चपरासी ने मेरी चूत को पहली चुदाई का मज़ा दिया
हाय दोस्तों, मेरा नाम तृप्ति है और मैं 21 साल की हूँ। आमतौर पर लड़कियाँ अपनी कहानी बताते हुए शरमाती हैं, लेकिन इसमें शर्म कैसी? मैं दूसरी लड़कियों जितनी सुंदर नहीं, लेकिन मेरा बदन बहुत आकर्षक है। मेरी हाइट 5.2 फीट है, शरीर भरा हुआ, छाती अच्छी, और कूल्हे बाहर निकले हुए हैं। इसी वजह से हर लड़का मेरी तरफ आकर्षित हो जाता है। ये कहानी 5 महीने पहले की है, जब मैं पढ़ाई करती थी।
प्यार की तलाश
मेरी सारी सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे, लेकिन मेरा कोई नहीं था। मैं लड़कों को लुभाने की कोशिश करती – हँसी-मजाक, बातें, अपने बूब्स दिखाना, और मटकती गांड हिलाना। कई लड़के मेरे जिस्म को घूरते, लेकिन प्यार कोई नहीं करता था। मैं परेशान हो गई। एक लड़की होने के नाते मुझे साथ चाहिए था। इस चाहत में मैं कई लोगों के साथ सो चुकी थी। पहले मुझे अच्छा नहीं लगा, क्योंकि जो चाहिए था वो नहीं मिला। लेकिन अब मुझे चुदाई का मज़ा लेना पसंद है।
चपरासी की नज़र
मुझे नहीं पता था कि इसका नतीजा क्या होगा। हमारे स्कूल के चपरासी की नज़र मुझ पर थी। उसे मज़े के लिए खिलौना चाहिए था। उसकी उम्र 40-42 साल थी, बिहारी था, गठीला शरीर, थोड़ा मोटा। वो मेरी हरकतों पर गौर करता था और जानता था कि मैं बेकाबू हूँ। उसने इसका फायदा उठाया।
पहली मुलाकात
एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद उसने कहा, “मुझसे बात करनी है।” मैं रुक गई। वहाँ कोई नहीं था। उसने कहा, “मुझे पता है तुम सच्चा प्यार ढूंढ रही हो।” मैं हैरान हो गई। वो बोला, “एक लड़का तुम्हें पसंद करता है और मिलना चाहता है।” मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे लगा सब मिल गया। लेकिन वो मुझे चोदना चाहता था। मेरी खुशी देखकर वो समझ गया कि मैं उसके जाल में फंस गई। उसने कहा, “जब ठीक लगे, मिल लेना।” मैंने कहा, “शाम को ट्यूशन के बहाने आऊँगी।” वो मान गया।
चपरासी के कमरे में
शाम को मैं ट्यूशन के बहाने उसके घर गई। वो शादीशुदा था, लेकिन बीवी-बच्चे बिहार में थे। उसका कमरा खाली था – एक चारपाई और कुछ कपड़े। उसने मुझे बैठाया। उसकी नज़रें मेरे जिस्म को खा रही थीं। मैंने पूछा, “वो लड़का कहाँ है?” उसने कहा, “सच बताऊँ, कोई लड़का नहीं। मुझे तुम पसंद हो।” मेरी साँसें रुक गईं। मैं चुप रही। वो पास आया, “चिंता मत करो, किसी को पता नहीं चलेगा। तुम मेरे साथ खुश रहोगी।” मैंने गुस्से में मना किया और जाने लगी।
उसने कहा, “यहाँ से ऐसे गई तो बदनाम हो जाओगी।” मैं डर गई और रुक गई। “अब क्या करूँ?” मैंने पूछा। वो बोला, “मेरा साथ दो, मैं चुपके से निकाल दूँगा।” मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन क्या करना होगा?” उसने कहा, “मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, तुम्हें बीवी बनाना चाहता हूँ, और वो सब करना चाहता हूँ जो पति-पत्नी करते हैं।” मुझे नहीं पता था इसका मतलब। मैंने बिना सोचे कहा, “ठीक है, मुझे बाहर निकालो।”
पहली चुदाई की शुरुआत
वो मेरे पास आया, मुझे बाहों में लिया, और किस करने लगा। उसने मेरे बूब्स मसले। मैं छूटने की कोशिश की, लेकिन वो मजबूत था। उसने कहा, “एक बार करो, मज़ा आएगा।” उसकी बातों से मेरा मन भी डोल गया। मैंने उसे किस किया। मुझे अच्छा लगा। उसने कहा, “अभी बहुत कुछ बाकी है। कपड़े उतारो।” उसने अपने कपड़े उतारे। मैंने उसका लंड देखा – 6 इंच, अभी खड़ा भी नहीं था। मैं डर गई। “इतना बड़ा क्यों?” मैंने पूछा। “इसे तू खड़ा करेगी,” उसने कहा। “मुँह में लेकर।” मैंने मना किया। उसने धमकाया, “बदनामी हो जाएगी।” मैं डर गई।
उसने मेरे कपड़े उतारे। मेरा कामुक बदन देख वो पागल हो गया। उसने कहा, “पूरा साथ दो, सब ठीक रहेगा।” उसने लंड मेरे मुँह में डाला। मुझे मजबूरी थी, लेकिन मज़ा भी आने लगा। मैंने लॉलीपॉप की तरह चूसा। मुँह पूरा खोलना पड़ा। वो और बड़ा हो गया। उसने ज़बरदस्ती पूरा लंड डाला। मेरी साँस रुकी, आँखों से आँसू आए। उसने कहा, “रहने दे,” और बिस्तर पर ले गया।
चूत की पहली चुदाई
उसने तेल लिया, मेरी चूत पर लगाया, मालिश की। एक उंगली अंदर डाली। मुझे गरम चीज़ का एहसास हुआ। थोड़ा दर्द हुआ, फिर मज़ा आया। उसने दूसरी, तीसरी उंगली डाली। दर्द मज़े में बदल गया। मेरी सील अभी बाकी थी। उसने मेरा बदन चाटा, पैर कंधों पर रखे, लंड का टोपा चूत पर लगाया। “अंदर नहीं जाएगा,” मैंने कहा। “चला जाएगा, धीरज रख,” वो बोला। टोपा अंदर गया। मैं चीखी, “सीईई… अह्ह… बाहर निकालो।” उसने मेरा मुँह चूमा। थोड़ा आराम मिला।
मैंने नीचे देखा, पूरा लंड बाहर था। “कब जाएगा?” मैंने पूछा। उसने एक धक्का मारा। दो इंच अंदर गया। मेरी सील टूटी, मैं बेहोश हो गई। होश आया तो लंड पूरा अंदर था। वो मेरे निप्पल चूस रहा था। “बाहर निकालो, मर जाऊँगी,” मैंने कहा। “थोड़ा दर्द और, फिर मज़ा आएगा,” उसने कहा। मैंने आँखें बंद कीं। वो धीरे-धीरे हिलाने लगा। दो इंच और अंदर गया। मैं तड़प रही थी। “मैं तुम्हारी बेटी जैसी हूँ, छोड़ दो,” मैंने कहा। “अब तू मेरी पत्नी है, मेरे बच्चे की माँ बनेगी,” उसने कहा और किस करने लगा।
मज़े की शुरुआत
वो धीरे-धीरे झटके मार रहा था। उसने मुझे उठाया, खुद लेट गया। मैं उसके ऊपर थी। उसने मुझे जकड़ा, कमर हिलाई। दर्द के साथ मज़ा आने लगा। मैंने पानी छोड़ा। उसने एक ज़ोर का धक्का मारा। लंड गले तक लगा। मैं फिर बेहोश हो गई। होश आया तो वो मुझे चूम रहा था। चूत से खून निकल रहा था। मैं खुश थी कि सबसे बड़ा लंड लिया। मुझे उससे प्यार हो गया।
उसने धीरे-धीरे लंड बाहर-अंदर किया। मज़ा बढ़ गया। मैंने उसे किस किया। दो बार और झड़ी। उसने मुझे चारपाई पर लिटाया, निप्पल चूसा, लंड डाला। वो अपनी हवस पूरी कर रहा था। “कुतिया बनाकर चोदूँगा,” उसने कहा। मैं घुटनों पर हुई। उसने पीछे से लंड डाला। मुझे पूरा होने का एहसास हुआ। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। “चूत में झड़ूँगा, मेरा बच्चा पैदा कर,” उसने कहा। “नहीं, बदनामी होगी,” मैंने कहा। उसने लंड बाहर निकाला, मुँह में डाला, और वीर्य डाल दिया। मैंने पी लिया।
अंत और नया वादा
मेरी चूत फट गई थी। खून निकल रहा था। उसने कहा, “चिंता मत कर, ठीक हो जाएगी।” उसने एक सफेद चीज़ दी, चूत पर लगाने को कहा। दर्द कम हुआ। उसने मुझे चुपके से बाहर निकाला। घर जाकर सो गई। सुबह स्कूल में वो दरवाजे पर था। “हाल ठीक है?” उसने पूछा। “हाँ,” मैंने कहा। “जल्द मिलेंगे,” उसने कहा। मैं मुस्कुराकर क्लास में चली गई।