हॉट इंडियन सेक्स स्टोरी: अकेली मालकिन और नौकर मोहन की चुदाई
मैं अपने घर में अकेली रहती थी, और रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त रहती थी। तभी मोहन, हमारा नौकर, आता था और मेरी बॉडी को घूरते हुए अपने काम में जुट जाता था। मुझे शुरू से ही पॉर्न देखने की लत थी, और कभी-कभी मैं अपने दोस्त राज के साथ भी इसे एंजॉय करती थी। उसकी नज़रें मेरे जिस्म पर टिकती थीं, और मुझे उसका वो देखना अजीब सा सुकून देता था।
एक दिन मैंने टाइट मिनी स्कर्ट पहनी थी, ऊपर से एक शॉर्ट क्रॉप टॉप, जो मेरे कर्व्स को हाईलाइट कर रहा था। मैं अपने रूम में अकेली थी, लैपटॉप पर पॉर्न चल रहा था। स्कर्ट को थोड़ा ऊपर सरकाकर मैं अपनी चूत को सहला रही थी, उंगलियाँ धीरे-धीरे अंदर-बाहर कर रही थी। तभी अचानक मोहन कमरे में दाखिल हो गया। उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, और उसी पल मेरे अंदर एक तेज़ उत्तेजना की लहर दौड़ गई। मेरा पानी निकल पड़ा, कुछ बूँदें स्कर्ट पर गिर गईं। मैंने झट से स्कर्ट नीचे की, लेकिन उसने सब देख लिया था। वो चुपचाप मुस्कुराया और बाहर चला गया। उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे बेचैन कर गई।
कुछ दिन बाद मैं लॉन में टहल रही थी। उस दिन मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरा ब्लाउज़ हमेशा की तरह डीप नेक का था, जो मेरी चूचियों की शेप को उभारता था। अचानक मेरी नज़र बाथरूम की तरफ गई, जहाँ मोहन पेशाब कर रहा था। दरवाज़ा हल्का सा खुला था, और मैंने उसका 8 इंच का मोटा, काला लंड देख लिया। मेरे पति का तो मुश्किल से 6 इंच का था, और ये नज़ारा देखकर मेरे मन में एक अजीब सी खुशी और उत्तेजना भर गई। मैंने सोचा, “ये तो कमाल का है!”
फिर मैंने जानबूझकर बाथरूम की ओर कदम बढ़ाए और दरवाज़ा खोल दिया। मोहन घबरा गया और जल्दी से अपने लंड को छुपाने की कोशिश करने लगा। मैंने उसे टोका, “अरे, क्या छुपा रहे हो?” और उसे अपने साथ रूम में ले गई। मैंने मज़ाक में कहा, “तुमने जानबूझकर दरवाज़ा खुला छोड़ा था न, ताकि मैं देख लूँ?” वो शर्माते हुए बोला, “नहीं मेडम, मुझे लगा आप अंदर होंगी।” मैंने उसकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए अपना पल्लू धीरे से गिरा दिया। मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ में से आधी बाहर झाँक रही थीं। मैंने कहा, “अपने कपड़े उतारो।” वो हल्का सा मुस्कुराया और पलभर में नंगा हो गया।
उसका लंड मेरे सामने था—मोटा, काला, और सख्त। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। फिर उसने मेरी साड़ी खींच दी, ब्लाउज़ के बटन खोले, और पेटीकोट भी उतार फेंका। मैंने पैंटी नहीं पहनी थी, और वो मेरी नंगी चूत को देखकर पागल सा हो गया। उसने एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… मोहन!” उसने कहा, “मेडम, आपकी चूत तो अभी भी टाइट है।” मैंने हँसते हुए कहा, “तो तुम ढीली कर दो न!”
उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, और अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी। वो मेरी चूचियों को चूसने लगा, कभी-कभी हल्का सा काट भी लेता था। मैंने कहा, “मोहन, आराम से… पूरा दिन हमारे पास है।” फिर मैं नीचे झुकी और उसका लंड मुँह में ले लिया। मैं उसे चूसने लगी, जीभ से टिप को चाटते हुए। 10 मिनट तक चूसने के बाद उसका सारा पानी मेरे मुँह में आ गया। मैंने उसे पी लिया और हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से चिपककर लेटे रहे।
कुछ देर बाद उसका लंड फिर से टाइट हो गया। इस बार उसने मुझे बेड पर लिटाया, मेरी टाँगें फैलाईं, और अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया। उसने धक्का मारा, और मैं चिल्ला उठी, “आआह्ह… मोहन, आराम से डालो!” वो बोला, “मेडम, कुछ नहीं होगा, सब ठीक हो जाएगा।” फिर उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन धीरे-धीरे वो दर्द मज़े में बदल गया।
उसने धक्के मारने शुरू किए और कहा, “मोना मेडम, आप बड़ी मस्त हो!” 20 मिनट तक उसने मुझे चोदा, और फिर सारा पानी मेरी चूत के अंदर डाल दिया। मैं थककर चूर हो गई थी, लेकिन संतुष्ट थी। हमने कपड़े पहने, और वो चला गया। अब जब भी मैं घर पर अकेली होती हूँ, नंगी घूमती हूँ। मोहन सारा काम करता है, और मौका मिलते ही हम चुदाई का मज़ा लेते हैं। जब मेरे पति नाइट शिफ्ट पर होते हैं, मोहन मेरे पास आता है, और हम रातभर एक-दूसरे की बाहों में सोते हैं। ये हमारा सीक्रेट है, जो हमें हर बार नई उत्तेजना देता है।