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ससुर ने अपनी बहू और लता को चोदा – एक कामुक कहानी

हाय दोस्तों, मेरा नाम अमित है और आज मैं आपको एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे दिल और दिमाग में हमेशा के लिए बस गई है। ये कहानी मेरे दोस्त के पिता बाबूलाल जी और उनकी बहू निमो के बीच की गहरी और नाजायज चाहत की है, जो बाद में एक दूसरी बहू लता तक जा पहुँची। तो चलिए, इस कहानी की शुरुआत करते हैं।

पहला अध्याय: घर में छुपी आग

बाबूलाल जी दो दिनों के बाद अपने गाँव से घर लौटे थे। मैंने सोचा था कि इतने दिनों की दूरी के बाद उनका मन अपनी बहू निमो की चुदाई के लिए तड़प रहा होगा। उनका लंड शायद बेकाबू हो रहा होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। वो बिल्कुल शांत और सामान्य लग रहे थे। पूरा दिन आराम से बीत गया। उनकी आँखों में वो चमक, वो भूख नहीं दिखी जो मैंने पहले कई बार देखी थी। मुझे लगा, शायद उम्र का असर हो या थकान ने उन्हें चैन दे दिया हो।

शाम को हम सबने साथ बैठकर खाना खाया। खाने के बाद सब अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल घूम रहा था – बाबूलाल जी और निमो की रातें। तभी रात के करीब 11 बजे, एक हल्की सी खटपट की आवाज़ आई। मैं चौंक गया। कौतूहल ने मुझे बिस्तर से उठा दिया। मैं चुपके से दरवाजे की झिरी से झाँकने लगा।

जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। निमो भाभी ने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में ससुर के सामने आ खड़ी हुई। उनकी आँखों में एक जलती हुई प्यास थी। वो बोलीं, “क्या हुआ ससुर जी, आज मन नहीं कर रहा क्या? आपको पता है, मैं दो दिनों से प्यासी हूँ।” इतना कहते हुए उन्होंने अपने नरम, रसीले होंठ बाबूलाल जी के होंठों पर रख दिए और उन्हें चूमने लगीं। उनका हाथ धीरे से उनकी लुंगी के ऊपर गया और लंड को सहलाने लगा, जैसे उनकी चूत उस मोटे हथियार के लिए तरस रही हो।

बाबूलाल जी भी अब जाग उठे। उनकी शांति एक पल में उड़न-छू हो गई। उन्होंने निमो का पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और ब्लाउज़ को उतार फेंका। निमो अब पूरी तरह नंगी थी, उनकी गोरी चमकती त्वचा चाँदनी में दमक रही थी। बाबूलाल जी ने भी अपनी लुंगी उतार दी। उनका लंड अब खड़ा और तन गया था, जैसे कोई योद्धा जंग के लिए तैयार हो। निमो नीचे बैठ गईं और उस लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो उसे ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई बच्चा अपने पसंदीदा लॉलीपॉप को चाटता है। कुछ ही पलों में लंड महाराज पूरी शान से खड़े हो गए।

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निमो उठीं और ससुर जी ने उन्हें पलंग पर बिठा दिया। उनकी दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं और उस रसीली, गुलाबी चूत को चूसना शुरू कर दिया। निमो की सिसकियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… ऊहह… आआअई… ईशश… और ज़ोर से… मज़ा आ रहा है।” वो पागलों की तरह सिसक रही थीं। बाबूलाल जी बोले, “चिंता मत कर मेरी निमो रानी, मैं तेरी दो दिनों की प्यास आज बुझा दूँगा।” इतना कहकर वो पलंग पर चढ़ गए।

उन्होंने प्यार से निमो के माथे को चूमा, फिर उनकी भरी हुई चूचियों को कसकर दबाया और चूसने लगे। निमो अब जानबूझकर अपनी उत्तेजना दिखा रही थीं। वो बोलीं, “ससुर जी, अब और मत तड़पाओ।” फिर उन्होंने उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट कर लिया। कमर ऊपर उठाकर लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगीं। तभी बाबूलाल जी ने एक जोरदार धक्का मारा। पूरा लंड एक ही बार में निमो की चूत में समा गया।

निमो की चीख को ससुर जी ने अपने होंठों से दबा दिया। फिर वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ा हो। निमो भी पूरा साथ दे रही थीं। उनकी चूत हर धक्के के साथ गीली होती जा रही थी। करीब 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद बाबूलाल जी ने अपना सारा पानी निमो की चूत में छोड़ दिया। लेकिन निमो की प्यास अभी बुझी नहीं थी। वो बोलीं, “आज तो आप बहुत जल्दी थक गए। मैं तो अभी भी प्यासी हूँ।”

दूसरा अध्याय: एक नई साजिश

बाबूलाल जी हँसे और बोले, “मेरी जान, क्या करूँ? दो दिनों से इसने आराम ही कहाँ किया है।” निमो चौंकी, “आराम क्यों नहीं मिला?” बार-बार पूछने पर ससुर जी ने खुलासा किया, “मैं और मेरा दोस्त हरिलाल उसकी नई नवेली बहू लता की चुदाई में व्यस्त थे। उसे भी मेरा लंड तेरी तरह बहुत पसंद आया।” निमो हैरान थी, लेकिन उनकी आँखों में एक शरारत भरी चमक थी। वो बोलीं, “तो अब क्या?”

बाबूलाल जी बोले, “बहू, अगर तुम हरिलाल से चुदवा लो तो मैं फिर से लता को चोद सकूँगा। उसकी शादी को अभी तीन महीने ही हुए हैं। उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई है, जैसी तेरी शादी के बाद थी।” निमो ने कुछ देर सोचा और फिर मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, मुझे मंज़ूर है। लेकिन अगर मुझे आपके दोस्त का लंड पसंद आ गया तो आप मुझे चुदाई से मना नहीं करेंगे।” ससुर जी हँसे, “कोई चिंता नहीं मेरी जान, तुम भी अपनी चूत का पूरा मज़ा लो।”

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फिर उन्होंने बताया, “कल लता हमारे घर आ रही है।” निमो उत्सुक होकर बोलीं, “पहले ये बताइए कि आपने उसकी चुदाई कैसे की?” बाबूलाल जी मुस्कुराए और कहानी शुरू की।

तीसरा अध्याय: लता की चुदाई

“हम दोनों हरिलाल के बेटे के घर गए थे। दरवाज़ा लता ने खोला। वो 24 साल की थी, गोरी, सुंदर और सुडौल। उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच, वजन करीब 50 किलो और फिगर 34-28-32 का रहा होगा। उसका कसा हुआ बदन देखकर मेरा लंड उसी वक्त खड़ा हो गया। हम अंदर गए तो हरिलाल ने पूछा, ‘तेरा बेटा कहाँ है?’ लता बोली, ‘वो कल से ऑफिस के काम से बाहर गए हैं, 10 दिन बाद लौटेंगे।’

हरिलाल अपनी बहू को गौर से देख रहा था। उसकी नज़रें लता के बदन पर टिकी थीं। फिर लता ने हमें चाय-नाश्ता दिया। हरिलाल ने पूछा, ‘बहू, रात को खाने में क्या बनाओगी?’ लता मुस्कुराई, ‘पिताजी, आपके लिए स्पेशल डिश बनाऊँगी।’ मुझे कुछ समझ नहीं आया। दोनों ससुर-बहू कोड में बात कर रहे थे।

रात को लता ने पनीर और हलवा बनाया। खाना सचमुच लाजवाब था। खाने के बाद वो अपने कमरे में सोने चली गई और हम दूसरे कमरे में। रात को मेरी नींद खुली तो हरिलाल बिस्तर पर नहीं था। मैं बाहर निकला तो पास के कमरे से आवाज़ें आईं। मैंने झाँका तो दंग रह गया। लता पूरी तरह नंगी अपने ससुर के ऊपर चढ़ी थी। उसकी चूत हरिलाल के मुँह पर थी और वो उसे चूस रहा था। लता बोली, ‘पिताजी, स्पेशल डिश पसंद आई?’ हरिलाल बोला, ‘बहुत मज़ा आया मेरी रानी। मैंने ही तो तुझे बुलाया था ताकि हम मज़े ले सकें।’

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फिर हरिलाल बोला, ‘बहू, मैं अपने दोस्त को भी तेरी चुदाई के लिए लाया हूँ।’ लता चौंकी, ‘क्या कह रहे हैं आप?’ वो बोला, ‘हाँ मेरी रानी, एक बार उसका लंड अपनी चूत में ले ले। फिर मैं भी उसकी बहू को चोदूँगा। उसकी चूत भी मस्त है।’ लता बोली, ‘क्यों, मेरी चुदाई में मज़ा नहीं आता?’ हरिलाल हँसा, ‘नहीं ऐसी बात नहीं। दो-दो चूत मिल जाएँ तो मज़ा दोगुना हो जाता है।’

फिर हरिलाल ने लता को नीचे लिटाया। उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। करीब 20 मिनट तक चुदाई चली। फिर उसने अपना पानी लता की चूत में छोड़ दिया और थककर लेट गया। थोड़ी देर बाद लता उठी, चादर लपेटकर बाथरूम गई। चादर अचानक गिर गई और मैं उसके सामने खड़ा था। उसने अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया। मैंने उसके हाथ हटाए और उसकी मस्त चूचियों को देखा। फिर मैंने उन्हें कसकर दबाया और उसके होंठों को चूम लिया।

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लता बोली, ‘पिताजी आ जाएँगे।’ मैंने कहा, ‘झूठ मत बोलो। वो तो अभी तेरी चूत चोद रहा था।’ फिर मैंने उसे गोद में उठाया और अपने कमरे में ले गया। पलंग पर लिटाकर उसकी चूत को चूसने लगा। वो सिसक रही थी, ‘आह्ह्ह… अगर पिताजी आ गए तो?’ मैंने कहा, ‘वो खुद चाहता है कि मैं तुझे चोदूँ।’ फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाला। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। जब मेरा लंड पूरा तन गया तो लता डर गई, ‘ये तो मेरी चूत फाड़ देगा।’

मैंने उसे पलंग पर लिटाया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया। वो चिल्लाई, ‘आह्ह्ह… मार डाला।’ मैंने धक्के तेज़ किए। उसकी चूत टाइट थी, लेकिन धीरे-धीरे वो मज़े लेने लगी। फिर उसने कहा, ‘मुझे कुत्तिया बनकर चुदना पसंद है।’ मैंने उसे कुत्तिया बनाया और पीछे से लंड घुसा दिया। वो फिर चिल्लाई, ‘ऊईईई… माँ… निकाल लो… दर्द हो रहा है।’ लेकिन कुछ देर बाद वो सामान्य हुई और बोली, ‘आह्ह्ह… मज़ा आ रहा है।’

करीब 30 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग तरीके से चोदा। आखिर में मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। वो थककर लेट गई और बोली, ‘अब छोड़ दो, बाद में फिर चोद लेना।'”