हिंदी सेक्स स्टोरी

माँ जी का पेटीकोट उठाया-2

अरे माँ जी मैं तो जो भी करता हूँ जोर से करता हूँ। आज तुमको बड़ा मजा आएगा। एक बार मुझसे चुदवाओ तो! मैंने धीरे से माँ जी के कान में फुसफुसाकर कहा
माँ जी ने छोटी बाँध रखी थी। कान में सोने के गोल टॉप्स पहन रहे थे। मैंने सोचा की बाल खोलकर इनको चोदूंगा तो बड़ा टाइम लगेगा। ऐसे चोटी में भी इसको चोदना चाहिये। मैंने खड़े 2 ही एक हाथ नीचे माँ जी के पेटीकोट में डाला और उनकी चूत तक अपने हाथ ले आया।

मैं माँ जी की बुर में उंगली करने लगा। अरे बाप रे, मैं तो सोच रहा था की झांटे ही झांटे होंगी पर माँ जी हेयर रिमूवर से झांटे बना ली थी। छुने ने उनकी चूत चिकनी नर्म और मुलायम लग रही थी। मैं उनकी चूत में ऊँगली करने लगा। माँ जी सिसक उठी। मैंने पीछे से किसी शिकारी की तरह माँ जी को पकड़ रखा था। मेरे हाथ माँ जी की चड्ढी में था। हाथ उनके मम्मो पर था।

माँ जी आज तुम्हारी चूत मारूँगा मैंने धीरे से उसके कान में कहा और माँ जी को सोफे पर लेता दिया। एक मन हुआ की ऐसे ही ब्लौसे उतारे बिना ही माँ जी को चोद लूँ। शाम को दूध वाला भी दूध लेकर आता था। मेन गेट मैंने बन्द कर रखा था। मैं चाहता था माँ जी का काम लगा दूँ तब कोई आये। इनकी चुदाई हो जाए तब कोई आये। इनकी चुदास मिट जाए तब कोई दरवाजा खटखटाये।

मैंने सीधे माँ जी की साड़ी ऊपर उठा दी। माँ जी की आँखों में नशा छा गया। वो जान गयी की आज 2 साल बाद आज उनको 25 के नए जवान लौंडे का लण्ड खाने को मिलेगा। फिर मैंने उनका पिले रंग का पेटीकोट भी ऊपर उठा दिया। खुदा कसम माँ जी एकदम करारा कड़क मॉल निकली। एकदम गोरी 2 टाँग, भरी 2 गोरी चिकनी जांघ। गोरे घुसते। मेरा 9 इंच के लौड़े ने तो रस चुने लगा।

माँ जी आप तो आज भी गजब का सामान हो। आपने तो कोई लौड़ा भी पट जाएगा। आपको पाने के लिए कोई आदमी तो अपनी धन दौलत भी आपके नाम कर देगा। मैंने कहा। मैंने उसके हसींन पैरों को चूमा, उनकी चमकती चांदी की पायल को भी चूम लिया। फिर मैं उनकी गद्देदार जांघों को सब जगह चूमने लगा।
इस औरत की जांघ इतनी गद्देदार है तो चूत कितनी गद्देदार होगी? मैं सोचनें लगा।
मैं उनकी जांघ का खूब चुम्मन लिया। माँ जी ने नीली रंग की चड्डी पहन रखी थी। मैंने अपनी ऊँगली उनकी चड्डी में दाल दी और निकलने लगा।
जरा धीरे सूरे करना। बहुत दिनों से किया नही ना माँ जी बोली
चिन्ता मत करो माँ जी सुरुवात धीरे ही करूँगा मैंने कहा धीरे से

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जैसे ही मैंने उनकी चड्डी उतारी मेरे होश उड़ गए। एक बड़ी खूबसूरत सी बड़ी सी बुर मेरे सामने थी। बुर की बिच की लाइन ऊपर से निचे तक दिखाई दे रही थी। मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने ओंठ माँ जी की हसीन बुर पर लगा दिए। और चाटने लगा। उनका पानी रिस रहा था। मैंने ऊँगली से बुर फैलाई, 2 साल से काम नही लगने से बुर सीलबन्द लग रही थी।

अरे माँ जी, आपके भोसड़े का छेद तो जाम हो गया है। इसे फिरसे खोलना पड़ेगा मैंने कहा
उधर वैसलीन रखी है माँ जी बोली
मैंने वेसलिन लगाई और चूत को मुलायम और चिकना किया। दोस्तों अब मैंने मन बनाया की माँ जी को ब्लाउज़ उतारे बिना ही चोदूंगा। कौन ब्लाउज़ उतारे फिर ब्रा खोलो। माँ जी की चूत देखते ही मैं सब भूल गया था।

मन्दाकिनी के बाप ने माँ जी को खूब चोदा था। भसोड़े की पिच पर खूब रन बनाये थे मन्दाकिनी के बाप ने। तभी तो चोद चोदकर 3 बच्चे पैदा किये थे। मैंने माँ जी की बुर को एक बार फिर से देखा। खूब बड़ा सा भोसड़ा कमल के खिले फूल की तरह। मेरी मन्दाकिनी इसी भोंसड़े ने निकली है आज मैंने देखा। एक चूत से कितनी चूत निकलती है, मैं सोचने लगा। उपरवाले ने भी क्या सिस्टम बनाया है एक चूत से जितना मन करे उतनी चूत बनाओ। ये तो जादू का खेल है, मैं सोचने लगा।

मैंने फिर माँ जी की गांड देखी। बिलकुल फ्रेश।
अरे माँ जी आपकी गाड़ तो फ्रेश है मैंने चौकते हुए कहा।
हमारे समय में इसको गन्दा मानते थे माँ जी आँखे बन्द करके बोली
अरे माँ जी आजकल की लौण्डिया तो खूब गाड़ मराती है मैंने कहा। मन हुआ की माँ जी से कह दू की आपकी लौंडियाँ मन्दाकिनी को मैंने खूब चोदा है। इतना ही नही दूसरों से भी खूब चुदवाया है पर ऐसा करना तो अपने पैर पर कुल्हारी मारना था।

मैंने अपने कपड़े निकल दिए। अपनी टी शर्ट और लेवी की नीली जीन्स निकाल दी। और अपना लंबा सा तंदुरुस्त लौड़ा माँ जी के मुँह में दे दिया।
ये क्या कर रहे हो रशीद, नही ये ठीक नही माँ जी बोली
माँ जी बिना लण्ड चुसवाये तो मुझे जरा सा मजा नहीं आता है मैंने कहा और माँ जी मुँह में पेल दिया। माँ जी की साँस रुक गयी। सायद मन्दाकिनी के बाप माँ जी से लण्ड नही चुसवाते होंगे।

काफी जबरदस्ती करने पर माँ जी मेरा लंबा लण्ड चूसने लगी। मैं 35 40 साल की उम्रदराज औरत को चोदने का कबसे सपना था। लोग अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप जाने के सपने देखते है पर मैं तो बस एक उम्रदराज औरत को चोदने के सपने देखता था। आज मेरा वो long time ख़्वाब पूरा हो रहा था। ये बहुत बड़ी उपलब्धि थी। माँ जी अब मेरा लौड़ा चूस रही थी। मेरा फिर मन हुआ इनके बाल खोल कर इनको लूँ। फिर सोचा की दूध वाला आने वाला है।

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मैं लैंड बाहर निकाला। एक बार उसके ओंठ पर बाये से दायें घिशा। मैंने अपना स्मार्टफोन निकाला और वीडियो रिकॉर्डर ऑन कर दिया। फ़्लैश जल गया।
ये क्या कर रहे हो रशीद। नही ये गलत है बिलकुल गलत माँ जी बोली। उनको लगा ये वीडियो मैं किसी को दिखा ना दूँ।
अरे माँ जी, आप भरोषा रखो। किसी को नही दिखाऊंगा मैंने विश्वास दिलाया।
वो शांत हो गयी। मैंने उनके बुर को ऊपर से निचे तक रिकॉर्ड किया। गाड़ भी रिकॉर्ड की। बायें हाथ में कैमरा लिया, दाँये हाथ से मैं माँ जी की चूत में ऊँगली करने लगा। बन्द सील खोलने लगा। अंदर गोल 2 आकार में ऊँगली घुमाने लगा।

माँ जी को मजा आ गया। उनमे हलचल होने लगी। मैं माँ जी की चूत के ओंठ चाटने लगा और भंगाकुर चाटने लगा। जहाँ से माँ जी मूतती थी वो छेद भी चाटने लगा। ऊपर चाट रहा था निचे ऊँगली कर रहा था। माँ जी सिस्कारी लेने लगी। उनको मजा आने लगा। कुछ देर बाद माँ जी की कुर चिकनी हो गयी। रास्ता खुल गया। उनका सफ़ेद घी जैसा वीर्य आधी चम्मच बाहर निकल आया। मैंने माँ जी के घी को ऊँगली में लगाया और उनको दिखाया
देखो माजी , तुमहारा माल निकल आया मैंने उनके मॉल को उनकी भोसड़े में ऊपर से निचे तक अच्छे से मालिश कर दिया।

माँ जी की चुदाई की रिकॉर्डिंग चल रही थी। सबसे पहले प्रकाश को दिखाऊंगा। मैंने सोचा। मैंने लण्ड माँ जी के चूत के छेद पर रखा और अंदर डाला। लण्ड आधा ही गया। मैंने जोर से धक्का मारा और मेरा लौड़ा सीधे माँ जी के पाताल में
माँ जी की गाड़ फट गयी। वो कसमसाने लगी। हल्का दर्द भी हो रहा था। मैंने लौड़ा निकाला और जान बुझ के एक बार फिर जोर से धक्का मारा। एक बार फिर से माँ जी की माँ चुद गयी।

रशीद धीरे करो। मैं मर जाउंगी माँ जी मिन्नते करने लगी।
अरे माँ जी जब आपकी लौण्डिया मन्दाकिनी नही मरी तो आप कैसे मरेंगी मैंने सोचा।
माँ जी को पेहलर देना मैंने शूरु किया। धीरे धीरे। रिकॉर्डिंग चल रही थी। फिर मैंने फ़ोन टेबल पर सेट कर दिया।
इसको साली को चोद लूँ पहले मैंने कहा और माँ जी बड़े प्यार प्यार से चोदने लगा

माँ जी जननत की सैर करने लगी। मैं माँ जी को धोने लगा धोबी पत्थर पर कपड़े पटक 2 के धोता है। मैं माँ जी की चुदाई का वीडियो भी बना रहा था। उनके भंगाकुर को ऊँगली से सहला भी रहा था उनको बजा भी रहा था।
आह आह आह रशीद! आह माँ जी मजे लूट रही थी। वो गर्म आहे ले रही थी।
उन्होंने अपनी दोनों टंगे ऊपर उठा ली थी। लग रहा था इंडियन बोर्डर पर वो जंग लड़ रही थीं और 2 झण्डों को उठा भारत माँ की जय! भारत माँ ही जय के नारे लगा रही हो।

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माँने लगभग आधे घण्टे तक माँ जी को लिया। मैं भी हाफ गया माँ जी भी। हम दोनों कुछ देर के लिए सुस्ताने लगे।
माँ जी आधे घण्टे तक पैर उठाकर तुमने चुदवाया, पैर में दर्द नही हुआ? मैंने कौतुहल से पूछा
ना…रशीद बिना काम के पैर उठाउंगी तब दर्द होगा माँ जी बोली
माँ जी क्या टपाका मॉल लग रही थी। लौण्डिया से भी इसकी अम्मा ही गजब है मैंने सोचा।
मैं माँ जी पर लद गया। बड़े जोश से सच्चे आशिक की तरह मैंने माँ जी के गुलाबी गालों को पकड़ा और उनके ओंठ पिने लगा।

माँ जी, अब मैं आपको शोभा पुकारूँगा मैंने कहा
ठीक है रशीद वो बोली
चल घूम जा शोभा पीछे से पेलूँगा मैंने बड़ी बदतमीजी से कहा। कहीं कोई सम्मान नही। पर चुदाई में और जंग में सब जायज होता है मैं जानता था। माँ जी घोड़ी बन गयी। वो पीछे घूम गयी और अपने पिछवाड़े को ऊपर उठा दिया। 4 पैर वाली जानवर बन गयी माँ जी। मैंने पीछे से उनकी बुर चाट ली। लण्ड सुराख़ में रखा और पेल दिया। इनकी कुटाई सूरी कर दी। अपने दोनों हाथों से मैंने माँ जी के बड़े 2 चुत्तड़ पकड़ लिंये।

माँ जी तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारे चुत्तड़ कितने बड़े 2 और कितने चिकने है मैंने कहा
माँ जी ने पता नही सुना की नही सुना। वो तो पेहलर का सुख ले रही थी। चट चट चट! मैंने माँ जी के चुत्तडों पर चाटे मारे और इनको लाल कर दिया। मैं मजे से इनका भोसड़ा फाड़ रहा था। मैं एक बार फिर से उपरवाले का शुक्रिया अदा करने लगा। अगर ये भोसड़ा और लौड़ा खुदा नही बनाता तो हम इंसानो को इतना मजा कैसे आता।