बाप बेटी की चुदाई

Papa Ki Randi Beti Lund Chus Rahi Hai Papa Ka-3

(Papa Ki Randi Beti Lund Chus Rahi Hai Papa Ka-3)

लेकिन पापा की ज़िद थी कि इसको चुप करा जाओ, तो में तेज़ी से उनका लंड अपने मुँह में लेकर जल्दी-जल्दी ऊपर नीचे करने लगी। अब अभी तक हम क़िसी मुकाम पर पहुँचे नहीं थे कि इतने में बाहर घंटी बजी। तो मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ भागी और बाहर जाकर देखा, तो मेरा छोटा भाई अनमोल खड़ा था और मुझे देखते ही वो मेरे गले में बाहें डालकर लिपट गया। वो कभी-कभी मुझे टीस करता रहता था, लेकिन मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा था, लेकिन आज बात कुछ और थी।

फिर मैंने उसे किचन में चाय बनाने के लिए कहा और पापा को जाकर बताया और जल्दी से तैयार होने को कहा, जिससे की उसे शक ना हो। फिर थोड़ी देर के बाद पापा काम पर चले गये और में भी अपनी चुदाई की थकावट मिटाने के लिए फिर से सो गयी। अब रात की चुदाई की थकावट से मुझे जल्दी ही नींद आ गयी और सपने में खो गयी। अब मुझे ऐसा लगा जैसे कोई हाथ मेरी चूचीयों को मसल रहा है, तो मैंने धीरे से करवट बदली, तो मेरे भाई ने हड़बड़ा कर अपना हाथ खींच लिया, तो में समझ गयी और सोने का नाटक करने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद जब मेरे भाई को लगा की में गहरी नींद में हूँ तो उसने अपना लंड बाहर निकालकर मेरे मुँह में दे दिया और अंदर बाहर करने लगा।              “Papa Ki Randi Beti”

फिर जैसे ही उसने टेन्शन में अपनी थोड़ी स्पीड बढ़ाई तो मैंने झट से अपनी आँखें खोल दी और वो घबरा गया। लेकिन अब में भी गर्म हो चुकी थी और मुझे भी दो-दो लंड का स्वाद मिलने वाला था इसलिए मैंने उससे कहा कि कोई नहीं में तेरी बड़ी बहन हूँ और में उसका ध्यान नहीं रखूँगी तो कौन रखेगा? लेकिन मैंने उससे एक वादा लिया की इस बात का पता मम्मी, पापा को ना लगे। फिर मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और स्पीड से आगे पीछे कर रही थी। अब मुझे ऐसा लग रहा था की उसका लंड मोटा होता जा रहा है और मेरे मुँह में नहीं समा पा रहा है। लेकिन फिर उसका लंड मेरे मुँह में फिट हो गया और उसने कुछ देर के बाद एक ज़ोर से पिककरी छोड़ते हुए मेरे मुँह को भर दिया। तो मैंने उसके वीर्य को अपने मुँह में लेकर भाई की तरफ देखा, तो वो बोला कि तुम्हारा तो ब्रेकफास्ट हो गया। तो में उसे निगलकर हंसकर बोली कि हाँ भाई अभी यह ब्रेकफास्ट है और दोपहर को लंड चूत का लंच लूँगी और फिर देर रात को डिनर, आज की डिश तो एक ही रहेगी, लेकिन बस समय अलग-अलग रहेगा।                       “Papa Ki Randi Beti”

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अब भाई को कॉलेज जाना था इसलिए में हट गयी और भाई नहाकर तैयार होने लगा। तो मैंने कहा कि भाई कब आएगा? तो उसने कहा कि दीदी वैसे जाने का मन तो नहीं है, लेकिन आज एक्सट्रा क्लास है तो लेट आऊंगा। तो में लंच पर पापा का इंतजार करने लगी, लेकिन पापा लंच के बहुत पहले ही वापस आ गये। फिर पापा ने मेरी तरफ देखा और बोले कि अरे में ऑफीस कहाँ जा पाया हूँ, में तो सिर्फ़ हवा खाने गया था तो तुरंत वापस लौट आया। अब में सोचने लगी थी जो कुछ हुआ क्या ठीक हुआ? अब मेरा मन कहता कि नहीं, तो कभी कहता कि चलो सब ठीक है। फिर कुछ देर के बाद पापा ने मुझे बेडरूम में बुला लिया और मेरा गाउन खोलकर मेरी चूचीयाँ दबाने लगे। अब मुझे बहुत आनंद आ रहा था और मेरी चूत में खलबली मची हुई थी।                             “Papa Ki Randi Beti”

अब वो मेरे बदन को चूम रहे थे कि अचानक से बोले कि क्यों कंचन तुम्हारी चूचीयाँ तुम्हारे मन से बहुत बड़ी है? कोई दवाई लेती हो यहाँ हाथ से खींचती, खिंचवाती हो। तो मैंने झूठ बोला कि नहीं पापा सब कुछ नैचुरल है कोई दबाई नहीं, कोई खीचाई नहीं है। फिर पापा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी चूत की फांके खोलकर देखने लगे, अब वो हल्के-हल्के मेरी चूत को बड़ा रहे थे। अब मेरी हालत इतनी खराब थी की मुझे कुछ देर बाद ही प्रेकुं का अहसास होने लगा और मेरे बाप के हाथ गीले हो गये और वो अपने हाथ को चाटने लगे। तो मैंने कहा कि पापा अगर चाटना है तो मेरी प्यारी चूत को चाटो, तो वो तुरंत मेरी चूत पर आ गये और में उनका लंड अपने एक हाथ में लेकर चूमने लगी। अब उनका भी वीर्य मेरे मुँह में जा रहा था। फिर कुछ देर के बाद पापा मेरे उपर सवारी करने लगे और उनका लंड देवता मेरी चूत रानी के अंदर प्रवेश कर गया और फिर शुरू हुए धक्को के कहानी, क्योंकि हम दोनों का प्रेकुं मिल रहा था इसलिए मेरी चूत से फट-फट और फच-फच की आवाजे आने लगी थी।                                “Papa Ki Randi Beti”

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अब मुझे भी अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी इसलिए में चीख रही थी और मौन कर रही थी उहह अहह, ऑच ममम्ममममममममममममममम मज़ा आ रहा है पापा और जोर से चोदे जाओं। अब उनका लंड अंदर बाहर बिल्कुल पिस्टन की तरह चल रहा था और देखते ही देखते वो डिसचार्ज हो गये, तो मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे क़िसी ने गर्मा गर्म लोहा डाल दिया हो। अब मेरी चूत में आनंद की कोई सीमा नहीं रही थी इसलिए में मस्त थी और अपने पापा से चुदवा रही थी और इस तरह मुझे जब भी मौका मिलता, तो में पापा से चुदती और पापा भी कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते थे और हाँ भाई के साथ में सिर्फ़ उसका लंड चूस-चूसकर उसे शांत कर देती थी। अब मेरी शादी हो गयी है, लेकिन मुझे पापा के साथ की हुई चुदाई जैसा मज़ा नहीं मिला है और उस घड़ी का इंतजार कर रही हूँ, जब में वापस से पापा के साथ चुदाई का मज़ा लूँगी।                           “Papa Ki Randi Beti”

//समाप्त//