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मौसी की चुदाई: तांत्रिकों के साथ हवस भरी रात

25 साल के आशीष की सच्ची और मसालेदार सेक्स स्टोरी, जिसमें उसकी 35 साल की हॉट मौसी तांत्रिकों के साथ हवस के खेल में उलझ जाती हैं। बड़े बूब्स, मोटी गांड और तंत्र-मंत्र की आड़ में चुदाई का तांडव—पढ़ें ये कामुक कहानी।

हाय दोस्तों, मेरा नाम आशीष है। उम्र 25 साल, हाइट 5.11 इंच, और मेरा लंड 7 इंच का है। दिखने में मैं काफ़ी स्मार्ट हूँ, और आज मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची और मसालेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये मेरी मौसी की चुदाई की कहानी है, जिसमें वो कुछ तांत्रिकों के साथ उलझ गईं। तो चलो, बिना टाइम वेस्ट किए शुरू करते हैं और मज़े लेते हैं!

मौसी का हॉट अवतार

पहले थोड़ा मौसी के बारे में बता दूँ। उनकी उम्र 35 साल है, लेकिन वो इतनी गोरी और सेक्सी हैं कि 25 की लगती हैं। उनका फिगर एकदम कातिलाना—बड़े-बड़े गोल बूब्स, साइज़ 40, और मोटी-मोटी गांड। जब वो बाथरूम से नहाकर बाहर आतीं, तो सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में होतीं। मुझे अभी भी बच्चा समझती थीं, तो मैं उनके बूब्स को घूरता रहता और मज़े लेता। शादीशुदा होने के बावजूद वो कुंवारी सी हॉट लगती थीं।

शादी के कुछ महीने बाद ही वो नाना-नानी के घर रहने आ गई थीं। मौसा जी कम कमाते थे, शायद उन्हें सुख-सुविधा नहीं दे पाए, तो वो अपने पति के साथ मायके में ही सेटल हो गईं। उस वक़्त मेरे कॉलेज की गर्मियों की छुट्टियाँ थीं, तो मैं भी नाना-नानी के घर चला आया। फिर एक दिन नाना-नानी किसी काम से बाहर गए, और उसी दिन मौसी और मौसा जी का ज़बरदस्त झगड़ा हुआ। मौसा जी गुस्से में घर छोड़कर चले गए। अब घर में सिर्फ़ मैं और मौसी रह गए। कुछ दिन बाद मुझे भी अपने घर लौटना था, लेकिन तब तक मौसी का रूप और हॉट हो गया। वो बिना बाजू के ब्लाउज़ पहनने लगीं, बाल खुले रखतीं, और पूरे घर में कामुक अंदाज़ में घूमतीं। उनका जिस्म देखकर मेरा मन डोलने लगा।

तांत्रिकों का आगमन

मैं दिन में दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जाता था। एक दिन जल्दी घर लौटा तो देखा, दो अजीब से लोग मौसी से मिलने आए थे। गले में मोटी-मोटी मालाएँ, हाथ में त्रिशूल—पक्के तांत्रिक लग रहे थे। वो किसी दूसरे गाँव के थे, मैंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था। मुझे देखते ही वो चले गए। मैं अंदर गया तो मौसी कुछ पूजा की तैयारी कर रही थीं। वो दोनों तांत्रिक उनके जिस्म को घूर रहे थे, लेकिन मौसी को कोई परेशानी नहीं थी। मैंने कुछ नहीं पूछा, पर मन में सवाल घूमते रहे। रात को सोते वक़्त भी यही सब सोचता रहा।

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अगले दिन फिर क्रिकेट खेलने गया और उसी टाइम घर लौटा। इस बार मौसी कहीं दिखी नहीं। एक कमरे का दरवाज़ा बंद था, और उसमें से धुआँ निकल रहा था। पास की छोटी खिड़की से झाँका तो मेरा दिमाग़ हिल गया। मौसी ज़मीन पर नंगी बैठी थीं। कमर पर बस एक पतला कपड़ा बंधा था, जो उनकी चूत पर लटक रहा था। गांड पूरी खुली थी। सामने वो तांत्रिक भी नंगा बैठा था। उसका लंड साँप की तरह लंबा, काला, मोटा, और चमकदार था। टोपा गुलाबी और गीला, शायद एक राउंड पहले ही हो चुका था। मौसी का बदन तेल से चमक रहा था। मेरा लंड जींस में तन गया।

हवस की पूजा शुरू

तांत्रिक ने मंत्र पढ़ते हुए मौसी को लेटने को कहा। फिर उनके जिस्म पर तेल मलने लगा। जाँघों को रगड़ते हुए उनकी चूत को भी सहलाता रहा। फिर बोला, “मेरी मालिश करो।” मौसी उठीं—क्या सीन था! नंगा बदन, बस चूत पर एक कपड़ा लटक रहा था। चूचियाँ और गांड बाहर निकले हुए। पहले तांत्रिक के पैर छुए, फिर उसकी मालिश शुरू की। अचानक उसका लंड मुँह में ले लिया। तांत्रिक ने बाहर निकाला, उन्हें उल्टा लिटाया, और गांड में जीभ डालकर चाटने लगा। उसकी दाढ़ी-मूँछ चुभ रही थी, पर मौसी को मज़ा आ रहा था। 15 मिनट तक वो चूत और गांड चाटता रहा। फिर अपना 7 इंच का काला लंड उनकी गांड में डाला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।

मौसी चिल्लाईं, “आह उह्ह्ह माँ, थोड़ा धीरे! चूत में डालो, गांड में दर्द होता है।” तांत्रिक बोला, “हरामज़ादी, काम पूरा एक तरीक़े से होगा। मनोकामना पूरी करनी है तो चुपचाप गांड मरवा। चूत की बारी रात में आएगी।” वो ताबड़तोड़ गांड मारने लगा। तेल की वजह से मौसी को अब दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा। वो उनकी मोटी गांड को निचोड़ रहा था, जैसे तरबूज़ का रस निकाल रहा हो। पीछे से बूब्स को भी मसल रहा था। मौसी आँखें बंद करके “आह उह्ह्ह अह्ह्ह” कर रही थीं और अपनी चूत में तीन उंगलियाँ डालकर मज़े ले रही थीं।

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तांत्रिक गांड में झड़ गया। मौसी कई बार झड़ चुकी थीं, पर उनकी हवस कम नहीं हुई। वो उठीं और चूत सहलाने लगीं। तांत्रिक बोला, “इसे भी शांत करूँगा, पर जैसा कहूँ वैसा करना।” मौसी बोली, “महाराज, आपकी कृपा बनी रहे, जो कहें वो करूँगी।” उसने कहा, “रात को तैयार रहना,” और कंबल ओढ़कर चला गया। मौसी आधे घंटे तक नंगी बैठकर पूजा करती रहीं, चूत रगड़ती रहीं, फिर साड़ी लपेटकर बाहर आ गईं।

रात का तांडव

मैं रात का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। हम आँगन में अलग-अलग पलंग पर सोते थे। उस दिन मौसी मुझे कामुक नज़रों से देख रही थीं। सिर्फ़ साड़ी लपेटी थी, जिससे उनका सेक्सी बदन साफ़ दिख रहा था। रात को मैंने सोने का नाटक किया। मौसी ने साड़ी उतार दी और करवट लेकर चूत रगड़ने लगीं। उनकी गांड चाँदनी में दो सफेद पहाड़ियों सी लग रही थी। मुझे समझ आया कि वो मौसा जी से क्यों लड़ती थीं और मायके में क्यों रहती थीं। तंत्र-मंत्र में यक़ीन की वजह से वो किसी से भी चुदवा लेती थीं। मेरा लंड तो दिनभर से तना था, और उन्हें ये पता था।

तभी दरवाज़े पर आहट हुई। मौसी नंगी ही उठकर गईं। रात के 12 बज रहे थे। दरवाज़ा खुलते ही तीन तांत्रिक अंदर आए। एक वो था, जिसने दिन में गांड मारी थी। सब राख में सने, नंगे, गले में हड्डियों की मालाएँ, हाथ में त्रिशूल। लंड के पास घने बाल, एक का तो सफ़ेद था—शायद सरदार। मौसी को देखते ही सबके लंड टाइट हो गए—7-8 इंच के मूसल। मौसी उनके पैरों में गिर पड़ीं, पर नज़रें लंड पर टिकी थीं।

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तांत्रिक बोले, “ये बालक कौन है?” मौसी बोली, “मेरा भांजा, गहरी नींद में है।” फिर पूछा, “तैयार हो?” मौसी बोली, “आपकी दासी हूँ, जो चाहें करिए।”

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हवस का अनुष्ठान

तांत्रिक ने कहा, “ज़मीन पर लेट जा।” मौसी लेटीं। सबने मालाएँ उतारीं, धूप जलाई, दारू निकाली, घूँट मारा, और मौसी पर डाल दिया। फिर पेशाब करने लगे। मुझे घिन आई, पर मौसी “आहम्म अह्ह्ह उह्ह्ह” कर रही थीं। मैं सोने का नाटक करता रहा, पर पेंट में लंड रगड़ते हुए एक बार झड़ गया।

सरदार ने मौसी का मुँह में लंड घुसाया। वो चूसने लगीं। एक-एक करके सबका लंड चूसा। अब वो चुदने को बेताब थीं। सरदार लेटा, मौसी उसके लंड पर बैठीं और उछलने लगीं। पीछे से एक चेले ने गांड में लंड डाला। मौसी “आह उह्ह्ह” करने लगीं। सरदार बूब्स मसल रहा था। तीसरे ने मुँह में लंड डाला। मौसी तीनों तरफ़ से चुद रही थीं। बीच में मेरी तरफ़ देखा, मैं सोने का नाटक करता रहा। वो मुस्कुराईं और मज़े लेती रहीं।

दो चेले झड़ गए, पर सरदार लगा रहा। फिर मौसी को पटककर तेज़ धक्के मारे। मौसी चिल्लाईं, “मारो, और ज़ोर से! अह्ह्ह डालो उह्ह्ह, चोदो, फाड़ दो मेरी चूत!” आधे घंटे बाद सरदार झड़ा। मौसी उसका ढीला लंड चूसने लगीं। सरदार बोला, “चेलों, इस छिनाल का और भोग लो,” और नंगा बाहर चला गया। दोनों चेले रातभर मौसी को चोदते रहे। मुझे नींद लग गई। सुबह उठा तो लंड बाहर था। उसे पेंट में डाला और सब भूलकर अपने काम में लग गया।

अभी भी वो तांत्रिक आते हैं और मौसी को जमकर चोदते हैं।