हिंदी सेक्स स्टोरी

मालती की गरमी- ससुर बहु की चुदाई 1

Malti ki Garmi- Sasur Bahu Ki Chudayi 1

रात के 12 बज चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहूत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हरिया का घर है। हरिया एक गरीब किसान है। हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठरी में अक्सर की तरह अपनी नंगी बीबी की चुदाई में मशगुल था। हरिया की उमर 50 साल की है। और उसकी बीबी की उमर 45 साल की है। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर से धीरे धीरे बड़े आराम से उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी भी बिना किसी उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई तकलीफ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर धीमे से आह आह की आवाज निकल रही थी। मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुका था। थोडी ही देर में हरिया का लंड से माल निकलने लगा तो वो भी सिसकारी भरते हुए मुन्नी की चूची को अपना मुँह में लेकर चूसने लगा और उसके बदन पर लेट गया ।

वो मुन्नी की बेजान चूची को उसने मुह में ले कर चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला और बगल में लेट गया। मुन्नी हरिया लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उस को सहलाने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लत की तरह मुन्नी के हाथो का खिलौना बना हुआ था।

मुन्नी के कहा – एक बार और चोदो न. कुछ पता भी नहीं चला कि कब मेरा माल निकल गया.
हरिया- नहीं अब नहीं, तेरी चूत अब एकदम सुखी हो गयी है. तेरे चूत से पानी निकल जाता है . एकदम बेजान चूत हो गयी है तेरी. तेरे चूत की चुदाई में अब कुछ मज़ा नही आता. तेरी जवान गीली चूत चोदने का मज़ा ही कुछ और था.
मुन्नी ने मन मसोस कर हरिया के लंड को अपने मुह में ले कर चूसने लगी कि कहीं शायद ये फिर से खड़ा हो जाए और एक बार और चुदाई कर दे. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कुछ देर चूसने के बाद भी हरिया का लंड लटकता ही रहा. थक हार कर मुन्नी बगल में चुपचाप लेट गयी. हरिया उसकी एक चूची को यूँ ही बेमन से दबा रहा था और किसी और विचार में खोया हुआ था.
अचानक मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ?
हरिया ने कहा- क्या?

मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज में और मालती ( मुन्नी की बहु) सुबह शौच करने खेत गए । वहां हम दोनों एक दुसरे के सामने बैठ कर पैखाना कर थे…. तभी मैंने देखा कि मालती अपने बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी। मैंने पूछा ये क्या कर रही है तू? तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा – जरा उधर तो देखो अम्मा। मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था । मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है। मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नही हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ। मैंने कहा – जल्दी मुठ मार , घर भी चलना है। मालती ने कहा- हाँ अम्मा , बस अब निकलने ही वाला है। और एक मिनट हुए भी ना होंगे कि उसके चूत से इतना माल निकलने लगा कि एक मिनट तक निकलता ही रहा। मैंने पूछा- क्यों री , कितने दिन का माल जमा कर रखा था? उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था। मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है।

मुन्नी की कहानी सुनने के बाद हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। अभी तो बेचारी 20 साल की भी ठीक से नहीं हुई है. और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नही है ना। कमाने के लिए परदेश चला गया। अरे ! मै तो मना कर रहा था। 3 महीने भी नही हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नही है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के?
थोडी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी।
हरिया ने मुन्नी की चूची को दबाते हुए उस से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पैखाना करती हो?
मुन्नी ने कहा- हाँ।
हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे का बुर रोज़ देखती होगी।
मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखा है हम दोनों ने एक दूसरे का। बिलकूल ही पास बैठ कर पैखाना करते हैं।
हरिया – क्या वो अक्सर मुठ मारती है?
मुन्नी – हाँ. लगभग हर दिन मार ही देती है. यहाँ रात को मेरे साथ सोते हुए अपने कमरे में हर रात को मुठ मारती है. अभी भी वो नंगी ही सोई होगी अपनी चूत में उंगली डाल के. कई बार तो जब तुम खेत जाते हो तो हम दोनों घर के आँगन के कुएं पर नंगी हो के साथ नहातें हैं और वो वहाँ भी मेरे सामने ही मुठ मार देती है. कभी कभी तो मुझे भी गरमी चढ़ जाती है तो वो ही उसी समय कुएं पर मेरा भी मुठ मार देती है. बड़ी मस्त कुड़ी है.
हरिया- अच्छा , एक बात तो बता। उसका बुर तेरी तरह काला है या गोरा?
मुन्नी- पूरा गोरा तो नही है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसके बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। कई बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं।
हरिया- क्यों?
मुन्नी – क्या करूँ? बेचारी बच्ची है. रोज रात को तो मै उसके साथ सोती हूँ तो रात को कभी कभी जिद पकड़ लेती है कि आज तू ही मेरी मुठ मार दे. इसलिए मै उसकी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार देती हूँ. बेचारी को थोड़ी शान्ति मिल जाती है.
हरिया- बुर कैसा है उसका?
मुन्नी – क्या करूँ? बेचारी बच्ची है. रोज रात को तो मै उसके साथ सोती हूँ तो रात को कभी कभी जिद पकड़ लेती है कि आज तू ही मेरी मुठ मार दे. इसलिए मै उसकी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार देती हूँ. बेचारी को थोड़ी शान्ति मिल जाती है.
हरिया- बुर कैसा है उसका?
मुन्नी- बुर क्या है लगता है मानो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले -फुले, लाल -लाल।
हरिया – कितनी गहरी है उसकी चूत?
मुन्नी – अच्छी गहरी है. तुम्हारा पूरा लंड आराम से अपनी चूत में घुसा ले तो उफ्फ भी न करे . उसे चोदने वाला को बड़ा ही मज़ा आता होगा. अचानक मुन्नी ने महसूस किया की हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई की हरिया को मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अच्छा ,एक बात तो बताओ।
हरिया बोला- क्या?
मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे?
हरिया- ये कैसे हो सकता है?
मुन्नी- क्यों नही हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुह दिखायेंगे हमलोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नही है न।
हरिया- क्या मालती मान जायेगी?
मुन्नी ने कहा- अरे , वो कुत्ते से अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी. तुम तो मर्द हो. कल रात को में उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना।
हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया।उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तुने तो मुझे गरम कर दिया रे।
मुन्नी ने कहा – एक काम करना. अभी मै उसके पास जा रही हूँ. तुम थोड़ी देर के बाद आ कर उसको सुना सुना कर मुझे वहीँ चोदना ताकि उसे गर्मी चढ़े.
हरिया – लेकिन वो क्या सोचेगी ?
मुन्नी – अरे वो सोचेगी क्या? वो जानती है कि तुम मुझे हर रात को चोदते हो. देखो, मै जाती हूँ. तुम वह आना और कहना कि चोदने का बहुत मन हो रहा है इसलिए यहीं चोदुंगा. बहु को सोता हुआ मान कर अच्छे से मुझे चोद कर वापस चले जाना.
हरिया बोला- ठीक है जा.
मुन्नी एक कपडे अपने बदन पर डाल कर वापस मालती के कमरे में आ कर उसके बगल में लेट गयी. मालती एक दम से नंगे बदन थी. मुन्नी रोज़ अपनी बहु मालती के ही कमरे में एक ही पलंग पर सोती थी. जब उसे चुदवाने का मन होता था तो उठ कर हरिया के कमरे में चली जाती थी. फिर चुदवा कर वापस आ जाती थी. मालती भी जानती थी ये बात.
वापस आ कर मुन्नी मालती के बगल में लेट कर बोली – सो गयी क्या बहु?
मालती – क्यों अम्मा?
मुन्नी उसकी चूत पर हाथ घसते हुए बोली – निकाल लिया माल ?
मालती – हाँ अम्मा निकाल लिया …तेरी भी ठुकाई हो गयी?
मुन्नी ने ढिबरी बुझाते हुए कहा – हाँ री. ये तो रोज़ की बात है. अच्छा चल सो जा.
लेकिन अभी दस मिनट भी ना हुए थे कि प्लान के मुताबिक़ हरिया उस अँधेरे कमरे में दाखिल हुआ और चोर की तरह मुन्नी मुन्नी पुकारने लगा. मुन्नी ने जान बुझ कर धीरे से कहा – क्या बात है जी? इस तरह अँधेरे में क्यों आये हो चोरों की तरह.
हरिया – तू है किधर, जरा मेरा हाथ तो थाम.
मुन्नी ने बिस्तर पर लेटे – लेटे ही हरिया का हाथ थामा और पूछी- क्या बात है जी ?
हरिया – चल , मेरे कमरे में. मुन्नी – क्यों?
हरिया – फिर गर्मी चढ़ गयी है. चोदना है तुझे.
मुन्नी – हाय राम, अभी तो चोदा है मुझे… अब फिर से?
हरिया – हाँ..चल मेरे कमरे में.

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हरिया – चल , मेरे कमरे में. मुन्नी – क्यों?
हरिया – फिर गर्मी चढ़ गयी है. चोदना है तुझे.
मुन्नी – हाय राम, अभी तो चोदा है मुझे… अब फिर से?
हरिया – हाँ..चल मेरे कमरे में.
मुन्नी – नहीं अब मै नहीं जाउंगी … चोदना है तो यही चोद लो.
हरिया – यहाँ? यहाँ बहु सो रही है… कहीं जग गयी तो?
मुन्नी – नहीं वो सो गयी है… अब जल्दी से अपना काम कारो और चलते बनो.
हरिया – ठीक है. जैसी तेरी मर्जी.
हालांकी मालती अभी सोयी नही थी..लेकिन सास-ससुर की रास लीला को चुप-चाप सुन कर सोने का नाटक कर रही थी. वो भी मस्त हो रही थी. हरिया सीधे मालती के बदन पर चढ़ गया. मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और हरिया ने अपना बड़ा लंड उसके चूत में डाला और पेलने लगा. उसकी पेलाई से सारा पलंग जोर जोर से हिलने लगा. मुन्नी भी जान बुझ कर जोर – जोर से आह – आह की आवाज़ निकने लगी। वो लगभग चीखने लगी .
बोल रही थी- हाय राम, बुढापे में कुछ तो शर्म और रहम करो. हालांकि उसे कोई ख़ास दर्द नही हो रहा था लेकिन वो अपनी बहु को सुनाने के लिए जोर जोर से बोलने लगी- आह -आह, धीरे धीरे चोदो ना। दर्द हो रहा है। इतना बड़ा लंड घुसा दिया..आह..सारा कमरा उन दोनों की चीख और चुदाई की घपाघप की आवाज़ से गूंज रहा था जो कुम्भकर्ण को भी जगाने के लिए काफी था.ये आवाज़ बगल में लेटी हुई उसकी बहु मालती को तडपाने के लिए काफ़ी थी। वो जान बुझ कर अनजान बनी हुई थी. जबकि उसके सास को अच्छी तरह पता था कि मालती सब सुन रही है. चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती का बुर चिपचिपा गया। वो अपने पिया मोहन के लंड को याद कर के अपने बुर में ऊँगली डाली और ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली।दस- बारह मिनट के बाद हरिया के लंड ने माल उगला और मस्त आवाज निकालते हुए वो निढाल हो गया. थोड़ी देर बाद वो वहां से चला गया.
उसके जाने के बाद मालती अचानक अपनी सास को अपने बाँहों में लपेटा और बोली – क्यों अम्मा, बड़ी मस्त चुदाई हुई तेरी तो.
मुन्नी ने जान – बुझ कर हडबडाते हुए कहा – हाय राम, तू सोयी नहीं थी? तू सब सुन रही थी?
मालती – नहीं अम्मा, जब दो जवान लंड और चूत का बगल में जबरदस्त खेल हो रहा हो तो नींद कैसी आएगी?
मुन्नी – धत, पगली, तेरा ससुर तो बावला हो गया था. मैंने सोचा कि तू सो गयी है , इसलिए यहीं चुदवा लिया.
मालती – अम्मा, मेरी चूत बहुत गर्म हो गयी है…मेरी भी पानी निकाल दे ना.
मुन्नी – ला, आज मै तेरी चूत चूस कर तेरा पानी निकालती हूँ.

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इसके बाद मुन्नी ने मालती के चूत को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. ज्यों ही मुन्नी ने मालती के चूत को मुंह में लिए त्यों ही मालती का रस उसके चूत से निकलने लगा. मुन्नी ने उसके चूतरस का रसास्वादन किया. थोड़ी ही देर में दोनों नंगे ही एक दुसरे को लपेटे सो गए.
सुबह हुई । दोनों सास बहु खेत गई । दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पैखाना कर रही थी।मालती ने अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सुजा हुआ लग रहा है।
मुन्नी ने मुस्कुरा कर कहा- ये जो तेरे ससुर जी हैं न बुढापे में भी नही मानते। देख न कल रात को इतना चोदा कि अभी तक दुःख रहा है।
मालती ने कहा- एक बात कहूँ अम्मा?
मुन्नी- हाँ, कह न।
मालती- बाबूजी बहुत मस्त चोदते है अभी भी.
मुन्नी- हाँ री। उसका लंड तो लगता है कि बांस है। जब वो मुझे चोदते हैं तो लगता है की अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी।
मुन्नी ने देखा की मालती अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है।
मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ?
मालती बोली- नही अम्मा, .मुझे कल की बातें याद कर के गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है। लेकिन , एक बात है .. बड़ी जान है बुढ्ढे के लंड में. तू बहुत भाग्यशाली है अम्मा, मेरी तो किस्मत ही फूटी है, जवानी बेकार जा रही है मेरी.
मुन्नी बोली- सुन, यूँ दुखी मत हो. तू एक काम क्यों नही करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नही निकल देती?
मालती चौंक कर बोली- ये कैसे हो सकता है? वो मेरे ससुर हैं।
मुन्नी बोली- अरे तेरी जरूरत को समझते हुए मैंने ऐसा कहा। तुझे इस समय किसी मर्द की लंड की जरूरत है। अब जब घर में ही मर्द मौजूद हो तो क्यों नही उसका लाभ उठा जाए। तू सिर्फ लंड देख. लंड वाला तेरा क्या लगता है वो सब मत सोच. और तुझे क्या लगता है कि मेरे ससुर ने मुझे नहीं चोदा था? मेरा ससुर मुझे दस साल तक चोदता रहा जब मोहन के बापू शहर में जा कर मजदूरी करते थे. घर के मर्द से चुदवा लेने से कुछ घट नहीं जाता. हर औरत अपने पति के अलावे किसी ना किसी और के साथ जरुर चुदवाती है. और ये मर्द भी कम नहीं होते. ये भी तीन चार औरतों को चोद ही लेते हैं. तेरा मोहन क्या चुप चाप बैठा होगा. शादी के पहले भी वो अपने बगल में रहने वाली उम्रदराज औरत को चोद चुका है. और अभी भी अपने सेठ की नौकरानी के साथ कभी कभी सोता होगा.
मालती का मन अब डोल चुका था।
वो बोली- कहीं बाबूजी नाराज हों गए तो ?
मुन्नी बोली- अरे तू आज रात को उनके पास चले जाना। में बहाना बना के भेज दूँगी। धीरे धीरे रात के अंधेरे में जब तू उनको छुएगी ना , तो तू भूल जायेगी की तू उनकी बहु है और वो भूल जायेगे की वो तुम्हारे ससुर हैं।