नौकर-नौकरानी चुदाई

कामवाली बाई को बनाया घरवाली-4

उन्होंने मुझसे कहा कि तुम जल्दी से घर आ जाओ और फिर मैंने अपनी माँ को ठीक है में अभी आता हूँ बोल दिया. मेरे दोस्तों को मुझ पर शक हुआ और मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा कि क्या यार आकाश आज कल घर जाने के लिए तू बड़ा बैचेन रहता है, क्यों कुछ तो बात है? क्योंकि घर का नाम सुनते ही आज कल तू बड़ा खुश हो जाता है? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो और अब सब दोस्त बार बार मुझसे पूछने लगे और मेरी शर्म देखकर वो सब मेरे ऊपर हंसने लगे और कहने लगे कि आज कुछ तो बात है.

फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं यार और में सब दोस्तों को बाय कहकर में अपनी साईकिल को लेकर उधर से चुपचाप निकल लिया और अपने घर पर पहुंचा. में आज बहुत भीगा हुआ था तो माँ ने मुझे बालकनी से देखा लिया था और मुझे उनके चेहरे पर गुस्सा साफ साफ दिखाई दे रहा था. फिर मैंने बंगले का गेट खोला और अपनी साईकिल को खड़ा कर दिया, बेल को बजाया और मुझे घर के अंदर से खाने की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी.

फिर दरवाजा खुल गया और अब मेरे सामने रेशमा खड़ी थी. दोस्तों रेशमा आज भी बहुत सेक्सी दिख रही थी. उसने नाक में नथ पहनी हुई थी और बालों में गजरा लगाया हुआ था, होंठो पर हल्की सी लिपस्टिक लगाई हुई थी और बालों को बहुत अच्छे से पीछे गोल गोल करके बाँध दिए थे. उसका वो सफेद कलर का ब्लाउज भी थोड़ा छोटा था, उसकी साड़ी गहरे काले कलर की थी और उसने अपनी साड़ी को हर दिन की तरह अपने घुटनों के ऊपर धोती जैसी ही पहनी हुई थी. उसने मस्त आई ब्रो किया हुआ था और उन बड़ी बड़ी नशीली आखों पर हल्का सा काजल भी लगाया हुआ था, जिसमें हर कोई डूबकर मरने को तैयार था. दोस्तों उसने वो ब्लाउज बहुत कसा हुआ पहना था, जिसकी वजह से सफेद कलर के ब्लाउज पर वो काली कलर की साड़ी बहुत आकर्षित दिख रही थी.

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फिर में उसे देखकर मन ही मन बोला कि वाह क्या हॉट, सेक्सी औरत दिख रही है? फिर में कुछ देर बाद अपने होश में आ गया और मैंने देखा कि रेशमा के बिल्कुल पीछे मेरी माँ खड़ी हुई थी. अब रेशमा ने अपने नाज़ुक होंठो को अपने दांतों में दबाकर अपनी नशीली आखों को पीछे घुमाकर मुझे पीछे देखने का इशारा किया. फिर माँ मुझसे बोली ओह आकाश मैंने तुम्हें बोला था कि कम्पनी की एक जरूरी मीटिंग की वजह से में आज दिल्ली जा रही हूँ. फिर तुमने आज घर पर आने में इतना लेट क्यों कर दिया?

मैंने उनसे कहा कि गलती हो गई आप मुझे माफ़ कर दो और मैंने दरवाजे से रेशमा को हल्का सा धक्का देकर अंदर चला गया और अपने जूते खोलने लगा. तभी माँ ने मुझसे कहा कि में अभी अपनी फ्लाईट के लिए निकल रही हूँ और रेशमा तुम्हारे लिए खाना बना देगी, मुझे लगा था कि तुम जल्दी से आओगे तो हम होटल में जाकर खाना खा लेंगे, लेकिन तुम्हारी वजह से आज रात का खाना भी रेशमा को बनाना पढ़ रहा है और अब उसे भी तो अपने घर पर जाना है, उसे आज तुम्हारी वजह से बहुत देरी हो जाएगी.

दोस्तों जब माँ मुझे डांट रही थी, तब मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था, क्योंकि उस दिन के बाद से दो दिन हो गये है मुझे रेशमा के साथ सेक्स किये. मैंने अब तक उसे सिर्फ छुआ ही है चोदा नहीं था. अब में मन ही मन आज की रात सेक्स की कल्पना कर रहा था और चुदाई का प्लान बना रहा था, तभी माँ ने मुझे छूकर हिलाया और मुझसे पूछा कि तुम्हारा ध्यान किधर है? अब में अपने सपने से उठ गया और बोला कि हाँ आप बोलो ना माँ?

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और वो कहने लगी कि में अभी जा रही हूँ नहा धोकर खाना खा लेना, क्योंकि तुम्हारी दीदी को आज घर पर आने में बहुत वक़्त लगेगा, इसलिए तुम खाना खा लो, में अब चलती हूँ बाय. दोस्तों मुझसे यह बात कहकर माँ ने अपना बेग उठाया और वो अपनी गाड़ी में बैठकर चली गई और फिर जैसे ही मेरी माँ गई तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैंने तुरंत दरवाजा लगा दिया और उस समय रेशमा किचन से मुझे देखकर हंस रही थी, में अब उसकी तरफ़ चला गया और उसको अपनी बाहों में लेने ही वाला था कि तभी वो चिल्ला उठी. फिर मैंने डरते हुए उससे पूछा कि क्या हुआ रेशमा?

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फिर रेशमा मेरी तरफ हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि सबसे पहले नहाकर आओ पागल देखो तुम्हारी क्या हालत हो रही है. दोस्तों मुझसे यह बात कहकर उसने मेरी शर्ट की कॉलर को पकड़कर उठाकर मेरे गाल पर एक किस किया, फुटबॉल खेलने और बारिश में भीगने के बाद मेरे पूरे शरीर पर बहुत सारी गीली मिट्टी लगी हुई थी तो में सीधा बाथरूम में चला गया, अपने कपड़े उतारे और मैंने बाथरूम का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया. मैंने अब अपनी अंडरवियर को भी उतार दिया, मेरा लंड पहले से ही तनकर खड़ा हो चुका था, मेरा लंड 8 इंच लंबा था, रेशमा नहीं आई और जैसा में चाहता था वैसे वो नहीं आई. मैंने उसे बहुत आवाज़ लगाई रेशमा मुझे टावल दो.

फिर भी वो नहीं आई. अब में नहाकर बाहर आ गया. मैंने टावल पहना हुआ उसके अंदर कुछ नहीं था, सिर्फ़ कमर पर टावल लगाया हुआ था. फिर में रेशमा को ढूँडने चला गया, वो किचन में थी. उसने मुझे देखा और किचन टेबल पर रखी चाय को अपने एक हाथ से उठाकर मुझे चाय पीने का ऐसा इशारा किया. फिर में उसके बिल्कुल पास गया और मैंने उसके जिस हाथ से चाय थी, उसके दूसरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर में उसकी आँखो में देखने लगा और वो भी अपनी आखें उठाकर मेरी आखों में देख रही थी, में बस रेशमा की आँखो में बिल्कुल खो सा गया और उसने मुझे हिलाते हुए चाय को मेरे मुहं के पास दी. मैंने तुरंत वो चाय पीकर खत्म करके बेडरूम में चला गया, तब मैंने कपड़े नहीं पहने थे और अब भी में टावल में ही था. करीब आधा घंटा हो गया और फिर रेशमा खाना लेकर कमरे में आ गई, वो मेरे बेड पर बैठी उसने खाने को मेरे बेड पर रख दिया और फिर वो मुझसे बोली कि खा लो ना.