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19 साल की आशिका को अजनबी ने होटल में चोदा

हेलो दोस्तों, मेरा नाम आशिका है। मेरी फैमिली में सिर्फ मैं और मेरे पापा हैं, इसलिए मैं पापा की लाड़ली हूँ। मेरी उम्र 19 साल है और मैं दिखने में बेहद खूबसूरत और सेक्सी हूँ। मेरा फिगर 34-24-36 है, रंग गोरा, हाइट 5 फुट 5 इंच, वजन 47 किलो, और स्लिम बॉडी है जो हर किसी का ध्यान खींच लेती है। मेरे लंबे रेशमी बाल, कातिलाना आँखें और मुलायम होंठ मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। मैं जब चलती हूँ तो मेरी कमर की लचक और हिप्स का थिरकना लड़कों की धड़कनें बढ़ा देता है।

मेरे एक अंकल की बेटी की शादी थी। ये शादी मेरे लिए बहुत खास थी क्योंकि मुझे नई ड्रेस पहनने और तैयार होने का मौका मिलता है। लेकिन उस दिन पापा की तबीयत अचानक खराब हो गई, तो मुझे अकेले ही जाना पड़ा। प्रोग्राम एक फाइव-स्टार होटल में था, जो मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था। मैंने अपनी स्कूटी निकाली और निकल पड़ी। मैंने उस दिन मिनी स्कर्ट और टाइट फिटिंग टॉप पहना था, जो मेरे कर्व्स को और हाइलाइट कर रहा था। मेरी जांघें, गहरी नाभि और क्लीवेज साफ दिख रहे थे। ये मेरा स्टाइल है, और मुझे अपनी बॉडी दिखाने में कोई शर्म नहीं। लेकिन मैं बहुत शरीफ लड़की थी, किसी लड़के की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखती थी। मुझे क्या पता था कि आज मेरी शराफत की धज्जियाँ उड़ने वाली हैं?

पार्टी में पहुँचकर मैंने कन्यादान किया, फिर स्टेज पर जाकर दीदी को गिफ्ट दिया। खाना खाने के बाद मैं घर जाने को तैयार थी, तभी मुझे याद आया कि पापा ने कहा था, “अंकल को हैलो बोलकर जरूर आना।” मैं अंकल को ढूँढने लगी, लेकिन वो कहीं नहीं मिले। पार्टी में सब लड़के मुझे घूर रहे थे। मेरी टाइट ड्रेस और सेक्सी लुक की वजह से उनकी नजरें मुझ पर टिकी थीं। मैं थोड़ा अनकम्फर्टेबल फील कर रही थी, लेकिन इग्नोर करके आगे बढ़ी।

फिर मुझे आंटी दिखीं। मैंने उनसे पूछा, “अंकल कहाँ हैं?” उन्होंने बाहर पार्किंग की तरफ इशारा किया। मुझे वहाँ जाना अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन पापा का ऑर्डर था, तो मैं चली गई। वहाँ अंकल मिले, लेकिन वो फुल नशे में थे। उन्होंने मुझे देखते ही गले लगाया और एक ग्लास वाइन थमा दिया। मैंने मना किया, लेकिन वो जिद करने लगे। “अरे, थोड़ा सा पी ले, क्या प्रॉब्लम है?” कहकर उन्होंने मुझे पिला ही दिया। वाइन का पहला घूँट गले से उतरते ही मेरा सिर चकराने लगा। मैंने स्कूटी स्टार्ट की और जैसे ही रेस दी, बैलेंस बिगड़ा और मैं गिर पड़ी। फिर सब कुछ धुंधला हो गया, और मैं बेहोश हो गई।

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जब होश आया, मैं एक अनजान रूम में थी। मेरे सामने एक लड़का बैठा था। मैंने घबराते हुए पूछा, “मैं कहाँ हूँ?” उसने बताया कि मैं उसके रूम में हूँ। उसे मैं पार्किंग में बेहोश मिली थी। मैंने उसे थैंक्स कहा और उठकर जाने लगी। लेकिन उसने मुझे रोका, “रात के 1 बज रहे हैं, अब तुम कहाँ जाओगी? सुबह चली जाना।” उसकी बात में दम था, तो मैं रुक गई। मैंने पापा को फोन करके बोला कि मैं अपनी फ्रेंड के घर हूँ और सुबह आऊँगी। पापा मान गए।

उस लड़के का नाम विक्की था। उम्र 20 साल, हाइट 5 फुट 7 इंच, एवरेज लुक्स, लेकिन उसका कॉन्फिडेंस कमाल का था। उसने कहा, “चलो, सोते हैं,” और मेरे साथ बेड पर लेट गया। मैंने कहा, “प्लीज, तुम कहीं और सो जाओ।” उसने बताया कि उसके पास सिर्फ एक बेड है। मैंने सोचा, ठीक है, एडजस्ट कर लेते हैं। हम सो गए।

रात को अचानक मुझे अपनी जांघों पर कुछ महसूस हुआ। मैंने आँख खोली तो देखा विक्की मेरी जांघों पर हाथ फेर रहा था। मैं उसे रोकने लगी, लेकिन मेरे हाथ और पैर रस्सी से बंधे थे, और मुँह पर टेप लगा था। मैं डर के मारे रोने लगी। वो बोला, “चिंता मत कर, आज तुझे जन्नत की सैर करवाऊँगा।” उसने चादर हटाई तो मैं और डर गई। मैं पूरी नंगी थी, और वो भी नंगा था। मैं चीखना चाहती थी, लेकिन टेप की वजह से सिर्फ सिसकियाँ ही निकल रही थीं।

विक्की मेरे जिस्म को भूखी नजरों से देख रहा था। वो मेरी नाभि को चूमने लगा, फिर जांघों को चाटने लगा। मेरे बूब्स को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा। मैं रो रही थी, लेकिन वो रुका नहीं। फिर उसने मेरी चूत की तरफ ध्यान दिया। मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। उसने रेजर निकाला और मेरी चूत को पूरी तरह साफ कर दिया। उसकी हरकतें मुझे डरा रही थीं, लेकिन उसकी जीभ जब मेरी चूत पर लगी, तो मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार को चट कर रहा हो।

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धीरे-धीरे मेरा डर नशे में बदलने लगा। मेरी सिसकियाँ अब आहों में बदल गईं। मैंने खुद को उसके हवाले कर दिया। मैं अपनी चूत को उसके मुँह पर रगड़ने लगी। वो समझ गया कि मैं तैयार हूँ। उसने मेरे बंधन खोले और मुझे जोर से किस करने लगा। मैं भी उससे लिपट गई। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में। वो मेरे बूब्स को मसल रहा था, और मैं सातवें आसमान पर थी।

फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया। मैंने पहले मना किया, लेकिन उसने जिद की। जब मैंने उसका लंड देखा, तो मेरी आँखें फट गईं। 8 इंच का मोटा, काला लंड मेरे सामने था। मैंने डरते-डरते उसे मुँह में लिया। आधा लंड ही मेरे मुँह में समाया। मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसने मेरे मुँह में ही झड़ दिया और सारा माल पीने को कहा। मैंने उसका गर्म-गर्म माल गटक लिया।

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वो फिर मेरी चूत चूसने लगा। मैं सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह्ह… उम्म्म… और तेज… आह्ह्ह!” 10 मिनट बाद मैं झड़ गई। उसने मेरा सारा पानी पी लिया। फिर हम एक-दूसरे को किस करने लगे। उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। वो मेरी गीली चूत पर लंड रगड़ने लगा। मैं अब बेकाबू हो रही थी। मैंने कहा, “जो करना है, जल्दी करो ना प्लीज!” उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी चूत पहले से गीली थी, लेकिन फिर भी कुछ टूटने की आवाज आई, और खून निकलने लगा। मैं चीख पड़ी, “आइईई… माँ… मर गई… पापा बचाओ!” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया और वैसे ही रुका रहा।

जब मेरा दर्द कम हुआ, उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। वो मेरे होंठों को चूसता रहा। थोड़ी देर बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया, और मैं भी झड़ गई। लेकिन उसका जोश कम नहीं हुआ। उसने मुझे पलटा और मेरी गांड पर लंड रख दिया। मैंने मना किया, लेकिन वो नहीं माना। उसने मेरी गांड में लंड डाल दिया और चोदने लगा। दर्द के मारे मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे, लेकिन वो मेरे होंठों को चूसता रहा। फिर उसने मुझे गोद में उठा लिया और कमरे की छत पर ले गया। वो मुझे चोदते हुए छत पर घूम रहा था। मैंने कहा, “बस, अब बहुत हुआ।” उसने मेरी गांड में ही झड़ दिया।

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हम बेड पर लौटे और नंगे ही सो गए। सुबह 11 बजे मेरी आँख खुली। हम दोनों नंगे पड़े थे। मैंने विक्की को उठाया। उसने मुझे जोरदार किस किया। हमने कपड़े पहने, और उसने मेरे लिए कॉफी लाई। कॉफी पीते हुए उसने कहा, “चलो, तुम्हें घर छोड़ दूँ।” लेकिन मेरे मन में फिर से वही आग भड़क रही थी। मैंने कहा, “पापा तो ऑफिस गए होंगे। क्यों ना हम आज शाम तक साथ टाइम स्पेंड करें?” वो मेरी नीयत भाँप गया। उसने अपनी बहन के कपड़े लाए, और हम बाथरूम में चले गए। वहाँ उसने मुझे दो बार चोदा। हर धक्के के साथ मेरी सिसकियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… विक्की… और जोर से… उम्म्म!” बाथरूम की दीवारें हमारी आवाजों से थर्रा रही थीं।

शाम को उसने मुझे घर छोड़ा। जाते वक्त उसने मुझे फिर से किस किया और बोला, “फिर मिलेंगे, बेबी।” मैं मुस्कुराई और घर चली गई। उस रात ने मेरी जिंदगी बदल दी। अब मैं पहले वाली शरीफ आशिका नहीं थी। मेरे अंदर एक नई आग जाग चुकी थी।