पड़ोसन भाभी की प्यासी चूत
18 साल के अक्की और उसकी सेक्सी पड़ोसन भाभी सोनिया की कामुक कहानी। पढ़ें कैसे अक्की ने सोनिया की प्यासी चूत को चूमा, चाटा और चोदा। भरे हुए मम्मे, टाइट गांड और गीली चूत की ये हॉट स्टोरी आपको मदहोश कर देगी!
हाय दोस्तो, मेरा नाम अक्की है (बदला हुआ नाम, असली तो कोई बताएगा नहीं!)। मैं इक्कीस साल का हूँ—जवान, गर्म खून वाला, और जिस्म में वो आग जो हर नौजवान के पास होती है। ये कहानी तब की है जब मैं अठारह साल का था—एक ऐसा वक्त जब हवस और जिज्ञासा इंसान को पागल कर देती है। मेरी हाइट पाँच फीट ग्यारह इंच है, और मेरा लंड छह इंच का—ना बहुत बड़ा, ना छोटा, पर जोश और गर्मी से लबरेज।
बात आज से तीन साल पहले की है। मैं एमबीए की पढ़ाई कर रहा था और एक किराए के कमरे में रहता था। उसी मकान में एक पति-पत्नी भी रहते थे। पति की उम्र अपनी बीवी से कहीं ज्यादा थी—वो तीस का था, और उसकी बीवी, सोनिया, बस बीस की। सोनिया का जिस्म ऐसा था कि उसे देखते ही दिल में आग लग जाए। गोरी-चिट्टी, भरे हुए मम्मे, पतली कमर, और वो टाइट गांड जो सलवार में भी उभरकर सामने आती थी। उसका पति सुबह काम पर निकल जाता और शाम को लौटता, और मैं सोचता रहता कि इतनी जवान और सेक्सी औरत को वो संतुष्ट कैसे करता होगा—or करता भी है या नहीं!
एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। खिड़की से बाहर झाँका तो सोनिया बाहर झाड़ू लगा रही थी। उसने गुलाबी सूट पहना था, और झुकते वक्त उसकी कमीज़ ऊपर सरक गई थी। उसकी गहरी नाभि और टाइट मम्मों की उभरी लकीरें साफ दिख रही थीं। मेरी नज़रें उसके मम्मों पर अटक गईं—34 साइज़ के, रसीले, और इतने बड़े कि मेरे हाथों में शायद समा भी न पाएँ। उस दिन मकान में कोई नहीं था—न मकान मालिक, न उसका पति। मैंने सोचा, मौका है, कुछ तो करना चाहिए।
मैं बाहर निकला और उससे बात शुरू की। “भाभी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं,” मैंने हिम्मत करके कह दिया। वो हल्के से मुस्कुराई और बोली, “तुम भी तो मुझे बहुत अच्छे लगते हो।” बस, उसकी ये बात सुनकर मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे। फिर हमारी बातें होने लगीं—हल्की-फुल्की, शरारती, और धीरे-धीरे नजदीकी बढ़ने लगी। उसी दिन शाम को मैंने उसे अपने कमरे में बुला लिया। वो आई, मेरे बिस्तर पर मेरे पास बैठ गई। उसकी खुशबू—हल्की सी इत्र की महक और उसके जिस्म की गर्मी—मुझे मदहोश करने लगी। मैंने उसका नरम हाथ पकड़ा और अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिए।
ये मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी लड़की को चूमा था। उसके होंठ इतने मुलायम थे कि मैं बस खो सा गया। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और मैं उसकी गर्मी महसूस कर रहा था। मैंने धीरे से उसकी कमीज़ के ऊपर से उसके मम्मे दबाए—वो इतने नरम और भरे हुए थे कि मेरे हाथ काँपने लगे। उस दिन बस इतना ही हुआ, और वो अपने कमरे में चली गई। लेकिन मेरे दिमाग में उसकी वो छुअन बार-बार घूम रही थी।
फिर एक दिन दोपहर को उसका पति आया और बोला कि उसे बाहर जाना है, रात को देर से लौटेगा। किस्मत से मकान मालिक भी उस दिन किसी शादी में गए थे। पूरा घर खाली—बस मैं और सोनिया। मैं उसके कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया। वो खाना खा रही थी। मैंने कहा, “भाभी, साथ खाते हैं?” उसने हँसकर हाँ कहा। खाना खाते-खाते हमारी बातें शुरू हुईं, और फिर वो बिस्तर पर लेट गई। मैं भी उसके पास लेट गया। उसकी साँसें तेज थीं, और मैंने मौका देखकर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। उसका गाल, उसकी गर्दन—मैं हर जगह चूमता गया। उसकी गर्मी बढ़ रही थी, उसका जिस्म ढीला पड़ रहा था।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसकी टाँगें फैलाकर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया—कमीज़ के ऊपर से ही उसके मम्मे बाहर निकाले और उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा। मुझे सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था, बस ब्लू फिल्मों से जो देखा था, वही कर रहा था। मेरा लंड गीला हो चुका था, और उसकी साँसें मुझे और उकसा रही थीं। उसका गुलाबी सूट उसकी गोरी त्वचा पर चमक रहा था। मैंने लेटे-लेटे उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरका दिया। उसकी चिकनी, मक्खन-सी टाँगें देखकर मेरा दिल खुश हो गया।
मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और कहा, “भाभी, उठो, कुर्ता उतारने दो।” वो थोड़ा नखरे करने लगी, पर मेरे ज़िद करने पर मान गई। मैंने उसकी कमीज़ उतारी, फिर ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को दबाया। वो 34 के मम्मे मेरे हाथों में थिरक रहे थे। मैंने ब्रा खोल दी और उसके नंगे, रसीले मम्मों को मुँह में लिया। उन्हें चूसते हुए मैंने हल्के से काट लिया। “आह…” उसकी सिसकी निकली, और मेरे दाँतों की छाप उसके गोरे मम्मों पर छप गई। उसने कहा, “अक्की, अपने कपड़े उतार दो।” मैंने फटाक से कपड़े उतारे और चड्डी में उसके ऊपर चढ़ गया। मेरा लंड पहले ही पानी छोड़ चुका था, चड्डी गीली थी।
उसने मेरी चड्डी में हाथ डाला और मेरे लंड को सहलाने लगी। उसकी नरम उंगलियाँ मेरे लंड पर फिसल रही थीं, और दो मिनट में ही मैं झड़ गया। मेरे लंड ने उसके हाथ पर पिचकारियाँ मारीं—पहली बार था मेरा, तो कंट्रोल कहाँ से होता! वो हँसते हुए वॉशरूम गई, हाथ धोकर वापस आई और मेरे पास लेट गई। मैं फिर उसके ऊपर चढ़ा और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी चूत को छुआ। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था—मुलायम, गर्म, और गीली। मैंने पैंटी उतारी और उसकी चूत को चूम लिया। उसकी खुशबू—हल्की सी मादक महक—मुझे पागल कर रही थी।
मैंने उंगलियों से उसकी चूत को चौड़ा किया। लाल, गीली, और गरम—उसका छेद मुझे बुला रहा था। मैंने जीभ फेरी, और उसने मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया। मैं उसकी चूत को चूसता रहा, उसका रस मेरे होंठों पर लग रहा था। वो सिसक रही थी, “अक्की… आह…” फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मुझे चूमने लगी। उसने मेरा लंड पकड़ा, टोपे को नीचे-ऊपर किया, और अपनी जीभ से चाटने लगी। मैंने कहा, “मुँह में डाल लो,” पर उसने मना कर दिया। वो मेरे टट्टों से खेलती रही, और फिर बोली, “अब रुका नहीं जाता।”
मैंने उसकी टाँगों के बीच जगह बनाई और उसकी चूत में उंगली डाली। अंदर-बाहर करते हुए मैंने उसे गर्म किया। वो चूतड़ उठाने लगी, मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत में घुसाने लगी। मैंने उंगली निकाली और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर टिकाया। टोपा अंदर घुसाया—वो पागल हो उठी। उसकी चूत गीली थी, तो लंड आसानी से अंदर सरक गया। उसने कमर उठाकर मुझे अपनी ओर खींचा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। कुछ सेकंड वो मुझे जकड़े रही, फिर मैंने धक्के शुरू किए। उसके मम्मे दबाते हुए, होंठ चूसते हुए, मैं उसे चोदता रहा।
“और ज़ोर से… और ज़ोर से!” वो चिल्लाई। मैं जोश में आ गया और पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। उसने मुझे अपनी टाँगों और बाँहों में जकड़ लिया। उसकी गर्म चूत और मेरे लंड की रगड़ से मैं भी नहीं रुक पाया, और उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरे लंड ने पिचकारियाँ मारीं, और मैं उसके ऊपर लेट गया। उसकी साँसें मेरे कानों में गूँज रही थीं। थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में चला गया और सो गया।
शाम को आँख खुली तो मकान मालिक आ चुके थे, और सोनिया उनके साथ बैठकर बातें कर रही थी—जैसे कुछ हुआ ही न हो। मेरी ये कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना!