मेरी चूत के दीवाने ने पैसे देकर पेला मुझे
21 साल की कोमल की सेक्सी कहानी, जहाँ उसका 38-34-40 का फिगर और बिंदास अंदाज़ हर किसी को दीवाना बना देता है। पढ़ें कैसे एक नजर ने उसकी रात को आग में बदला। चुदाई, जुनून और उत्तेजना से भरी यह कहानी आपको बेकाबू कर देगी।
मेरा नाम कोमल है, और 21 साल की उम्र में मैं एक ऐसी आग हूँ जो हर किसी के दिल में चिंगारी सुलगा देती है। 6 फुट 5 इंच की लंबाई के साथ, मेरा बदन एक ऐसा खजाना है जो नजरें चुरा लेता है—38-34-40 का फिगर, जो हर कदम पर लोगों का ध्यान खींचता है। मैं 12वीं कक्षा में हूँ, लेकिन मेरी दुनिया किताबों से कहीं आगे की है। मैं सेक्सी हूँ, और मुझे इसका पूरा गर्व है। मेरी हर अदा, हर नजर, हर मुस्कान में एक जादू है जो सामने वाले को बेकाबू कर देता है। मुझे चुदाई का शौक है—वह जुनून, वह आनंद, वह पल जब सब कुछ धुंधला हो जाता है और सिर्फ़ तन की आग बाकी रहती है। यह मेरी पहली कहानी है, और मैं चाहती हूँ कि आप इसे पढ़कर मेरे साथ उस आग में डूब जाएँ। तो, बिना और वक्त गँवाए, मैं आपको अपनी दुनिया में ले चलती हूँ—मेरी चूत के दीवाने की दुनिया में।
एक नजर और दिल की धड़कन
यह बात कुछ दिन पहले की है। मैं कॉलेज से घर लौट रही थी, मेरी चाल में वही बेफिक्री थी जो हर किसी को मेरी ओर खींचती है। तभी मेरी नजर एक लड़के से टकराई। उसकी आँखों में एक भूख थी, एक ऐसी चाहत जो मुझे नंगी कर देना चाहती थी। उसकी नजरें मेरे बदन पर रेंग रही थीं, जैसे वह मुझे अभी, यहीं चोद डालेगा। मैंने उसकी आँखों में आग देखी, और मेरे होंठों पर एक हल्की-सी मुस्कान तैर गई। मैं घर चली आई, लेकिन उसकी वो नजर मेरे दिमाग में बस गई।
दोस्तों, मैं आपको बता दूँ—मैं ऐसी लड़की हूँ जो अपनी इच्छाओं को खुलकर जीती है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला कौन है; अगर मेरा मन हुआ, तो मैं उस आग को बुझाने का रास्ता ढूँढ ही लेती हूँ। उस रात मैं बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन नींद कोसों दूर थी। मेरे दिमाग में वही लड़का था, उसकी नजरें, और वो खामोश वादा जो उसने अपनी आँखों से किया था। मैंने आँखें बंद कीं और अपने बदन को छुआ—मेरी उंगलियाँ मेरे स्तनों पर रुकीं, फिर धीरे-धीरे नीचे सरकीं। मेरे जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई। मैंने सोचा, “कोमल, तू सच में एक आग है।”
कॉलेज का वो दिन
अगली सुबह मैं तैयार हुई। टाइट जींस और एक गहरे गले का टॉप पहना, जो मेरे कर्व्स को और उभारे। कॉलेज पहुँची तो देखा, कुछ लड़के आपस में बातें कर रहे थे। भीड़ में वही लड़का था—अरमान, मेरा आशिक। उसकी आँखों में वही भूख थी, लेकिन अब उसमें एक आत्मविश्वास भी था, जैसे वह जानता हो कि मैं उसकी है। मैंने उसे देखा, मेरे होंठों पर एक मुस्कान आई, और मैं अपनी क्लास में चली गई।
क्लास में बैठी थी, लेकिन मेरा दिमाग कहीं और था। टीचर पढ़ा रहे थे, पर मेरे कानों में सिर्फ़ अरमान की बातें गूँज रही थीं। मैं सोच रही थी, “वो लोग क्या बात कर रहे थे? क्या अरमान मेरे बारे में कुछ कह रहा था?” मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। छुट्टी हुई तो मैं घर की ओर निकली। रास्ते में रिषभ मिला। उसने मुझे रोका और धीमी आवाज में कहा, “कोमल, एक काम है। अच्छे पैसे मिलेंगे, लेकिन तुम्हें रात को मेरी छत पर आना होगा।”
उसकी बात सुनकर मेरे बदन में एक अजीब-सी सनसनी दौड़ गई। मैंने पूछा, “क्या काम है?” उसने सिर्फ़ इतना कहा, “आज रात एक बजे, मेरी छत के ऊपर वाले कमरे में।” और वो चला गया। मेरे दिमाग में सवालों का तूफान उठ रहा था, लेकिन मेरे जिस्म में एक उत्तेजना भी थी। मैंने सोचा, “पैसे भी मिलेंगे, और शायद कुछ मज़ा भी।”
रात का इंतज़ार
घर पहुँचकर मैं बेचैन थी। मैं छत पर गई और देखा कि रिषभ की छत पर दो लड़के खड़े थे—उनमें से एक अरमान था। मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। कुछ देर बाद वो चले गए, और रिषभ मेरे पास आया। उसने कहा, “कोमल, रात एक बजे आना। मत भूलना।” मैंने हल्के से सिर हिलाया और घर लौट आई।
रात होने का इंतज़ार करते-करते मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। खाना खाया, बिस्तर पर लेट गई, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मैं बार-बार घड़ी देख रही थी। 12 बज गए, और मेरी आँखें भारी होने लगीं। मैंने सोचा, “बस थोड़ा और…” लेकिन नींद ने मुझे जकड़ लिया। जब आँख खुली तो सुबह के 4 बज रहे थे। मैंने खुद को कोसा, “कोमल, तूने मौका गँवा दिया!”
सुबह उठकर मैं छत पर गई। रिषभ वहाँ था। उसने मुझे देखकर कहा, “तुम नहीं आई?” मैंने शर्मिंदगी से बताया कि मुझे नींद आ गई थी। उसने मुस्कुराकर कहा, “कोई बात नहीं। आज रात आ जाना।” मैंने हामी भरी और कॉलेज चली गई।
वो रात, वो आग
कॉलेज से लौटकर मैं फिर रिषभ से मिली। मैंने पूछा, “कितने पैसे मिलेंगे?” उसने कहा, “आज रात आ जा, सब बता दूँगा।” मैं घर आई, खाना खाया, और रात का इंतज़ार करने लगी। जैसे ही घड़ी ने एक बजा, मैं चुपके से छत पर गई। अपनी छत से कूदकर रिषभ की छत पर पहुँची। वहाँ रिषभ बैठा था। उसने मुझे कमरे की ओर इशारा किया।
मैं कमरे में दाखिल हुई। अंधेरा था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन मुझे लगा कि कमरे में कोई है। मेरे कदम धीरे-धीरे आगे बढ़े, और तभी किसी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। उसकी गर्म साँसें मेरे गले पर थीं, और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने भी जवाब दिया, मेरी उंगलियाँ उसके बालों में उलझ गईं। हम एक-दूसरे को चूम रहे थे जैसे कोई भूखा शिकारी।
तभी रिषभ ने लाइट जलाई। मैंने देखा—कमरे में दो लड़के थे। एक अरमान, और दूसरा कोई अनजान। अरमान की आँखों में वही जुनून था। वो मेरी ओर बढ़ा और मेरे स्तनों को पकड़कर दबाने लगा। उसका स्पर्श मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। दूसरा लड़का मेरे होंठों को चूमने लगा, और मैं खोने लगी। अरमान ने मेरी चूत को कपड़ों के ऊपर से सहलाया, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं—उह्ह्ह… ऊफ्फ्फ… आह्ह्ह…
मैंने अरमान के लंड को पकड़ा और उसे हिलाने लगी। उसने मेरे कपड़े उतार दिए, और मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गई। अरमान मेरे स्तनों को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर नाच रही थी। उसने मेरी चूत में उंगली डाली, और मेरे मुँह से और तेज सिसकारियाँ निकलीं—ऊह्ह्ह… आह्ह्ह… ऊफ्फ्फ… मैं पूरी तरह से उनकी गिरफ्त में थी। दूसरा लड़का मेरे मुँह में अपना लंड डालकर चुसाने लगा। मैंने उसे लॉलीपॉप की तरह चूसा, मेरी जीभ उसके लंड पर खेल रही थी।
आग का तूफान
अरमान ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को छू रही थी, और मैं सिसकार रही थी—ऊह्ह्ह… आह्ह्ह… ऊफ्फ्फ… मेरे जिस्म में बिजलियाँ दौड़ रही थीं। तभी उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला। धीरे-धीरे, फिर तेज। मेरे मुँह से चीखें निकल रही थीं—ऊह्ह्ह… आह्ह्ह… ऊफ्फ्फ… अरमान मेरे मुँह को चोद रहा था, और दूसरा लड़का मेरी चूत को। कमरे में धक्कों की आवाज़ गूँज रही थी।
उसने मुझे उठाया और अपने लंड पर बिठा लिया। मैं उसके लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी, मेरे स्तन उछल रहे थे। तभी दूसरा लड़का मेरी गांड के पास आया। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और धीरे-धीरे अपना लंड अंदर डाला। दर्द और आनंद का मिश्रण था। मैं सिसकार रही थी—ऊह्ह्ह… ऊफ्फ्फ… आह्ह्ह… दोनों मुझे एक साथ चोद रहे थे, और मैं उनकी रिदम में खो गई थी।
अरमान ने मेरे मुँह में अपना लंड डाला, और दूसरा लड़का मेरी गांड को चोद रहा था। मैं अपनी चूत में उंगली डालकर खुद को और उत्तेजित कर रही थी। तभी अरमान ने मेरे मुँह पर अपना माल छोड़ दिया। दूसरा लड़का मेरी चूत में तेजी से धक्के मार रहा था। उसने अपना लंड निकाला और मेरे पेट पर अपना माल छोड़ा।
मज़ा और इनाम
मैंने अपने कपड़े पहने। रिषभ ने मुझे 5000 रुपये दिए। मैंने सोचा, “मज़ा भी मिला, और पैसे भी।” मैं मुस्कुराई और घर लौट आई। मेरी चूत और गांड की आग बुझ चुकी थी, लेकिन मेरे दिल में एक नई चाहत जाग रही थी। यह थी मेरी कहानी—मेरी चूत के दीवाने की कहानी।