुत प्रयास कर रही थी, लेकिन मैंने उसे बहुत ज़ोर से जकड़ रखा था. तभी सामने से अचानक मेरी मम्मी आकर खड़ी हो गई, उन्होंने हम दोनों को इस तरह देख लिया था और वो बस हमे देखती ही रह गई, मेरी तो पूरी गांड फट गई और मेरी पकड़ उसकी कमर से कमजोर होने लगी थी और उस बात का फायदा उठाकर रेशमा मुझसे छूटकर भागकर बाहर दूसरे कमरे में चली गई. दोस्तों मेरी माँ अब भी मुझे ही देख रही थी, मेरा चेहरा बहुत उतरा हुआ सा था और मुझे लगा कि मम्मी आज मुझे बहुत मारेगी, लेकिन दोस्तों ऐसा कुछ नहीं हुआ. माँ ने मुझसे हर दिन की तरह बिल्कुल शांत आवाज़ में रोज की तरह बात की. दोस्तों में अब उनका इतना सब कुछ देखने के बाद भी मेरे लिए ऐसा बदला हुआ व्यहवार देखकर बहुत हैरान था और में अब बहुत गहरी सोच में डूबा हुआ था.

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तभी माँ ने मुझसे कहा कि अरे बोलते क्यों नहीं आज गये थे ना अपनी ट्यूशन के लिए? मैंने कहा कि हाँ वो उन्होंने मुझे कल बुलाया है, में इसलिए कुछ देर वहां पर रुककर चला आया. अब मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ कि माँ ने कुछ देर पहले रेशमा को मेरे साथ मेरी बाहों में देख लिया था, उस समय मेरा एक हाथ उसकी कमर से होता हुआ उसकी भरी हुई छाती पर जा रहा था और मेरा मुहं उसकी गर्दन को चूम रहा था, लेकिन वो मुझसे अब तक कुछ भी नहीं बोली, मुझे लगा कि शायद उनको कुछ समझ नहीं आ रहा होगा और अब मैंने वो सब जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचना बिल्कुल बंद कर दिया था.

मुझे लगा कि माँ मेरी हर एक ज़रूरते पूरा करती है तो वो चाहती होंगी कि मेरी यह ज़रूरत भी पूरी हो जाए, शायद इसलिए वो मुझसे कुछ नहीं बोली होंगी? फिर कुछ घंटो बाद रात हो गई और हम लोग खाना खाने के बाद टी.वी. देखने लगे. में कुछ देर बाद उठकर अपनी छत पर जाकर गांजा पीकर फिर से नीचे आकर सो गया.

दोस्तों दूसरे दिन में सुबह बहुत देर से उठा करीब 12 बजे, तब तक माँ ऑफिस चली गई थी और मेरी दीदी कॉलेज जा रही थी. में अब बहुत बेसब्री से रेशमा का इंतजार कर करके उसके बारे में सोचकर दो बार मुठ मार चुका था, लेकिन तब तक भी रेशमा नहीं आई. फिर मैंने अपनी माँ को यह सब मालूम होने के बावजूद भी मैंने उनको कॉल करके रेशमा को हमारे घर पर बुलाने को कहा और माँ के कॉल करने के बाद रेशमा बहुत देर से आई और में फिर से झटपट बाहर से जाकर गांजा पीकर आ गया.