पड़ोसी की चुदाई

पहली चुदाई का सुख मेरी आइटम ने मुझे दे दिया

मेरा नाम अंकुर है। ये कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड जरीना की है। दोस्तो, मैं 12वीं क्लास का स्टूडेंट हूँ। जिंदगी में एक प्यारी, हॉट और क्यूट सी गर्लफ्रेंड की तलाश में भटक रहा था। हर लड़के की तरह मेरा भी दिल किसी के लिए धड़कना चाहता था। फिर एक दिन मेरे पड़ोस में नए लोग आए। उनके परिवार में चार लड़कियाँ, दो लड़के और मम्मी-पापा थे। मेरी नजर सबसे छोटी लड़की पर टिक गई। वो थी जरीना—मेरी पहली चुदाई की मालकिन।

उसे देखते ही मेरा दिल धक-धक करने लगा। मैं हर दिन छत से उसे चोरी-चोरी ताकता। उसकी मुस्कान, उसकी चाल—सब कुछ मेरे दिल को बेकरार कर देता था। कुछ दिनों बाद उसने भी मुझे नोटिस करना शुरू किया। वो मेरी तरफ देखकर हँसती, मुस्कुराती। मेरे लिए ये इशारा था कि लाइन सेट हो रही है। एक दिन हिम्मत जुटाकर मैंने उससे बात करने का प्लान बनाया।
“हाय, तुम्हारा नाम क्या है? तुम क्या करती हो?” मैंने डरते-डरते पूछा।
“मेरा नाम जरीना है। मैं बी.ए. पास हूँ और बच्चों को डांस सिखाती हूँ,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
ये सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैं 12वीं में और वो बी.ए. पास? सोचने लगा, “ये मुझसे कैसे पटेगी?” लेकिन उसकी खूबसूरती और अंदाज़ ने मुझे पागल कर दिया था। वो हर शाम घूमने जाती, और मैं मौका देखकर उसके पीछे-पीछे चल पड़ता।

एक दिन मैंने हिम्मत करके कहा, “जरीना, मुझसे कुछ बात करनी है। कर सकता हूँ?”
“हाँ, जो भी कहना है, आराम से कहो,” उसने नरम आवाज़ में जवाब दिया।
“मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। क्या तुम भी करोगी?” मैंने दिल थामकर पूछा।
“हाँ,” कहकर वो हँसते हुए आगे बढ़ गई।
बस, फिर क्या था! हमारा रूटीन सेट हो गया। वो पहले निकलती, मैं पाँच मिनट बाद। जहाँ वो घूमती, वहाँ मैं उसका इंतज़ार करता। फिर हम बातें करते—हँसी-मज़ाक, सपने, और ना जाने क्या-क्या। 10-12 दिन ऐसे ही निकल गए। एक दिन मैंने हिम्मत करके कहा, “जरीना, मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ। क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?”
“हाँ, करती हूँ। पर तुम्हारा प्यार कबूल नहीं कर सकती। हमारी उम्र में बहुत फर्क है,” उसने उदास होकर कहा।
“जब प्यार करती हो, तो कबूल क्यों नहीं करती?” मैंने ज़िद की। लेकिन वो मना करके चली गई।

उस दिन मेरा दिल टूट गया। पहली बार सिगरेट पी। दो-चार दिन तक उससे मिलना बंद कर दिया। फिर एक शाम वो घूमते हुए मिली। उसने पूछा, “क्यों इतना रूखापन, अंकुर? मैंने कुछ गलत तो नहीं कहा था। हमारी उम्र का फर्क सच है। हमारे रिश्ते का क्या होगा?”
मैं चुप रहा। वो बोली, “ठीक है, मानती हूँ कि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन दोस्ती में रखें तो क्या बुराई है? बाद में बिछड़ें, तो तकलीफ कम होगी।”
उसकी बात में दम था। मैं मान गया। बच्चे की तरह रूठा था, और लॉलीपॉप पाकर मान भी गया।

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फिर सब पहले जैसा हो गया। बातें शुरू हुईं, और धीरे-धीरे नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं। हम रेस्टोरेंट में मिलने लगे, दिन के 2-3 घंटे साथ बिताने लगे। एक दिन रेस्टोरेंट में मैंने उसे चूम लिया। वो गुस्सा हो गई। “नहीं अंकुर, ये ठीक नहीं। हमारा रिश्ता इसकी इजाज़त नहीं देता।”
“यार, बस एक किस ही तो किया। कुछ और थोड़े कर रहा हूँ,” मैंने सफाई दी। वो मान गई। इसके बाद मौका मिलते ही मैं उसे चूम लेता। दो-तीन महीने ऐसे ही गुज़र गए। एक दिन रेस्टोरेंट में उसने पूछा, “बता, मुझमें क्या देखा जो प्यार करने लगा?”
“पहली बार तुम्हारा मासूम चेहरा देखा, तो दिल हार गया। फिर तुम्हारा व्यवहार और अब ये बदन—सब कुछ मुझे अपनी ओर खींचता है,” मैंने सच कहा।
“तो तुम मुझसे नहीं, मेरे बदन से प्यार करते हो?” उसने तंज कसा।
“नहीं, मैं तुम्हारी हर चीज़ से प्यार करता हूँ—चेहरा, अंदाज़, बदन—सब कुछ। आज तुमने पूछा, तो बता दिया। मैं झूठ नहीं बोलता,” मैंने दिल से कहा।
वो चुप रही। रेस्टोरेंट से लौटने के बाद उसके तेवर बदल गए। कई बार बात करने की कोशिश की, पर वो टालती रही। फिर एक दोस्त से उसका नंबर लिया और फोन किया।
“क्या बात है, जरीना?”
“उस दिन तुम्हारी बात सुनकर लगा कि तुम मुझसे सच में प्यार करते हो। मुझे भी एहसास हुआ कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ। पर मेरी शादी जल्दी होगी, और तुम अभी छोटे हो,” उसने उदासी से कहा।
“छोटा नहीं हूँ। उम्र कम है, पर जिस्म 20-21 साल वालों जैसा है,” मैंने हिम्मत बाँधकर कहा।
“फिर भी, जिम्मेदारी नहीं उठा सकते। शादी की सोच भी नहीं सकते,” उसने तर्क दिया।
“मुझे बस इतना पता है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। कल मिलो,” मैंने ज़िद की।
“ठीक है, कल फ्री हूँ।”
“कल मेरे घरवाले बाहर जा रहे हैं। दोपहर को मेरे घर आ जाना,” मैंने कहा। वो मान गई।

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उस रात नींद नहीं आई। अगले दिन वो दोपहर को आई। मैंने उसे ठंडा पिलाया और पास बैठ गया। कंधे पर हाथ रखकर पूछा, “अब खुलकर बता, क्या बात है?”
“मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन हमारी शादी नहीं हो सकती। खुद से नाराज़ हूँ कि तुमसे प्यार क्यों किया,” उसकी आँखें नम थीं।
“जो हो गया, सो हो गया। हम प्यार करते हैं,” कहते हुए मैंने उसे चूम लिया। उसने विरोध नहीं किया। मुझे लगा—रास्ता साफ है। लड़कों की आदत होती है ना, मौका ढूँढते रहते हैं। मैंने फिर उसे चूमा। वो चुप रही। उसके चेहरे को उठाकर माथे पर किस किया। उसने मुझे गले लगा लिया। पहली बार किसी लड़की की गर्माहट महसूस की। होंठों पर चूमना शुरू किया। वो भी साथ देने लगी। मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया। उसने मेरा हाथ हटाया, पर दूसरी बार कुछ नहीं कहा।

मैंने सूट के ऊपर से उसके बूब्स दबाए। पहली बार का मज़ा था—फिल्मों में देखा था, पर अब असल में कर रहा था। उसका सूट अंदर डाला, बूब्स दबाए। वो कसमसाई, पर फिर मज़े में आ गई। मैंने उसका सूट ऊपर खींचा। “ये क्या कर रहे हो?” उसने टोका।
“प्यार कर रहा हूँ, जरीना। ना जाने फिर मौका मिले ना मिले। प्लीज़ मना मत करो,” मैंने मिन्नत की। वो चुप रही। मैंने सूट उतारा। वो सलवार और कमीज़ में थी। उसे खड़ा किया, पीछे से गले लगाकर चूमने लगा। एक हाथ से बूब्स दबाए, दूसरे से चूत सहलाई। उसका जोश बढ़ रहा था। कमीज़ उतारी—वो ब्रा और सलवार में थी। पहली बार किसी लड़की को ब्रा में देखा। मेरा लंड पैंट फाड़ने को तैयार था।

टी-शर्ट, जींस उतारी। उसकी सलवार खींच दी। वो ब्रा-पैंटी में, मैं अंडरवियर-बनियान में। वो मुझसे चिपक गई, पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने ब्रा का हुक खोला। “आह्ह… ऊफ्फ्फ!” क्या मस्त बूब्स थे—दूध जैसे सफेद, गोल-मटोल, मुलायम। उन्हें दबाया, निप्पल चूसा। वो सिसकारियाँ लेने लगी। पैंटी उतारी, अपने कपड़े भी। अब हम नंगे थे। उसे लिटाया, ऊपर चढ़कर चूमने लगा, बूब्स दबाए। मेरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में डाला, पर पहला झटका लगते ही पानी छूट गया। समझ आया—पहली बार ज्यादा गर्म हो गया था।

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लंड धोकर आया। उसके बूब्स सहलाए। वो मेरा बदन सहलाकर मुझे गर्म करने लगी। लंड फिर खड़ा हुआ। चूत पर रखा, आधा अंदर डाला। वो दर्द से चीखी। उसकी चीख सुनकर डर गया—लगा साली माँ को बुला लेगी। लंड थोड़ा बाहर निकाला। एक मिनट बाद धीरे-धीरे पूरा अंदर डाला। धक्के शुरू किए। वो कराहती रही, “आह्ह… ऊह्ह… बस करो!” पर मैं रुका नहीं। कुछ देर बाद उसका दर्द मज़े में बदल गया। वो बोली, “जोर से चोदो!” मैं पागल होकर धक्के देने लगा।

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5-6 मिनट बाद हम झड़ गए। बेहाल होकर चिपक गए। उसने शर्म से मुँह मेरी छाती में छुपाया। पाँच मिनट बाद वो कपड़े पहनकर बोली, “मुझे जाना है। बाद में आऊँगी।” और चली गई। मैं दरवाज़ा बंद करके उसे याद करता रहा। नहाया, कपड़े पहने। दोस्तो, पहली चुदाई का वो मज़ा आज भी मेरे दिल में रोमांच भर देता है।

उसके बाद उसे छूने का मौका नहीं मिला। दो हफ्ते बाद उसके पापा का ट्रांसफर हो गया। वो चली गई। बाद में पता चला, उसकी शादी हो गई, एक बच्चा भी है। एक बार वो अपने भाई से मिलने आई। मुझे देखकर मुस्कुराई। मैंने बात नहीं की—डर था कहीं उसका बच्चा मुझे “मामू” ना कह दे। जिसे चोदा हो, उसका बच्चा मामू कहे, तो अच्छा नहीं लगता।