बाबा जी से चुदी
मेरा नाम नीलिमा है और सब मुझे नीलू कहते हैं। मेरी उम्र 21 साल की है। मैं शादीशुदा हूँ। जहाँ मेरी शादी हुई वहाँ का परिवार बड़ा है। मेरे पति, तीन ननदें और ससुर जी हैं। मेरा फिगर बहुत अच्छा है और मेरी दोस्त मुझे सेक्सी कहती थी। 32 साइज के ब्रेस्ट, 26 वेस्ट और 34 हिप्स। जब मैं चलती तो मेरे हिप्स ऊपर-नीचे होते थे और बहुत सुंदर लगते थे। यहाँ मैं आपको बता दूँ कि मैं कॉलेज के दिनों से चुदी रही हूँ। मुझे चोदने वालों में स्कूल, कॉलेज के टीचर, क्लास में साथ पढ़ने वाले लड़के, स्कूल का प्रिंसिपल आदि शामिल हैं। आज तक मुझे कहीं भी कोई परेशानी नहीं हुई है।
सुहागरात को अपनी होने वाली चुदाई के बारे में सोचकर मैं बहुत खुश थी। दिन भर तो ऐसा ही गुजरा। पता चला कि उनके परिवार में एक गुरुजी को भी बहुत सम्मान दिया जाता है। मंदिर घर में उनका फोटो भी था। खैर, रात को जब पति कमरे में आए तो मैं बिस्तर पर बैठी थी। पति का नाम रवि था। रवि ने बिस्तर पर आकर मेरे ब्रेस्ट दबाए।
ब्लौज खोलकर उनको चूसा। वो मुझपर बुरी तरह लिपटा हुआ था। चेहरा, ब्रेस्ट, पैट सब चु रहा था। अब उसने मेरी साड़ी उठाकर मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया और चाटने लगा, उसके मुह से आवाज निकल रही थी। मैं काफी गरम हो गई थी… लेकिन अचानक वो शांत होने लगा। मैंने देखा कि उसके लंड से पानी निकल चुका था.. ये क्या हुआ, बिना कुछ किए पानी निकल गया? मैंने पूछा तो वो झेंप गया।
5 मिनट बाद मैंने उसका लंड अपने हाथों से पकड़ा। एक चूहे की तरह छोटा और पतला… मैं उसे सहलाती रही, रगड़ती रही, पर कुछ नहीं हुआ.. फिर मैंने उसे अपने मुंह में लिया और चूसने लगी, 15 मिनट चुसने के बाद वो टाइट होने लगा। जब वो टाइट हो गया तो मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और पति को ऊपर आने को कहा। पति ऊपर आया पर उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुसा। हाथ से पकड़कर देखा तो वो वापस ढीला हो गया था। रात भर बहुत मुश्किल से एक बार उसका लंड मेरी चूत में घुसा और एक मिनट में दो बार थप्पड़ लगाकर खाली हो गया। इस तरह मेरी सुहागरात बीत गई।
अब शादी के बाद चुदाई न हो तो कौन खुश रहेगा। मेरे चेहरे से भी हंसी कम हो गई। बाहर जाना नहीं होता था जिससे कि कुछ पुराने लोगों से चुड़वा लूँ। मुझे दिन भर दूसरों के लंड याद आते रहते और उन मुकाबले मेरा पति कमजोर लगता। मैं उदास रहने लगी। एक दिन अचानक गुरुजी घर आए। सब उनकी कृपा के लिए तैयार हो गए। मुझे भी शामिल होना पड़ा। उनके उम्र 40 के आसपास थी, काफी कसरी शरीर, अच्छी हाइट। उन्होंने सबको आशीर्वाद दिया और हाल पूछा। मेरे बारे में ससुर जी ने कहा कि आजकल बहू बहुत उदास रहती है बाबा, इसको आशीर्वाद दीजिए। बाबा ने कहा hmm… उनके 2 दिन रुके रहने का प्रोग्राम था। कहा ठीक है, बहू को सेवा करवा दो फिर आशीर्वाद दूंगा। अब मेरी ड्यूटी लगी उनको खाना, प्याला, कपड़ा, पूजा, दूध आदि देने की।
मैंने भी सोचा चलो देखते हैं क्या होता है। बाबा के लिए छत वाला कमरा ठीक कर दिया गया था। पूजा-पाठ की सारी तैयारी ऊपर कर दी गई थी। बाबा खाना खाने के बाद ऊपर चले गए आराम करने के लिए। वो एक धोती पहनते थे, जिसका आधा हिस्सा वो कमर पर बांधते थे और आधे हिस्से को ओढ़ लेते थे। वही उनका पहनावा था। जब बाबा सोने चले गए तो दिन में अपने कमरे में मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। क्यों न बाबा को चेक किया जाए। क्या करना है ये प्लान मैंने बना लिया। अब बाबा के उठने का इंतजार था। बाबा को disturb ना हो और किसी को आवाज ना देनी पड़े इसीलिए बाबा को एक वायरलेस बेल दी गई थी। जब वो बजती तो कोई ऊपर जाता। और बाबा ने मुझे सेवा करने को कहा, मतलब घंटी की आवाज आने पर सिर्फ मैं ही ऊपर जाऊंगी, और कोई नहीं जा सकता।
अपनी तैयारी के हिसाब से मैंने पैंटी नहीं पहनी, ब्रा नहीं पहनी। साड़ी और पेटीकोट। शाम को घंटी बज गई.. मुझे एक कपड़ा दिया गया और कहा कि ऊपर सफाई करनी होगी, मैं ऊपर चली गई। बाबा लेते हुए थे। ड्रेस वही, सिर्फ एक धोती। मैंने इधर-उधर नजर डाली, और कोई कपड़ा नहीं मिला,,,, हम्म इसका मतलब अंडरवियर नहीं पहनते बाबा। मुझे देखकर बाबा एक कुर्सी पर बैठ गए। मैंने अपना पल्लू कमर में खोंसा, ब्लौज लो-कट का था इसलिए ऊपर से मेरी चूत काफी नीचे तक दिख रही थी। मैंने साड़ी को घुटनों तक ऊपर की और जमीन छूने लगी। छूते-छूते बाबा के पास पहुँची। मुझे एहसास हुआ कि बाबा जरूर मेरी चूत देख रहे होंगे।
सफाई करते-करते मैं बाबा के पैरों तक पहुँच गई। उनके पाये नीचे जमीन पर रखे हुए थे। मैंने झुकी नजर से बाबा से पैर उठाने को कहा। बाबा ने दोनों पैर मोड़कर कुर्सी पर रख लिए। लेकिन ये करते समय बाबा की धोती में एक फाँक हो गई, और वहाँ जो दर्शन हुआ वो क्या कहने। मेरे हाथ जमीन छू रहे थे, मेरा सर नीचे था पर आंखें बाबा के दोनों पैरों के बीच वाली जगह पर थीं.. करीब 2 फुट का फासला था। बहुत प्रेम से उनका लंड दिख रहा था। शायद बाबा को ये एहसास नहीं था या फिर उन्हें पता था, मुझे नहीं पता।
उस छोटे से वक्त में जो लंड का दर्शन हुआ वो अच्छा था। लंड उनका नॉर्मल पोजीशन में था, नॉर्मल में भी करीब 6/7 इंच दिख रहा था। उसके नीचे एक बॉल जैसी चीज थी जो काफी बड़ी थी, उस क्षेत्र में बाल नहीं थे। बहुत सुंदर से दर्शन हुए। बाबा को भी मेरी चूतियों के खूब दर्शन हुए होंगे। अब हाथ हटाना था वहाँ से, हट गई, बाकी जगह साफ कर के कहा, और क्या आदेश है बाबा? उन्होंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ हाथ से जाने का इशारा किया। शायद कुछ सोच रहे होंगे..
मैं अपना पल्लू सर पर ओढ़कर नीचे चली आई। अपने कमरे में चली आई.. ननद आए और बोली कि आज भाई ऑफिस से दिल्ली गए हैं। एक हफ्ते में आएँगे। आपको कहा है कि बाबा की सेवा ठीक से करो और दिल्ली से कुछ मंगवाना हो तो कह देना। मैंने कहा ठीक है। थोड़ी देर बाद ननद फिर आई, कहने लगी, आप साड़ी में उनके सामने गईं बाबा को अच्छा नहीं लगा। बाबा, उनके साथी बाबा और उनकी सेवा करने वाले लोग बाबा की तरह ही कपड़े पहनते हैं। आपको भी यही पहनना होगा जब तक बाबा की सेवा में हो। मैंने कहा चक्कर में पड़ गई, कहा ठीक है पर दिन भर घर में ये कपड़े कैसे पहन के रहूंगी। ननद ने कहा, घर में पहनने की क्या जरूरत…
छत पर बाबा के कमरे के बगल में एक कोठरी है। तुम बाबा के सामने जाने से पहले वहाँ चेंज कर लीजना और वापस आओ तो फिर से साड़ी पहन लेना। मैंने कहा कि इस तरह तो दिन भर ड्रेस बदलते रहूंगी.. ननद ने कहा, भाई तो दिल्ली गए हैं, नीचे और कोई काम नहीं। वही ऊपर रहना और सेवा करना। नीचे से कुछ मंगवाना हो तो मुझे आवाज दे देना, मैं सीधे तुम्हें सामान दे जाऊँगी… ये आइडिया मुझे पसंद आया। मैंने पूछा अगर रात को मुझे नींद आए तो? ननद ने कहा भाई यहाँ नहीं हैं, बाबा का आदेश हो तो नीचे आजा वरना वही कोठरी में एक बिस्तर रखा हुआ है, उसको बिछाकर सो जाओ। मैंने कहा ठीक है।
ननद के जाने के बाद मैं बाथरूम गई, अपने चूत के आसपास के बालों को पति के रेजर से साफ किया। चूत और भी गोरी लगने लगी। नहा कर बाहर आई तो ननद कमरे में थी। उसके हाथ में कटे हुए फल थे, कहा बाबा को फल देने का समय हो गया है। ऊपर जाओ। तुम्हारा कपड़ा कोठरी में रखा हुआ है, बाबा के सामने जाने से पहले चेंज कर लेना। मैं ऊपर गई, कोठरी में एक पतला वस्त्र रखा हुआ था। खोलकर देखा, वो गमचे से बड़ा था। मैंने कोशिश की। अपने सभी कपड़े उतारे, उसे कमर से लपेट लिया। एक बार लपेट के गांठ लगाई तो इतना ही कपड़ा बच गया कि मेरी चूत दक सके। कमर में बांधने पर वो मेरे घुटनों के ऊपर ही था।
बैठकर देखा तो जहाँ गांठ बाँधी थी वहाँ से पूरा ओपन हो गया और मेरी चूत, नाभि सब दिख रही थी। एकदम पतला सा गमचे जैसा, पहना नहीं पहना सब बराबर। खैर मैंने उसे पहन लिया और बाबा के सामने फल की थाली ले गई। बाबा ने मुझे देखा और बैठने को कहा। मैंने खुद को अपने घुटनों पर बैठाया। मेरे कपड़े बार-बार घुटनों से साइड में हट रहे थे, कपड़ा हट जाने पर मेरी चूत दिखने लगती थी, मैं वापस कपड़े से ढक लेती। बाबा ने फल खा लिया। कहा लाइट बंद कर दो और तुम कोठरी में रहो। मैं थाली लेकर बाहर आई, ननद सीधी पर थी, मैंने कहा बाबा ने कोठरी में रहने को कहा है। शायद वहीं रहना पड़ेगा। ननद बोली कोई बात नहीं। वो चली गई और एक चादर लेकर आई, बोली, ये ओढ़कर सो जाओ। मैंने कहा ठीक है पर मन ही मन सोचा, चादर किसको चाहिए, मैं तो ये कपड़ा भी उतार के रहूंगी रात भर। वो चली गई, मैंने छत का दरवाजा बंद कर लिया। अब नीचे से कोई disturb नहीं करेगा। बाबा ने तो मेरा पूरा दर्शन कर ही लिया है। अब क्या छुपाना।
मैं बाबा के पास आई और उनको दूध दिया। उनके सामने पलथी मारकर बैठी। सामने से सब ओपन। दूध पीते-पीते बाबा भी पलथी मार ले गए। अब उनका लंड मेरे सामने था। मैंने अपनी नजर वहीं लगा दी। लगा कि बाबा का लंड बड़ा हो रहा है। एक बार मैंने दरवाजे की तरफ देखा, उस मौके का फायदा उठाते हुए बाबा ने अपना लंड adjust किया। मैंने आंखों के कोने से देखा, उन्होंने अपना लंड 2/3 बार हिलाया और उसे सामने कर दिया। कपड़े को और साइड कर दिया। दूध पीने के बाद बाबा पेट के बाल ले गए। उनका लंड एकदम सीधा तना हुआ था।
कहा बेटी जरा इधर आओ। मैं उनके काफी नजदीक बैठी। बेटी इसकी सेवा कैसे करूं? बाबा ने अपना कपड़ा हटा दिया और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया। Uff कितना गरम और मोटा, एकदम टाइट। मैंने लंड पकड़ लिया और उसे ऊपर-नीचे करने लगी। अपना हाथ नीचे करते समय उनके लंड का सुपर खुला हुआ,, oh कितना गुलाबी और मोटा था। बाबा ने लेते-लेते मेरी चूत को दबाना शुरू कर दिया। मैं गरम होने लगी। अब बाबा ने मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी। कुछ देर करने के बाद बोले आओ बेटी अब इस पर बैठ जाओ। मैं बाबा के पेट पर बैठी। बाबा- नहीं, ऐसा नहीं। और उन्होंने मुझे कमर से उठाकर मेरी चूत को अपने लंड पर रखा और बैठने को कहा। जैसे-जैसे मैं बैठ रही थी वैसे-वैसे उनका लंड मेरी चूत में घुस रहा था। आनंद से मेरी आँखें बंद हो गईं। Uff कितना अच्छा लंड मिला.. धीरे-धीरे पूरा 9 इंच मेरी चूत में समा गया। अब बाबा ने नीचे से दबके लगाने शुरू कर दिए। Oh इतना आनंद, स्वर्ग जैसा आनंद। डेढ़ घंटे तक मेरी चुदाई करने के बाद बाबा ने मुझे नीचे किया.. मैं बार-बार झुकी हुई थी। घर वालों को क्या पता कि छत पर मेरी जबरदस्त चुदाई हो रही है। 20 मिनट तक बाबा ने मुझे उस अवस्था में चोदा अब मेरी हालत खराब होने लगी। पर बाबा में वही जोश था। फिर उन्होंने मुझे कुटीया बनाकर डेढ़ घंटे तक चोदा… जब बाबा ने अपना रस मेरी चूत में निकाल दिया तब शांति हुई।
सुबह तक बाबा ने मेरी बार चुदाई की। मेरी गांड में उंगली डालकर कहा बेटी, कल तुम्हारी गांड का उद्धार करना है। क्या किसी ने तुम्हारी गांड में लंड डाला है? मैंने कहा नहीं बाबा। बाबा ने कहा तो फिर कल तुम्हारी गांड पर सवारी करूंगा। ये कहकर वो अपना लंड मेरे मुंह में डालकर सो गए। मैं भी सुबह तक उनके लंड को मुंह में लिए हुए पड़ी रही.. नया दिन, नई सुबह, नई दस्तां। अगर मेरी यह कहानी यहाँ पोस्ट हुई तो नए दिन की कहानी लिखूंगी।