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वासना के रंग में रंगा मेरा लण्ड 1

Vasna ke rang me ranga mera lund-1

हाय दोस्तो!!

आप सब लड़कियों, भाभियों और औरतों की चिकनी और बालों वाली तथा सभी चुदी और अनचुदी चूतों को मेरे लण्ड महाराज का प्रणाम… एम स स पड़ने वाले बाकी सभी खड़े, मोटे और लंबे लण्ड के मालिकों को भी मेरा नमस्कार!!!

तो मित्रों, मैं छोटी काशी नगरी यानी भिवानी – हरियाणा का निवासी हूँ।

मेरा नाम राजा मलिक है। जैसा मेरा नाम है वैसा ही मेरा काम है… मैं नाम का राजा और मर्जी का मालिक हूँ!!

मित्रों मैं मेरे जीवन की पहली कहानी, आप के समक्ष रख रहा हूँ।

मैंने इससे पहले कभी चूत का स्वाद नहीं लिया था। हमेशा मैं अपने ब्लोक की लडकियों और भाभीयों के बदनों को आँखों से नाप कर रात को सपनों में अपने बिस्तर में पाता था और सुबह लण्ड महाराज कच्छे में ही विसर्जित हो जाते थे!!

तो हुआ यूँ क़ी मैं बीए करने के बाद बेराजगार था। जिसके बाद काम की तलाश में, मैं इधर उधर भटक रहा था।

इसी प्रकार मेरा काम की तलाश में हिसार जाना हुआ।

और मेरी कहानी यहीं से शुरू हुई… मैं जैसे ही हिसार स्टेशन पर उतरा तो स्टेशन पर भीड़ के मारे, मैं मेरे आगे चल रही नवयुवती के सीने पर जा टकराया!! !!!

पीछे से अधिक भीड का दबाव होने के कारण, मेरा हाथ उसके सीने पर दब गया। जिदंगी में पहली बार महिला के जिस्म को छूने से मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई और मेरा आठ इंच लम्बा लिंग भी पैंट मे अपना फन उठाने लगा!!

इस दौरान जिस नवयुवती के सीने पर मेरे हाथ का दबाव था, मैंने उसे पीछे मुड कर देखा। मेरे होश उड़े हुए थे कि कहीं अभी एक चमाट ना मुँह पर आकर लगे।

लेकिन हुआ इसका उल्ट, उसने एक प्यारी मुस्कान मेरी तरफ उछाली और महिला की तरफ से रास्ता साफ देख कर मेरा जोश बढ़ गया।

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जैसा की होता है, मैं उसे अब अंजान महिला ना मान कर अपनी ही प्रोपर्टी मान बैठा और अब मैं दोनों हाथों से उसके शरीर को जकड़े हुए था।

इधर दूसरी ओर मेरे लिंग महाराज भी अपना फन उठा चुके थे और उस अंजान नवयुवती की गुदा के सुराख पर अपना आसन जमाए हुए थे, जो की पीछे से पडने वाले धक्कों से उस गुफा में प्रवेश करने का भरसक प्रयास कर रहे थे!!

इस वक्त मैं पूरे जोश में था, साथ ही मेरा जोश उस समय दुगना हो जाता था जब वह महिला बीच बीच मे मेरे लिंग को हिला कर अपने सही स्थान पर सैट करवा रही थी…

मैं बार बार उसे नवयुवती इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकी मैं उसका नाम नहीं जानता था।

मैंने एक हाथ उसके शरीर से हटाया और अपने लिंग को पैंट की बैल्ट की तरफ मोड लिया, क्यूंकी हम गेट के नजदीक पहुँच चुके थे।

इसी दौरान उसने पीछे मुडकर देखा, उसका चेहरा लाल और आँखें मस्त हो चुकी थीं। उससे दूर होकर मैं भी कुछ विचलित सा हो गया और यही हाल उसका था!!

चलो खैर, सीने पर पत्थर रखकर उसे छोडकर पीछे होना पडा…

पर इससे पहले मैं और वो जुदा होते, एक ऑटो वाला आया और मुझसे पूछा – कहाँ जाना है, भाई साहब-भाभीजी?

हमारे मुँह से एक साथ निकला कैम्प!!…

वह मुझे और मैं उसकी तरफ देखने लगे और खो गए। ऑटो वाले ने हम झिंझोडा और कहा – बाकी घर जाकर देख लेना, एक दूसरे को… यहां से तो चलो!!!

वो शर्मा गई और हम ऑटो मे बैठ गए। हमारे बैठते ही ऑटो वाले ने गाना लगा दिया – “थोडा सा प्यार हुआ है… थोडा है बाकी!!”

गाने के बोल सुनते ही हम एक दूसरे को देखने लगे। तभी उस नवयुवती ने कहा -कहाँ जाना है, आपको?

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मैं हडबडाहट में बोला – जी!!

उसने पुन: कहा – कहाँ जाना है, आपको??

अब मैंने अपनी जेब से एक कार्ड निकाल कर उसे दिखाया। उसने पता पढा और कहा – यह तो बिल्कुल मेरे घर के पास है।

उसके इतना कहते ही हम खामोश हो गए। उसने फिर पूछा – क्या नाम है, आपका?

मैंने कहा – राजा! और आपका?

उसने कहा – स्वीटी!!

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जैसा उसका नाम वैसा ही उसका फिगर 36-26-38… मस्त चूचे… पतली कमर और थोडी सी भारी गाण्ड… जिसे देखते ही मेरा लण्ड एक फिर फन उठाने लगा!! जिस पर मैंने अपना हाथ रख कर दबाना शुरू कर दिया!!!

शायद स्वीटी को इस चीज का एहसास हो गया था। वह भी मेरे लण्ड की तरफ “भूखी शेरनी” की तरह देख रही थी। तभी उसने अपना मोबाईल निकाल कर नम्बर मिलाया और बोला – मम्मी, मैं हिसार आ गई।

उस तरफ जाने क्यां जवाब मिला, वो एकदम से खिल उठी और मुझे देखकर बोली – आपकी और मेरी मंज़िल आने वाले है।

अचानक ऑटो का पहिया, खडे में गिरा और उसका संतुलन बिगड गया और वह मेरे ऊपर आ गिरी!! !!!

उसके नरम चुचों की चुभन, मैं मेरे सीने पर महसुस कर रहा था। इतने में उसके गालों पर होठ टकरा गए और मैंने एक चुंबन उन पर जड दिया… जिसकी सिरहन मैं उसके जिस्म में महसुस कर रहा था!!

इतने मे ऑटो रूका और चालक ने कहा – आपकी मंज़िल आ गई… और वो मुझसे अलग हो गई।

मैंने जैसे ही ऑटो चालक को पैसे देने के लिए पर्स निकला, उसने मेरा हाथ पकड कर दबाया और आँखों से इशारा किया। मैं रूक गया और उसने ऑटो चालक को रूखसत कर दिया।

मैंने उससे कहा – वो मेरा पता!! ?? तो उसने कहा – बताती हूँ, जल्दी क्या है!!

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इतना कहकर वह आगे चल दी और मैं जादू सा बँधा, उसके पीछे चल दिया। उसने गली के कोने पर आकर मुझे रूकने को कहा और एक दुकान मे जाकर कुछ खाने का सामान लेकर लौटी और फिर चल पडी।

मैं फिर उसके पीछे चल पडा, गली के अंत में जाकर वह एक शानदार मकान के सामने रूकी और गेट का ताला खोलने लगी और हाथ मे लिया सामान मुझे पकडा दिया।

मैं जादु के गुडडे की तरह उसका हुक्म बजा रहा था और मैंने समान को हाथ में ले लिया। इतने में उसने गेट खोल लिया और मुझे अंदर बुलाया!!…

मैंने कहा – वो मेरा पता?? तो उसने कहा – जो काम अधुरा छोडा, पहले वो तो पूरा कर लो। फिर नए काम पर जाना!!!

कहानी जारी है…