पति से ज्यादा मजा देता है जीजा जी का लंड
गुरुग्राम की 22 साल की करुणा की सच्ची कहानी। जीजा जी के मोटे लंड और पति के छोटे लंड के बीच फंसी करुणा की चुदाई की दास्तान। चूचियाँ मसलना, चूत चाटना और ताबड़तोड़ चुदाई की ये हॉट स्टोरी आपको पागल कर देगी!
हाय दोस्तों, मेरा नाम करुणा द्विवेदी है। मैं 22 साल की हूँ और गुरुग्राम की रहने वाली हूँ। आज मैं आपको अपनी जिंदगी का वो सच सुनाने जा रही हूँ, जिसमें दो लंडों का मजा था, और ये बताऊँगी कि मुझे कौन सा सबसे ज्यादा भाया और क्यों। मेरे घर में माँ-पापा और मेरी बड़ी दीदी हैं, जिनकी शादी पिछले साल हुई। मेरे जीजा जी—हाय, क्या कहूँ—एकदम हॉट और मस्तमौला इंसान हैं। उनकी नजरें ऐसी कि जिस्म को भेद दें। दीदी की शादी के मंडप में ही जीजा जी ने मेरी चूचियों को कसकर दबा दिया था। उसी पल मुझे अहसास हो गया था कि दीदी के साथ-साथ मेरी चूत की भी प्यास वो जरूर बुझाएँगे।
शादी के अगले ही दिन दीदी माँ के साथ मंदिर गई थीं। घर पर मैं और जीजा जी अकेले थे। मौका देखते ही वो किचन में मेरे पीछे आ गए। पहले तो उन्होंने मेरे रसीले होंठों को चूस-चूसकर लाल कर दिया, फिर पीछे से अपनी सख्त लंड मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगे। उनके दोनों हाथ मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों को मसल रहे थे। दोस्तों, उस पल मेरी चूत से पानी टपकने लगा। उनके मोटे लंड का वो पहला स्पर्श मेरे जिस्म में आग लगा गया। मैं भी मौके की तलाश में रहने लगी कि कब जीजा जी से चुदाई का सुख लूँ। लेकिन दीदी की नजरें हर वक्त अपने हसीन पति को मुझसे दूर रखने की कोशिश में रहती थीं। फिर भी, जीजा जी चोरी-छिपे मेरी चूचियों को दबा ही लेते और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लेते।
एक दिन की बात है। दीदी को अपेंडिक्स का ऑपरेशन होना था। रात में हॉस्पिटल में सिर्फ एक अटेंडेंट को रुकना था, तो मम्मी वहीं रुक गईं। पापा उस वक्त बेंगलुरु गए हुए थे। रात के 11 बजे मैं और जीजा जी घर लौट आए। बस, घर में कदम रखते ही जीजा जी मुझ पर टूट पड़े। उन्होंने मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। एक पल को लगा कि ये गलत है, लेकिन उनकी गर्म साँसें और प्यार भरी छुअन ने मुझे पिघला दिया। मैंने भी अपने प्यारे जीजा को गले से लगा लिया। फिर क्या था—उन्होंने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गए। मेरी टी-शर्ट को वो पलक झपकते उतार गए। मेरी मस्त चूचियाँ अभी ब्रा में कैद थीं, लेकिन ऊपर से देखते ही उनके मुँह से निकला, “वाह, क्या माल है!” फिर पीछे से मेरी ब्रा के हुक खोल दिए।
दोस्तों, वो मेरे जिस्म पर ऐसे टूटे जैसे कोई प्यासा पानी पर। मैं भी उतनी ही प्यासी थी। मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया, उनकी छाती के हल्के-हल्के बालों को सहलाने लगी। उन्होंने मेरे दोनों हाथ ऊपर उठाए और मेरी काँख के बालों को चाटना शुरू कर दिया। मुझे एक अजीब-सी सिहरन हुई, गुदगुदी के साथ-साथ मजा भी आ रहा था। फिर वो नीचे आए, मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरी नाभि में जीभ डालकर उसे गीला कर दिया। असली खेल तो अब शुरू हुआ था। उन्होंने मेरी चूत के हल्के बालों को प्यार से सहलाया और मुस्कुराते हुए पूछा, “ये अभी तक अनटच है?” मैंने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया, क्योंकि मैं सचमुच वर्जिन थी।
उसके बाद जीजा जी ने मेरी चूत को फैलाकर देखा और बोले, “अंदर से तो बिल्कुल खरबूजे की तरह लाल है। आज मैं इसका जूस निकालूँगा, मेरी प्यारी साली साहिबा।” मैंने शरारत से कहा, “देखती हूँ कैसे निकालते हो, पर पहले उंगली डालकर तो देखो—मैंने तो पहले से ही जूस तैयार कर रखा है।” जैसे ही उनकी उंगली मेरी चूत में गई, गीला-गीला रस बाहर निकलने लगा। उन्होंने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया और बोले, “क्या गजब का स्वाद है, तेरी चूत की बात ही अलग है, मेरी जान!” फिर वो मेरी चूत पर टूट पड़े। उनकी जीभ मेरे अंदर तक नाच रही थी। मैं सिसकारियाँ लेने लगी— “आह्ह… जीजा जी… और जोर से!” काफी देर चाटने के बाद मेरी चूत में खुजली बेकाबू हो गई। मैंने कहा, “जीजा जी, अब देर मत करो, मेरी प्यास शांत कर दो!”
फिर क्या था—उन्होंने अपना हथौड़े जैसा लंड बाहर निकाला। मोटा, सख्त, और गर्म। मेरी चूत के छेद पर टिकाते ही एक जोरदार धक्का मारा। पहली बार थी मेरी, तो चूत फट-सी गई। दर्द के साथ रस भी निकला, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। अपने चूतड़ उठा-उठाकर मैंने भी धक्के देने शुरू कर दिए। वो ऊपर से पेल रहे थे, मैं नीचे से जवाब दे रही थी। कमरा “फच-फच” की आवाजों से गूँज उठा। मेरे मुँह से बस “आह्ह… आह्ह… आह्ह…” निकल रहा था, और जीजा जी कह रहे थे, “ले साली, ले… देख लंड का कमाल!” उस रात उन्होंने मुझे चार बार चोदा। सुबह हम दीदी को लेने हॉस्पिटल गए, और शाम को वो घर आ गईं।
फिर तो मौका मिलते ही चुदाई का खेल चलता—कभी बाथरूम में, कभी किचन में, कभी छत की सीढ़ियों पर। दस दिन तक जीजा जी ने मुझे खूब रगड़ा। फिर मेरी शादी तय हो गई। पंद्रह दिन में शादी हो गई, और विदाई के लिए दिन ठीक न होने की वजह से सुहागरात मेरे ही घर में हुई। मेरा पति लंबा-चौड़ा, हट्टा-कट्टा, और खूबसूरत था। मैं सोच रही थी कि अब तो लंड का मजा रोज मिलेगा। दूध का गिलास लेकर मैं घूँघट में तैयार थी। मेरी चूत और चूचियाँ फड़क रही थीं। वो आए, थोड़ी बातचीत हुई, फिर मेरे होंठ चूसते हुए मुझे लिटा दिया।
उन्होंने मुझे इतना छेड़ा कि मैं पानी-पानी हो गई। कभी चूत पर हाथ, कभी चूचियों पर मुँह, कभी गांड में उंगली, कभी नाभि पर जीभ—मेरा हर अंग थर्रा रहा था। मैं इतनी गर्म हो गई कि उस पल मुझे हाथी का लंड भी मिलता तो अंदर ले लेती। मैंने तड़पकर कहा, “देर मत करो, मैं पागल हो जाऊँगी!” फिर उन्होंने अपना लंड निकाला। मैं देखकर दंग रह गई—शरीर जितना शानदार था, लंड उतना ही निराशाजनक। खड़ा होने पर मुश्किल से 3 इंच का। मेरी मदमस्त जवानी और ये बूढ़े जैसा लंड? उन्होंने बड़ी मुश्किल से मेरी चूत में डाला, लेकिन दो मिनट में ही झड़ गए और सो गए। मेरा जिस्म चुदाई के लिए तड़प रहा था, पर वो गहरी नींद में खो गए।
पांच मिनट तक सोचने के बाद मैंने जीजा जी को व्हाट्सएप किया। वो बोले, “दीदी सो गई हैं, और मैं तुम्हारी याद में जगा हूँ। लगता है मेरी जिंदगी का एक टुकड़ा खो गया।” मैंने कहा, “छत पर आ जाओ।” वो आए, और मैंने अपनी तड़पती जिस्म उनके हवाले कर दी। असल सुहागरात तो जीजा जी ने ही मनाई। उनकी चुदाई ने मुझे वो सुख दिया जो पति कभी नहीं दे पाया।
HotSexStory.xyz के रीडर्स, आजकल मैं बहुत परेशान हूँ। जीजा जी से चुदवाती थी, पर अब वो एक साल के लिए विदेश जा रहे हैं। मेरा पति किसी काम का नहीं। अगर कोई दिल्ली से है और मुझे चोदकर मेरी प्यास बुझाना चाहता है, तो नीचे कमेंट और रेट करें। फोन नंबर नहीं, सिर्फ मैसेज और ईमेल आईडी दें।
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