Teacher Sex

पीटी सर ने मोटा लंड मेरी कुंवारी चूत में डाला

मेरा नाम नेहा आहूजा है। मैं चंडीगढ़ में रहती हूँ। आज मैं आपको अपनी जीवन कहानी बताने जा रही हूँ कि कैसे मेरे पीटी टीचर ने मेरी कुंवारी चूदाई की। पहले मैं अपने बारे में बताती हूँ। मैं बहुत गोरी और चिकनी हूँ। कमर थोड़ी पतली है। लेकिन गांड थोड़ी चौड़ी है।

मेरे स्तन बिलकुल गोले गोले हैं। जब मैं बिना ब्रा के टी-शर्ट पहनती हूँ तो मेरे स्तनों का उभार देखकर लड़कों के चक्के छुट जाते हैं। व्हेक्सिंग के बाद मेरा शरीर और खिल जाता है। मैं बुर बाल नहीं निकालवाती क्योंकि मेरी बुर बहुत संवेदनशील है।

स्कूल का आखिरी दिन था। मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे स्पोर्ट्स रूम में ले गया और मुझे चूमने लगा। पता नहीं कब मेरी पैंटी में उंगली डालकर मेरी फुद्धि में आग सुलगने लगा।

“नाही अखिल! रुको कृपया!”

“नेहा तुम भी ना! मजे लो ना! फिर कब मौका मिलेगा?”

उसने मेरा स्कर्ट ऊपर किया और मेरी पैंटी निकालने लगा।

“नाही अखिल! आह….”

“यह क्या….पैड…? ओह पीरियड आ रहे हैं क्या?”

कहकर उसने मेरी पैड फेंक दी।

“ओ….नाही….”

तभी पी.टी. सर अंदर आए।

“यह क्या हो रहा है अखिल?”

उसने मुझे ऊपर से नीचे देखा।

मेरी पतली टांगें और भारी हुई जंघनें। मेरी चिकनी फुद्धि और गोरी चिकनी बुर देखकर वह चुप हो गया।

अब स्कूल गर्ल का फिगर कैसा होगा आप सोच लीजिए।

“अखिल मैं तुम्हें सस्पेंड कर दूंगा।” पी.टी. सर नाराज होकर बोले।

मैं इसी बीच अपनी पैंटी लेकर भाग निकली।

पी.टी. सर मेरे घर के पास ही रहते थे।

दिल दुआ तो अच्छा था। पर एक परेशानी थी। उनके शरीर पर बहुत बाल थे। बिल्कुल भालू जैसे।

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कुछ महीने बीत गए।

एक दिन मैं अपने गार्डन में टेनिस खेल रही थी। छोटी सी स्कर्ट और स्पोर्ट्स ब्रा पहनी हुई थी।

तभी मेरे गेट पर पी.टी. सर आए।

मुझे पता था कि वह मुझे देख रहे हैं।

मैं जानकर झुकी। अपनी लाल पैंटी दिखाने के लिए।

अगले ही दिन वो मेरे घर आए।

घर में कोई नहीं था। सब शादी में गए थे।

मैं गार्डन में पौधों को पानी दे रही थी।

“नेहा! कॉलोनी में टेनिस मैच हो रहा है। क्या तुम खेल रही हो?”

मैंने कहा – “नाही सर! असल में सर….” !

“यह फॉर्म भरो।”

मैं झुककर फॉर्म भरने लगी।

वह मेरे अधखुले स्तनों को देखने लगा।

“क्या हुआ सर?”

“कुछ नहीं! चलता हूँ नेहा।”

मैंने कहा – “कुछ पिएंगे?”

उसने कहा – “दूध …… डेयरी फ्रेश!”

मैं समझ गई।

घर में कोई नहीं था। मैंने अपने स्तनों को टी-शर्ट से बाहर निकाल लिया क्योंकि मैं हर वक्त ब्रा नहीं पहनती।

वह उसे बच्चों की तरह पीने लगा।

“आह…..आह..! मेरी सिसकारियां निकलने लगी।”

उसने मेरी पैंटी में उंगली डाली।

“आह सर! बस करो………..!”

“क्यों अखिल को तो नहीं रोकती! बता दूँ घर पे?”

मैं डर गई और वहीं गार्डन में लेट गई। शाम हो रही थी और घर कोई नहीं था।

उसने मुझे नंगा कर दिया था।

“सर बेडरूम में चलें? यहाँ नहीं………..मुझे शर्म आ रही है!”

उसने एक ना सुनी और मेरी टांगों को फैला दिया। जब मैंने उसका लंड देखा तो मैं डर गई। “ओ….नाही….. इतना बड़ा। मैं तो मर जाऊँगी।”

उसकी बाल्डर मोटी-मोटी जंघनें और उसके विशाल लंड पर उभरी नशे को देखकर मैं उठने लगी। “नही मुझे जाने दो।”

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लेकिन उसने मुझे उठने दिया और बड़े प्यार से मुझे बच्चों की तरह उठाया। “तुम्हारी उम्र क्या है?”

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“आह 18।”

“कितनी बार चूद चुकी हो इसीसे?” उसने मेरी फुद्धि में उंगली डालते हुए पूछा।

“ओ, कभी नहीं! मेरी फुद्धि कुंवारी है।”

कहकर मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया।

“आह ! नेहा ! आह!”

उसकी सिसकारियां सारे गार्डन में गूंज रही थी।

उसने मेरी टांगों को फैला दिया।

“चोदो ना जल्दी सर। आह! लेकिन आराम से करो!”

मेरा पानी जंघनों से बह रहा था।

उसने “कैसा बॉयफ्रेंड है जो इस रेशम सी कमल लड़की को कुंवारी छोड़ा हुआ है…” कहकर अंदर डाल दिया!

“आह आह्ह्ह! बस और अंदर नहीं!”

“बबी, अभी तो सिर्फ टोपा गया है। लंबी लंबी संस ले लो।”

“आह….बस। अब सह नहीं जा रहा है।”

उसने मेरे गांड को एक हाथ में उठाया और मुझे पेलने लगा।

“आह और…..और चोदो सर! बस थक गए क्या?”

हम दोनों जड़ गए।

“आह। मेरी सिसकारियों से सारा जहाँ गूंज उठा।”

मेरी नींद आधी रात को टूट गई।

सर जा चुके थे। मेरी फुद्धि में उसके वीर्य के अलावा वीर्य के भी दाग थे जो जंघन के नीचे लकीर की तरह बहकर जम चुके थे।

मैंने गार्डन के पानी पाइप से उसे साफ कर लिया।

मैं पहली बार चुदी थी। बाद में कितने आए और कितने गए। लेकिन पीटी सर जैसा कोई नहीं।