पड़ोसी की चुदाई

प्यारी पड़ोसन गुंजन की चुदाई

Pyari padosan gunjan ki chudai

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम संजीव है और मेरा लंड 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है, मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है और रंग गोरा है. आज से पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था, लेकिन इतनी सारी कहानी और ब्लू फिल्म देखने के बाद मुझमें सेक्स करने की आग दिनों दिन बढ़ने लगी थी. अब में जिस लड़की या आंटी को देखता था तो गंदी नजर से ही देखता था और उनको देखते ही उनके साथ सेक्स करने के बारें में सोचने लगता था.

तभी हमारे घर के बाजू में नयी-नयी एक आंटी आई थी, उनका नाम गुंजन था. हमारे घर की और उनके घर की छत पास-पास ही थी, तो वो रोज रात को छत पर आती थी और में भी जानबूझकर उसी टाईम पर छत पर जाया करता था. में बस उसकी चूचीयों और चुत्तड को ही देखता रहता था. उसका फिगर 34-28-26 था, वो बहुत सुंदर और सेक्सी थी. तो तभी मैंने सोचा कि सिर्फ़ देखने से तो काम नहीं चलेगा, तो एक दिन वो छत पर घूम रही थी, तो मैंने उसके सामने अपनी चड्डी में हाथ डाल दिया और धीरे-धीरे मूठ मारने लगा. तो उसने देखा तो उसे भी अच्छा लगा.

अब वो जानबूझकर अनदेखा कर रही थी, लेकिन बार-बार मेरी तरफ देख रही थी, तो ऐसा मैंने 3-4 दिन तक किया और फिर एक दिन में उसके सामने अपना पूरा लंड बाहर निकालकर बैठ गया. अब वो मेरे सामने बैठी थी और अपनी फटी हुई आँखों से मेरे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. तभी पता नहीं अचानक से उसे क्या हुआ? वो उठकर चली गयी. तो में डर गया कहीं ये मम्मी से कहने तो नहीं चली गयी है. फिर में छत पर ही बैठा रहा और बाद में घर गया, तो कुछ नहीं हुआ था. फिर अगले दिन वो छत पर नहीं आई, तो में सीढ़ियों पर ही बैठ गया तो थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि उसका पति सूटकेस और सामान लेकर ऑटो में कहीं जा रहा था.

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फिर जब वो चला गया तो उसने मेरी और देखा और मुस्कुराई. अब में सब कुछ समझ गया था. फिर जब में अगले दिन कॉलेज जा रहा था तो मैंने उनके घर के बाहर रखा अख़बार उठाया और उनके घर की घंटी बजाई, तो वो बाहर आई. फिर मैंने देखा कि उन्होंने बहुत पतले कपड़े की नाइटी पहन रखी थी और अंदर कुछ नहीं पहने था. फिर में बहुत देर तक उनकी चूचीयों को ही घूरता रहा., तो उन्होंने बोला कि अंदर आ जाओ. तो में अंदर चला गया और भूल गया की मुझे कॉलेज भी जाना है और फिर वो नहाने चली गयी. अब वो नहा रही थी, उसने टावल बाहर ही छोड़ दिया था. तो तब उन्होंने मुझे टावल देने को कहा, तो मैनें उन्हें टावल दिया और वो नहाने लगी.

फिर जब वो नहाकर वापस आई, तो मैंने देखा कि उन्होंने अपने गीले शरीर पर ही नाइटी पहन ली थी और अंदर कुछ नहीं पहना था और उनकी चूचीयाँ और चूतड़ साफ-साफ नजर आ रहे थे. अब मेरा लंड यह सब देखते ही खड़ा हो गया था. अब में बस अपनी फटी आँखों से आंटी की तरफ देख रहा था और अब आंटी आकर मेरे सामने बैठ गयी थी.

अब मुझसे तो कंट्रोल ही नहीं हो रहा था. अब में बस उन्हें घूरे ही जा रहा था. फिर तभी आंटी मेरी तरफ मुस्कुराकर बोली कि क्या देख रहे हो? तो मैनें कहा कि कुछ नहीं. फिर वो बोली कि देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी. फिर यह सुनकर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी. फिर में आंटी के पास गया और आंटी को ज़ोर से दबोच लिया. अब मैंने उन्हें इतनी ज़ोर से दबोचा था कि आंटी चीख निकल पड़ी थी और वो बोली कि आराम से करो. फिर मैंने आंटी को पकड़कर ज़ोर से उन्हें किस किया तो उन्होंने भी मेरा साथ दिया.

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फिर मैंने अपनी जीभ आंटी के मुँह में डाल दी और उन्होंने भी मेरे मुँह के अंदर अपनी जीभ डाल दी और हम काफ़ी देर तक ऐसे ही किस करते रहे. फिर मैंने आंटी की नाइटी फाड़ दी. अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी और वो शर्मा गयी और अपनी चूचीयों पर अपने दोनों हाथ रख लिए थे.

फिर मैंने आंटी से पूछा कि अब क्यों शर्मा रही हो? क्या चुदवाना नहीं है? तो उन्होंने कहा कि ऐसा मत कहो, में तो उस दिन से तुमसे चुदवाना चाहती थी जब से तुम्हारा लम्बा लंड देखा है और फिर आंटी ने मेरे कपड़े भी खोल दिए. अब हम दोनों पूरे नंगे थे. फिर मैंने आंटी को बिस्तर पर लेटाया और उनकी चूचीयों को चाटने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा था.

अब वो सिसकारियाँ भर रही थी आह, आहह, आहह और में बीच-बीच में आंटी के निपल भी काट देता था, तो उनके मुँह से चीख निकल जाती थी. फिर ऐसा हमने काफ़ी देर तक किया. फिर में 69 की पोज़िशन में लेट गया और आंटी की चूत को चाटने लगा. तो वो और ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी आह, आहह, आहह और ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी, क्या मज़ा आ रहा था? तो तभी इतने में आंटी झड़ गयी और अपना पानी छोड़ दिया, लेकिन फिर भी में आंटी की चूत को चाट रहा था.

फिर तभी आंटी थोड़ी देर के बाद बोली कि बस अब और मत तड़पाओ, अब लंड डाल भी दो. फिर मैंने कहा कि ठीक है, तो उन्होंने कहा कि जरा धीरे से डालना, तुम्हारे अंकल का काफ़ी छोटा और पतला है.

फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा आंटी की चूत के मुँह पर रख दिया और एक झटका लगाया तो मेरा लंड 2 इंच तक अंदर चला गया, तो आंटी जोर से चीख पड़ी. फिर मैंने एक और झटका लगाया तो मेरा लंड 1 इंच और अंदर चला गया.

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फिर मैंने आंटी को किस किया और एक बहुत ज़ोर से झटका लगाया तो मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया. फिर आंटी की ज़ोर से चीख निकल गयी, लेकिन उसकी चीख बाहर नहीं आ सकी, क्योंकि मैंने किस जो कर रखा था. अब आंटी की आँखों में से आँसू आ गये थे. फिर मैंने 5 मिनट तक कुछ नहीं किया और फिर में धीरे-धीरे धक्के मारने लगा.

अब आंटी सिसकारियाँ भर रही थी आह, आह, आहह और अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था, तो तभी वो बोली कि और ज़ोर से चोदो मुझे, फाड़ डालो मेरी चूत को और ज़ोर से चोदो. अब में जितना ज़ोर से हो सकता था धक्के मारने लगा था और आंटी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी आआआहहह, आहह, आहह और आंटी फिर से झड़ गयी और ज़ोर-ज़ोर से आहह, आहह, आहह, आहह करने लगी, लेकिन मैंने अपने धक्के मारने जारी रखे और उन्हें चोदता रहा.

फिर मैंने आंटी को काफ़ी देर तक चोदा और अब जब में झड़ने वाला था तो मैंने आंटी को बता दिया, तो आंटी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और फिर उन्होंने मेरा पूरा वीर्य पी लिया. फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गये, अब में आंटी के ऊपर लेटा था. फिर मैंने आंटी से पूछा कि अंकल कहाँ गये है? तो उन्होंने कहा कि काम से बैंगलोर गये है. फिर आंटी ने कहा कि मुझे चुदवाने में इतना मज़ा आज तक कभी नहीं आया था और फिर उन्होंने कहा कि तेरे साथ चुदवाने में तो किसी को भी मज़ा आएगा. फिर मैंने अगले 7 दिन तक आंटी को खूब चोदा और अंकल के आने के बाद भी मौका मिलने पर उनको खूब चोदा.