पड़ोसी की चुदाई

सेक्सी आंटी

(Sexy Aunty)

दोस्तो, यह मेरा पहला प्रयास है, आशा है आपको पसन्द आयेगा।

मैं अपने उन दिनों की एक घटना आपको बताता हूँ जब मैं 18 साल का था, मैं अपने पिता के साथ कालोनी में रहता था, चार कमरे का फ़्लैट था और हम दो ही लोग थे इसलिये पिता जी ने दो कमरे एक दक्षिण भारतीय जोड़े को किराये पर दे दिए।

मैं अपने उन दिनों में किसी फ़िल्मी हीरो सा दिखता था, लड़कियाँ बहुत प्यार से देखा करती थी मुझे।

पति-पत्नी जो रहने आये थे उनकी शादी को अभी एक साल हुआ था, पति एयरफ़ोर्स में था जो सुबह जल्दी चला जाता और दोपहर तीन बजे तक आता था या कभी-कभी रात की ड्यूटी होती तो सुबह आता।

आंटी का फ़िगर साउथ की गदराई महिलाओं का सा मस्त था और नया नया सम्भोग सुख लेने से उसके नितम्बों में गजब का कसाव आया था।

मैं जब भी उसको चूतड़ हिला कर मटक कर चलते देखता, मेरा सात इन्च का लन्ड फ़नफ़ना उठता।

वो नया जोड़ा था इसलिये ज्यादातर कामक्रीड़ा में लीन रहता या पति के जाने के बाद वो सोती रहती थी।

अक्सर मैं देखता था कि वो बस एक नाईटी पहनकर ज्यादातर बिना ब्रा-पैन्टी के ही रहा करती थी, ऐसे में उसके अन्तरंग अंगों के मुझे साफ़ दर्शन हुआ करते।

मेरे नवयुवा मन में अब उसका वो मदमस्त गदराया बदन तूफ़ान मचाने लगा था।

एक दिन मैंने देखा कि वो बाथरूम में नहा रही थी, साथ ही कुछ गुनगुनाये जा रही थी।

मुझे पता नहीं क्या सूझी कि मैंने दरवाजे की झिरी में आँख लगा दी।

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किस्मत से वहाँ इतना छेद था कि मुझे अन्दर का सब कुछ साफ़ दिख सके, फ़िर मैंने जो देखा उसे देखकर तो मेरे अन्दर भूचाल सा आ गया।

मैंने देखा कि वो एकदम नंगी अपने हाथों को अपनी जांघों के बीच में ले जा कर अपनी चूत में पानी डालकर धो रही थी। दरवाजे की ओर उसके मोटे चूतड़ थे।

मेरी आँखों के सामने उसकी वो मस्त गाण्ड नंगी थी, जिसे अब तक मैंने कपड़ों के ऊपर से ही देखा था, अब तो मेरा लन्ड बेकाबू हो चुका था मैं वहीं मुट्ठ मारने लगा।

फ़िर क्या था, अब तो मैं रोज ही उसके बाथरूम में जाने का इन्तजार करता और उसे नहाते देख मुट्ठ मारता।

लेकिन अब मन ही मन मैं उसे चोदने को बैचैन होने लगा था, बस मन करता कि उसके साथ मैं भी बाथरूम में घुस जाऊँ और उसके अंग अंग को अपने हाथों से मसल डालूँ।

एक दिन जब मैं उसे नहाते देख कर मुट्ठ मारने में व्यस्त था, एक अनहोनी घटना घटी जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी।

अचानक से बाथरूम का दरवाजा खुला और मैंने देखा की वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी है, मैं बिल्कुल सकपका सा गया, उस वक़्त मैंने बस एक तौलिया लपेट रखा था अन्दर कुछ नहीं और वो भी लन्ड तना होने से हट गया था।

मैं जब खड़ा हुआ तो मेरा पूरा सात इन्च लम्बा लन्ड उसके सामने नंगा तन गया था।

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मैं शर्मिन्दा होते हुये जाने लगा ही था, तब तक उसने मेरा हाथ थाम लिया और जब मैंने उसकी ओर देखा तो आंटी की आँखों में एक नशा सा था और उसके चेहरे पर एक मीठी हंसी।
वो मुझे अपने साथ बाथरूम में खींच ले गई।

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फ़िर जो हुआ वो मैं कभी भूल नहीं सकता…

वो मेरे पैरों के पास उकड़ू बैठ गई और मेरे लन्ड को अपने हाथ से पकड़कर मुँह में लेकर चूसने लगी…

आह… क्या मस्त अहसास था, जैसे जैसे वो अपना मुँह आगे पीछे कर करके मेरा लन्ड चूस रही थी मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी।

फ़िर मेरे मोटे सुपारे को जब उसने अपनी जीभ से चाटा तो लगा जैसे मैं अपना वीर्य उसके मुँह में ही उड़ेल दूँगा।

तब मैंने उसे रोकना चाहा और कहा कि ‘गिर जायेगा’ तो उसने हन्स कर कहा- अरे बुद्धू… यही तो मैं भी चाहती हूँ कि तुम अपना सारा जोश मेरे मुँह में उड़ेल दो और मैं बून्द बून्द चाट जाऊँ।

फ़िर उसने अपनी गति और तेज कर दी और मैंने सुख-आनन्द की चरम सीमा पर पहुँच कर अपना सारा वीर्य उसके मुख में ही उड़ेल दिया और वो बिना किसी झिझक के सारा चाट गई।

वो मेरा पहला अनुभव था जिसने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। अब मैं बस उसके ही बारे में सोचता कि कैसे उसे पूरी तरह चोदूँ।