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साकार हुई कल्पना-4

(Sakar Hui Kalpna-4)

कुछ क्षण बाद श्याम ने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया और उसकी चूत को सहलाने लगे। अब कल्पना के तीनों सेन्सिटिव प्वाइंट दोनों निपल्स और चूत एक साथ छेड़े जा रहे थे। धीरे धीरे उनके हाथों की हरकत तेज हो गई, कल्पना अपने पैरों को पटकने लगी। श्याम बहुत तेज़ी से उसकी चूत को मसल रहे थे। कल्पना अपने सिर को इधर-उधर करने लगी और अपने बूब्स को हमारे चंगुल से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

श्याम अनुभवी थे और कल्पना के पति भी, वो समझ गए कि कल्पना कामाग्नि में जल रही है, अब उस पर असल काम करने का वक्त आ गया है, उन्होंने मुझे इशारा किया।

मैंने कल्पना की पैंटी उतार दी।

कल्पना प्राकृतिक अवस्था में, पूर्णतया निर्वस्त्र, नंग-धड़ंग, मेरे सामने पसरी हुई थी। उस समय मेरी क्या हालत थी मैं बता नहीं सकता!
उसका पेट सपाट था, चूत उभरी हुई, शायद हफ्ता भर पहले शेव की होगी, हल्के हल्के बाल थे। मैंने उस प्यारी प्यारी नंगी चूत को सहलाया और फिर उस पर अपना मुँह रख दिया। एक साफ-सुथरी चूत, जिसमे मुँह घुसाकर ढूंढते हुए मैं बहुत गहराई तक चूस रहा था।
वो पैर पटक रही थी।

तभी कल्पना बोली कि अब हम भी नंगे हो जाएँ। हम दोनों ने तुरंत उसका आदेश माना और नंगे हो गए।

कमरे का माहौल बहुत उत्तेज़क हो चला था, तीन नंगे जिस्म एक साथ। लेकिन अब श्याम ने उसे मुझको सौंप दिया। कल्पना और मैं गुत्थम गुत्था हो गए।
वह बहुत जोर शोर से अपने नंगे जिस्म को मेरे जिस्म से भिड़ा रही थी. इस दौरान मैंने अपनी लाइफ का सबसे उत्तेज़क लिप-टु-लिप किस एन्जॉय किया कल्पना के साथ! मेरा पूरा मुँह उसकी लार से भर गया जिसे मैं पी गया।

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मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ और नितम्बों को मसल रहा था। मैंने तस्वीरों में कल्पना के भारी नितम्ब देखे थे और मुझे उनसे खेलने का बड़ा अरमान था इसलिए मैंने उसे पलट दिया और उसके विशाल नितम्बों को थाम लिया। मैंने उसके पैरों को मोड़कर उसके बॉटम को और ज्यादा सेक्सी बना लिया और फिर सटाक सटाक दो तीन बार स्पैंक किया।
कहीं कोई विरोध नहीं… न तो कल्पना की तरफ से, न ही श्याम की तरफ से! मुझे पूरी आज़ादी मिली हुई थी। यहाँ तक कि मैंने कल्पना के दोनों हिप्स के गोलों को अलग खींचकर उसके एनस होल को भी अपनी उंगली से सहलाया।
मैंने वो सब किया जो मेरे मन में था।

अब बागडोर कल्पना ने अपने हाथ में ली, उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरे लंड को थाम लिया और हाथ से मसलने लगी।
और फिर यह क्या? वह हुआ जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मेरा लंड उसके मुह के अंदर था।
सच बताऊँ, मैं ज़न्नत में था… बहुत ही शानदार ब्लो जॉब कर रही थी वो! काफी अंदर तक मेरा लंड निगल रही थी और उसके दांत भी नहीं चुभ रहे थे। अनोखा एहसास, जो अब तक मुझे मेरी पत्नी या किसी अन्य लड़की ने नहीं दिया था, दिल्ली वाली ने भी नहीं।
मैं पागल हो रहा था, मेरी चीखें निकल रही थी।

कुछ ही मिनटों में मेरी सहन शक्ति जवाब देने लगी और मैंने उसके मुँह से लंड को निकाल लिया। उसे नीचे लिटाकर सम्भोग की अवस्था में ले आया। लगाने के लिए कंडोम निकाला तो उसने मना किया कि बिना कंडोम के ही करूँ, कंडोम से अंदर स्किन-टु-स्किन अहसास नहीं होता।
मैंने उसकी चूत को खोला और अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता घुसाने लगा। लंड छेद से इधर उधर भटका तो कल्पना ने खुद अपने हाथ से पकड़कर लक्ष्य पर लगा दिया। वह बेकरार थी। लेकिन जब लंड अंदर जाने लगा तो चिल्लाने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ शायद उसे दर्द हुआ होगा (कभी बात होगी तो पूछूंगा)। उसकी चूत मस्त टाइट थी, मुझे बहुत मजा आया घुसेड़ने में। पूरा घुसा देने के बाद मैंने ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी।

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श्याम कल्पना के नज़दीक उसके चेहरे के पास बैठे थे और चीखती हुई कल्पना को हिम्मत बंधा रहे थे। वे उसे बड़े प्यार से पुचकार रहे थे, उसके माथे, उसके गालों, उसके कंधों को सहला रहे थे लेकिन साथ ही मुझे मेरे निर्दय सेक्स से भी नहीं रोक रहे थे।

मैं जितने जोश से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था, कल्पना उससे दुगने जोश से गांड उछाल-उछालकर मेरा साथ दे रही थी। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरा लंड बहुत ज्यादा गहराई तक जाकर प्रहार कर रहा था। धक्कों से कल्पना का समूचा जिस्म इस कदर आगे-पीछे हो रहा था कि उसके बूब्स भी छाती पर उछल रहे थे।
श्याम ने कल्पना को थामने कोशिश की, पर नाकाम रहे। इस समय कल्पना पूरी तरह से मेरी थी और भगवान् ने मेरी लाज रखी कि हमारा सम्भोग औसत से बहुत ज्यादा समय तक चला, नहीं तो उतनी गजब की उत्तेजना और ब्लोजॉब के बाद टिकना मुश्किल था।

चरमावस्था पर पहुँचकर कल्पना ने अपने दांतों से मेरे होंठ काट लिया और नाखूनों से मेरी पीठ को खरोंच दिया, जो मैं कभी भूल नहीं सकता।आप इस कहानी को HotSexStory.Xyz में पढ़ रहे हैं।

उन निशानों को अपनी पत्नी से छिपाने की मुझे कैसी कोशिश करनी पड़ी, बता नहीं सकता!

मेरा ज्वालामुखी फटा और निकलते लावे से कल्पना की चूत भर गई। हम दोनों ही निढाल हो गए। मैं एक तरफ पड़ गया और कल्पना अपने श्याम के सुरक्षित आगोश में सिमट गई, श्याम ने थपकियाँ देकर भरपूर दिल से कल्पना को दुलार किया।
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एक घंटे के बाद हम बाथरूम जाकर फ्रेश होकर कपड़े पहनकर हम फिर निकलने के लिए तैयार हुए, तब श्याम ने फ्रिज खोला और ठंडा ठंडा जूस अपने हाथ से दो ग्लासों में डालकर स्ट्रा के साथ हम दोनों को सर्व किया, बोले- तुम दोनों के पहले मिलन की बधाई, सेलीब्रेट करो।
कल्पना ने कहा- आप भी लीजिए!
तो उन्होंने कहा- तुम दोनों का मिलन हुआ है इसलिए तुम दोनों सेलीब्रेट करो।
हँसते हुए मैंने और कल्पना ने एक-दूसरे के साथ ग्लास टकराए- चियर्स!

श्याम का ये व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगा। पति हो तो ऐसा।

अगले दिन हम फिर मिले। अगले दिन बहुत रोमानी, कुछ और एक्सपेरिमेंटल और सुंदर सेक्स हुआ। इस बार का अनुभव पहले दिन से काफी अलग था लेकिन मैं चाहूँगा कि वो वाकया श्याम खुद लिखें।

तो यू संपन्न हुआ मेरी ज़िन्दगी सबसे अनमोल दिन। बहुत बहुत अच्छे कपल हैं श्याम और कल्पना।

तो दोस्तो, मेरे इस रोमांचक अनुभव पर आप लोग अपनी राय मुझे मेल के माध्यम से जरूर से दें क्योंकि इस नायाब कपल से शायद मेरा आगे भी मिलना होगा.
आपके मेल का इंतज़ार रहेगा
आपका अरुण

//कहानी समाप्त//