मस्त आंटी और मदमस्त भोसड़ी 2
Mast aunty aur madmast bhosdi-2
aunty sex.com,अंत में उन्होंने अपना पेटीकोट उतारा पर बदक़िस्मती से तुरंत टॉवेल लपेट लिया, लेकिन इस बीच मे आंटी की भोसड़ी की एक झलक पा चुका था और मेरी मूठ मारने की स्पीड डबल हो गई थी और फिर मैंने अपना पूरा माल निकाल दिया।
दोस्तो, अब मेरे दिमाग़ मे बस आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे। मैं बस कोई भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा।
मेरे शैतानी दिमाग़ में ना जाने कितने विचार आ-जा रहे थे।
आख़िरकार, दूसरे दिन मैंने अपनी पूरी खिड़की खोल दी और आंटी के बरामदे में आने की राह देखने लगा।
जब आंटी बरामदे में झाड़ू लगाने के लिए आईं, तो मैंने उन्हें स्माइल दिया और धीरे से मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरे लण्ड को हवा में पूरा नंगा खुला छोड़ दिया।
मेरे आठ इंच लंबे और मोटे लण्ड को हवा में लहराता देखकर आंटी के तो होश ही उड़ गये।
ना जाने कितनी देर, वो मेरे लण्ड को देखती ही रहीं। अब मैं आंटी के सामने लण्ड को पकड़ कर मूठ मारने का स्टाइल करने लगा।
आंटी शरमा गईं और झट से अपने रूम में चली गईं और अपनी खिड़की खोल कर यह नज़ारा देखने लगीं।
मौका अच्छा था, मैंने फ़ौरन मेरे दो गोलों को पीछे खींचकर लण्ड की पूरी लंबाई आंटी को दिखाई। वो बिना पलक झपकाए, मेरे लंबे और तगड़े लण्ड को आराम से देख रही थीं।
मेरी शरम को काफ़िर हो ही गयी थी, पर अब तक मेरी हिम्मत बिल्कुल खुल गई, मैंने आंटी को फ्लाइयिंग किस किया और वो कुछ नहीं बोली।
तो अब मैंने आंटी को अपने बूब्स दिखाने के लिए इशारा किया। वो मना कर रही थीं, लेकिन मैंने बार-बार उसे इशारा किया, आख़िर मेरी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर अपने बड़े-बड़े बूब्स बाहर निकाले और मुझे दिखाने लगीं।
मेरा तो खून बहुत तेज़ी से दौड़ने लगा, अब मैंने उन्हें अपना पेटीकोट उठाने के लिए कहा। पहले तो वो ना-ना कर रही थीं, लेकिन आख़िर कर मेरी ज़िद के सामने उन्होंने हार मान ली और अपना पेटीकोट ऊपर उठा लिया।
अब तो मेरे भाग्य ही खुल गये, मेरे सामने कुछ मीटर की दूरी पर एक मदमस्त चूत मेरे लण्ड का इंतजार कर रही थीं।
उफ़!!! क्या एहसास था वो दोस्तो। किस्मत मेरे साथ थी और उस वक़्त मेरे घर में कोई नहीं था।
अब मैंने आंटी को अपने घर में आने के लिए इशारा किया, तो आंटी ने मना कर दिया।
जब मैंने बताया कि मेरे घर पर मेरे सिवा और कोई नहीं है तो वो इशारे में बोलीं – थोड़ी देर में आती हूँ।
मेरा लण्ड तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और साला बैठे भी क्यों? अब तो उसे चोदने के लिए मदमस्त भोसड़ी मिलने वाली थीं।
इंतेज़ार के लम्हें ख्तम हुए और फिर थोड़ी देर में डोर-बेल बजी।
मैं फुर्ती से गया और मैंने तुरंत दरवाजा खोला। मेरे सामने आंटी खड़ी थीं। वो बड़ी ही मोहक स्माइल कर रही थीं और बड़ी सेक्सी अदा में खड़ी थीं।
दोस्तो, चुदने के लिए पूरी तैयार हो कर आईं थीं वो। सुंदर नीले रंग की साड़ी और हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था।
मैंने तुरंत उन्हें अंदर आने को कहा और दरवाजा बंद कर दिया।
अंदर आते ही मासूम बनते हुए वो बोलीं – बता रे राजू, क्या काम है… मुझे क्यों बुलाया है?
जानमुझ कर भोली बन रही थीं। चलो खैर, मैंने भी उन्हें उसी अदा में जवाब दिया – आंटी, तेरे आम का रस चूसने का बहुत मन हो रहा था, इसीलिए तुझे यहाँ बुलाया है।
ये सुनकर वो मुझे मारने के लिए मेरे पीछे दौड़ पड़ीं और मैं अंदर बेडरूम की और भाग गया। वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गईं और मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोलीं – क्या बोला? मेरे आम का रस चूसना है।
फिर दो पल की खामोशी के बाद आँख मरते हुए बोलीं – तो आ ना राजा, चल जल्दी फटाफट चूसना शुरू कर।
ये सुनकर मैंने तुरंत उसे कसकर पकड़ लिया और उनके रसीले होंठो को चूसना शुरू कर दिया।
वो भी कहाँ पीछे हटने वाली थीं। वो भी मेरे होंठो को जोरों से चूसने लगी और मेरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फिराने लगी।
मेरे अंदर अब तक सेक्स का लावा बहने लगा था। मैंने भी उसे कस कर पकड़ लिया और उनके मदमस्त चूचे को सहलाने लगा।
फिर मैंने आंटी को धीरे से बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया। अब मैं उनके होंठो को चूसते-चूसते ज़ोर-ज़ोर से उनके चूचे को दबाने भी लगा।
वो अब तक मुझे पूरा सहयोग देने लगी थीं, अब मैने धीरे से उसकी साड़ी निकाल दी, फिर मैने उनका ब्लाउज भी उतार दिया।
उन्होंने लाल कलर की ब्रा पहनी थीं। उसमें उनके बूब्स उछल-उछल कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।
फिर मैंने भी अपना शर्ट और पैंट उतार फेंका, उनका पेटीकोट उन्होंने खुद ही निकाल दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
अब में पागलों की तरह उसे चूमने लगा, वो भी मुझसे एकदम ही चिपक गईं थीं। फिर मैंने उनके होठों को छोड़कर धीरे से उनके कंधे पर से होते हुए पीठ पर किस करने लगा और पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया, तो ब्रा फाटक से उछल कर निकल गई और उनके मदमस्त चूचे हवा मे लहराने लगे।
मैंने एक पल भी बिना खराब किए तुरंत अपने मुँह मे चूचे को लेकर आम की तरह चूसने लगा। अब वो अपने मुँह से बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थीं।
वो अब बहुत ही ज़्यादा गरम हो गईं थीं, मैं बारी-बारी दोनों चूचे को लगातार चूसने लगा।
वो भी अब आह… राजा, ज़ोर-ज़ोर से चूसो… ये आम तुम्हारे लिए ही हैं… इस आम को आज तक किसी ने भी तुम्हारी तरह नहीं चूसा है… मुझे आज जन्नत का सुख मिल रहा है… आह… ओह… उफ़… ओ, बहन-चोद… आह… और ज़ोर-ज़ोर से चूसो…
मैंने भी कहा – अरे, मेरी प्यारी आंटी, अभी जन्नत का सुख तो बाकी है… ये तो सिर्फ़ शुरुआत है, अभी देखती जाओ आगे-आगे होता है क्या… और अब मैंने ज़ोर से उनके पैंटी को फाड़कर निकाल दिया और उसकी भोसड़ी को अच्छी तरह से सहलाने लगा।
अब तो वो और ज़ोर से मचल पड़ी आह… आआआहहा… क्या मज़ा आ रहा है… अरे, राजा मुझे और जन्नत का सुख दो… हाय, बहुत अच्छा लग रहा है… तेरी माँ को पूरा गाँव चोदे… उफ़… भोसड़ी के… और ये बोलते-बोलते उन्होंने मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया।
वो अपने हाथों से मेरा लण्ड ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगी, फिर वो लण्ड को मुँह मे लेकर चूसने लगी। उसे भी बड़ा मज़ा आने लगा।
उनसे गालियाँ सुनने में बड़ा आनंद आ रहा था, दोस्तो, अगर कोई लड़का हमें दोस्ती-यारी में भी गाली देता है तो हमारी गाण्ड जल जाती है, पर औरतों से गाली सुनना वो भी चुदाई के दौरान गाण्ड की जगह लण्ड फाड़ के रख देती है। मेरी राय है, जिन्होनें अब तक इस का मज़ा नहीं लिया है, जल्द से जल्द कोशिश करें।
खैर, अब मैं बोला – ओ मेरी रंडी आंटी, तेरी माँ को कुत्ता चोदे… बहुत मज़ा दे रही है रे तू… अब तो मैं हमेशा तुझे ही चोदुँगा और मज़ा करूँगा।
अब फिर मैंने उसकी भोसड़ी चाटना शुरू कर दिया, अब तो वो मदहोश हो रही थीं और बोली – राजा, जल्दी अपना लण्ड मेरी भोसड़ी में डाल… अब तो रहा नहीं जाता, भोसड़ी का हाल बुरा होता जा रहा है… बना दे अब तो रंडी मुझे…
मैं भी पूरे जोश मैं आ गया था, मैंने अपना आठ इंच लंबा और तगड़ा लण्ड आंटी की भोसड़ी पर रख कर पूरे जोश से धक्का मारा तो आंटी दर्द के मारे चिल्ला उठी – अरे मेरे नन्हे शेर, ज़रा धीरे से चोद… मेरी चूत तेरे लण्ड जितनी बड़ी नहीं है… इतना बड़ा लण्ड… लगता है तेरी रांड़ माँ, रोज़ मूठ पीती थी।
मैंने भी अब धीरे से अपना सूपड़ा उनकी भोसड़ी पर रगड़ा और धीरे-धीरे अपना लण्ड आंटी की भोसड़ी मे डालने लगा।
अब धीरे से पूरा लण्ड आंटी की भोसड़ी में डालने के बाद मैंने कहा – क्यूँ छिनालो की महारानी आंटी, कैसा लग रहा है?
वो बोली – हाँ मेरे भडुए, अपनी माँ-बहन के दल्ले, बड़ा मज़ा आ रहा है… आज के बाद जब भी मौका मिलेगा तो हम ज़रूर ये खेल खेलेंगे… अब ज़ोर-ज़ोर से तेरी रांड़ आंटी की भोसड़ी की तड़प मिटा दे… बना डाल मुझे रंडी…
मैं भी बहुत जोश में आ गया था और धना-धन धक्के मारने लगा तो आंटी चिल्ला रही थीं – आहह… उफ़… ओह… हाय… इतना मज़ा जिंदगी में पहली बार आ रहा है… काश, मैं छीनाल होती और रोज़ तुझसे और ऐसे बड़े-बड़े लण्ड से बेबाक हो कर चुदती… जल्दी-जल्दी मेरे राजा… चोदो मेरी प्यासी चूत… प्यास बुझा दे मेरी, आज… मेरी चूत की चटनी बना दो… बहुत ही आनंद मिल रहा है…
मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था, अब मैं भी फटाफट मेरे लण्ड को आंटी की भोसड़ी की अंदर-बाहर कर रहा था। वो भी मुझे से एकदम चिपक गईं थीं, अब मैंने मेरा पूरा ज़ोर लगाके उसकी भोसड़ी में वीर्य का फुव्वारा छोड़ दिया।
अब हम दोनों बिस्तर में बेहद बुरी तरह हाँफते हुए पड़े थे…
उस दिन हमने पाँच बार सेक्स किया, मुझे तब एहसास हुआ कितना मुश्किल होता है औरत की आग बुझाना।
मेरे सभी दोस्त जो पाँच-दस मिनट अपनी प्रेमिकाओं और बीवी को चोद कर खुद को मर्द समझने की ग़लती करते हैं, वो जल्द ही छानबिन करें और पता लगाएँ कि उनकी प्रेमिका और बीवियाँ किन-किन के घर आबाद कर रही हैं।
भाइयों, अगर आपको औरत की आग का एहसास करना है और वाकई चुदाई का सही आनंद लेना है तो सारी शरम, लोक-लाज और शराफ़त को भेजिए अपनी माँ चुदाने… औरत को उसके असली रांड़ रूप में लाइए और फिर देखिए मौजा ही मौजा।
खैर, सिर्फ़ राय है… मानना ना मानना आपके हाथ में है।
आपको मेरी कहानी कैसे लगी…
कृपया अपनी राय मुझे मेल करें…