भाभी की प्यासी चूत
मध्य प्रदेश के उदय और उसकी सेक्सी भाभी की सच्ची कामुक कहानी। पढ़ें कैसे 20 साल के उदय ने अपनी 28 साल की भाभी की प्यासी चूत को चाटा और चोदा। भरे हुए स्तन, मटकती गांड और गीली चूत की ये हॉट स्टोरी आपको तड़पाएगी!
नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपके सामने अपने जीवन का वो पहला और सच्चा किस्सा लेकर आया हूँ, जिसने मेरी दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। मेरा नाम उदय है, और मैं मध्य प्रदेश के शहडोल जिले का रहने वाला हूँ। उम्र बीस साल, जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए, और मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव मुझे मेरी भाभी ने दिया। तब से मेरी नजरें शादीशुदा औरतों की ओर कुछ ज्यादा ही उठने लगीं। मेरी भाभी, जिनकी उम्र अठाईस साल है, एक ऐसी हसीना हैं जिनके जिस्म की हर अदा में आग भरी है। मैं अपने भैया-भाभी के साथ शहडोल में ही रहता हूँ, पढ़ाई के बहाने उनके घर में पनाह लिए हुए।
जब से मेरे दोस्तों ने मुझे ब्लू-फिल्मों का चस्का लगाया, मेरी नजरें भाभी पर कुछ अलग ही पड़ने लगीं। उनकी मादक हंसी, वो भरे हुए जिस्म की चाल, और वो नशीली आँखें—सब कुछ मुझे अपनी ओर खींचने लगा। भैया जब भी रात को भाभी की चुदाई करते, उनकी सिसकियों और बिस्तर की हल्की चरमराहट मेरे कमरे तक पहुँचती। हमारे कमरों के बीच एक छोटी-सी खिड़की थी, जो मेरे लिए किसी जादुई झरोखे से कम नहीं थी। मैं चुपके से उसमें झाँकता और भैया-भाभी के जिस्मों का वो नंगा नाच देखता। भैया पांच मिनट में ही थक जाते, और भाभी की आँखों में एक अधूरी प्यास साफ दिखती। कई बार वो संतुष्ट नहीं हो पातीं, और अगले दिन उनका मूड उखड़ा-उखड़ा रहता। भैया अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते, और उनकी गैरमौजूदगी में भाभी की बेचैनी मेरे लिए एक खामोश न्योता बन जाती।
भाभी का जिस्म किसी मूर्तिकार की कृति था—बड़े-बड़े उन्नत स्तन, जो हर कदम पर उछलते, और मटकती हुई गोल गांड, जो मेरे लंड को बार-बार सलामी देने पर मजबूर कर देती। कई बार मुझे लगा कि भाभी भी मेरे उभरे हुए लंड को चोरी-छिपे निहारती हैं। उनकी नजरें मेरे पैंट के उस उभार पर ठहरतीं, और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो जातीं।
बात 2010 की गर्मियों की है। मैं कॉलेज के पहले साल में था, और भैया काम के लिए बाहर गए हुए थे। घर में सिर्फ मैं और भाभी थे। उस दोपहर मैं अपने कमरे में बैठा हुआ था, लैपटॉप पर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ते हुए अपनी उंगलियों से लंड को सहला रहा था। मेरा लंड तनकर सख्त हो चुका था, जब भाभी ने बाहर से आवाज लगाई, “उदय, खाना खा लो!” मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और बिना सोचे बाहर चला गया, भूल गया कि मेरा लंड अभी भी पैंट में उफान मार रहा था। खाने की मेज पर बैठते ही मैंने देखा—भाभी की नजरें मेरे लंड पर टिकी थीं। उनकी आँखों में एक चमक थी, होंठों पर हल्की मुस्कान। मैं शर्म से पानी-पानी हो गया और जल्दी से कुर्सी पर बैठ गया।
हम साथ बैठकर खाना खाने लगे। भाभी ने उस दिन एक हल्की साड़ी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपक रही थी। खाना खत्म होने के बाद हम सोफे पर टीवी देखने बैठे। कुछ देर बाद भाभी वहीं सोफे पर लेट गईं और नींद में खो गईं। उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया था, और कसे हुए ब्लाउज का ऊपरी बटन खुला होने की वजह से उनके गोरे-गोरे स्तनों का गहरा कटाव साफ दिख रहा था। मैं अपनी नजरें हटा ही नहीं पा रहा था। उनकी साँसों के साथ वो भरे हुए दूध ऊपर-नीचे हो रहे थे, और मेरा लंड फिर से बेकाबू होने लगा। तभी अचानक भाभी की आँखें खुलीं, और उन्होंने मुझे अपने स्तनों को घूरते हुए पकड़ लिया।
“क्या हुआ, उदय?” उनकी आवाज में एक शरारत थी।
“कुछ नहीं, भाभी,” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा।
“तो फिर जरा बाम लाओ, मेरे सिर में दर्द हो रहा है। मालिश कर दो,” उन्होंने कहा, और उनकी आँखों में एक चमक थी जो मुझे बेचैन कर गई।
मैं बाम लेकर आया और उनके सिर की मालिश करने लगा। मेरी उंगलियाँ उनके रेशमी बालों में फिसल रही थीं, और मेरी नजरें बार-बार उनके ब्लाउज के उस खुले बटन पर जा रही थीं। अचानक भाभी ने फिर आँखें खोलीं और मुझे पकड़ लिया। “उदय, क्या तुम्हें ये पसंद हैं?” उनकी आवाज में एक कामुक लहजा था। मैं चुप रहा, लेकिन मेरी साँसें तेज हो गईं। तभी भाभी ने मेरे बालों को जोर से पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों से सटा दिए।
मैं एक पल के लिए स्तब्ध रह गया। भाभी मेरे होंठों को चूस रही थीं, उनकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी। फिर मैं भी होश में आया और उनके रसीले होंठों का जवाब देने लगा। भाभी ने मेरे सिर को नीचे दबाया और मेरे चेहरे को अपने भरे हुए स्तनों से सटा दिया। मैं पागलों की तरह उनके दूध चूसने लगा, उनके नर्म-नर्म उभारों को चूमने लगा। कभी-कभी मैं उनके निप्पलों को हल्के से दाँतों से काट लेता, और भाभी एक मादक सिसकारी के साथ कराह उठतीं— “आह्ह… उदय!” उनकी आवाज में दर्द और आनंद का मिश्रण था।
मैं धीरे-धीरे नीचे सरका। उनके नंगे पेट को चूमते हुए उनकी कमर तक पहुँचा। उनकी साड़ी पहले ही ढीली हो चुकी थी, और जैसे ही मैंने उसे हटाया, उनकी चूत मेरे सामने थी—हल्के बालों से सजी, गीली और प्यासी। भाभी ने अपने पैर फैलाए और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया। मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना शुरू किया, उनके रस को चूसने लगा। भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं— “आह्ह्ह… उईईई… उदय, और जोर से!” वो चिल्ला रही थीं, और उनकी आवाज मेरे जिस्म में आग लगा रही थी।
फिर भाभी उठीं और बोलीं, “उदय, कपड़े उतारो।” उनके हाथों ने मेरी शर्ट फाड़ दी, पैंट नीचे खींच दी, और जब मेरा साढ़े सात इंच का लंड उनके सामने आया, उनकी आँखें चमक उठीं। “ये तो तुम्हारे भैया से भी बड़ा है,” कहते हुए उन्होंने मेरे लंड की चमड़ी को आगे-पीछे किया और उसे अपने मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर नाच रही थी, और मैं आनंद से पागल हो रहा था। मेरे मुँह से बस “आह्ह… भाभी!” ही निकल रहा था।
हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। भाभी ने एक उंगली मेरी गांड में डाल दी, और मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ गई। वो एक हाथ से लंड हिला रही थीं, और मैं झड़ने की कगार पर था। तभी भाभी रुकीं और बोलीं, “उदय, मुझे चोदो। मेरी प्यास बुझा दो।” उनकी आवाज में एक मादक बेचैनी थी।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया। उनकी चूत चाटने से पहले ही रस से लबालब थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर टिकाया, लेकिन पहली बार होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था। भाभी ने मुस्कुराते हुए मेरा लंड पकड़ा, अपनी चूत पर सेट किया और बोलीं, “धीरे-धीरे धक्का मारो।” मैंने वैसा ही किया। जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत में घुसा, भाभी सिहर उठीं— “आह्ह्ह… उईईई… उदय!” मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं— “ऊम्म… आह्ह… मार डाला… हे माँ!”
मैंने रफ्तार बढ़ाई। भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, और मैं और जोर से उनकी चूत में लंड पेलने लगा। अचानक भाभी चिल्लाईं, “हाय उदय, मैं मर गई!” और उनकी चूत से गर्म पानी की धार छूट पड़ी। मैं रुका नहीं, लगातार धक्के मारता रहा। मेरा लंड भी चरम पर था। मैंने भाभी को कसकर जकड़ा और एक जोरदार धक्के के साथ उनके अंदर झड़ गया। मेरा गर्म वीर्य उनकी चूत को भर गया, और हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर शांत हो गए।
उसके बाद हम नंगे ही एक-दूसरे को चूमते रहे, और थकान से चूर होकर सो गए। भैया के आने तक हमने कई बार ये कामुक खेल खेला। अब जब भी मौका मिलता है, भाभी की प्यास और मेरी आग एक-दूसरे को बुझाते हैं।
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