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19 साल के लड़के और 45 साल की सुधा आंटी की गर्म चुदाई कहानी

पढ़ें एक 19 साल के लड़के की जवानी और 45 साल की सुधा आंटी की पहाड़ी खूबसूरती के बीच की बोल्ड और गर्म चुदाई कहानी। स्टेशनरी दुकान से शुरू हुई शरारत बाथरूम में जाकर कैसे जंगली खेल बनी, जानें इस सेक्सी कहानी में।

हाय दोस्तों, मेरा नाम विक्की है, और आज मैं आपके लिए एक ऐसी कहानी लाया हूँ जो मेरी जिंदगी का सबसे गर्म पन्ना है। ये तब की बात है जब मैं 19 साल का था, बारहवीं में पढ़ता था, और जवानी की आग मेरे जिस्म में धीरे-धीरे सुलग रही थी। हमारी गली के मोड़ पर एक छोटी-सी स्टेशनरी की दुकान थी, जहाँ मैं हर सुबह कुछ न कुछ खरीदने जाता था—कभी पेंसिल, कभी टॉफी, तो कभी चॉकलेट। सुबह के वक्त दुकान सुधा आंटी संभालती थीं। वो मुझे अच्छे से जानती थीं, आखिर हमारा घर पास ही था।

सुधा आंटी 45 की थीं, लेकिन उनकी पहाड़ी खूबसूरती देखते ही बनती थी। गोरा रंग, भरे हुए होंठ, और साड़ी में लिपटी उनकी उठी हुई गोल गांड—जो हर कदम पर लचकती थी—मुझे अंदर तक हिला देती थी। उनके बूब्स मध्यम थे, न ज्यादा बड़े, न छोटे, पर उनकी साड़ी के नीचे से उनकी कर्व्स ऐसी झलकती थीं कि नजर हटाना मुश्किल हो जाता था। वो मजाकिया थीं, मेरे गाल खींचतीं, कभी मेरी गांड पर हल्का-सा चपत मारतीं, तो कभी मेरे होंठों पर चूम लेतीं। मैं शरमाता, पर मन ही मन उनकी छेड़खानी का मजा लेता।

एक सुबह, करीब 7 बजे, मैं दुकान पर पहुंचा। आंटी काउंटर पर बैठी थीं, हाथ में एक किताब लिए, और उनकी आंखें उसमें डूबी हुई थीं। मैं चुपचाप अंदर घुसा, पर उन्होंने मुझे देखा तक नहीं। मुझे शरारत सूझी—सोचा, आज इन्हें डराता हूँ। मैं उनके पीछे गया, पर जैसे ही मैंने झुककर उनकी किताब पर नजर डाली, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। वो कोई साधारण किताब नहीं थी—उसमें नंगी चुदाई की तस्वीरें थीं, रंग-बिरंगी और इतनी बोल्ड कि मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ गई। मेरा 5 इंच का लंड पैंट में ही सख्त होने लगा।

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अचानक आंटी की नजर मुझ पर पड़ी। वो हंस पड़ीं, “अरे, पीछे से ताक-झांक हो रही है, वाह!” सुबह का वक्त था, ग्राहक न के बराबर थे। मैं शरम से लाल हो गया और बोला, “आंटी, गंदी बात मत करो, मुझे चॉकलेट दो, स्कूल जाना है।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “हां-हां, जितनी चॉकलेट चाहिए ले ले, पर मुझे भी अपनी चॉकलेट देनी पड़ेगी।” मैं समझ नहीं पाया, पर उनकी आंखों में चमक और होंठों पर शरारत साफ दिख रही थी।

उन्होंने मेरी पैंट की ओर इशारा किया, जहाँ मेरा लंड साफ उभर रहा था। मैं उस वक्त अंडरवियर नहीं पहनता था, सो सब कुछ नजर आ रहा था। “ये वाली चॉकलेट,” उन्होंने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा। मेरे मुंह से निकला, “छी, ये तो गंदी चीज है!” वो हंसीं, “बेटा, ये गंदी नहीं, जादुई औजार है। चल, बैग यहाँ रख, तीन चॉकलेट ले, और पीछे बाथरूम में जा। मैं आती हूँ।”

मैंने मना किया, “नहीं, स्कूल जाना है।” पर वो बोलीं, “बस 10 मिनट, और हर मिनट की चॉकलेट तो दे ही दी। नखरे मत कर।” मैं हार गया और बाथरूम में चला गया। पीछे-पीछे आंटी आईं, हाथ में वही किताब लिए। आते ही उन्होंने मेरी शर्ट-पैंट उतार दी। मैं शर्म से कांप रहा था, अपने लंड को हाथ से छुपा लिया। फिर आंटी ने अपनी साड़ी खोल दी—एक-एक कपड़ा उतरता गया, जैसे कोई जलती हुई आग सामने नाच रही हो। उनका गोरा जिस्म, भरे हुए चूतड़, और चिकनी चूत मेरे सामने थी। मैं कोने में सिमटा हुआ देखता रहा।

वो मेरे पास आईं और मेरा लंड अपने मुलायम हाथों में ले लिया। मैं पीछे हटा, पर वो बोलीं, “डर मत, मैं तुझे खा थोड़ी जाऊंगी। बस टेस्ट करूंगी।” उन्होंने किताब खोली, एक तस्वीर दिखाई जिसमें लड़की लंड चूस रही थी। “देख, ये भी तो वही कर रही है,” कहकर उन्होंने मेरा पूरा लंड मुंह में ले लिया। उनकी गीली जीभ मेरे लंड पर नाचने लगी, और मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया। वो मेरे आंड चाट रही थीं, मेरे लंड को चूस रही थीं, और मैं किताब की तस्वीरें देखकर उत्तेजना में डूबता जा रहा था।

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फिर मैंने एक तस्वीर देखी—लड़का औरत की चूत चाट रहा था। मैंने कहा, “आंटी, ऐसा करो।” वो हंस पड़ीं, “अच्छा, अभी तक गंदा बोल रहा था, अब चाटेगा?” वो खड़ी हुईं, और मैंने उनके बूब्स पकड़ लिए। उनके निप्पल मेरे मुंह में थे, और वो सिसकारियां ले रही थीं— “सीईईई… ऊऊफफफ… आआह!” मैं उनकी चूत तक पहुंचा, जीभ लगाई—नमकीन, गर्म, और नशीला स्वाद। वो मेरे मुंह पर बैठ गईं, अपनी गांड मेरे चेहरे पर रगड़ने लगीं। “चाट ले, सारा रस चूस ले, मेरे राजा!” वो चिल्ला रही थीं।

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अचानक दरवाजे पर खटखट हुई। बाहर से उनके पति की आवाज आई, “कौन है अंदर?” मैं डर के मारे कांपने लगा। आंटी ने हंसते हुए दरवाजा खोला, “अरे, ये लड़का है, इसे मजा दे रही हूँ। तुम दुकान संभालो।” अंकल ने मुझे देखा और हंसे, “क्यों इसकी जान निकाल रही है?” फिर चले गए। आंटी ने दरवाजा बंद किया और बोली, “डर मत, अब असली खेल शुरू होगा।”

वो घोड़ी बनीं, अपनी गांड मेरी ओर की। मैंने शैंपू लिया, उनके छेद पर लगाया, और धीरे से अपना लंड अंदर डाला। उनकी टाइट गांड ने मुझे पागल कर दिया। वो चिल्लाईं, “आआह, जोर से, मेरी गांड मार डाल!” मैंने धक्के तेज किए, और वो सिसकारियों के साथ झड़ गईं। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ीं, मेरे लंड को अपनी चूत में लिया, और उछलने लगीं। उनकी चूत की गर्मी और टाइटनेस ने मुझे दीवाना बना दिया। “चोद डाल, मेरी जान!” वो चीख रही थीं।

आखिर में हम दोनों झड़ गए। वो मेरे सीने पर लेट गईं, मेरे होंठ चूमते हुए बोलीं, “कल सुबह फिर आना, ऊपर वाले कमरे में तुझे और मजा दूंगी।” उन्होंने मुझे चॉकलेट का पैकेट थमाया और स्कूल भेज दिया। मैं लेट हुआ, सजा भी मिली, पर मन में बस उनकी गांड और चूत की गर्मी घूम रही थी। अगली सुबह का इंतजार अब मुश्किल हो रहा था।