18 साल के लड़के और मासूम नौकरानी की कामुक कहानी
पढ़ें एक 18 साल के लड़के और उसकी मासूम नेपाली नौकरानी की सेक्सी कहानी। घर में अकेलेपन के बीच दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और मस्ती भरे पलों ने कामुक मोड़ ले लिया। जानें कैसे मासूमियत और जवानी का ये संगम रोमांचक बन गया।
दोस्तों, जब मैं करीब 18 साल का था, तब मेरे घरवालों ने एक नई नौकरानी को काम पर रखा। वो दिखने में नेपाली जैसी थी, लेकिन उसकी चमड़ी इतनी गोरी थी कि देखते ही बनता था। उसके बूब्स बड़े, मुलायम और एकदम गोल थे, जो उसके पतले-दुबले शरीर पर और भी उभरकर सामने आते थे। उसकी छाती और गांड का साइज़ उसकी छोटी हाइट की वजह से और भी आकर्षक लगता था। उसकी उम्र शायद 18 के आसपास रही होगी, लेकिन उसका स्वभाव बिल्कुल मासूम बच्चों जैसा था। वो हमेशा बच्चियों की तरह हरकतें करती, बातें करती, और उसकी मासूमियत उसके चेहरे पर साफ झलकती थी। शरीर से तो वो जवान हो चुकी थी, लेकिन उसका मन इतना साफ था कि दुनिया की गंदी बातों से वो पूरी तरह अनजान थी।
मेरे मम्मी-पापा दोनों डॉक्टर हैं, इसलिए वो 90% टाइम घर से बाहर ही रहते थे। इस वजह से मैं अकेला रहता था, और मेरे लिए घर के काम और मेरी देखभाल के लिए उस नौकरानी को रखा गया था। वो ज़्यादातर फ्रॉक या टॉप पहनती थी, कभी-कभी सलवार सूट भी। उसके हर कपड़े का गला इतना बड़ा होता था कि बस निप्पल से थोड़ा ऊपर तक ढकता था। इससे उसकी गोरी, उभरी हुई छाती हमेशा मेरी नज़रों के सामने रहती। जब वो झाड़ू लगाने के लिए नीचे झुकती, तो मुझे उसका पूरा नज़ारा दिख जाता। बस, उसके गले में एक छोटा सा लॉकेट होता था, जो मेरी नज़रों को थोड़ा रोकता था, लेकिन फिर भी मैं उसे घूरता रहता। जब वो फर्श को कपड़े से साफ करने के लिए नीचे बैठती, तो उसके झूलते हुए बूब्स को देखकर मैं अपनी आंखों को तृप्त करता। मेरा स्वभाव थोड़ा शर्मीला था, तो शुरू में मैं उससे नज़रें चुराता था। लेकिन दोस्तों, दिल तो दिल है, वो कहां मानता है। धीरे-धीरे मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगा और उसके बदन के मज़े लेने लगा।
स्कूल से लौटने के बाद, जब मैं कपड़े बदलकर फ्री हो जाता, वो मुझसे पूछकर मेरे लिए खाना लगा देती। फिर हमारी हल्की-फुल्की बातें शुरू होतीं, और कभी-कभी बातों से नोक-झोंक भी हो जाती। इस वजह से वो कभी-कभी रो पड़ती और मुझे मारने के लिए मेरे पीछे दौड़ पड़ती। मैं भागकर अपने कमरे में जाता, और बिस्तर पर हम एक-दूसरे से भिड़ जाते। वो मुझे मारने के लिए बिना कुछ सोचे मेरे ऊपर चढ़ जाती। उसके झूलते बूब्स मेरे सीने से दब जाते। मैं उससे थोड़ा दूर रहने की कोशिश करता, लेकिन वो तो बिल्कुल अनजान थी। उसे शायद पता ही नहीं था कि वो लड़की है और मैं लड़का। वो मुझसे इस तरह लड़ती कि कई बार मैं जानबूझकर उसके बूब्स को छू लेता, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। कुछ ही हफ्तों में हम दोनों खुल गए। अब मैं भी उससे बेझिझक लड़ता। जब वो मेरे ऊपर बैठती या लिपटती, तो मैं भी उसे कसकर पकड़ लेता। बिस्तर पर हम दोनों लोटपोट हो जाते।
हमारी छातियां एक-दूसरे से रगड़तीं, जांघें आपस में टकरातीं। मेरा हाथ हमारे शरीरों के बीच फंस जाता और सीधे उसके गोल-मटोल हिस्सों पर पड़ता। मैं उन्हें दबाने लगता। कई बार उसका एक पैर मेरे पैरों के बीच चला जाता, और मैं उसे ज़ोर से पकड़कर अपने पैरों में फंसा लेता। जब कभी उसका हाथ मेरे लंड के पास से छूता हुआ गुज़रता, तो मैं उससे और सट जाता। उसका हाथ हमारे पैरों के बीच फंस जाता। यह सब इतना अचानक होता कि जब वो अपना हाथ निकालने की कोशिश करती, उसकी हल्की हरकत से मेरा लंड और उत्तेजित हो जाता। वो मुझे एक अजीब सा सुख देता, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। लेकिन उसका सारा ध्यान बस मुझे मारने पर ही होता।
कुछ दिनों बाद गर्मियां आ गईं। मैं अब सिर्फ कॉटन की छोटी निक्कर और बनियान में रहता। उसे कॉकरोच से बहुत डर लगता था, और ये बात मुझे पहले से पता थी। एक दिन मस्ती में मेरे दिमाग में शरारत सूझी। मैंने एक मरा हुआ कॉकरोच उठाया और उसे डराने के लिए उसके पीछे दौड़ा। वो मुझसे भागते-भागते एक कोने में फंस गई। मैंने मौका देखकर वो कॉकरोच उस पर फेंक दिया। किस्मत से वो कॉकरोच सीधे उसके बूब्स के बीच में जा फंसा। उसे अपनी छाती पर देखकर वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी और इधर-उधर भागने लगी। मैं घबरा गया। फिर हिम्मत करके उसके पीछे गया और उसकी कमर से पकड़कर उसे नीचे गिरा दिया। लेकिन वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाती रही और हिलती रही। उसे काबू करना मुश्किल हो गया। उसकी आंखें बंद थीं और वो चीख रही थी।
मैं फटाफट उसके ऊपर चढ़ गया। उसके पैरों को अपने घुटनों से रोक लिया और एक हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया ताकि उसकी चीखें रुक जाएं। फिर अपने दूसरे हाथ को उसके ढीले टॉप के अंदर डालकर उस कॉकरोच को ढूंढने लगा। उसका दिल डर से इतनी ज़ोर से धड़क रहा था कि मैं कुछ कर ही नहीं पा रहा था। वो उछल रही थी और एक हाथ से मुझे दूर करने की कोशिश कर रही थी। मेरी कमर उसकी कमर के ऊपर थी, और उसका एक हाथ मेरे लंड के पास अटक गया। मैंने अपनी जांघों से उसके हाथ को दबा दिया, लेकिन वो इतनी ज़ोर से मचल रही थी कि कॉकरोच ढूंढना मुश्किल हो गया। मेरा एक हाथ उसके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था, जैसे कोई पुराने कपड़े निचोड़ रहा हो। वो हैरान थी। मुझे पता ही नहीं चला कि कब उसका एक हाथ मेरी निक्कर के अंदर फंस गया। मेरा हाथ उसकी पकड़ में था, लेकिन फिर भी उसका हाथ हल्का-हल्का हिल रहा था।
उसके नरम हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। लेकिन उसका सारा ध्यान कॉकरोच पर था, और मेरा भी थोड़ा-बहुत। यह सब चार-पांच मिनट तक चलता रहा। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊं! वो कॉकरोच की वजह से चिल्ला रही थी, और मैं मौके का फायदा उठाकर उसकी छाती को हल्के-हल्के दबाकर मज़े ले रहा था। मैं अपने हाथ को उसके गोल बूब्स पर घुमाकर उन्हें महसूस कर रहा था। उसकी चीखें वैसी ही थीं। तभी अचानक मैं उस पर चिल्ला पड़ा, “चुप्प्प! चिल्लाना बंद करो, बस मिल गया।” मेरी चीख से वो एकदम शांत हो गई। डर से उसका हाथ मेरे लंड पर कसकर लिपट गया। वो चुप होकर बेजान-सी पड़ गई। उसकी आंखें खुली रह गईं और उसका गर्म शरीर हल्का-हल्का कांपने लगा। वो मेरे नीचे बेहोश-सी पड़ी थी।
उसके न हिलने से कॉकरोच आसानी से मिल गया। मैंने तुरंत अपना हाथ उसकी छाती से हटा लिया। उसकी आंखों से आंसू निकल आए थे। मैं भी थक गया था और उसकी छाती पर सिर रखकर कुछ देर लेट गया। वो ज़ोर-ज़ोर से हांफ रही थी। दोस्तों, अब उसके बूब्स दबाना और उसकी गांड पर हाथ फेरना मेरे लिए आम बात हो गई थी। लेकिन अभी तक मैंने उसे चोदा नहीं है।