नेहा दीदी की नंगी चूत 2
Neha didi ki nangi chut-2
अब तक आपने पढ़ा –
दीदी बोलीं – दिखने में तो सचिन तुझसे बडा दिखता है; लेकिन तेरे लण्ड में बहुत ताकत है। उससे बहुत ज्यादा पावरफ़ुल है!!
मैं कुछ भी ना बोला।
अब तक हम दोनों ठंडे पड गये थे।
फिर थोडी देर बाद नेहा दीदी ने स्वाती दीदी को आवाज लगा दी और दीदी कपडे ठीक करके; बाहर चली गईं।
अब आगे –
दोनों बहुत देर तक बातें करती रहीं।
शाम चार बजे स्वाती दीदी मेरे पास आके बोलीं – क्या कर रहे हो…??
मैंने कहा – कुछ नहीं।
तो वो बोलीं – जाओ कहीं बाहर घुम कर आ जाओ… रात में और भी तो काम करने हैं!!
मुझे लगा जरुर कोई गड्बड है।
मैंने हाँ कहा और घर के पीछे वाली झाडीयों में लुका छिपी खेलने दोस्तो के साथ चला गया।
10-15 मिनट के बाद, मैं थोडा घर के पास आ गया।
मेरे सारे दोस्त खेलने में व्यस्त थे और मैं उन्हें चकमा देकर हमारे घर के पीछे आ गया।
वहां के पेड़ पर चढने के बाद, हमारे घर का आंगन साफ़ दिखाई देता था…
मैं पेड़ पर चढ कर बैठ गया और मैंने थोडी ही देर में देखा की हमारे घर के पास रहने वाला अशोक हमारे आंगन में खडा था और वो मेरी बडी दीदी नेहा से बातें कर रहा था…
उन दोनों के बीच कुछ सिक्रेट बातें चल रही थीं, ऐसा उन दोनों की तरफ़ देखने से मालुम पड रहा था क्युंकी वो दोनों बहुत बेचैन दिखाई दे रहे थे और वो दोनों थोडे से घबराये हुये भी लग रहे थे।
कुछ मिनट बातें करने के बाद नेहा दीदी और अशोक हमारे कमरे में चले गये और स्वाती दीदी गेट के पास जाकर बैठ गईं, जैसे वो रखवाली कर रही हो।
अब सारा मामला मेरी समझ में आ चुका था!!! !!
मैं पेड़ से नीचे उतर गया और हमारे रुम के बिल्कुल पीछे वाली खिडकी के पास जाके खडा हो गया।
मैंने खिडकी के बारीक छेदो में से देखा, अशोक नेहा दीदी के मम्मे मसल रहा था और दीदी अशोक के लण्ड से खेल रही थीं।
अशोक दीदी को बेतहाशा चूम रहा था। अब अशोक ने दीदी के सारे कपडे उतारने शुरु किये।
कुछ ही पल में, दीदी की पैंटी भी उन्होंने उतार दी!!! !!
दीदी की चूत पर छोटे-छोटे बाल थे और स्वाती दीदी की चूत से नेहा दीदी की चूत काफ़ी बडी दिख रही थी।
अब अशोक दीदी की चूत पर हाथ घुमा रहा था।
इधर मेरा लण्ड महाराज खडा हो गया था। अब मुझे किसी भी हालत में चूत चाहिए थी… …
मैं उतावला हो रहा था!!
वही ठहर कर मैं, मेरे लण्ड पर हाथ घुमाने लगा।
अंदर अशोक दीदी की चूत में उंगली कर रहा था और नेहा दीदी कमर हिला-हिला कर सिस्कारियां ले रही थीं!!!
फ़िर दीदी ने अशोक का लण्ड अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया। अब वो बस धक्का लगाने वाला ही था की इतने में स्वाती ने बाहर से कहा – अशोक, जल्दी बाहर निकलो; पापा आ रहे हैं…
मैंने देखा अशोक ने झट से अपना लण्ड अपनी चड्डी में डाला और जल्दी-जल्दी कपडे पहन कर बाहर चला गया।
मैं भी वहां से हट गया और दोस्तों के साथ मिल गया।
आधे घंटे बाद मैं घर वापस आ गया।
दीदी चाय बना रही थी, तो मैं बोला – दीदी मेरे लिये भी बना देना।
स्वाती दीदी मुस्कुराते हुये बोलीं – मेरे प्यारे भैया, सब कुछ तेरा ही तो है!!!
इस बात पर बडी दीदी भी मुस्कुरा उठीं।
हम चाय पी रहे थे की माँ भी आ गईं… …
उस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा था; बता नहीं सकता।
एक तरफ यह एहसास मुझे मारे डाल रहा था कि मेरी दोनों बहनें कितनी बड़ी चुद्दकड़ रांड हैं…
नेहा दीदी कल राजू से चुदते हुए पकडे जाने पर भैया से बेरहमी से पिटी थीं और आज ही अशोक का लण्ड खाने लगीं; कैसी प्यासी है, इनकी चूत लण्ड खाने की:
मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था की मेरी दोनों बहनें दो कौड़ी की रंडियाँ हैं पर अशोक से दीदी की चुदाई देखने के बाद मेरा लण्ड फ़ुफ़कारें भी भर रहा था!!!
सच पूछिये, तो बड़ी असमंजस की परिस्थिति थी मेरे लिए… … …
कहानी जारी रहेगी… … …
दोस्तो, ये मेरी सच्ची कहानी है।
आपको कैसी लगी…?? मुझे मेल करना ना भूलें…
मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
तब तक सलाम, नमस्ते।
धन्यवाद मस्त कामिनी जी और सभी पाठकों… … …
आपका दोस्त – रवि…