हॉट मेहंदी नाइट: टीचर आंटी के साथ गर्मागर्म रोमांस की सेक्सी कहानी
पढ़िए एक शादी के मेहंदी समारोह में हरीश और टीचर आंटी के बीच हुई हॉट और रोमांचक मुलाकात की सेक्सी कहानी। गर्म माहौल, फ्लर्ट, और जुनून से भरी इस कहानी में जानिए कैसे एक सख्त टीचर ने हरीश को जन्नत की सैर कराई।
हमारे मोहल्ले में एक शादी का समारोह था। शादी का माहौल तो आप जानते ही हैं—हर तरफ रौनक, हंसी-मजाक और थोड़ा सा फ्लर्ट करने का मौका। लड़कियों को फंसाने का इससे बेहतर टाइम नहीं मिलता। माहौल फ्री होता है, सब खुशी में मस्त रहते हैं। हमारे मोहल्ले की एक लड़की की शादी पास के मोहल्ले के लड़के से तय हुई थी। दोनों परिवार एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे, तो उन्होंने मेहंदी का जॉइंट प्रोग्राम रखा।
मेरे दोनों परिवारों से अच्छे रिश्ते थे। मेहंदी के दिन खूब हलचल थी। दोनों परिवार एक जगह जमा थे, और मैं, जैसा कि हमेशा करता हूँ, किसी “शिकार” की तलाश में था। मेहंदी का माहौल गजब का था—लड़के-लड़कियाँ डांस कर रहे थे, और चारों तरफ रंग-बिरंगी लाइट्स की चमक थी। मैं अपनी मेहंदी ड्रेस में कूल लग रहा था और अपने दोस्तों का डांस देखने में बिजी था। तभी मेरी नजर एक औरत पर पड़ी। वो शायद दूल्हे की आंटी थी। उसका मेकअप, उसकी सिल्क की साड़ी, और वो टाइट ब्लाउज—उफ्फ, वो किसी हुस्न की मलिका से कम नहीं लग रही थी। उसने मुझे देखकर हल्का सा स्माइल पास किया। पहले तो मैंने इग्नोर किया, लेकिन जब उसने दोबारा इशारा किया, तो मैं धीरे-धीरे उसके पास चला गया।
वो मेरे बिल्कुल करीब खड़ी थी। अचानक उसने अपनी सिल्की गांड मेरे साथ टच की। ओह माय गॉड, क्या फीलिंग थी! मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मेरा लंड पल में टाइट हो गया। बाहर से हम डांस देखने में बिजी लग रहे थे, लेकिन अंदर तो कुछ और ही आग लगी थी। थोड़ी देर बाद वो औरत थोड़ा नीचे झुकी और मेरे लंड को अपनी सिल्की गांड में फिक्स कर दिया। मेरा लंड उसकी गांड में फंसा था, और मैं हल्के-हल्के झटके दे रहा था। वो भी अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ रही थी। माहौल इतना हॉट था कि मैं कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।
लेकिन तभी, मेरी किस्मत ने पलटी मारी। पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। मैंने मुड़कर देखा तो मेरी तो सांस ही अटक गई—वो थी हमारे मोहल्ले की स्कूल टीचर, जिसे हम “टीचर आंटी” कहते थे। उसका नाम हुमा था। वो एकदम खडूस टाइप थी। मोहल्ले में किसी को बेकार घूमने नहीं देती थी। अगर कोई अपनी हरकतों से बाज न आए, तो वो अपने पति, जो पुलिस ऑफिसर था, से कहकर पिटवाती थी। हम सब उससे थर-थर कांपते थे। लेकिन सच कहूँ, वो थी भी कमाल की। उसकी फिगर—उफ्फ! बड़े-बड़े ब्रेस्ट, मोटी गांड, और वो चश्मा जो उसके चेहरे पर एक सख्त लेकिन सेक्सी लुक देता था।
उसने मुझे इशारे से बाहर आने को कहा। मेरी तो हालत खराब थी। मेरा लंड अभी भी पूरी तरह खड़ा था, और मेरी शलवार में तंबू सा लगा था। मैं बाहर गया, और उसने जैसे ही मेरी शलवार देखी, उसे सब समझ आ गया। उसने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर मारा और बोली, “ये क्या बदतमीजी है, हरीश?” लेकिन उसकी आँखों में कुछ अजीब सा था—एक चमक, जो मैं तब समझ नहीं पाया। मैं शर्मिंदा होकर चुप खड़ा रहा। थोड़ी देर बाद वो बोली, “बताऊँ तुम्हारी मम्मी को?” ये सुनकर मैं और डर गया। मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “प्लीज आंटी, मम्मी को मत बताना। मैं यहाँ से चला जाता हूँ।” उसने सख्त लहजे में कहा, “नहीं, तुम यहीं रहोगे। हो सकता है कोई काम पड़ जाए।” उसने मेरी सजा ये दी कि मुझे पूरी सेरेमनी उसके सामने रहना था। मैं चुपचाप डांस के पास खड़ा हो गया, लेकिन अब मजा कहाँ था? पीछे तो “जल्लाद” आंटी खड़ी थी।
8-10 मिनट बाद मुझे अपने कंधे पर किसी के ब्रेस्ट का अहसास हुआ। पहले तो मैं समझ नहीं पाया, लेकिन थोड़ा अलर्ट हो गया। फिर वही फीलिंग हुई। मुझे लगा शायद वो औरत वापस आ गई है। लेकिन जब मैंने मुड़कर देखा, तो मैं सन्न रह गया—ये तो टीचर आंटी थी! मुझे देखते ही बोली, “मुझे ठीक से नजर नहीं आ रहा। मैं छोटी हूँ ना। तुम मेरे पीछे खड़े हो जाओ।” ये कहकर वो मेरे आगे खड़ी हो गई। मैं थोड़ा दूरी बनाकर उसके पीछे खड़ा हुआ। उसने इशारे से कहा, “वहाँ नहीं, मेरे पास खड़े हो।” इस बार उसके चेहरे पर वो गुस्सा नहीं था। बल्कि, एक हल्की सी स्माइल थी। मैं उसके बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया। अचानक उसने अपनी गांड मेरे लंड से टच की। मेरा लंड एकदम से फिर खड़ा हो गया। उसकी नरम, सॉफ्ट गांड मेरे लंड को टच कर रही थी। मैं अब कुछ-कुछ समझ गया था।
मैंने चेक करने के लिए अपने लंड को उसकी गांड से हल्का सा रगड़ा। उसने भी अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ दी। अचानक उसने मेरा लंड पकड़ लिया। मैं तो एकदम ठंडा पड़ गया। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बाहर ले गई। बोली, “मैं घर जा रही हूँ। ठीक 15 मिनट बाद तुम भी आ जाना।” मैंने डरते-डरते पूछा, “आपके हसबैंड?” उसने हंसकर कहा, “वो आज नहीं आएगा, बेफिक्र रहो। जैसा मैं कह रही हूँ, वैसा करो। दरवाजा खुला होगा, तुम सीधे अंदर आ जाना।”
15 मिनट बाद मैं उसके घर में था। जैसे ही मैं अंदर गया, उसने मुझे टाइटली हग कर लिया। उसका गर्म बदन मेरे बदन से चिपक गया। वो अपना मुँह मेरे चेहरे पर रगड़ने लगी। हम किस करने लगे। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। उसका जोश देखकर मैं पागल हो गया। किस करते-करते हम रूम में पहुँच गए। उसने मुझे बेड पर धकेल दिया और जल्दी से मेरी शलवार उतारने लगी। जब उसने मेरा लंड देखा, तो उसके मुँह से निकला, “ओह्ह, क्या जबरदस्त लंड है, हरीश!” उसने मेरे लंड पर किस करना शुरू किया। अचानक उसने मेरे लंड पर हल्का सा काट लिया। मेरी चीख निकल गई। उसने हंसते हुए कहा, “सॉरी, सॉरी… असल में मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ।”
मैंने कहा, “इट्स ओके, आंटी।” मैं खड़ा हुआ और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से टच करने लगा। वो भी मेरी जीभ को रिस्पॉन्स देने लगी। हम दोनों जोश में आ गए। मैंने उसके ब्रेस्ट पकड़कर दबाने शुरू किए। उसके बड़े-बड़े ब्रेस्ट मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। उसने मेरा लंड पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया। उसका टच इतना हॉट था कि मैं कांपने लगा।
थोड़ी देर बाद हमने किसिंग रोकी। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। उसकी नंगी बॉडी देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसकी सॉफ्ट स्किन, वो बड़े ब्रेस्ट, और वो मोटी गांड—उफ्फ, वो किसी अप्सरा से कम नहीं थी। मैंने भी अपनी कमीज उतार दी। अब हम दोनों नंगे एक-दूसरे के सामने खड़े थे। मैंने कहा, “आंटी, उल्टी हो जाओ।” वो उल्टी होकर बेड पर लेट गई। मैंने उसकी कमर पर अपनी जीभ से मसाज शुरू की। वो “सीसीसी… आह्ह…” की आवाजें निकालने लगी। मैं उसकी गांड तक पहुँचा। उसकी सॉफ्ट और सिल्की गांड में मेरी जीभ गई, तो मैं पागल हो गया। मैंने कहा, “आंटी, थोड़ा गांड ऊपर करो।” वो समझ गई और बोली, “गांड मारोगे, ना?” मैंने कहा, “हाँ, आंटी। आपकी मोटी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा।”
उसने कहा, “देखो, थोड़ा-थोड़ा करके डालना।” मैंने पूछा, “पहले कभी गांड नहीं मरवाई?” वो बोली, “हाँ मरवाई है, लेकिन इतना बड़ा और मोटा लंड पहली बार ले रही हूँ। प्लीज, आराम से डालना।” मैंने कहा, “ओके, आंटी।” मैंने पूछा, “ऑयल लगाऊँ या थूक?” उसने अपने मुँह से थूक का गोला निकाला और मेरे लंड पर लगाया। बोली, “अब तुम मेरी मोरी पर लगाओ।” मैंने भी थूक से उसकी गांड को गीला किया और अपने लंड का टॉप उसकी मोरी पर रखा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “मैं खुद डालूँगी, तुम एकदम डाल दोगे, तुम्हारा भरोसा नहीं।”
उसने मेरे लंड का टॉप अपनी मोरी पर रखा और धीरे-धीरे डालने लगी। अभी थोड़ा सा ही गया था कि वो चीखी, “आह्ह… उफ्फ… मैं मर गई!” उसने बाकी लंड को रोक दिया। थोड़ी देर बाद उसने और थूक लगाया और बोली, “आराम-आराम से डालते जाओ।” उसने सिर नीचे किया, तकिए को दोनों हाथों से पकड़ा और “म्म्म… आह…” करने लगी। जब मेरा पूरा लंड उसकी खूबसूरत गांड में चला गया, तो वो बोली, “जालिम, तूने मेरी गांड फाड़ दी… उफ्फ… आह्ह…!” फिर बोली, “अब मारो ना!” और खुद अपनी गांड आगे-पीछे करने लगी।
जब उसकी गांड मेरी जाँघों से टकराती, तो मुझे और जोश आता। मैंने स्पीड बढ़ाई और वो चिल्लाने लगी, “ओह याह, फक मी हार्ड, हरीश!” कुछ मिनट बाद उसने दर्द भरी आवाज में कहा, “श… मेरी… गांड… फाड़… दी… आह्ह…” कुछ झटकों बाद मुझे लगा कि मैं डिसचार्ज होने वाला हूँ। मैंने उसके बाल पकड़े और फुल पावर से इन-आउट करने लगा। वो भी फुल एंजॉय कर रही थी और चिल्ला रही थी, “हाँ… और जोर से… आह्ह!” आखिरकार, मैं उसकी गांड में ही डिसचार्ज हो गया और उसके ऊपर लेट गया।
हम दोनों हांफ रहे थे। उसने मेरे गाल पर एक प्यार भरा किस किया और बोली, “हरीश, तूने तो आज मुझे जन्नत दिखा दी।” मैंने हंसते हुए कहा, “आंटी, आप भी तो किसी हूर से कम नहीं।” उस रात हमने और भी बहुत कुछ किया, लेकिन वो कहानी फिर कभी।