First Time Sex

पढ़ाई के बहाने चुदाई की शुरुआत

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम राघव है। मैं राजस्थान के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है, लंबाई 5 फीट 8 इंच और मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है। यह कहानी मेरी और मेरी कॉलेज की सहपाठी निशा की है, जो एक ऐसी लड़की थी जिसकी खूबसूरती और अदा किसी को भी पागल कर दे। उसका फिगर 32-28-34 का था, और उसकी चाल में एक अजीब सा नशा था। यह कहानी बिल्कुल नई और ताजा है, जो मेरे जीवन की सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक है। तो चलिए, शुरू करते हैं।

पहली मुलाकात और दोस्ती

मैं और निशा पिछले दो साल से एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। हमारी दोस्ती तब शुरू हुई जब एक बार कॉलेज के लैब में प्रोजेक्ट के दौरान उसने मुझसे मदद मांगी। उसकी आवाज में एक मिठास थी, और उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो मुझे बार-बार उसकी तरफ खींचता था। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई। हम साथ में नोट्स शेयर करते, लाइब्रेरी में पढ़ते, और कभी-कभी कॉलेज के बाद चाय की टपरी पर गप्पे मारते। लेकिन मेरे दिल में उसके लिए कुछ और ही चल रहा था, जिसे मैं कभी कह नहीं पाया।

निशा की एक खास बात थी- वो बहुत बोल्ड थी। उसे अपने कपड़ों और स्टाइल से सबको अपनी ओर आकर्षित करना अच्छे से आता था। कभी टाइट जींस और क्रॉप टॉप, तो कभी सलवार सूट में वो ऐसी लगती थी मानो कोई अप्सरा हो। उसकी हँसी और उसकी हरकतें मुझे बेकाबू कर देती थीं, लेकिन मैं अपनी भावनाओं को छुपाता रहा।

एग्जाम का बहाना और घर का न्योता

हमारे सेमेस्टर एग्जाम नजदीक आ गए थे। मैं पढ़ाई में ठीक-ठाक था, लेकिन निशा को कुछ सब्जेक्ट्स में दिक्कत हो रही थी। एक दिन उसने मुझे कॉल किया और बोली, “राघव, तू मेरी मदद कर दे ना? मेरे घर आ जा, हम साथ में पढ़ाई करेंगे। मम्मी-पापा भी बाहर गए हैं, और मुझे अकेले समझ नहीं आ रहा।” उसकी बात सुनकर मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मैंने तुरंत हाँ कर दी और अगले दिन उसके घर के लिए निकल पड़ा।

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शनिवार की सुबह थी। मैंने अपने नोट्स पैक किए और उसके घर पहुँच गया। दरवाजा खुलते ही निशा सामने खड़ी थी। उसने काले रंग का टाइट टॉप और नीचे ग्रे लेगिंग्स पहनी थी। उसकी कर्व्स उस ड्रेस में साफ दिख रहे थे, और उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी। मैं उसे देखता ही रह गया। वो हँसते हुए बोली, “क्या देख रहा है? अंदर आ ना!” मैंने हड़बड़ाते हुए अपने जूते उतारे और अंदर चला गया।

पढ़ाई से शुरूआत, माहौल में बदलाव

हम उसके कमरे में बैठ गए। उसका कमरा साफ-सुथरा था, बेड पर एक नीली चादर बिछी थी, और दीवार पर कुछ पोस्टर्स लगे थे। हमने किताबें खोलीं और पढ़ाई शुरू की। मैं उसे मैथ्स के कुछ टॉपिक समझा रहा था, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उस पर जा रहा था। वो मेरे करीब बैठी थी, और उसकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी। एक बार उसने मेरे हाथ से पेन छीना और हँसते हुए बोली, “तू कितना सीरियस है यार, थोड़ा ढीला हो जा!” उसकी ये हरकत मेरे लिए नई थी, और मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ गई।

पढ़ाई करते-करते दो घंटे बीत गए। फिर उसने कहा, “चल, थोड़ा ब्रेक लेते हैं। मैं कॉफी बनाकर लाती हूँ।” वो किचन में चली गई, और मैं उसके पीछे-पीछे जाने का बहाना ढूंढने लगा। जब वो कॉफी लेकर आई, तो मैंने मजाक में कहा, “तेरे हाथ की कॉफी में कुछ जादू है क्या? इतनी अच्छी खुशबू आ रही है।” वो शरमाते हुए बोली, “जादू तो मुझमें है, कॉफी में क्या रखा है!” उसकी ये बात सुनकर मेरा लंड पैंट में हलचल करने लगा।

नजदीकियाँ बढ़ीं, आग भड़की

कॉफी पीते वक्त निशा मेरे और करीब आ गई। उसने अचानक मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और बोली, “राघव, तू बहुत अच्छा लड़का है। मुझे तेरे साथ वक्त बिताना पसंद है।” उसकी आँखों में एक चमक थी, और उसका स्पर्श मेरे लिए बिजली का झटका जैसा था। मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले उसने अपना चेहरा मेरे करीब लाया और मेरे होंठों को चूम लिया। मैं एकदम हैरान रह गया, लेकिन उसकी गर्म साँसें और नरम होंठ मुझे रोक नहीं पाए। मैंने भी उसे जोर से पकड़ लिया और जवाब में उसे चूमने लगा।

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हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। मैंने उसके टॉप के ऊपर से उसके बूब्स को दबाना शुरू किया। वो सिसकारियाँ लेने लगी। मेरा हाथ धीरे-धीरे उसकी लेगिंग्स के अंदर चला गया। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरी उंगलियाँ उसकी नरम चमड़ी को सहला रही थीं। वो बोली, “राघव, और मत तड़पा… कुछ कर ना!” उसकी आवाज में वासना साफ झलक रही थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी लेगिंग्स उतार दी। उसकी गोरी जाँघें और काली पैंटी देखकर मेरा लंड पूरी तरह टाइट हो गया।

पहली चुदाई का रोमांच

मैंने अपने कपड़े उतारे और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका शरीर किसी मूर्ति की तरह था- गोरा, चिकना और हर कर्व परफेक्ट। मैंने उसके निप्पल्स को चूसा, और वो मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी। फिर मैं नीचे सरका और उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराई। उसका स्वाद नमकीन और नशीला था। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी। कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई, और मैंने उसका सारा पानी चाट लिया।

अब उसने मुझे लिटाया और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर जादू कर रही थी। मैंने उसे रोका और कहा, “निशा, अब बर्दाश्त नहीं होता।” वो हँसी और बोली, “तो चोद दे मुझे, कितना इंतजार करवाएगा?” मैंने उसे फिर से लिटाया, उसके पैर फैलाए और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो तड़प रही थी और बोली, “अंदर डाल दे, प्लीज!”

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मैंने धीरे से एक धक्का मारा। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड आधा ही अंदर गया था कि वो चिल्ला उठी। उसकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन मैं रुक नहीं सका। मैंने उसे चूमते हुए एक और धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। खून की कुछ बूँदें बेड पर दिखीं, जो उसकी सील टूटने की निशानी थी। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, और वो मेरे साथ ताल मिलाने लगी। मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। कमरे में फच-फच की आवाजें और उसकी सिसकारियाँ गूंज रही थीं।

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चरम सुख और फिर शांति

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो दोबारा झड़ गई। उसकी चूत का पानी मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। वो उसे चूसते हुए मेरा सारा माल पी गई। फिर वो मेरे ऊपर लेट गई, और हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे। उसकी साँसें तेज थीं, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

कुछ देर बाद हम उठे, कपड़े पहने और पढ़ाई का नाटक करने लगे। लेकिन हम दोनों जानते थे कि हमारा रिश्ता अब दोस्ती से बहुत आगे बढ़ चुका था। उस दिन के बाद हमारी मुलाकातें और गहरी होती गईं, और हर मुलाकात में कुछ नया रोमांच जुड़ता गया।

तो दोस्तों, ये थी मेरी और निशा की कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताना। अगली बार बताऊंगा कि कैसे हमने एक बार कॉलेज की लाइब्रेरी में भी चुदाई की। तब तक के लिए, अलविदा!