बहन मेरा लौड़ा अपनी चूत में पेल लो
मेरी बहन विशाखा को +2 के एडमिशन की प्रक्रिया में बहुत ही जल्दी फंस गई थी और उसने मुझे अपना साथी बना लिया। उसने अपने दोस्तों को भी इसमें शामिल कर लिया। मेरा नाम रंजीत है और मैं 20 साल का हूँ। मैं एक देशी कहानी का नियमित पाठक हूँ, जिसके कारण मेरी यौन दृष्टि बदल गई है। यह मेरी पहली कहानी है जो मेरे और मेरी बहन के बीच की है।
मेरे घर में चार सदस्य हैं: पिताजी, माँ, एक बहन (विशाखा) और मैं। पिताजी सरकारी नौकरी करते हैं और माँ गृहिणी हैं।
उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसका शरीर मेरे दिमाग में बस गया है। क्या बताऊं वह कैसी लड़की है! एकदम मस्त, दिखती है, बिलकुल माल। उसके मस्त गाल, 34-28-36 की फिगर, सोचते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। चलो अब कहानी में आता हूँ। यह कहानी तब की है जब विशाखा को कॉलेज में एडमिशन करवाना था। पिताजी सरकारी नौकरी होने के कारण वे शहर नहीं जा सकते थे इसलिए उन्होंने मुझे साथ जाने को कहा। उस दिन से मैंने विशाखा को चोदने का सपना देखा था।
बस सुबह 8 बजे निकलना था। विशाखा ने उस दिन व्हाइट कलर का नेट टॉप पहना जो जंघों तक था जिसमे उसकी ब्रा साफ़ नजर आ रही थी, और नीचे टाइट शॉर्ट पैंट पहनी थी जिसके कारण गांड बिलकुल निकली थी। मेरा तो लौड़ा देखते ही खड़ा हो गया। दिल तो कर रहा था कि साली को अभी चोद दूं। पर देर ही सही, आखिर मैं उसके साथ चूदाई का प्लान बना चुका था। पिताजी पीछे की सीट में बैठे और हम भाई-बहन आगे साथ बैठ गए। रास्ते में बस में चक्कर आने के कारण विशाखा मेरे गोद में सर रख रही सो गई। उसका हाथ मेरे जंघों को छू रहा था। मेरा दिमाग खराब हो रहा था। शाम को 5 बजे के करीब हम वहाँ पहुँचे। वहाँ पिताजी के दोस्त हमें लेने आए। वो भी विशाखा को देखकर दंग रह गए। उनकी नज़रों से साफ़-साफ वासना दिखाई दे रही थी। फिर हम उनके घर चले गए। अंकल ने हमारे लिए गेस्ट रूम में 2 बिस्तर लगवाए। एक पिताजी के लिए और दूसरा विशाखा और मेरे लिए। रात को खाना खाने के बाद हम सब सोने चले गए। पिताजी अपने बिस्तर पर और मैं और विशाखा अपने बिस्तर पर।
विशाखा को नींद आई थी इसलिए उसने कहा भाईया मैं सो रही हूँ। मैंने भी कहा ठीक है सो जाओ। साथ लेते ही उसके शरीर की खुशबू से मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था। फिर मैंने सोने की एक्टिंग करने लगी। मेरा मन पहले से ही तय कर चुका था कि विशाखा को कैसे चोदू और जब साथ एक ही कमरे में इतनी हसीन माल लेती हो तो किसको कोई और ख्याल आएगा। पिताजी थकान के कारण तुरंत ही सो गए। मैं विशाखा के सोने का इंतजार करने लगा। फिर तकरीबन 2 घंटे बाद मुझे मौका मिला। विशाखा ने फ्रेश होकर रात के लिए लाइट रेड कलर का टॉप और नीचे लूज़ पजामा पहना था। विशाखा मेरी तरफ पीठ करके सो रही थी। मैं धीरे से विशाखा से चिपक गया। क्या बताऊं, मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। पर विशाखा के शरीर की गर्मी मुझे पागल कर रही थी। मैंने हिम्मत कर के अपना दायाँ हाथ उसके गाल के ऊपर रख दिया। विशाखा ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर मुझे लगा वो पूरी तरह सो गई है।
मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैं उससे और चिपका गया जिससे मेरा लौड़ा विशाखा के चुतड़ो से टच हो गया। मेरा लौड़ा पूरा तन के अंडरवियर फाड़कर निकलने लगा था। फिर मैंने धीरे से विशाखा की बूब्स में हाथ रखा और सहलाया। वहाँ से ही मैं डर गया पर वो उठी नहीं। मैं सहलाना जारी रखा। अब तक मुझे पता चल गया था कि विशाखा सोई नहीं है। बल्कि वो भी मज़े ले रही है। अब मेरा डर बिलकुल खत्म हो गया। मैंने विशाखा को पीछे से उसके गले को चूमा साथ अब मैं उसके बूब्स को कपड़ों के ऊपर जोर से दबाने लगा। विशाखा गहरी साँसें लेने लगी थी। मुझे पता चला था कि मेरा लौड़ा के स्पर्श उसे भी अच्छा लग रहा है। मैंने धीरे से अपना अंडरवियर नीचे किया और विशाखा के हाथ में रख दिया। विशाखा अब मेरा लौड़ा सहला रही थी। मुजे बड़ा मज़ा आने लगा। अब मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया। क्या बताऊं, क्या मखमली की तरह सॉफ्ट थी उसे छूकर। मैंने कभी अपने सपनों में भी नहीं सोचा था कि विशाखा मुझसे इतनी आसानी से चुदेगी। फिर मैंने हाथ उसके पजामा के ऊपर से चुत सहलाना शुरू किया। विशाखा बिलकुल गरम हो गई थी और मेरे साथ दौड़ने लगी थी। फिर मैंने हाथ अंदर सलवार के अंदर घुसा दिया। विशाखा बिलकुल गीली हो चुकी थी।
उसके चुत से लार टपक रही थी मेरा लौड़ा उससे लेने के लिए। मैंने पहले एक उंगली उसके चुत में डाल दी। वो मचल उठी और कहने लगी भाईया जरा धीरे से। मैंने कहा क्यों तुम डरती हो? आज तुझे धीरे ही चोदूंगा। मैं उंगली धीरे से आगे पीछे कर रहा था। और विशाखा धीमी शक्ति से सहला रही थी। मैं डर गया कहीं पिताजी को पता न चल जाए कि भाई-बहन का रास लीला चल रही है। मैंने विशाखा को एक तरफ घुमाया। मैंने विशाखा के मुँह को अपने मुंह में ले लिया ताकि उसकी सीसीकिया न निकलें। अब मैंने उसका सलवार नीचे खींच दिया और उसे नीचे नंगा कर दिया। उसके चुट बिलकुल गुलाब के पंखो की तरह चूने में लग रहा था। मैंने धीरे से दो उंगलियां डालनी शुरू की। फिर वो कहने लगी कि भाईया अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
यह लौड़ा मेरे चुत में डाल दो। मैंने उससे पूछा कि तुम पहले कभी चुदी हो? फिर उसने कहा हाँ एक बार मेरा बॉयफ्रेंड ने मुझे चोदा था। यह सुनकर मैंने पूछा कि क्या वो अभी भी उससे चुदाती है, उसने कहा हमारी ब्रेकअप हो चुकी है। फिर मैं और जोर से उंगलियां कर रहा था। और कहा क्यों तुम तो गैस्टी हो। क्या मेरा लौड़ा ले पाएगी? भाईया जरा धीरे करना। वो फिर से कहने लगी कि भाईया मुझे दर्द हो रहा है, जरा धीरे करो। अब मैंने विशाखा की पैर मेरे ऊपर रखे और लौड़ा विशाखा के चुत मे रखा धीरे से दबा दिया। विशाखा मचल उठी और मुझको जोर से बांधे। अब मैं धीरे से लौड़ा आगे पीछे कर रहा था ताकि कोई सॉर न हो। साथ उसकी चुची भी दबा रहा था। विशाखा इतनी गरम हो चुकी थी कि अब वो एक गैस्टी की तरह अपनी गांड आगे पीछे करके छुदवा रही थी। तकरीबन 20 मिनट में मैंने विशाखा को उसी पोजीशन में ही चोद रहा था।
इस दौरान विशाखा दो बार झढ़ चुकी थी। विशाखा बिलकुल थकी हुई थी पर मेरा लौड़ा और मांग रहा था। अब मैंने अपना स्पीड बढ़ाया। फिर उस ही पोजीशन में मैंने विशाखा के चुत में सारा वीर्य डाल दिया। फिर विशाखा से पूछा कि मजा आया? उसने बताया कि इस तरह कभी उसे कोई नहीं चोदा है। फिर हम सो गए। बाकी अगली कहानी में कैसे मैंने विशाखा के एडमिशन होने तक कैसे चोदा। अगर आपको यह कहानी पसंद आई तो मुझे मेल करना।