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मसाज के साथ चुदाई फ्री

दिल्ली के आयुर्वेद थेरेपिस्ट राजू की सच्ची कहानी, जिसमें एक खूबसूरत लेडी की स्पाइनल मसाज ने गर्म चुदाई में बदल दी। मसाज से शुरू हुई यह सेक्सी स्टोरी आपको उत्तेजना से भर देगी। पढ़ें और मजा लें!

हाय दोस्तों, मेरा नाम राजू है। मैं दिल्ली में आयुर्वेद थेरेपिस्ट का काम करता हूँ, और इस काम ने मुझे जिंदगी के कई रंग दिखाए हैं। मैंने इस साइट पर ढेर सारी कहानियाँ पढ़ीं, और सोचा कि अपनी एक सच्ची घटना आप सबके साथ शेयर करूँ। ये मेरी पहली कहानी है, तो अगर कोई गलती हो जाए, तो माफ करना। बात 25 की है। उस दिन क्रिसमस की वजह से मेरे क्लिनिक के बाकी थेरेपिस्ट चर्च गए थे, और मुझे आधे दिन के लिए काम संभालना पड़ा। सुबह 11 बजे एक खूबसूरत लेडी क्लिनिक में आई। उसकी उम्र करीब 35 साल रही होगी, गोरी चमड़ी, भरा हुआ बदन, और चाल में एक अजीब सी लड़खड़ाहट। उसे चलने में तकलीफ हो रही थी। मैंने उसे डॉक्टर के पास भेज दिया। करीब 20 मिनट बाद डॉक्टर ने मुझे बुलाया और कहा, “राजू, इन मैडम को स्पाइनल मसाज और पीठ की पोटली मसाज देनी है। ध्यान से करना।”

मैं उस लेडी को ट्रीटमेंट रूम में ले गया। वो थोड़ी परेशान लग रही थीं। मैंने कहा, “मैडम, आपको ऊपर के सारे कपड़े उतारने होंगे, वरना तेल से आपका ड्रेस खराब हो जाएगा।” उसने थकी हुई आवाज में कहा, “जैसा भी करो, बस मेरा दर्द कम कर दो।” मैंने उसे पेट के बल लेटने को कहा। वो बेड पर लेट गईं। मैंने उनकी कुर्ती उतारी—अब उनके ऊपर सिर्फ एक तौलिया और नीचे सलवार बची थी। मैंने तौलिया हटाया और उनकी नंगी पीठ पर ऑयल डाला। उनकी गोरी चमड़ी चमक उठी। मैंने उनकी गर्दन से मसाज शुरू की, धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ा। उनके कंधे सख्त थे, और जैसे ही मेरा हाथ उनकी गर्दन पर फिरा, उनके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली—म्म्म…। मैंने सोचा, शायद दर्द की वजह से है। लेकिन 10 मिनट बाद उनकी आवाजें कुछ और कह रही थीं—म्म्म… म्म्म…—जैसे दर्द कम और मजा ज्यादा हो रहा हो।

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मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने धीरे से उनके बगल से उनकी चूचियों को छूना शुरू किया। उनकी साँसें तेज हो गईं, और वो बस “म्म्म… म्म्म…” करती रहीं। मैंने उनकी पीठ की मसाज शुरू की और कहा, “मैडम, सलवार थोड़ी नीचे कर दूँ?” वो बोलीं, “हाँ, कर दो।” मैंने सलवार को नीचे सरकाया—उनके आधे चूतड़ नजर आने लगे, गोरे और गोल। मेरा लंड पैंट में तन गया। मसाज करते-करते मैंने सलवार और नीचे कर दी। अब मैं उनकी पीठ पर पॉइंट मसाज दे रहा था, और कभी-कभी मेरा हाथ उनकी गांड की दरार में चला जाता। उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था—7 इंच का, सख्त और गर्म।

मैंने सोचा, अगर इसके घर जाकर मसाज करूँ, तो शायद कुछ और हो सके। मैंने पूछा, “मैडम, अगर आप चाहें तो मैं आपके घर आकर भी मसाज कर सकता हूँ।” वो बोलीं, “ठीक है, अभी आ सकते हो?” मैंने कहा, “1 बजे फ्री हो जाऊँगा।” उसने “ओके” कहा। मैंने उनकी पीठ की मसाज पूरी की, ऑयल साफ किया, और वो बाहर चली गईं। जाते-जाते बोलीं, “मैं बाहर इंतजार करूँगी।” उनके जाने के बाद मैं बाथरूम में घुसा। पिछले एक घंटे से मेरा लंड तनाव में था। उनकी नंगी पीठ और सिसकारियों को सोचकर मैंने मुठ मार ली, तब जाकर कुछ राहत मिली।

1 बजे मैं बाहर निकला। वो अपनी कार में मेरा इंतजार कर रही थीं। वो मुझे अपने घर ले गईं—एक बड़ा सा मकान, शानदार और शांत। वो मुझे सीधे बेडरूम में ले गईं। वहाँ दो रूम हीटर चल रहे थे—सर्दी का मौसम जो था। उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किए और ब्रा-पैंटी में बेड पर सीधी लेट गई। उसकी गोरी टाँगें, भरे हुए दूध, और पैंटी में छुपी चूत को देखकर मेरा दिमाग घूम गया। मैंने उनके पैरों की मसाज शुरू की। मसाज करते-करते मेरा हाथ उनकी जाँघों तक गया, और कभी उनकी चूत को छू लेता। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी—उनका रस मुझे उकसा रहा था। मैंने उनके पेट की मसाज शुरू की, और कभी-कभी उनकी चूचियों को दबा देता। वो सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… म्म्म…।

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मैंने कहा, “मैडम, ब्रा निकाल दूँ?” उसने हाँ में सिर हिलाया। मैंने ब्रा उतारी—उनके 36 साइज के दूध मेरे सामने थे, गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने उनके दूध जोर-जोर से मसले, और वो चीखीं—“आह्ह… यस्स… और जोर से मसाज करो…”। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला और उनकी चूत की मालिश शुरू की। एक हाथ से उनकी चूची चूस रहा था, और दूसरा उनकी चूत के दाने को मसल रहा था। मैंने उनके निप्पल को चूस-चूसकर लाल कर दिया। फिर उनकी चूत में उंगली डाली—वो गीली और गर्म थी। कुछ ही पलों में उनका पानी छूट गया, और मेरा हाथ भीग गया। मैंने कहा, “मैडम, आपकी चूत चाटना चाहता हूँ।” उसने हाँ में सिर हिलाया। मैंने उनकी पैंटी उतारी—उनकी चूत पर घने बाल थे, जो मुझे और उत्तेजित कर रहे थे।

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मैंने उनकी चूत के दाने को चूसा, जीभ अंदर-बाहर की। उसका नमकीन स्वाद मुझे पागल कर रहा था। वो चीख रही थीं—“ऊऊऊ… स्स्स… वावव… यस्स…”। कुछ देर बाद वो बोलीं, “राजू, अब चोद दो, जल्दी!” मैंने अपना लंड बाहर निकाला—7 इंच का, तना हुआ। पहले उनकी चूत पर रगड़ा, फिर धीरे से अंदर डाला। उनकी चूत टाइट थी। मैंने पूछा, “पति कहाँ हैं?” वो बोलीं, “अमेरिका में जॉब करते हैं, साल में एक महीने आते हैं।” मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। उनकी गीली चूत में लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो सिसकार रही थीं—“आह्ह… वावव… फक मी…”। 10 मिनट बाद मैं नीचे लेट गया, और वो मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगीं। उनके दूध मेरे सामने हिल रहे थे। कुछ देर बाद वो झड़ गईं और मेरे ऊपर ढेर हो गईं।

मेरा अभी बाकी था। वो बोलीं, “गांड में डालो।” वो घोड़ी बन गईं। उनकी चूत और गांड का नजारा देखकर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनकी चूत और गांड चाटी—वो फिर सिसकारीं—“आह्ह… स्स्स…”। फिर मैंने उनकी गांड में लंड डालने की कोशिश की, लेकिन वो बहुत टाइट थी। मैंने थोड़ा तेल लिया, लंड पर लगाया, और धीरे से अंदर डाला। वो चीखीं—दर्द से उनका चेहरा लाल हो गया। मैं रुका, फिर एक जोरदार धक्के से पूरा लंड अंदर पेल दिया। वो चिल्लाईं, लेकिन कुछ देर बाद शांत हुईं। मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। जल्द ही उन्हें मजा आने लगा, और वो खुद आगे-पीछे होने लगीं। मैंने स्पीड बढ़ाई, और 10 मिनट बाद उनकी गांड में झड़ गया। मैं उनके ऊपर लेट गया।

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वो खुश थीं। फिर उठीं, मुझे 2000 रुपये दिए, और बोलीं, “फिर आना।” मैं 6 बजे तैयार होकर निकल गया। उस दिन की मसाज और चुदाई मेरे लिए फ्री थी—पैसा तो बस बोनस था।