भाई-बहन की चुदाई

बहन ने भाई के 8 इंच के लंड से चुदवाकर चूत और गांड मरवाई

दोस्तो, मेरा नाम मिंकू है। मैं भट्टा मोहल्ले में रहता हूँ, जहाँ ईंटें बनती हैं। ये इलाका बड़ा गंदा है—हर तरफ असामाजिक लोग बैठे रहते हैं, दारू-गांजा चलता रहता है। इनको देखकर मन करता है कि इनकी गांड में गरम सरिया डाल दूँ, पर साला कुछ कर नहीं सकता। इनका वजन पूरे मोहल्ले में चलता है। अगर मैंने कुछ कहा, तो मेरी गांड तोड़ देंगे और घरवालों को भी तंग करेंगे। बस, यही मेरी लाइफ का सच है।
घर में मैं अकेला नहीं हूँ। मेरी एक बड़ी बहन है, मम्मी-पापा हैं। पापा सरकारी नौकरी करते हैं, हम दोनों बहन-भाई पढ़ते हैं, और मम्मी घर संभालती हैं। हम सभ्य लोग हैं, किसी से मतलब नहीं रखते। जहाँ रहते हैं, वहाँ मतलब रखने लायक कोई है भी नहीं।

लोग हमसे जलते हैं, क्योंकि हमारा घर मोहल्ले में सबसे बड़ा है। मैंने पापा से कहा था, “कहीं अच्छी जगह घर ले लो, भले ही ज्यादा पैसे लगें।” पर मेरा बाप सरकारी नौकरी वाला होकर भी सस्ते में सब निपटाना चाहता है। कभी-कभी गुस्सा आता है। खासकर तब, जब मेरी बहन की बात आती है। वो जवान है, उसका फिगर गदराया हुआ—36-30-38—देखने वाला पागल हो जाए। मोहल्ले के सारे कुत्ते उस पर लाइन मारते हैं, गंदे-गंदे कमेंट करते हैं। एक बार मैंने पुलिस को फोन कर दिया था—दो लड़कों की गांड टूट गई। तब से कुछ शांति है, पर बड़े गुंडे तो पुलिस से भी नहीं डरते। मेरी बहन को पटाने की कोशिश में लगे रहते हैं। अच्छा है कि मेरी बहन समझदार है—इन सब की परवाह नहीं करती। वैसे वो धांसू है—उसकी गांड और चूचियाँ देखकर कोई भी फिदा हो जाए। मैंने तो खुद देखा है।

अब सच बोलूँ—मैंने अपनी बहन को चोदने का कभी नहीं सोचा, पर उसके बारे में सोचकर मुठ मारता हूँ रोज़। जब वो नहाने जाती है, मैं चुपके से किचन की खिड़की पर चढ़ता हूँ और मोबाइल में उसे नंगा रिकॉर्ड कर लेता हूँ। उसकी चूत साफ नहीं दिखती, क्योंकि बालों से ढकी रहती है। पता है ये गलत है, पर जब से मैंने भाई-बहन वाली ब्लू फिल्म देखी, तब से मेरे दिल-दिमाग में बस वही छाई है। उसे कुछ पता नहीं, और मैं चाहता भी नहीं कि पता चले। हाँ, एक चीज़ से मैं अपना काम चला लेता था—उसकी ब्रा और पैंटी। मैं रोज़ उसके कमरे में जाता, उसकी पहनी हुई ब्रा-पैंटी सूंघता, उसकी चूचियों और चूत की खुशबू लेता, और मुठ मारता। कभी-कभी तो उसकी ब्रा-पैंटी में ही माल गिरा देता।

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उसे कुछ पता नहीं था। पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि सब बदल गया। घर में सब थे, बहन दुकान सामान लेने गई। वही गंदे लड़के वहाँ खड़े थे। बोले, “अरे जानेमन, हमसे चुदवा लो, कब तक रुकोगी?” मैंने सुना और उसकी तरफ बढ़ा। तभी उसने कुछ ऐसा कहा, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। “मेरे भाई का लंड 8 इंच का है। अगर तुम्हारा इतना बड़ा है, तो बताओ, यहीं चुदवा लूँगी।” एक लड़के ने कहा, “भाई का लंड लेगी क्या?” उसने जवाब दिया, “क्यों, तेरे जैसे रंडी के बच्चे का लंड लेने से अच्छा अपने सगे भाई का लंड अपनी चूत में लूँ।” ये कहकर वो आगे बढ़ गई।
मेरी छाती चौड़ी हो गई। मन में ख्याल आया—वाह, अगर सच में मेरी बहन मेरा लंड ले ले, तो कितना मज़ा आएगा। मैं यही सोच रहा था। वो घर आई, और मैं उसे देखकर मुस्कुराया। खाना खाते वक्त वो मुझे देख रही थी, मैं उसे। वो भी हल्का सा स्माइल दे रही थी। मुझे अजीब लगा—मेरे मन में तो उसकी चुदाई घूम रही थी।

खाना खाकर हम अपने-अपने कमरे में गए। तभी वो मेरे कमरे में आई। “मिंकू, सुन,” उसने कहा।
“हाँ, क्या हुआ? बोल ना,” मैंने जवाब दिया।
“चल मेरे कमरे में, तुझसे बात करनी है।”
“हाँ, चल,” कहकर मैं उसके कमरे में गया। उसने मेरे सामने अपनी ब्रा-पैंटी रख दी। “देख, मेरे कमरे में शायद कोई चूहा घुस आया है। सारे कपड़े खराब कर रहा है।”
मैंने मन में सोचा, “अब कैसे बताऊँ कि वो चूहा मैं हूँ?” उसकी ब्रा-पैंटी देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। वो नीचे झुकी तो उसकी चूचियों की गहरी नाली और ब्रा साफ दिखने लगी। फिर वो पलटकर नीचे घुसी, “कुछ दिखा क्या?”
“हाँ… मतलब नहीं, अभी कुछ नहीं दिखा,” मैंने कहा। उसकी गोरी, चिकनी गांड की दरार साफ नज़र आ रही थी। मेरा लंड सरिया सा तन गया।

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वो उठी, मेरे पास आई। “अच्छा, तुझे नहीं दिखा?” कहते हुए उसने मेरा लंड हल्के से पकड़ा और मुझसे चिपक गई। “यही तो है वो चूहा।”
“क्या मतलब?” मैंने पूछा।
“जब तू मुझे नहाते हुए देख सकता है, तो मैं तुझे मुठ मारते हुए नहीं देख सकती क्या?” उसने कहा।
“मतलब जो तूने उन लड़कों से कहा, वो सच था?”
“हाँ, मुझे तेरा 8 इंच का लंड चाहिए अपनी चूत में,” कहते हुए उसने मेरा लोअर उतार दिया। वो मेरे लंड को ऊपर-नीचे करने लगी, अपने कपड़े उतारने लगी। बस ब्रा-पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी। उसका चिकना बदन मुझे तड़पा रहा था। फिर उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। मैंने उसके चूचों को दबाना शुरू किया। वो ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी, और मैं उसके बड़े-बड़े चूचे मसल रहा था—हाथों में समा ही नहीं रहे थे।

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उसने ब्रा खोली। मैं उसके निप्पल चूसने लगा। धीरे-धीरे उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत में उंगली डाली तो वो सिसकारियाँ लेने लगी—आह्ह… उम्म्म…। हम 69 पोज़िशन में आ गए। वो मेरा लंड चूस रही थी, मैं उसकी चूत चाट रहा था। उसकी चूत गुलाबी और गीली थी। मैंने तब तक चाटा, जब तक उसका माल मेरे मुँह में नहीं आया। मैंने भी अपना माल उसके मुँह में गिरा दिया।
फिर हम चिपक गए। मैंने उसके चूचों को फिर से चूसा। वो मेरा लंड सहलाने लगी, और मैं उसकी गांड में उंगली करने लगा। वो सिसकार रही थी—आह्ह… ऊह्ह… उम्म्म…। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे उसकी गीली चूत पर टिकाया और एक धक्का मारा। पूरा लंड अंदर। वो पागल हो गई, “निकाल!” चिल्लाई।

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पर मैं धीरे-धीरे चोदने लगा। उसने बिस्तर कसकर पकड़ा। थोड़ी देर बाद वो मस्त हो गई और सिसकारते हुए मेरा साथ देने लगी—आह्ह… ऊह्ह… उम्म्म…। आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत मारी। चादर पर खून फैल गया। फिर मैंने उसकी गांड भी चोदी और सारा माल उसकी गांड में भर दिया।
अब वो मेरे लिए कंडोम लाती है। रोज़ मुझसे चुदवाती है। और मैं सच में बहनचोद बन गया हूँ।