माँ की चुदाई

जब एक माँ ने अपने ही सौतेले बेटे से काम वासना शांत की-2

शनिवार को दिन में मेरे फ़ोन पर एक अंजान नंबर से मिसकॉल आई ,मैने कॉल पिक की तो कोई जवाब नहीं मिला ,फिर कुछ देर बाद मैसेज आया कि अच्छी तरह आराम कर लेना क्योंकि आज कुँवें की मरम्मत होनी है कुँवें की खुदायी और मरम्मत देर तक चलेगी क्योंकि कुँवा काफी पुराना है ,तब मेरे दिमाग की घण्टी बजी कि ये विकास का ही मैसेज हो सकता है ,मैं इतनी खुश हुई कि कमरे में चटकनी मार कर मैने अपने हिप्स देखे और अपनी बुर दाना छुवा ,मेरी रातें फिर से रंगीन होने वाली थी.

मैं शाम को ठीक 7 बजे नहाई और मैने अपनी ब्रा नहीं पहनी ,काले रंग का पेटीकोट पहना और लाल रंग की साड़ी ,मैने खाना पौने नौ बजे खा लिया था और विकास के लिए टेबल पर लगा दिया
बरसात के दिन थे , रात मैं काफी देर तक उसका इंतजार करती रही मैने कमरे के पल्ले बंद कर दिए फिर पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी ,कमरे में पंखा काफी तेज चल रहा था
मैं दायीं करवट लेटी हुई थी ,तभी मुझे लगा कि कोई मेरे बिस्तर पर आकर मेरे पीछे लेट गया है ,वो विकास के सिवा और कोई नहीं था.

मैं सीधी लेती हुई थी मुझे अपनी सांसों में शराब की गंध आई शायद वो मेरे चेहरे के बहुत करीब था और फिर मेने अपने होंठों पर बहुत धीरे से चुम्बन महसूस किया,मेरा बेटा मुझे चूम रहा था मेरे तन बदन में काम वासना भड़कने लगी ,मैं बिलकुल अनजान बन कर लेटी हुई थी ,मुझे करीब ६ साल से काम सुख नहीं मिला था एक बार मेरा मन हुआ की मैं उसके हाथ पकड़ कर उसके एक चांटा मारूं लेकिन फिर मैने सोचा की ये जवान तगड़ा लड़का है और काम वासना में जल रहा है यह अपनी प्यास तो मेरे बदन से बुझा ही लेगा अगर उसके बाद मैं इसे डाँटूंगी तो यह घर छोड़ कर जा सकता है इस कमजोरी ने मेरे हाथ बांध दिए।

मेर हालत ऐसी थी की मुझे भी मर्द की जरुरत महसूस हो रही थी जो बात मैं अपने बेटे से कभी न कह सकी वो ही इच्छा मेरा बेटा पूरी करने वाला था ,फिर मैने महसूस किया की वो मेरे ब्लाउज का ऊपरी बटन खोलने में लगा था ,और तभी उसने अंदर हथेली डाल कर मेरी दायीं दुद्दी धीरे से मसल दी ,शायद वो भी इस बात को समझ रहा था की मैं सोने का नाटक कर रही थी ,बस इसके बाद तो मेरी पेशाब की जगह गीली हो गई और मेरा मन हुआ कि विकास आज सारे बंधन तोड़ कर मुझे अपनी बाँहों में जकड ले और हम दोनों बेखबर होकर मस्ती में डूब जाएँ.

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मेरे निप्पल तन चुके थे और मेरी योनि में जबरदस्त सुलसुलाहट होने लगी ,मेरा मन बस अब उसकी मर्दानगी देखने और महसूस करने के लिए तड़फ रहा था मैं अपने बेटे का मजबूत लिंग अपने हाथ और मुंह में लेकर चूसना चाहती थी ,पर मैं बेहद मजबूर थी की कहीं वो शर्म के मारे कमरे से न चला जाये और मैं उस रात प्यासा नहीं रहना चाहती थी ,मेरा बेटा विकास भी करीब 2 साल से बिना औरत के रह रहा था मुझे कहीं न कहीं ये लगा की उसकी गुनहगार मैं हूँ ,शारीरिक पूर्ति उसका अधिकार था तभी मुझे महसूस हुआ कि वो बैड पर ही अपना अंडरविअर उतार रहा है मेरा सारा जिस्म मदहोशी से थरथराने लगा मुझेे महसूस हो रहा था कि मेरा पेटीकोट जांघोंं तक उठ चुका है मेरा मन हो रहा था कि मैं अपनी दोनों जाँघें फैला कर विकास को मदहोश कर दूँ ,विकास बहुत धीरे धीरे मेरा पेटीकोट हटा रहा था शायद वो भी इतने नजदीक आकर प्यासा नहीं रहना चाहता था ,उसने बहुत धीरे से मेरी दोनों जांघोंं को बारी बारी से चौड़ा कर दिया ,उसके हाथ अब मेरी जांघों की गोलाई टटोल रहे थे.

मेरी जांघों के बीच में उन दिनों छोटे छोटे बाल थे तभी मुझे उसकी उँगलियाँ उन बालों में चलती हुई महसूस हुई ,मैने अँधेरे में बहुत देखने कोशिश की कि देखूँ उसके चेहरे पर कैसे भाव हैं ? तभी मैने अपनी योनि पर उसकी बेहद गर्म साँसे महसूस की ,और शायद इसके बाद वो मेरी जांघों के बीच में उकड़ू बैठ गया क्योंकि मैने अपने गुप्ताँग पर उसके सिर के बाल महसूस किये शायद वो मेरी योनि को चाटना चाहता था ,उसने 3-4 बार कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ मेरा मन हो रहा था की क्यों नहीं विकास मेरे नितम्बों को अपनी हथेलियों में लेकर मेरी योनि को चाट लेता मैं उसे कैसे ये सब कहती ?

एक बार तो मेरा जी हुआ कि मैं बकरी की तरह झुक जाऊं और विकास मेरे गुप्ताँग को चाटे जैसे अक्सर बकरे या सांड चाटते हैं और ऐसा चटवाने से पुरुषों का पुरुषत्व जागता है और महिलाएं चरम सुख पा सकती हैं पर अक्सर औरतें शरम के मारे चुप रहती हैं मुझे तो इसलिए पता था कि मैं गाँव में रहती थी और हमारे घर में जानवर थे और कई बार मैने सांड को गाय की पूंछ के नीचे चाटते देखा था और गाय गौंत दिया करती थी तब सांड़ हम सब बच्चों को दौड़ता था और गाय की कमर पर अगले दोनों पैर टिका कर उसकी योनि को रगड़ता था।
बस मेरे मन में भी यही कामुक ख्याल आने लगा कि काश विकास मुझे मुन्धि करके चोदता।

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तभी मैने महसूस किया कि मेरी दुदियों पर किसी के हाथ हैं ,वो हाथ मेरी दुदियां होल होले दबा रहा था मेरी नींद खुली हुई पर मैं सोने का नाटक करती रही मुझे बहुत अच्छी फीलिंग आ रही थी ,कमरे में इस रात को विकास के आलावा कौन हो सकता था ,रात के करीब साढ़े ग्यारह होंगे कमरे में घुप्प अँधेरा था ,उसके इस तरह मेरी छातियां दबाने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ,अक्सर रात में ज्यादा गर्मी होने के कारण साड़ी उतार दिया करती थी इसलिए मैने अपनी लाल साड़ी उतार कर बिस्तर पर ही फेंक दी थी क्योंकि तेज रंग से मर्द ज्यादा कामुक हो जाते हैं.

वो मेरा पेटीकोट धीरे धीरे ऊपर सरका रहा था मेरी दायीं जांघ आगे की तरफ मुड़ी हुई थी और मेने बाईं जाँघ सीधी फैला रखी थी ,मेरा पेटीकोट कूल्हों तक ऊपर उठ चूका था तभी मैने अपनी जाँघ पर उसकी हथेली का हल्का स्पर्श महसूस किया। ,मेरे रोम रोम मैं मस्ती सी छाने लगी ,उसकी गरम हथेली मेरी जाँघों के जोड़ की तरफ फिसल रही थी ,मुझे पक्का यकीं था कि आज की रात विकास मेरी 6 साल से अनछुई बुर को सहलायेगा ,और तभी उसकी उँगलियाँ मेरी बुर के मांसल हिस्से को टोहने लगी मैने रेजर से करीब 20 दिन पहले झाँटें साफ़ करी थी। इसलिए मेरी झाँटें करकरी थी। मैं स्लिम बदन की थी मेरे नितम्बोंं यानि चूत्तडोंं का साइज 35 इंच था ,उसकी उँगलियों की छुवन मेरी कामवासना को भड़का रही थी ,इस बात को वो ही नारी समझ सकती है जो कई सालों से मर्द की बाँहों में न सोयी हो और मेरा वो ही हाल था.

विकास की उँगलियाँ मेरी बुर की दरार में मचल रही थी वो मेरी बुर की कटान की लम्बाई का अन्दाजा लगा रहा था ,इतने घुप्प अँधेरे में भी उसने मेरा दाना ढूँढ लिया था ,उसे जैसे ही उसने अंगूठे और एक ऊँगली के बीच में पकड़ा मेरा मन हुआ कि मैं विकास की हथेली में पेशाब कर दूँ ,उसने मेरा दाना अंगुली के पोर से सहलाना शुरू कर दिया ,मेरा दाना फूलने लग गया ,उत्तेजना के मारे मेरे दोनों छेद सिकुड़ने लग गये और फिर उसने मेरी बुर के होंठ टटोलने शुरू करे पर उसे निराशा हुई होगी ,क्योंकि उसके पापा मेरी बुर यानि चूत के होंठ बाहर नहीं निकाल सके थे ,कहते हैं कि लड़की शादी के बाद कली सेखिल कर फूल बन जाती है पर मै न कली रह गई थी और न ही फूल बन सकी।

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उस वक़्त तो मैं उसकी मम्मी ही थी ,तभी मुझे आभास हुआ की विकास के गुप्तांग से अजीब सी आवाज आ रही है जो शायद उसके लिंग की चमड़ी के टकराने से हो रही थी वो कमावेश माँ आकर हस्त मैथुन करने लगा था मैने उसके पापा को कई बार ऐसे करते देखा था जब माहवारी के दिनों में मैं उन्हें अपने पास नहीं आने देती थी ,
तभी उसने मेरे दोनों पैर करीब ढाई फ़ीट दूर फैला दिए मैने उसके घुटने अपनी जांघों पर महसूस किये वो मेरी जांघों के बीच में बैठ चूका शायद उकड़ू था घबरा भी रहा था और तेज तेज धड़क रहा था ,फिर उसने मेरे दोनों हाथ अपनी हथेलियों में फंसा लिए मैं बिलकुल बेसुध होने का नाटक कर रही थी ,विकास मेरे बदन पर छाता चला जा रहा था ,और तभी उसने मेरे होंठ अपने गरम होंठों में भींच लिए जब मैं समझ गई की वो अब इस मंजिल छोड़ने वाला नहीं था इसलिए मैने अपने को पाक साफ़ रखने के लिए धीरे से कहा ,विकास मुझे छोड़ो ,ये क्या कर रहे हो ?

पर उसकी पकड़ और तेज हो गयी थी
मैं जन बुझ कर थोड़ा मचलने लगी ,पर उसने मुझेे अपने नीचे लगभग दबा सा लिया था ,विकास की हाइट करीब ५ फ़ीट 7 इंच थी थी ,मैं अपनी जाँघे भींचने बेकार सी कोशिश करने लगी उसने मेरी जाँघें अपने घुटनों से फिर से चौड़ी कर दी,उसने मुझे अपने नीचे दबा कर मेरे स्तन मलने लगा।