रात के अंधेरे में चाची को जी भरकर चोदा
हाय दोस्तों, ये कहानी तब की है जब मैं 18 साल का था और मेरी चाची की उम्र 35 साल थी। चाची की सुंदर बॉडी, बड़े-बड़े बूब्स, और उनका सुडौल गोरा बदन देखकर मेरा मन हमेशा डोल जाता था। उनका सेक्सी फिगर इतना हसीन था कि जब भी मैं उन्हें देखता, मेरे अंदर एक अजीब सी गुदगुदी होने लगती थी। एक बार चाची ने मुझे अपने घर पर एक महीने के लिए रहने के लिए बुलाया। उनका घर छोटा सा था—बस दो कमरे, एक किचन और एक हॉल। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो चाची ने मुझे गले से लगा लिया। उनके बूब्स मेरे सीने से दब गए, और मुझे बहुत मजा आया। मैंने भी उन्हें गले लगाया और उनके गाल पर एक किस कर दी।
चाची का सेक्सी अंदाज
चाची घर में ज्यादातर गाउन पहनती थीं, जो उनके फिगर को और भी उभारता था। जब वो काम के लिए झुकतीं, तो उनके बूब्स का भूगोल साफ दिखता। एक बार जब वो नीचे झुकीं, तो मुझे पता चला कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। उनके बूब्स और थोड़ी सी चूत दिख गई। ये देखकर मेरा 8 इंच का लंड खड़ा हो गया, और मैं तुरंत बाथरूम में जाकर मूठ मार आया। चाची मुझे बहुत प्यार करती थीं, लेकिन मेरा मन अब उन्हें चोदने के लिए मचल रहा था। पर हिम्मत नहीं हो रही थी।
हम सब एक ही बेड पर सोते थे—चाचा, चाची, और मैं। बेड बड़ा था, तो कोई दिक्कत नहीं होती। सोने से पहले चाची हमें दूध देती थीं, और रात को घर में इतना अंधेरा रहता था कि किसी का चेहरा भी नजर नहीं आता।
चाचा-चाची की चुदाई का नजारा
एक रात मेरी नींद खुली तो मुझे कुछ अजीब लगा। मैंने गौर किया तो चाचा चाची की चुदाई कर रहे थे। चाची नंगी नीचे लेटी थीं, और चाचा उनके ऊपर थे। चाची धीमी आवाज में सिसक रही थीं—”आहह… ऊह… ना… ऊउन“। ये देखकर मेरा लंड तन गया। मैंने उसे पकड़कर वहीँ मूठ मार ली। दोनों काफी देर तक चुदाई करते रहे, और मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई। इसके बाद मेरा मन और बेकाबू हो गया। अगले 4-5 दिन मैं जल्दी सोने का बहाना करके लेट जाता और उनकी चुदाई देखता। एक बार चाचा चाची की चूत को मुँह से चूस रहे थे, और चाची आँखें बंद करके मजे ले रही थीं। मुझसे रहा नहीं गया—मैंने हाथ बढ़ाकर चाची की एक चूची पर रख दिया।
चाची को कुछ पता नहीं चला कि ये मेरा हाथ था। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैं जोर-जोर से उनकी चूची दबाने लगा। उनकी चूची इतनी बड़ी थी कि मेरे हाथ में समाती ही नहीं थी। चाची भी मजे से दबवा रही थीं। मैंने दूसरे हाथ से लंड पकड़कर मूठ मारी और पानी निकलते ही सो गया। मैंने नोटिस किया कि चाचा-चाची चुदाई के दौरान बात नहीं करते थे।
शनिवार की रात और नींद की गोली
शनिवार को चाचा की रविवार की छुट्टी होती थी, तो वो चाची को जमकर चोदते थे। शायद चाची भी इसकी तैयारी करती थीं। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैं मेडिकल स्टोर गया और नींद की गोलियाँ ले आया। दुकानदार से कहा कि मेरे दादाजी को नींद नहीं आ रही, उनके लिए गोलियाँ चाहिए। उसने कहा 2 काफी हैं, पर मैं 4 ले आया। रात का इंतजार करने लगा। चाची ने मुझे किचन में बुलाकर चाचा के लिए दूध दिया। मैंने उनकी नजर बचाकर 4 गोलियाँ चाचा के दूध में मिला दीं और उन्हें दे दिया। चाचा ने पी लिया। उस रात चाची ने नाइटी पहनी थी।
सब लेट गए, और मैंने लाइट बंद कर दी। एक घंटे बाद मैंने चाचा को हिलाकर चेक किया—वो गहरी नींद में थे। मैंने उन्हें साइड में सरकाया और उनकी जगह ले ली। चाची का मुँह दूसरी तरफ था, उन्हें कुछ पता नहीं चला।
चाची के साथ पहला स्पर्श
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और चाची की कमर पर हाथ रखा। मुझे लगा वो सो गई हैं, पर वो जाग रही थीं। मैंने हाथ उनके बूब्स पर रखा और नाइटी के ऊपर से दबाने लगा। उनसे चिपक गया, मेरा लंड उनकी गांड को छू रहा था। मैंने एक टाँग उनकी टाँगों के बीच डाल दी और पैर से उनकी चूत को रगड़ने लगा। चाची गर्म होने लगीं। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुँह मेरी तरफ किया, तो मैंने उनके होंठों पर किस कर दी। उनके होंठों का स्वाद मुझे पागल कर गया।
मैंने हाथ नाइटी के अंदर डालकर उनकी चूची दबाई। चाची ने मेरा हाथ पकड़कर और दबाया। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने उनकी नाइटी उतार दी और ऊपर लेट गया। अपने बदन से उनका बदन रगड़ने लगा—उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थीं, और मेरा लंड उनकी पैंटी के ऊपर से चूत पर रगड़ रहा था।
चाची की चुदाई का मजा
मैं उनके होंठों और गालों को चूमता रहा। चाची धीरे से बोलीं, “आज क्या हुआ है तुम्हें? आज तो बहुत अच्छे से कर रहे हो।” मैं चुप रहा और अपने काम में लगा रहा। फिर मैं उनकी चूचियों की दरार पर आया और एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगा, दूसरी को हाथ से दबाने लगा। चाची पागल हो रही थीं—“आह… आराम से… हाई”। मैंने एक चूची को रगड़-रगड़कर लाल कर दिया। वो बोलीं, “आराम से जान।” मैंने उनके पेट पर किस किया और चूत की तरफ मुँह ले गया। उनकी जाँघों को पागलों की तरह चूमने लगा। हम 69 की पोजीशन में आ गए।
मैंने उनकी पैंटी पर हाथ रखा—वो गीली थी। उसकी मादक खुशबू ने मुझे दीवाना कर दिया। मैंने जीभ से उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से चाटा। उधर चाची मेरे लंड को जीभ से चाट रही थीं। कभी दबातीं, कभी मुँह में लेकर अंदर-बाहर करतीं। मुझसे रहा नहीं गया—मैंने हल्का झटका मारा, और मेरा 4 इंच लंड उनके मुँह में चला गया। उनकी आँखों से आँसू निकल आए, पर वो और जोश से चूसती रहीं। मैंने उनकी पैंटी उतारी—वो चूत मेरे सामने थी जो मुझे रोज तड़पाती थी।
चूत और लंड का खेल
मैंने जीभ उनकी चूत पर फेरी—ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर। चाची की हालत खराब थी। मैंने दो उंगलियाँ चूत में डाली और जीभ से चोदने लगा। चाची पागलों की तरह गांड ऊपर-नीचे करने लगीं। वो दो बार झड़ गईं, और मैं उनका रस पी गया। फिर मैंने एक उंगली उनकी गांड में डाली। उधर चाची ने मेरे लंड का पानी चूसकर निकाल दिया और उसे फिर से खड़ा करने लगीं।
15-20 मिनट बाद मेरा लंड फिर तन गया। चाची बोलीं, “जान, आज सेक्स में बहुत मजा आ रहा है। आज कहाँ से सीखकर आए हो?” मैंने उनकी बात अनसुनी कर दी। मैंने उनके होंठ चूमे और जीभ से जीभ चूसने लगा। फिर उनकी चूचियों को जोर से दबाया—उनके मुँह से चीख निकलते-निकलते रह गई। मेरा लंड उनकी चूत पर दस्तक दे रहा था। चाची बोलीं, “जान, अब सहा नहीं जाता।” मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रखवाया। उन्होंने टाँगें फैलाईं और लंड चूत पर सेट किया। मैंने उन्हें तड़पाने के लिए 5 मिनट तक अंदर नहीं डाला। वो फिर बोलीं, “अब डाल भी दो, क्यों तड़पा रहे हो?”
जोरदार चुदाई की शुरुआत
मैंने एक जोरदार झटका मारा—मेरा पूरा लंड चाची की चूत में समा गया। उनकी हल्की चीख निकली, तो मैंने उनका मुँह दबा दिया। उनकी चूत टाइट थी—शायद चाचा का लंड मेरे से छोटा था। चाची बोलीं, “आज तुम्हें क्या हो गया? मार ही डालोगे क्या? तुम्हारा लंड भी बड़ा लग रहा है।” मैंने फिर उन्हें चुप कराकर चुदाई शुरू कर दी। चाची सिसक रही थीं—“उम्म… आह… मेरी चूत फट गई… जोर से”। वो भूल गईं कि मैं पास में हूँ।
चाची नीचे से कमर उछालकर चुदवा रही थीं। वो दो बार झड़ चुकी थीं, पर मैं अभी नहीं झड़ा था। 25 मिनट तक मैंने उन्हें जोरदार चोदा। फिर मैं थक गया, तो उन्हें अपने ऊपर बिठा लिया। चाची मेरे लंड पर बैठ गईं और मुझे किस करने लगीं। बोलीं, “इतना मजा तो सुहागरात को भी नहीं आया।” मैंने उनकी गांड पकड़कर ऊपर-नीचे किया। चाची मेरे लंड पर उछल रही थीं—उनकी चूचियाँ मस्त लग रही थीं। मैंने उन्हें चिपकाया और एक चूची चूसने लगा। चाची दूसरी चूची खुद दबाने लगीं। वो फिर झड़ गईं—उनका पानी मेरे लंड पर आ रहा था। मैंने उसे चाटा, फिर चाची के मुँह में डाला। पहले वो हिचकिचाईं, फिर चाट लिया।
आखिरी चुदाई और सच का खुलासा
मेरी थकान मिट गई। मैंने चाची को नीचे लिटाया, उनकी टाँगें बेड की साइड पर उतारीं, और गांड के नीचे तकिया रखा। एक टाँग कंधे पर रखी और लंड चूत में डाला। चाची बोलीं, “जान, जरा तेज करो।” मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। चाची कमर उठाकर चुदवा रही थीं। उनकी चूत फिर गीली हो गई। मैंने दो उंगलियाँ उनकी गांड में डाली, पर वो हटा देती थीं। 45 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। तेज धक्कों के साथ चाची भी झड़ गईं। इस चुदाई में वो 4 बार झड़ीं।
मैं चाची पर गिर गया। वो मुझे चूमने लगीं और बोलीं, “जान, जैसा आज चोदा, वैसे रोज क्यों नहीं चोदते?” मैंने कहा, “चाची जान, आज से पहले आपने मौका ही कहाँ दिया था?” ये सुनते ही चाची चौंक गईं। बोलीं, “तेरे चाचा कहाँ हैं?” मैंने कहा, “वो तो नींद की गोली लेकर सो रहे हैं। इतनी देर से मैं ही आपको चोद रहा था।” चाची मुझे हटाने लगीं, पर मैंने उन्हें पकड़ रखा। मैंने कहा, “आप बहुत नमकीन हो चाची, दिल करता है आपको चोदता ही रहूँ।” मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा और बूब्स दबाने लगा। चाची मान गईं और बोलीं, “तेरे चाचा को पता नहीं चलना चाहिए।” उस दिन से हम पति-पत्नी की तरह चुदाई करते हैं।
आपको कैसी लगी?
दोस्तों, ये थी मेरी चाची की चुदाई की कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताना। धन्यवाद!