मेरी पहली चुदाई की कहानी
नमस्ते, मेरा नाम करुणा है। आज मैं आपसे अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाती हूँ।
यह चार साल पहले की बात है, उस समय मैं फस्ट इयर में पढ़ रही थी और मेरी उम्र 18 साल थी। मेरा साइज़ 32/26/32 था और मेरे स्तन छोटे थे।
मेरे एक बड़े भाई का दोस्त है जिसका नाम दीपक है, वह मुझसे पांच साल बड़ा है। मैं अपने माता-पिता की इकलौती बेटी हूँ। हमारे घर में सभी के बेडरूम अलग-अलग हैं। एक रात जब मैं बाथरूम जाने के लिए कमरे से बाहर आई तो मुझे माँ और पिताजी के कमरे से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। मैं उनके कमरे की तरफ चली गई, जैसे ही मैं उनके कमरे के पास पहुँची आवाज़ें तेज़ हो गईं। मैंने की-होल से अंदर झाँक कर देखा तो मेरी सांस रुक गई। मैंने देखा कि मेरे माता-पिता दोनों बिलकुल नंगे थे, उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। मेरी माँ लेटी हुई थी और पिताजी माँ के दोनों पैर खोलकर उनकी चूत चाट रहे थे जिससे माँ को मज़ा आ रहा था और वह “आह”, “इsss”, “ओह्ह” की आवाज निकाल रही थी। यह देखकर मेरे होंठ सूख गए और मुझे और कुछ नहीं दिखा। मैं वापस चली गई।
ये बातें मेरे दिमाग में कई दिनों तक रहीं और मैं तरसती रही कि कोई मेरे साथ भी ऐसा करे। एक दिन मेरे माता-पिता को दो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा। अब घर में मैं दीपक थी। मैं आपको बता दूँ कि दीपक ने भी माता-पिता को नंगे हालत में देखा था इसलिए वह भी तरस रहे थे।
मैं दोपहर को कॉलेज से आकर खाना खाने के बाद अपने कमरे में आराम करने के लिए चली आई और बिस्तर पर लेट गई। मैंने शॉर्ट टी-शर्ट और जींस पहनी थी। टी-शर्ट छोटी होने की वजह से मेरा पेट और मेरी गोल्लघारी नाभि दिख रही थी, क्योंकि मैं पैंट या सलवार को नाभि से नीचे ही पहनती हूँ। थकान के कारण मेरी आंखें बंद हो गईं। पर कुछ देर बाद मुझे अपने शरीर में कुछ हलचल महसूस हुई। तब मैंने आंख खोली तो देखा कि दीपक मेरी नाभि में अपनी जीभ घुमा रहा था। मुझे भी उसका ऐसा करना अच्छा लग रहा था इसलिए मैं कुछ नहीं बोली और आँखें बंद कर लीं। दीपक धीरे-धीरे मेरे शरीर को सहला रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे शरीर में करंट दौड़ रहा हो। फिर उसके हाथ मेरी छाती पर आ गए। जैसे ही दीपक ने मेरे स्तनों को दबाया और मेरी निप्पल को छुआ, मेरे मुँह से “इsss” की आवाज निकली जिससे दीपक डर गया और खड़े हो गए।
मैंने दीपक के हाथ पकड़ा और कहा “कृपया दीपक करो ना, मुझे मज़ा आ रहा है”। यह सुनकर उसकी हिम्मत बढ़ी और वह वापस मेरे पास आकर मुझे सहलाने लगा। अब हम खुले थे। दीपक मेरे शरीर के हर हिस्से को छू रहा था, मुझे मज़ा आ रहा था। उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी ब्रा के अंदर हाथ डालकर मेरी चूचियां दबाना शुरू कर दिया। फिर दीपक ने मेरी ब्रा भी उतारी और मेरी पैंट भी। अब वह मेरे निप्पल को अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा और एक हाथ से मेरी चूत को रगड़ने लगा। मेरे मुँह से “आह”, “ओह्ह”, “इsss” की आवाज़ें निकलने लगीं और ये आवाज़ें बढ़ती गईं। मेरे पूरे शरीर में बिजली सी घूम रही थी। मैंने कहा “दीपक निप्पल छोड़ दो, मुझे नहीं सहना जा रहा”। तो दीपक ने उन्हें छोड़कर मेरे दोनों पैरों को फैला कर मेरी चूत को जोर-जोर से चाटने लगा जिससे मेरा और बुरा हाल हो गया। मेरा चेहरा लाल हो गया था। मैंने एक हाथ में अपना लिंग पकड़ा। मैं उसकी लंबाई और मोटाई देखकर ही डर गई।
मेरी और दीपक की उम्र में पाँच साल का अंतर था। मैंने कहा “दीपक मेरी छोटी चूत में तुम्हारा लिंग कैसे जाएगा? मैं तो मर जाऊंगी”। तब उसने कहा कि थोड़ा सा दर्द होगा फिर मज़ा ही मज़ा। वैसे मैं भी इस चीज़ का मज़ा लेना चाहती थी। दीपक ने मुझे बाद पर लिटाकर मेरे दोनों पैर खोल दिए और मेरी चूत पर लिंग रख दिया और थोड़ा दबाया तो लिंग मेरी चूत में अंदर चला गया। मेरे मुँह से जोर की चीख निकली “आह दीपक मैं मर गई, इसे बाहर निकालो, दीपक रुक जाओ”। मेरी चीख सुनकर दीपक रुके। फिर एकदम से जोर का झटका मारकर पूरा लिंग मेरी चूत में डाल दिया। मेरी चीख मेरे गले में दब गई “ओओब”। मेरी आँखें बाहर आ गईं और ऐसा लगा जैसे कोई चाकू मेरी चूत को फाड़ कर मेरी नाभि तक चला गया हो। मुझे दर्द से बुरा हाल हो गया। मेरी चूत से रस निकलने लगा। रस देखकर मैं और भी हैरान रह गई।
फिर दीपक थोड़ी देर रुके और मेरी छाती सहलाने लगे और मेरे निप्पल को छूने लगे। कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ तो दीपक ने धीरे-धीरे अपना लिंग आगे-पीछे करनें शुरू किया। कुछ देर बाद मेरा सारा दर्द जा रहा था और मुझे मज़ा आने लगा। तब मैं भी दीपक का साथ देने लगी और अपनी गांड और कुल्हे ऊपर-नीचे करने लगी। बस फिर क्या था, पूरे कमरे में जैसे कोई तूफान आया हो। दीपक पूरी जोश के साथ मुझे चुड़ाई रहे थे और पूरे कमरे में मेरी “ओह्ह”, “आह”, “इsss” की आवाज़ें गूंज रही थीं। अचानक दीपक को जाने क्या हुआ और उन्होंने झटके मारना तेज कर दिया। मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच रही थी तो मैंने उसे कसकर पकड़ लिया था और वह झटके पर झटके मार रहे थे। आखिर में मेरी चूत के अंदर बहुत सारा गरम पिस्सा मारकर मेरी छाती पर बिखर गया। मेरी भी आँखें बंद होने लगीं। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत में दीपक ने बहुत सारा रस भर दिया हो। थोड़ी देर लेटने के बाद हम दोनों अलग हुए और अपने कपड़े पहने।
इस तरह से मैंने अपनी पहली चुड़ाई का मज़ा लिया। अगर आपको कहानी अच्छी लगी तो कृपया मुझे जवाब दें।
धन्यवाद!