Bhabhi SexFamily Sex Storiesमाँ की चुदाई

भाभी ने माँ को चोदना सिखाया – एक नाजायज़ रिश्ते की कहानी

हाय दोस्तों, मेरा नाम वासु है और आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरे दिल और जिस्म दोनों को हिला कर रख दिया। ये कहानी मेरी भाभी और मेरी माँ के साथ मेरे उन गलत, लेकिन बेहद रोमांचक रिश्तों की है, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता। मेरी माँ की उम्र 42 साल है, भाभी 34 की हैं, और मैं अभी 18 का जवान हूँ। माँ और भाभी दोनों के बूब्स भरे हुए और मोटे हैं, उनकी गांडें एक जैसी गोल और रसीली हैं। ये कहानी उस वक्त शुरू हुई जब मैंने माँ को नंगी देखा और मेरे अंदर की आग भड़क उठी।

पहला अध्याय: माँ की नंगी झलक

ये बात तब की है जब मैं एक दिन घर में अकेला था। माँ बाथरूम में नहा रही थीं। दरवाज़ा थोड़ा खुला था, और मैंने गलती से अंदर झाँक लिया। माँ बिल्कुल नंगी थीं। उनकी गोरी चमकती त्वचा, पानी से भीगे हुए विशाल बूब्स, और नीचे उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल – ये नज़ारा मेरे दिमाग में छप गया। मैं पागल हो गया। उस दिन से मेरे अंदर एक अजीब सी चाहत जागी। मैं माँ जैसे फिगर वाली औरतों की ओर खिंचने लगा। मेरी तमन्ना थी कि मैं भी चुदाई करूँ, माँ की चूत को चाटूँ, उनकी गांड मारूँ। लेकिन ये सब एक सपना ही लगता था।

फिर मैं बुआ के घर गया। वहाँ मेरी भाभी भी थीं। भाभी हमेशा साड़ी पहनती थीं, लेकिन उनके पास एक राज़ था – वो साड़ी के नीचे पैंटी नहीं पहनती थीं। मैंने एक दिन उन्हें माँ से कहते सुना, “आप भी तो पैंटी नहीं पहनतीं, फिर मैं क्यों पहनूँ?” ये सुनकर मेरे मन में भाभी को फंसाने का ख्याल आया।

दूसरा अध्याय: भाभी के साथ नज़दीकियाँ

एक दिन भाभी अपने बच्चे को दूध पिला रही थीं। उनका ब्लाउज़ थोड़ा खुला था और उनके मोटे, गोरे बूब्स साफ दिख रहे थे। मैं उन्हें घूरने लगा। मेरी नज़रें उनके बूब्स पर टिक गईं। भाभी ने मुझे देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं। उल्टा उन्होंने ब्लाउज़ को और नीचे सरका दिया, जैसे मुझे और दिखाना चाहती हों। मेरे अंदर की आग और भड़क गई। मैंने धीरे-धीरे भाभी से मज़ाक शुरू किया। पहले हल्की-फुल्की बातें, फिर खुलकर मज़े लेने वाली चर्चा। भाभी भी मुझसे खुलने लगीं। उन्हें मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगने लगा।

एक दिन हम बातें कर रहे थे। गर्मी बहुत थी। भाभी बोलीं, “मुझे नहाना है, बहुत गर्मी लग रही है।” मैंने कहा, “हाँ, नहा लो।” वो बाहर बरामदे में गईं और दरवाज़ा बंद करके नहाने लगीं। मैंने मज़ाक में कहा, “दरवाज़ा अच्छे से बंद करो, वरना मैं देख लूँगा।” वो हँसीं और बोलीं, “नहीं, तुम अंदर ही रहना।” नहाकर वो वापस आईं। उनकी साड़ी गीली थी और बदन से चिपकी हुई थी। वो बोलीं, “मैं बिल्कुल नंगी नहाती हूँ। पेटीकोट भी नहीं पहनती, वो चिपक जाता है।” ये सुनकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

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मैंने उनका हाथ पकड़ा और चूम लिया। वो बोलीं, “छोड़ो, कोई आ जाएगा।” मैंने कहा, “कोई नहीं आएगा, प्लीज़ एक बार करने दो।” और मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो मना करती रहीं, “बस करो, कोई देख लेगा।” लेकिन मैं रुका नहीं। आखिरकार मैंने उन्हें छोड़ दिया।

अगले दिन वो कपड़े बदल रही थीं। मैंने कहा, “आ जाऊँ?” वो मुस्कुराईं, “सब तुम्हारा ही है, आ जाओ।” उन्होंने पेटीकोट का नाड़ा खोला और वो नीचे गिर गया। भाभी बिल्कुल नंगी थीं। मैं उनसे लिपट गया। मैंने कहा, “भाभी, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।” और उनके बूब्स चूसने लगा। वो सिसक उठीं, “उफ्फ्फ… आह्ह… वासु, आराम से पियो, थोड़ा बच्चे के लिए भी बचा दो।” मैंने एक बूब चूसा, फिर दूसरा। फिर मैंने कहा, “नीचे की जगह भी चूस लूँ?” वो चुप रहीं, बस सिसकती रहीं।

मैंने उनकी चूत पर मुँह लगा दिया। मैंने कहा, “दूध नहीं तो जूस पी लूँ?” वो बोलीं, “उफ्फ्फ… वासु, जितना पीना है पी लो… आह्ह… माँ, मर गई।” वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं। फिर बोलीं, “मुझे अपना वो दिखाओ।” मैंने कहा, “आपका ही है, निकाल लो।” उन्होंने मेरी पैंट खोली और लंड बाहर निकाला। वो चौंकी, “ये तो बहुत बड़ा है। मैंने ऐसा लंड कभी नहीं देखा।” और उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैं बोला, “हाँ भाभी, और लो… पूरा अंदर डालो।” वो मेहनत से चूस रही थीं।

फिर वो बोलीं, “अब रहा नहीं जाता।” उन्होंने मैक्सी पहनी, लेकिन नीचे से नंगी रहीं। मैक्सी को बूब्स तक उठा लिया। मैंने उन्हें लिटाया और लंड उनकी चूत में एक ही धक्के में घुसा दिया। वो चिल्लाईं, “आह्ह… ऊईई… माँ, मर गई… धीरे करो।” मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोलीं, “तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। थोड़ा मक्खन लगाओ।” मैंने मक्खन लगाया और फिर ज़ोर से धक्का मारा। वो सिसक उठीं, “उफ्फ्फ… आह्ह…” और अपनी टाँगें मेरी कमर में फँसा दीं। वो मुझे गंदे तरीके से चूमने लगीं। मैं धक्के मारता रहा। वो भी चूतड़ उछालने लगीं। फिर बोलीं, “अब मैं ऊपर आती हूँ।” वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और चूतड़ घुमाने लगीं। उनके बूब्स मेरे मुँह में थे।

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फिर मैंने उन्हें कुतिया बनाया। पायल, चूड़ियाँ, और मंगलसूत्र के साथ वो गज़ब लग रही थीं। मैंने तेज़ धक्के मारे। वो बोलीं, “मैं झड़ गई।” थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ा। उन्होंने सारा वीर्य अंदर ले लिया और बोलीं, “तुमने मुझे बहुत खुश किया।” फिर हमने कपड़े ठीक किए और चूमने लगे। एक हफ्ते तक हमने हर दिन चुदाई की।

तीसरा अध्याय: माँ को पटाने की साजिश

फिर मम्मी ने मुझे घर बुला लिया। जाते वक्त भाभी रोने लगीं। मैं भी रोया। मैंने कहा, “आपके बिना कैसे रहूँगा? घर में माँ के अलावा कोई औरत नहीं। पापा माँ को चोदते हैं, मैं देख-देखकर थक गया। अब मैं क्या करूँ?” भाभी बोलीं, “अपनी माँ को पटा लो। तुम्हारा लंड देखकर वो मना नहीं करेगी। वो लंड की भूखी है। साड़ी के नीचे नंगी रहती है। मैं तुम्हारी मदद करूँगी।” उन्होंने प्लान बताया, “नहाकर बाहर निकलो और तौलिया माँ के सामने गिरा दो।”

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मैंने ऐसा ही किया। बाथरूम में नंगा नहाया और जानबूझकर तौलिया नहीं लिया। माँ को आवाज़ दी। साबुन आँखों में डालकर अंधा बन गया। माँ तौलिया देने आईं और मेरा लंड देखकर ठिठक गईं। फिर चली गईं। मैंने भाभी को बताया। उन्होंने दूसरा प्लान दिया, “लंड को चैन में फँसाओ और चिल्लाओ।” मैंने ऐसा किया। चैन में लंड हल्का सा फँसाया और चिल्लाया। माँ दौड़कर आईं। वो डर गईं। मेरे लंड को देखकर तेल डाला और निकाला। मेरा लंड उनके मुँह के सामने खड़ा हो गया। माँ उसकी खाल पीछे करके देखने लगीं। बोलीं, “अंडरवियर क्यों नहीं पहनते?”

मैंने कहा, “माँ, आप भी तो नहीं पहनतीं।” वो बोलीं, “हमारी बात अलग है।” मैंने पूछा, “कैसी बात?” वो बोलीं, “हमारा केले जैसा मोटा नहीं होता।” मैंने कहा, “फिर कैसा होता है?” वो बोलीं, “बस छोटा सा छेद।” मैंने कहा, “माँ, आप भी दिखाओ।” वो शरमाईं। मैंने कसम दी। आखिरकार उन्होंने साड़ी ऊपर की। उनकी चूत पर हल्के बाल थे। मैं नीचे बैठकर देखने लगा। मैंने कहा, “पैर खोलो।” माँ ने पैर चौड़े किए। मैंने उनकी चूत का दाना चूसा। वो चिल्लाईं, “उफ्फ्फ… ऊईई… क्या कर रहा है? ये गंदी चीज़ है।” मैंने कहा, “मुझे अच्छी लगती है।” और ज़ोर से चूसने लगा। माँ सिसकने लगीं और मेरा सिर दबाने लगीं।

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चौथा अध्याय: माँ की चुदाई

माँ बोलीं, “बस कर।” मैंने कहा, “अभी इसकी प्यास बुझाऊँगा।” माँ बोलीं, “तू सब जानता है, फिर भी तड़पा रहा है। तेरा लंड कितना प्यारा है।” वो जोश में थीं। बोलीं, “साड़ी खोल दे।” मैंने साड़ी, ब्लाउज़, और ब्रा उतारी। माँ के विशाल बूब्स मेरे सामने थे। मैंने उन्हें चूसा। माँ सिसक रही थीं। फिर पेटीकोट खोला। माँ नंगी थीं – बिंदी, मंगलसूत्र, चूड़ियाँ, और पायल के साथ। मैंने कहा, “माँ, पहले आपकी चूत में सिंदूर भरूँगा।” माँ बोलीं, “जो करना है कर, मेरी प्यास बुझा दे।”

मैंने चूत पर सिंदूर लगाया और चूम लिया। माँ बोलीं, “लंड पर शहद लगा, मैं चूसूँगी।” हम 69 में आ गए। माँ मेरा लंड चूस रही थीं, मैं उनकी चूत। फिर मैंने लंड उनकी चूत में डाला। वो चिल्लाईं, “उफ्फ्फ… कितना मोटा है।” चूत गीली थी, तो दर्द कम हुआ। मैंने तेज़ धक्के मारे। माँ चूतड़ उछालने लगीं। बोलीं, “और तेज़ कर, मेरी प्यास बुझा।” मैंने उनके पैर पकड़े और चोदा। फिर माँ को गोद में लिया। वो मेरे ऊपर चढ़ीं और उचकने लगीं। बोलीं, “मैं झड़ने वाली हूँ।” मैंने उन्हें खड़े-खड़े चोदा। माँ मेरे गले में लिपटी थीं। हम झड़ गए और नंगे सो गए। पूरे दिन हमने 4 बार चुदाई की।