Bhabhi Sex

शब्बो भाभी चुसवा आई किशमिश 3

Shabbo bhabhi chuswa aai kishmish-3

खैर तो अब शब्बो सलीम की राह देखते देखते घर के बाहर ही खाट पर बैठी थी।

साढ़े नौ बजे सलीम ट्रेक्टर लेकर वापस आ गया।

शब्बो- सलीम भाई, इतनी देर क्यों हो गई?

सलीम- कोई नहीं भाभीजान, वो तो जरा ट्रेक्टर खराब हो गया था।

शब्बो- चल हाथ मुँह धो ले, तेरे वास्ते खाना लगाती हूँ

बाद में सलीम रसोई में आया, बैठा, शब्बो ने उसकी थाली में परोसना शुरू किया।

शब्बो- देख मैंने खीर भी बनाई है, तुझे बहोत पसन्द है ना?

शब्बो ने प्यार भरी निगाहों से सलीम की ओर देखा।

सलीम ने मुस्कुरा कर हाँ कहा।

शब्बो उठी और एक डिब्बे में से मुठ्ठी भर के काजू-बादाम-किशमिश-अखरोट उसने सलीम की खीर वाली कटोरी में डाली।

सलीम- बस बस भाभीजान, इतना मत डालो!

शब्बो- तू खेतों में पूरा दिन इतनी कड़ी महेनत करता है ना! खाएगा नहीं तो ताकत कैसे आएगी भला?

वैसे मन ही मन शब्बो का इरादा कुछ और ही था, इतने सारे काजू बादाम किशमिश उसने खीर में इसलिए मिलाए ताकि सलीम की मर्दाना ताकत और उभर के आए और वो रात-भर उसकी जमकर बिना थके ठुकाई कर सके।

क्योंकि शब्बो कोई आजकल की अलहड़ लड़कियो जैसी नहीं थी कि बस एकबार की चुदाई में ही टांयटांय फिस्स हो जाए, वो तो बरसों से भूखी थी, आज तो रात में कम से कम तीन से चार बार जमकर चुदवाऊँगी, ऐसा मन ही मन ठान के रखा था।

सलीम ने खाने लगा, शब्बो उसके सामने ही बैठ कर उसे प्यार से देखने लगी।

सलीम की नजर भाभी के पैरों पर पड़ी- यह क्या भाभीजान, आपने वो पायल क्यों नहीं पहनी? मेरा तोहफा पसंद नहीं आया क्या?

शब्बो- अरे अब ऐसे सजने-धजने की मेरी नहीं कहकशाँ की उम्र है, उसके निकाह में उसे दे देंगे, ठीक है ना?

‘क्या भाभीजान आप भी! अभी कहाँ आपकी उम्र हुई है, बिल्कुल परिस्तान की रानी लगती हो! मेरा तोहफा तो आपको कबूल करना ही होगा। कहाँ रखी हैं पायल?

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शब्बो- वो अलमारी में!

सलीम खाना छोड़ कर अलमारी से वो पायल ले कर आया, अपने हाथों से भाभीजान को वो पायल पहनाई।

शब्बो बहुत शरमाई लेकिन उसका पूरा बदन रोमांच से पुलकित हो उठा, बोली- ‘काश तू मेरा शौहर होता!’

सलीम ने भाभी को बांहों में भर लिया, होठों पे एक बोसा देकर उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोला- वो तो मैं अभी भी बन सकता हूँ, जब मियाँ बीवी राजी तो क्या करेगा काजी!

शब्बो ने सलीम के चौड़े सीने पर सर रख कर अपनी आँखें बन्द कर की और यह दुआ करने लगी कि ‘यह हसीन रात कभी खत्म न हो।’

थोड़ी देर बाद अपने आप को सम्भालते हुए वो सलीम से अलग हुई- चल सलीन, तू अभी खाना खा ले।

सलीम- भाभीजान चलो अब…

उसने अपने कमरे की ओर इशारा किया।

शब्बो- हाँ बाबा, आती हूँ, पहले यह बचा-खुचा खाना बाहर कुत्तों को फेंक दूँ।

सलीम ने मन में सोचा कि कुत्तों से याद आया, आज तो भाभीजान की कुत्ता-आसन doggy-style में गाण्ड चुदाई करूँगा।

सलीम अपने कमरे में गया। कुछ दिनों पहले वो फसल के लिए कीटनाशक दवाई लाने शहर गया था, तभी उसने शब्बो के लिए वो पायल खरीदी थी, साथ ही में वो परफ्यूम की बोतल व रेलवे स्टेशन के बुक-स्टाल से ‘आधुनिक कोकशास्त्र’ की किताब भी लाया था, जिसमें चुदाई के भिन्न भिन्न आसनों का फोटो के साथ वर्णन किया गया था।

काफी देर तक वो किताब के पन्नों को आगे-पीछे करता रहा।

तब छम्म-छम्म करती पायल की आवाज उसके कान में पड़ी, वो उठा और पूरे कमरे में परफ्यूम छिड़क दिया।

शब्बो पहले अपनी बेटी कहकशाँ के कमरे की ओर गई, देखा, कमरे की बत्ती बन्द है, मतलब बेटी सो गई है, अब कोई खतरा नहीं।

वो दबे पाँव सलीम के कमरे में गई, दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और हल्के से मुस्कुराते-मुस्कुराते सलीम के पलंग की ओर बढ़ी।

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सलीम उठा, अपने दोनों हाथों से उसने शब्बो के कंधों को पकड़ा और आहिस्ता से पलंग पर बैठाया।

सलीम- माशाल्लाह.. आज तो क्या खूबसूरत लगी रही हो भाभीजान!

शब्बो ने नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा कर अपने दोनों हाथों से चहेरे को ढक लिया।

सलीम आगे बढ़ा, अपने हाथों से शब्बो के हाथों को उसके चेहरे से हटाया और गाल पर एक चुम्मा लिया और शब्बो की दोनों टांगों को जमीन से ऊपर उठाया और पलंग पर पूरी तरह से उसे लेटा दिया।

सलीम ने अपना शर्ट, लुंगी, कच्छा फट से निकाल कर जमीन पर फेंक दिया और पलंग पर बैठ गया।

सलीम भली भांति जानता था कि ऐसे भाभीजान सीधे सीधे तो गांड मारने दे, उसके चांस बहुत कम हैं, किन्तु उसने औरत को राजी करने के टिप्स ‘आधुनिक कोकशास्त्र’ पढ़े थे, वो समझ गया था कि धीरे धीरे रोमेंटिक तरीके से आगे बढ़ने में ही समझदारी है।

तभी औरत को मजा आता है और वो अपने आप से बार बार खुद ब खुद पलंग में प्यार पाने के लिए आ जाती है।

दोपहर में खेत में की चुदाई से उसे भाभीजान की कमजोरी का भी पता चल गया था यानि की भोसड़ा-चटाई!

शब्बो अभी भी पलंग पर लेटी मुस्कुरा रही थी, सलीम उसके पैरों के पास गया और उनकी पायल को चूम लिया। धीरे धीरे से सलीम भाभीजान के पैर दबाने लगा।

‘यह क्या कर रहे हो?’

‘आप पूरा दिन काम करते करते थक गई होंगी न.. बस कुछ मत बोलिए, ऐसे ही लेट कर आराम कीजिए।’

सलीम भाभीजान के पैरों को बड़े प्यार से दबाने लगा… पहले घुटनों तक, फिर जांघों तक, उसके हाथ धीरे धीरे और ऊपर बढ़ने लगे, अपने दोनों हाथों से उसने शब्बो के दोनों मोटे बोबों को जकड़ा और उन्हें मसलने लगा।

‘हाय अल्ला…’ शब्बो ने अपने नीचे का होंठ दांतों के बीच दबाकर कर आँखें बंद कर ली।

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यह देख सलीम जोश में आ गया और लेटी हुई शब्बो की जांघों पर बैठ गया और बोबों को जमकर दबाने और मसलने लगा।

थोड़ी देर बाद उसने अपने दांये हाथ से चूची मसलाई चालू रखी और बांये हाथ को भाभीजान की दो टांगों के बीच की जन्नत पर रख दिया।

बिना गाउन या घाघरा, उतारे या नीचे किए वो ऐसे ही अपने नाखूनों से भाभीजान की भोंस को रगड़ने लगा।

शब्बो तो जैसे जन्नत में थी, उसने अपनी हुंकार रोकने के लिए अपनी हथेली होंठों के बीच दबा ली।

सलीम तो खाने बैठा था, तब से चुदाई के लिए उत्सुक था, लेकिन उसने खुद पर काबू रखा, कि नहीं ‘आज भाभीजान का जन्मदिन है तो मजे लेने का उनका हक पहले बनता है।’

सलीम ने ऐसे ही अपना फॉर प्ले लगभग आधे घंटे तक जारी रखा।

इस बीच शब्बो एक बार झड़ भी गई, तब जाकर सलीम को लगा कि हाँ अब लोहा गर्म हुआ है, हथोड़ा मारने का वक्त आ गया है।

उसने धीरे से शब्बो को धक्का लगा कर पेट के बल सुला दिया और उनका गाउन और घाघरा उपर की ओर खींच दिया।

अब अपने दोनों हाथों से शब्बो के मोटे मोटे नितम्बों को दो तरफ पसारा और भाभीजान की गाण्ड के कसे हुए छेद का मुआयना किया।

शादी के बीस साल बाद भी शब्बो की गाण्ड अभी तक अनचुदी-अनछुई थी क्योंकि उसके शौहर आलम मियाँ का फटीचर लंड तो बमुश्किल से चूत में ही घुस पाता था, गाण्ड चुदाई करना तो आलम मियाँ के लिए जैसे लोकपाल बिल पास कराने जैसा असंभव काम था।