सगी बहन को चुदाई का मीठा दर्द दिया-2
Sagi bahan ki chudai ka mitha dard diya-2
Sex Dard, कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया। चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. तृष ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. त्रुती के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
तृष एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसी ने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. त्रुती के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ तृष धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से त्रुती होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आँखे खोलीं और सिसक – सिसक कर सिसकारियां लेने लगी – “तृष भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, मेरी चूत फटी जा रही है।
तृष ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड त्रुती की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. तृष ने चैन की सांस ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने त्रुती के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटना शुरू कर दिया. त्रुती के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. “हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी त्रुती, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे चोदता हूं.”
टाइट बुर में लंड चलने से ‘फच फच फच’ ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब त्रुती और जोर से सिसकारियां लेने लगी तो तृष ने त्रुती के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो त्रुती को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर तृष अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.
सम्भलने के बाद उसने त्रुती से कहा “मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा.” और फ़िर चोदने के काम में लग गया.
दस मिनट बाद त्रुती की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. तृष जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर ‘पकाक पकाक पकाक’ जैसी निकलने लगी.
रोना बन्द कर के त्रुती ने अपनी बांहे तृष के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर तृष के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह तृष को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. “चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।”
भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. तृष तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. त्रुती को मजा तो आ रहा था पर तृष के लंड के बार – बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर तृष के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
काफ़ी देर यह सम्भोग चला. तृष पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. त्रुती कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर सिसकारियां लेने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि तृष का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.
तृष तो अब पूरे जोश से त्रुती पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ त्रुती फिर बेहोश हो गई. तृष उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.
गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब त्रुती की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब तृष उसे छोड़ देगा पर तृष उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. त्रुती रोनी आवाज में उससे बोली. “भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर.” तृष हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. “अभी क्या हुआ है त्रुती रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है.”
त्रुती के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर सिसकारियां लेने लगी. तृष हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. “रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा.” उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे, गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने त्रुती से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर त्रुती के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.
थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने त्रुती की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से त्रुती की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई। पुचुक पुचुक पुचुक’ की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. त्रुती बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर तृष ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया.।
झड़ने के बाद कुछ देर तो तृष मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकाला. वह ‘पुक्क’ की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. त्रुती बेहोश पड़ी थी. तृष उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आ गया।