Office Sex

मिश्राजी ने अपनी स्टाफ रेखा को अपने ऑफिस में ही साड़ी उठा के चोदा

Office ki staff ko sari utha ke choda हेलो दोस्तों, मनोज तिवारी सभी का hotsexstory.xyz पर आपका बहुत बहुत स्वागत करता है। मैं कई इनो से सोच रहा था की आपको मैं अपनी कहानी सुनाऊं। तो पेश है मेरी कहानी आप सभी के लिए।

कमल मिश्रा कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज, बाराबंकी में लेक्चरर पद पर तैनात थे। मिश्रा जी पुराने ज़माने के आदमी थी। आजकल के मोडर्न जमाने में भी धोती कुरता पहनते थे। वो सबसे चहेते थे। लोग उनका बड़ा सम्मान करते थे। मिश्रा जी की बस एक तमन्ना थी की किसी तरह प्रिसिपल बन जाए। कुछ दिनों बाद वो प्रिंसिपल बन गए। वैसे तो मिश्रा जी को स्कूल में कोई खास दिक्कत नही होती थी, पर एक गम था उनका स्कूल जरा देहात में था। वहां बच्चे ना के बराबर थे। पर नौकरी तो उनको सुबह ९ से शाम ४ बजे तक करनी ही थी। वो सारा दिन बस अखबार पढ़ा करते थे। क्यूंकि पुरानी सोच होने के कारण वो ना तो फसबुक करते थे, और ना ही वाट्सअप। वो सारा सारा दिन जम्हाई लेटे रहते और दिन काटा करते। २ हफ्ते बाद कमल मिश्रा की जिंदगी अचानक से बदल गयी। उनके स्कूल में एक जमादार की तैनाती हो गयी।

वो कोई आदमी या पुरुष नही था बल्कि एक जवान और बेहद खूबसूरत औरत थी। नाम रेखा पासवान था। अभी कोई २० २२ साल की जवान लौंडिया थी वो। ये जमादार वाला पद अनुसूचित जाति का पद था। इसलिए सरकार ने रेखा पासवान को नौकरी दी थी। रेखा पासवान यानी चमार जाति की थी। पर क्या गजब की माल थी। जिस दिन रेखा उनके स्कूल में आई तो कमल मिश्रा जी की जम्हाई जो वो हमेशा लिया करते थे, और अपना समय काटा करते थे, अचानक से खतम हो गई। उनको ऐसा लगा की जैसे आज उनकी नींद हमेशा के लिए खुल गयी हो। उनकी जम्हाई और उनकी नींद अचानक से गायब हो गयी। उन्होंने रेखा को ज्वाइन करवा दिया। दोस्तों, आप लोग तो जानते है की सरकारी नौकरी में काम तो कुछ होता नही है, बस कर्मचारी बैठ के चाय पीते रहते है और समय काटा करते है। मिश्रा जी वैसे तो ५० साल के पुरे हो चुके थे, लड़के बच्चे, नाती, पोते वाले थे, पर रेखा को देखकर उनके दिल के तार झनझना गए। वो दिल ही दिल में रेखा से प्यार कर बैठे। जैसे जैसे समय बीतता गया मिश्रा जी को रेखा से प्यार होता चला गया।

जमादार होने के नाते कभी कभार जब कोई अधिकारी जांच करने चला जाता तो रेखा अपनी लम्बी सी बांस वाली झाड़ू से पूरा स्कूल साफ कर देती। कभी कभी उसको टोइलेट भी साफ़ करनी पड़ जाती थी। पर रेखा भले ही ब्राह्मण नही थी एक चमार थी, इसके बावजूद मिश्रा जी उससे प्यार कर बैठे। वो सुबह जब तक रेखा को देख नही लेते, उनको चैन नही पड़ता। रेखा सच में बड़ी हसीन माल थी। अच्छा खासा गोरा, भरा पूरा बदन। बड़े बड़े गोल गोल चुचे थे उसके। रेखा को देखकर धोती कुरता पहनने वाले पुराने ज़माने के मिश्रा जी का लंड उनकी धोती में ही खड़ा हो जाता था। रेखा स्कूल में साड़ी पहन के आती थी। काम ना होने पर वो टीचर्स रूम में बैठ कर अखबार पढ़ती थी। रेखा का वेतन २० हजार था।

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जब रेखा कोई कागज लेकर प्रिंसिपल साहब यानि कमल मिश्रा जी के पास जाती तो वो आँख मूंद कर उस पर साइन कर देते। वक्त पर उसकी सैलरी दिलवा देते। रेखा का बड़ा ख्याल रखते। दिन में ४ बार चपरासी को भेजकर उसके वास्ते चाय मंगवाते थे। इन सब काम की बस एक वजह थी की वो रेखा से प्यार करने लग गए थे। पर लोक लाज और समाज के डर से वो डरते भी थी। एक ५० साल का उम्रदराज आदमी आखिर २० २२ साल की जवान लौंडिया से कैसे प्यार कर सकता है। मिश्रा जी ये बात बार बार सोचते थे। जब से रेखा स्कूल में आ गयी थी, मिश्रा जी शर्ट पैंट पहनने लग गए थे। धोती अब कम ही पहनते थे। वो खुद को रेखा के सामने हीरो जैसा दिखाना चाहते थे। एक दिन जब रेखा प्रिंसिपल साहब के कमरे में झाड़ू लगा रही थी वही अपनी लम्बी वाली बांस वाली झाड़ू से लेकर तो अचानक कमल मिश्रा जी का प्यार और सब्र का बाँध अचानक से टूट गया। उन्होंने रेखा भंगन का हाथ पकड़ लिया और सीने से लगा लिया। वो उसका चुम्बन लेने की कोसिस करने लगे।

ये क्या साब?? ये आप क्या कर रहें हो?? आप तो ब्राह्मण है? आप मुझे क्यूँ छू रहें हो?? रेखा थोडा डर गयी और बोली।

रेखा! तुम भले ही एक जमादार हो, तुम एक चमार हो, पर मुझको तुमसे प्यार हो गया। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ! मिश्रा जी बोले। आज उन्होंने फिटिंग वाला मस्त छैल छबीला वाला शर्ट पैंट ही पहन रखा था। उन्होंने रेखा को कसके पकड़ लिया और उसके होठ पर कई चुम्मा ले लिया। रेखा थोडा आश्चर्य में पड गयी। उसको विश्वास नही हो रहा था की इतना बड़ा प्रिसिपल जो की एक ब्राह्मण भी था उस जैसी जमादार का कैसे चुम्मा ले रहा है।

साहब! ये क्या कर रहें हो?? मैं तो एक जमादार हूँ!! वो सहमकर बोली।

रेखा!! मुझे कोई फर्क नही पड़ता। बस मैं जानता हूँ की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!! कमल मिश्रा जी बोले और उसको फिर से उसके गोरे गोरे गालों पर चुम्मा लेने लगे। उन्होंने रेखा को कसके अपने सीने से लगा लिया।

साब कोई आ जाएगा तो बवाल हो जाएगा! रेखा जमादार बोली।

रेखा जानेमन ! कुछ नही होगा कोई नही आएगा। मैंने चपरासी को बाहर बिठा दिया है। आज तुम मुझको मत रोको। मुझे तुमसे प्यार करने दो। वरना मैं मर जाऊँगा। मैं तुमको हर महीना १० हजार दूँगा। तुमको कपड़े, गहने सब दूँगा, पर तुम मेरे प्यार को मत ठुकराना! मिश्रा जी बड़ी मीठी आवाज में बोले। अपने लच्छेदार बातों से आखिर उन्होंने रेखा जमादार को पता ही लिया। रेखा मान गयी। कमल मिश्रा जी रेखा को इसी वक्त चोदना चाहते थे। पिछले कई महीनों से वो इस दिन का इंतजार कर रहें थे की किस दिन रेखा जैसी हसीन माल की चूत मारेंगे। और आज वो दिन आ ही गया। कमल जी को इतनी जोर की चुदास लगी की उन्होंने अपनी बड़ी सी टेबल जिस पर बैठ के वो ऑफिस का काम करते थे, उसका सारा सामान उन्होंने हाथ से सरका कर नीचे गिरा दिया।

ऑफिस के रेजिस्टर, पेन, कॉपी, और बाकी सामान उन्होने एक ही बार में हाथ से सरका कर नीचे गिरा दिया। ५ बाय ४ की उनकी बड़ी से मेज अब बिल्कुल खाली हो गयी। रेखा को उन्होंने उसी ऑफिस की टेबल पर लिटा दिया। एक सेकंड में उनकी साड़ी उठा दी। रेखा जान गयी की आज वो चुद जाएगी। एक जमादार और जात से भंगी होते हुए भी आज एक ब्राह्मण उसको चोदेगा, उसकी चूत मारेगा। रेखा जान गयी की आज उसका कुंवारापन खतम हो जाएगा। वो आज चुद जाएगी। वो जान गयी। मिश्रा जी ने रेखा का साड़ी का पल्लू हटा दिया तो उसके ब्लौस से उसके २ बड़े बड़े कबूतर झाकने लगे। बड़े बड़े कसे कसे गोल गोल उभारों को देखकर मिश्रा जी गदगद हो गए। इनकी बड़े बड़े चुच्चों को देखकर वो पिछले कई महीने से जी रहें थे। इनकी मम्मों को देखकर उनकी नींद अब बिल्कुल भाग गयी थी। इनकी मम्मो को देखकर उन्होंने जम्हाई लेना अब बंद कर दिया था।

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वासना और चुदास कमल मिश्रा जी की आँखों में उतर आई। उन्होने रेखा जमादार के मम्मों पर हाथ रख दिया और रसीले मम्मों को छू लिया और सहलाने लगे। रेखा तड़पने लगी। फिर वो धीरे धीरे रेखा के चुच्चों को दबाने लगे। कमल मिश्रा जी गरमाने लगे। और आखिर उनको रेखा के ब्लौस के बटन खोलने पड़े। वो बड़ा कसा ब्लौस पहनती थी। पर मिश्रा जी ही कच्चे खिलाड़ी नही थी। कुछ मिनट की मसक्कत के बाद उन्होंने रेखा के बेहद कसे ब्लौस की बटन खोल लिए। ब्लौस निकाल दिया, तो आमने ब्रा आ गयी। उन्होंने उसे भी निकाल दिया। जैसे ही रेखा के नए नए २२ साल के नए नए मम्मे सामने आये थे मिश्राजी पर तो मानो बिजली ही गिर गयी दोस्तों।

उनको याद आया की जब उनकी शादी हुई थी और जब उनकी बीबी नई नई उनके घर आई थी, उसके मम्मे भी रेखा जमादार के मम्मे जैसे सुंदर नही थे। रेखा बाहर से जितनी गोरी थी, उसके मम्मे उससे ५ गुना जादा गोरे थे। कुछ पल के लिए तो मिश्रा जी कोमा में चले गए। साब?? जब रेखा बोली तो उनका सम्मोहन टुटा। कुछ पल वे उसके मम्मो को निहारते रहें। ऐसे सुन्दर संगमरमर जैसी स्वेत वर्ण मम्मे उन्होंने नही देखे थे। वो खुद को बड़ा नसीबवाला समझने लग गए। रेखा के मम्मो पर बड़े बड़े सिक्के जैसे काले काले छल्ले थे। कमल मिश्र जी को मौज आ गयी। उन्होंने अपने अधरों को रेखा के चूचकों से लगा दिया और पीने लगे। रेखा भी २२ साल की जवान लड़की थी। वो जवान हो चुकी थी और चुदने को तैयार थी। उसे भी लंड की दरकार थी।

मिश्रा जी मस्ती से रेखा के दूध पीने लगे। रेखा को बड़ा सकून मिला। आज पहली बार कोई मर्द उसके दूध पी रहा था। उसकी छातियाँ जो बड़ी बड़ी गोल गोल रसीली थी कबसे इतंजार कर रही थी की कोई मर्द उसकी छातियों को पिए। पर आज ये रेखा का सपना पूरा हो गया था। अपने ऑफिस की मेज पर ही कमल मिश्रा जी रेखा को लेटाऐ हुए थे। जब बड़ी देर तक वो उसके दूध पीते रहें तो रेखा को सुखी चूत अब बिल्कुल गीली हो गयी। उसकी सुखी बंजर जमींन जैसी चूत उसके पानी ने तर हो गयी और डबडबा गयी। रेखा ने ५० साल के मिश्रा जी को कसके लिया और अपने सैंया की तरह कलेजे से चिपका लिया। मिश्रा जी को चुदास बड़ी जोर से चढ़ गयी, वो रेखा को उसके गाल, गले, कान, नाक, आँखों पर धडाधड चुम्मा लेने लगे। उम्र दराज होने पर भी वो आज एक १८ साल के जवान लड़के जैसा व्यवहार कर रहें थे। वो छैला बाबू बन गए थे। रेखा के दोनों छाती पीने के बाद कमल मिश्रा जी ने अपनी पैंट उतार दी। अपना निकर निकाल दिया।

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उनका लंड आज भी अच्छा ख़ासा मोटा और लम्बा था। उन्होंने रेखा की पीली साड़ी जिसमे लाल रंग के कई फूल बने थे, उपर उठा दी, साथ में उसका पेटीकोट भी उठा दिया। तुरंत उसकी सफ़ेद चड्ढी निकाल दी। मिश्रा जी को रेखा की चूत के दर्शन हो गए। ये चूत देखने के लिए वो कबसे मरे जा रहें थे। इस चूत के लिए उन्होंने क्या क्या पापड़ नही बेले थे। रेखा की चूत कुंवारी थी। बड़ी लाल लाल गुलाबी गुलाबी थी। कमल मिश्रा जी ने अपनी उंगली चूत पर रख दी और नीचे से उपर हल्का हल्का सहलाते हुए नीचे जाते और फिर उपर जाते। फिर वो रेखा की चूत पीने लगे। कुछ देर बाद वो रेखा को चोदने लग गए। रेखा को उन्होंने अपनी ऑफिस की टेबल पर ही लिटा रखा था। खुद वो एक किनारे खड़े हो गए। उनकी पैंट उतरी हुई किनारे फर्श पर पड़ी थी।

रेखा की दोनों टांगों को उन्होंने हाथ में ले रखा था। खट खट करके मजे से उसको खा रहें थे। रेखा को भी चुदने में पूरा मजा आ रहा था। ५० साल का मर्द होने पर भी आज भी कमल जी के लंड में बड़ा दम था। उन्होंने रेखा को ५० मिनट बिना रुके लिया। उनको और रेखा दोनों को इस चुदाई समारोह में पसीना छूट गया। मिश्रा जी के धक्कों से पूरी मेज हिलने लगी। पर वो नही रुके। रेखा को इतना उन्होंने पेला की उसकी बुर फट गयी। कुछ देर बाद वो झड गए। उन्होंने तुरंत अपने दो मोटी मोटी ऊँगली रेखा के भोसड़े में डाल दी। उसको बड़ा दर्द भी हुआ क्यूंकि इससे पहले रेखा ने किसी मर्द से अपनी चूत में ऊँगली नही करवाई थी। कमल जी जल्दी जल्दी अपनी २ मोटी मोटी ऊँगली से रेखा की बुर को चोदने लगे। बड़ी देर तक कुछ नही हुआ। पर जल्द ही रेखा का बदन ऐठने लगा। मिश्रा जी जान गए की कुछ होने वाला है। अब तो वो जोर जोर से ऊँगली करने लगे। कुछ देर बाद रेखा की चूत से ढेर सारा पानी पिच पिच करके निकलने लगा। मिश्रा जी रुके नही। वो जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली चलाते रहें। फिर रेखा की चूत से उनकी गरम गरम काजू के पेस्ट जैसी खीर निकलने लगी। ये कुछ और नही रेखा की चूत के माल था। मिश्रा जी से मुँह उनके भोसड़े में लगा दिया। और सारा माल पी गए। कुछ देर बाद उन्होंने रेखा को फिर चोदा।