Bhabhi Sex

प्यासी भाभी की हॉट चुदाई-2

(Pyasi Bhabhi ki  hot Chudai-2)

में : अच्छा तभी मुझे लग रहा था कि बाहर दरवाजे पर कोई तो है और मुझे शक था.. लेकिन कुछ कह नहीं सकता था कि वो कौन है? तभी फिर तुम बाथरूम में भाग गयी थी.. उंगली करने.. है ना?

भाभी : हाँ मेरे देवरजी तुमने सही जाना और उस खंबे को देखकर मुझसे रुका नहीं गया.. क्या चीज़ पाई है तुमने यार. अब मैंने और भाभी ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया था और हम दोनों ही एक दूसरे को कसकर दबोच लेना चाहते थे. मैंने उन्हें ज़ोर से गले लगाया आहा क्या एहसास था वो? नरम और गरम बूब्स मेरे सीने में घुसे जा रहे थे और वो गरम बदन मेरे सारे शरीर में करंट दौड़ा रहा था. फिर मैंने भाभी के दोनों होठों को अपने मुँह में भर लिया और बड़े प्यार से उनको चूस रहा था.

भाभी गरम होने लगी थी और मेरे बालों पर उंगलियाँ घुमाते हुए मेरे होठों का स्वाद ले रही थी. हम दोनों वहीं पर हॉल में बिछे हुए कालीन पर ही ढेर हो गये और एक दूसरे को बाहों में कसकर एक जगह से दूसरी जगह रोल करते रहे और फिर थोड़ी देर बाद जब हमारा किस ब्रेक हुआ तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर हंसने लगे.

भाभी : शीईई यार तुम बहुत हॉट हो तुम्हारे साथ करने में बड़ा मज़ा आने वाला है.. लेकिन क्या यह करना ग़लत तो नहीं होगा ना?

में : अरे भाभी अब इतना कर लिया.. तुमने मेरा लंड देख लिया.. अब क्या सही और क्या ग़लत और वैसे भी हम दोनों के दो रिश्ते हैं में तुम्हारा देवर हूँ यानी की दूसरा वर और तुम मेरी साली हो यानी की आधी घरवाली तो फिर सोचने को बचा ही क्या? आख़िर रिश्ता भी हमें इस बात की इजाज़त दे रहा है.

भाभी : वाह तुम बहुत स्मार्ट हो किसी को मनाना या पटाना और बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे.

में : अच्छा मेरी आधी घरवाली.

भाभी : हाँ मेरे दूसरे वर चलो अब खेल का मज़ा लेते हैं.. तुम अपना हथियार दिखाओ ना.

में : तुम खुद ही निकाल कर देख लो तुम्हारा भी तो आधा अधिकार है उस पर. इतना सुनकर भाभी ने मेरे ट्राउज़र को मेरी टाँगों से अलग कर दिया और फिर एक ही झटके में मेरे अंडरवियर को निकाल कर दरवाजे पर फेंक दिया और मेरा लंड एकदम चिकना और तेल की वजह से चमकदार होकर भाभी जैसी हॉट और सेक्सी औरत के सामने सलामी देने लगा. भाभी की आँखों में चमक आ गयी और उन्होंने एकदम दोनों हाथों में लंड को भरकर दबाया और उसको अपनी जीभ से चाटने लगी. तो मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी भाभी लंड को चूसने और चाटने लगी कमरे में उनकी साँसों और मेरी सिसिकियों की आवाज़ें गूंजने लगी.

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भाभी : यार मस्त है तुम्हारा लंड मज़ा आ गया है उई माँ.

फिर में भाभी के बालों में हाथ घुमा रहा था और कभी कभी उनके बालों को पकड़ कर लंड को उनके मुँह में अंदर बाहर करता.. बड़ा मजा आ रहा था और जब मेरे कंट्रोल से बाहर होने का टाईम आने लगा तो मैंने भाभी को रोका और उनको ऊपर उठाने की कोशिश की.. लेकिन वो नहीं मानी और वो भी मेरे लंड को मुँह से निकाल कर लंड के आस पास का हिस्सा चाटने लगी. वो इतना मजा दे रही थी कि में बता नहीं सकता.. दोस्तों ऐसा मजा सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है. फिर उनके द्वारा की जा रही गुदगुदी से में बहुत गरम हो चुका था और मेरे लंड महाराज ने अपना फव्वारा चालू कर दिया और मेरे लंड से सारा वीर्य निकलकर बाहर आ गया.. जो कुछ भाभी के बदन पर गिरा और कुछ नीचे कालीन पर.

भाभी : हाई जाने मन मजा आ गया.. तुम बहुत अच्छे हो में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. देवर जी.

फिर मैंने भाभी को सीधा खड़ा किया और उनकी साड़ी जो पूरी तरह अस्त व्यस्त थी उसको धीरे धीरे उनके गोरे बदन से अलग किया. फिर मैंने उनको ज़बरदस्त तरीके से बाहों में कस लिया और उनके होठों को चूमने और चूसने लगा. फिर पीठ पर हाथ ले जाकर ब्लाउज की डोरी खोली और उनके ब्लाउज को उतार फेंका. तो इसके बाद बारी थी उनकी गुलाबी रंग की ब्रा की.. पहले तो मैंने उनकी पीठ पर बहुत देर तक हाथ घुमाया और उसके बाद ब्रा के हुक खोल दिए और भाभी का गदराया हुआ बदन नंगा कर दिया और जैसे ही भाभी से मेरी नज़रें मिली वो शरमा गयी और अपने हाथों से अपने बूब्स छुपाने लगी. तो मैंने उनके हाथों को हटाते हुए उनके एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा.. क्या आनंद आ रहा था? ग़ज़ब का अहसास था वो दोस्तों और बहुत देर उनके बूब्स के साथ खेलने के बाद मैंने उनके पेट को जमकर चाटा और दबाया. तो वो सिसकियाँ भर रही थी और तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थी जैसे उई माँ ऊई उफ्फ्फ उम्म्म्म मेरी जान देवर जी. फिर में यह सब सुनकर और भी ज़्यादा कामुक हो गया. तो मैंने उसके पेटिकोट के नाड़े को अपने दाँतों से खोला और पेटिकोट को फिर नीचे सरकाया और पैरो से अलग कर दिया. फिर में जो देख रहा था वो थी दुनिया की वही चीज़ जिसके लिए सारे लड़के और आदमी पागल हैं.. उनकी गुलाबी पेंटी में छुपी वो पाव रोटी के समान फूली हुई चूत. वो मुझे न्योता दे रही थी.. तो मैंने पेंटी की एलास्टिक में हाथ डाला और उसको उन जांघों और कूल्हों से अलग कर दिया.. लेकिन पेंटी चूत के रस की वजह से भीग चुकी थी और मैंने भाभी को नीचे कालीन पर लेटा लिया और उनके ऊपर चढ़ गया. तो मेरा पूरा नंगा बदन भाभी के पूरे नंगे बदन से चिपक गया और हम दोनों बहुत गरम हो गये थे. फिर में उनका पूरा शरीर ऊपर से नीचे तक चाटते हुए नीचे बढ़ रहा था और उनकी चूत पर पहुँचकर मैंने अपनी दो उंगलियाँ चूत में घुसा दी उफफ क्या अहसास था? मेरी उंगलियाँ मानो मक्खन के मुलायम केक में घुस गयी हो ऐसा अहसास आ रहा था.. लेकिन वो केक बहुत गरम भी था और चूत जल रही थी.

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मैंने उन्हें इतनी देर उंगलियों से चोदा जब तक कि वो झड़ ना गयी. उनकी आवाज़ें मुझे मस्त कर रही थी.. हो अहैइ आआअहह उउम्म्म्मन्ंह उ मार गयी श्श्स छोड़ो मुझे.. ये लंड घुसा दो अब बर्दाश्त नहीं होता ये चिकना और लम्बा.. मेरा तो वैसे ही बुरा हाल था इन आवाज़ों को सुनकर मैंने कड़क हो रहे लंड को हाथ में पकड़ा और भाभी की हॉट चूत के मुँह पर रखा, भाभी सिसिया उठी.. उई माँ हाईई मैंने अपने पूरेर बदन को भाभी के मखमली बदन पर चढ़ा दिया और उनकी नेक को किस करते हुए एक ही झटके में लंड को उनकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर घुसा दिया.

भाभी : हाय में मर गयी.. मार डाला उफ्फ्फ चीर दे मेरी चूत.

में : क्या भाभी चूत है अपकी और इतनी अनुभवी होकर ऐसे कर रही हो उफफ अहह.

भाभी : ओह जानू मेरी जान तुम्हारा लंड है ही इतना ज़बरदस्त और मज़ेदार.. मेरी चूत में नया रास्ता बना दिया है जो और भी गहरा हो गया है.. ऐसा लग रहा है जैसे कि लोहे की रोड डाल दी हो तुमने.. उम्म्म्म ओह्ह्ह उईई.

फिर भाभी को मजा भी बहुत आ ररा था और थोड़ा दर्द भी था और शायद मेरे शॉट से उनकी चूत की दीवारें थोड़ी छिल गयी थी. वो अपने होठों को अपने एक होंठ से दबाकर पड़ी थी. मैंने उन्हें प्यार से चूमना और चूसना शुरू कर दिया और उनके मस्त बूब्स को भी दबाने लगा. तो थोड़ी देर में भाभी मस्ती से चूर हो गयी और गांड उछाल उछाल कर मेरे लंड में धक्के मारने लगी. अब तो मेरा लंड और उनकी चूत एक साथ लय में आ गये और धक्के पर धक्के पड़ने लगे और में अपनी पूरी ताक़त से चूत को चोद रहा था और बहुत तेज़ आवाज़ें निकल रही थी. भाभी भी हर धक्के पर चीख पड़ती वो अच्छी तरह जानती थी कि ऐसा करने से गरमी और बढ़ जाती है इसलिए वो मुझे बराबर कामुक कर रही थी और फिर आख़िर हम दोनों ही इस खेल के पुराने और अनुभवी खिलाड़ी थे. तो यह जानते थे कि कब कौन सी स्टाईल, कौन सी आवाज़, हमारे मज़े को दोगुना कर देगी.

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इसी तरह चूत और लंड के झटके पे झटके चलते रहे.. लंड में एक गुदगुदी सी होती थी और मन कर रहा था कि यह खेल कभी ख़त्म ना हो.. लेकिन ऐसा हो नहीं हो सकता और थोड़ी ही देर में हमारे लंड और चूत जवाब देने लगे और हमने कसकर एक दूसरे को जकड़ लिया और एक साथ चीखते हुए सिसकियाँ भरते हुए हम दोनों ने अपना अपना कामरस छोड़ दिया. मेरा लंड उनके गरम रस में भीगकर मस्त हो गया और उनकी चूत मेरे वीर्य से भरकर शांत हो गयी. हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे की बाहों में सो गये.