चाची को सुबह की नमस्ते
मैं और मेरे चाचा-चाची पास-पास रहते हैं। चाचा को शादी के तीन साल हो चुके हैं, लेकिन चाची के बड़े-बड़े स्तन देखकर मेरा लंड जोश से भर जाता था। उनकी उम्र उस वक्त 26 साल की थी, पर वो 21 की लगती थीं। चाचा को हर 3-4 महीने में ऑफिस टूर पर जाना पड़ता था। वो किराए के कमरे में रहते थे, इसलिए चाची को अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे। ऐसे में वो मुझे उनके घर रुकने को कहते। सच कहूँ, ये सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगते थे। लेकिन एक परेशानी थी—क्या चाची भी वही चाहती थीं जो मैं चाहता था? ये मुझे नहीं पता था।
चाची की जवानी का सपना
मैंने ठान रखा था कि कुछ भी हो, चाची की जवानी का रस जरूर चखना है। मैं रोज उनके घर सोता था, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। चार दिन बाद चाचा वापस आ गए, और मुझे लगा—यार, मेरी किस्मत ही खराब है। फिर 4 महीने बाद चाचा का टूर दोबारा लगा। इस बार मैंने सोच लिया कि कुछ भी हो, चाची को चोदना है।
दशहरे की रात का नजारा
दशहरे से एक दिन पहले की बात है। मुझे जोर की मूताश लगी, तो मैं पेशाब करने उठा। बत्ती जलाते ही जो देखा, वो देखकर मैं दंग रह गया। चाची सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में सो रही थीं—शायद उन्हें गर्मी लगती थी। ये देखकर मेरा 6 इंच का लंड नाग की तरह फुफकारने लगा। मैं पहले पेशाब करने गया, लेकिन वापस आते ही नींद गायब हो गई और मेरी अंतर्वासना जाग उठी।
मैं चुपचाप उनके बगल में लेट गया और धीरे से उनके पीछे पूरा चिपक गया। मेरे शरीर में कंपकंपी हो रही थी, पर मैंने हिम्मत करके उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। फिर उनकी चूचियों पर हाथ रखा और एक मिनट तक वैसे ही रहा, ताकि उन्हें शक न हो। फिर मैंने हाथ नीचे बढ़ाया और पेटीकोट ऊपर किया। देखा तो वो पैंटी भी नहीं पहने थीं। मेरा लंड अब पानी छोड़ने लगा।
चाची की चूत में पहला कदम
मैं अपने मिशन में जुटा था। मैंने उनकी जांघों के बीच हाथ रखा, उनकी टांग हल्के से उठाई, और अपना लंड उनकी चूत पर लगा दिया। तभी चाची झटके से उठ गईं और बोलीं, “ये क्या कर रहे हो? तुम्हारे चाचा को पता चला तो तुम्हें नहीं छोड़ेंगे!” मैं सकपका गया, लेकिन दिमाग में ठानी थी कि मिशन पूरा करना है। मैंने कहा, “चाची, आपको देखकर मुझमें मर्दानगी जागी है!”
ये कहकर मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोरदार चुम्बन करने लगा। हाथों से उनके मम्मे दबाने लगा। चाची भी गर्म हो गईं और मेरा साथ देने लगीं।
चूत का मजा और जोरदार चुदाई
मैंने उन्हें लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा। उंगली डालकर उन्हें तड़पाया। चाची के मुँह से “आह्ह्ह… आह्ह्ह” की आवाजें आने लगीं। ये सुनकर मैं बेकाबू हो गया। मैंने अपने “नाग” को उनकी चूत के “बिल” में डाला। आवाज आई—“ओह हो… आह्ह्ह”। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। चाची बोल रही थीं, “ओह भगवान… ओह माय गॉड!” फिर बोलीं, “राहुल, आज तो लग रहा है तू मेरी चूत फाड़ देगा। सच में आज मुझे सेक्स का असली मजा मिला।”
मैंने लंड उनकी चूत में डाले-डाले उनसे चिपककर पूरी रात बिताई। सच में लगा कि जन्नत धरती पर ही है।
सुबह की नमस्ते
सुबह चाची बोलीं, “मुझे सुबह की नमस्ते नहीं करोगे?” मैंने रात वाले अंदाज में फिर से उन्हें चोदा। चाची बहुत खुश हो गईं। उस दिन के बाद चाचा के टूर पर जाते ही मैं चाची की जवानी का रस लेता हूँ।
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