बारिश में मिली आंटी की गरमागरम चूत
Baarish me mili aunty ki garamagaram chut
hot auntys, यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है और मेरा पहला अनुभव।
मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ।
दोस्तो, मेरा एक सपना था कि मैं आंटी और भाभियों के साथ सेक्स करूँ और मुझे मौका मिल गया।
बात दो साल पहले की है मैं उस समय पढ़ता था।
उस समय बारिश का मौसम था।
मैं एक दिन अपने कॉलेज जा रहा था।
मेरा कॉलेज मेरे रूम से दस किलोमीटर दूर है,
एक किमी दूर बचा था कि अचानक बारिश शुरू हो गयी।
मैं गाड़ी सड़क के किनारे लगा कर एक घर के सामने लगे पेड़ के नीचे खड़ा हो गया।
लगभग पंद्रह मिनट खड़े रहने के बाद मैंने पीछे देखा तो एक आंटी मुझे देख रहीं थीं।
जब उन्होंने बारिश और तेज़ होती देखी तो मुझे आवाज़ लगाई तो मैंने पीछे मुड़कर देखा।
मैंने ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने दोबारा आवाज़ लगाई – सुनो, भीग जाओगे ,अंदर आ जाओ। बारिश बहुत तेज़ है।
अब मैं गेट खोल कर अंदर आ गया।
जब मैंने पहली बार आंटी को देखा तो मेरे होश उड़ गये।
उनकी उम्र लगभग 35-36 रही होगी और उनके चुचे और गांड तो एक दम मस्त थी।
जब वो चल रही थी तो उनके चूतड़ जबरदस्त हिल रहे थे मानो कह रहे हो कि आ जाओ मुझे दबा दो।
जब उन्होंने टॉवेल लाकर दिया तो मेरा ध्यान भंग हुआ।
मैंने अपना गीला शरीर सूखाया।
फिर उन्होंने मेरा नाम, कॉलेज का नाम पूछा और सोफे पर बैठने को कहा।
मैं सोफे पर बैठ गया।
मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम अंजली बताया और वो शादीशुदा थी।
उनके पति बाहर जॉब करते हैं वो यहा एक निजी स्कूल मे शिक्षिका हैं।
बाकी सारा परिवार दूसरे राज्य में है और बच्चे नहीं हैं।
अंकल का दो साल पहले ट्रांसफर शहर से बाहर हो गया।
अब वो हफ्ते पंद्रह दिन मे एक बार शनिवार को आते हैं और रविवार को चले जाते हैं।
यह कहकर वे मायूस सी हो गयी।
मैं उनकी सारी बात समझ गया।
उन्होंने मुझसे चाय या कॉफ़ी लेने को कहा तो मैंने कॉफ़ी के लिए हाँ कर दी।
वो कॉफ़ी बनाकर ले आई फिर उन्होंने मेरे बारे मे पूछा और कहा कि मैं ऐसे मौसम में बिना रैनकोट के कहाँ जा रहा था?
मैं कुछ बोल पता इतने मैं उन्होंने बोल दिया गर्लफ़्रेंड से मिलने?
मैं चौंक गया। फिर मैंने माना कर दिया फिर उनके बार-बार पूछने पर बताया कि एक ही गर्लफ़्रेंड थी और अब ब्रेक अप हो गया है।
मैंने गाड़ी अंकल की तरफ घुमा दी।
आंटी से पूछा कि उन्हें अंकल की याद नहीं आती?
सुनकर वो दुखी हो गयी और कहने लगीं कि अब उन्हें अकेले रहने की आदत सी हो गयी है।
मैं समझ गया की आंटी से जुगाड़ हो सकता है।
अब मैंने सारी बातें की तो उनके आँसू निकल आए तो मैंने उनके आँसू पोंछे और उनके हाथ को पकड़ा।
मैंने उनसे कहा कि में अंकल की कमी तो पूरी नहीं कर सकता पर आपका दुख कम कर सकता हूँ।
उन्होंने पूछा – वो कैसे?
मैंने उन्हें तुरंत गले लगा लिया तो वे तुरंत अलग हो गयी और कहने लगीं कि ये ग़लत है।
मैंने कहा कि भरोसा रखिए और मैंने उनके हाथ मे एक किस कर दिया तो वे दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गयीं।
मैंने उन्हें पीछे से गले लगा लिया फिर सीधा करके एक लंबा सा किस किया।
उनके होंठ तो एक दम मलाई थे मुलायम रबड़ी की तरह।
अब मेरा एक हाथ उनकी पीठ को और दूसरा कमर को सहला रहा था।
मैं अपने एक हाथ से उनका एक बुब्स और दूसरे से चूतड़ को सहला रहा था।
अब मैंने उन्हें उठाकर पलंग में लिटा दिया तो उन्होंने मान किया और अंदर बेड रूम की तरफ इशारा किया।
मैंने उन्हें बेड रूम में लिटा दिया।
अब मैं उनको चूमने लगा, बेड में कभी वो मेरे उपर कभी में उनके उपर।
कुछ देर बाद मैंने उनके ब्लाऊज़ से बूब्स दबाने शुरू कर दिए और एक हाथ उनकी साड़ी में डालकर उनकी चूत को सहला रहा था।
फिर मैंने उनके ब्लाऊज़ और पेटी कोट को उतार दिया और उन्होंने मेरे कपड़ों को।
अब वो मेरे सामने गुलाबी रंग की ब्रा और नीले रंग की पैंटी में थीं मानो कोई स्वप्न सुंदरी लग रहीं थी
हमने दस मिनिट तक एक-दूसरे के साभी अंगो को चूमा फिर मैंने उनकी ब्रा और पैंटी को उतार दिया।
अब हम दोनों नंगे थे।
उनके चुचे एक दम फूले हुए थे उस पर कड़क निप्पल।
उन्हें मैंने ज़ोर-ज़ोर से पीना शुरू किया तो आंटी की आहह निकल गयी।
अब मैंने उनकी चूत सहलाना शुरू कर दिया।
उसमें मुँह लगाकर सूँघा तो वह पूरी गीली थी और उसमे मादक सुगंध आ रही थी।
मैंने उसका पानी पिया जैसे ही जीभ लगाई आंटी कराह उठी।
मैं उंगली और जीभ को चूत में डालता रहा।
फिर अपना लंड आंटी को पकड़ाया तो उन्होंने लेने से मना कर दिया पर मैंने ज़ोर डाला तो मज़बूरी में लेना पड़ा।
क्या चूस रही थी वो?
कभी-कभी तो मैं जानबूझ कर ज़ोर से मार देता था।
अब मैंने उनके मुँह से निकाल लिया और उन्हें लिटा दिया और खुद उनके उपर आ गया।
दो तकिये मैंने उनकी कमर के नीचे लगा दिए।
वो चिल्लाए जा रही थी जल्दी करो नहीं तो मैं मार जाऊंगी, जान ले लोगे तब डालोगे क्या?
उन्होंने अब टाँगे फैला दी और मैंने अपना लंड उनकी चूत की दीवार पर फसाया और एक झटका दिया पर लंड केवल आधा गया।
आंटी चीख उठीं और उनकी आँखों से दर्द के मारे आँसू निकल आए।
मैंने तुरंत उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए फिर पाँच मिनट के बाद उन्होंने कहा तो मैंने झटके देने शुरू कर दिए।
उन्होंने बताया कि तीन महीने से लंड नसीब नहीं हुआ है।
आराम से करो। फिर मैंने झटकों की स्पीड बढ़ानी शुरू की तो आंटी की ईयी आ आ उई माँ मर गयी मैं की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं।
तीस मिनट हम इसी पोज़िशन में सेक्स करते रहे।
फिर मैं नीचे वो उपर आ गयीं।
दस मिनट तक आंटी उपर और मैं नीचे।
अब मैं झड़ने वाला था तो आंटी से पूछा कहाँ निकालु तो उन्होंने अंदर ही निकालने को कहा और बताया की अंकल का तो एक दम पानी निकलता है।
उनका लंड भी छोटा है और ढंग से खड़ा भी नहीं होता और मेरा निकल गया।
अब हम ऐसे ही नंगे 10 मिनट तक लेटे रहे।
फिर मैंने उनसे एक बार गांड मरवाने के लिए कहा तो उन्होंने उसे गंदा काम कह कर मना कर दिया।
पर मैं कहाँ मानने वाला था।
उन्हें पटा लिया और उन्हें कोहनी के बल घोड़ी बना दिया और टेबल से तेल की शीशी ले आया।
उनकी गांड के छेद पर उंगली लगाई तो उनके सारे शरीर मे फूरफ़ुरी चूत गयी।
मैंने अच्छे तरीके से तेल लगाकर अपनी उंगली डालना शुरू की।
धीरे से दस मिनट बाद मैंने अपना लंड गांड के छेड़ पर लगा कर एक धक्का दिया तो आंटी चिल्ला उठी।
इस बार तो उनकी चीख पहली की सारी चीखों से दो गुणी थी।
मैं रुक गया और वो माना करने लगी।
फिर मैंने 5 मिनट बाद शुरू किया आराम-आराम से।
अब धीरे-धीरे उसका छेद खुलने लगा था और उन्हें मज़ा आने लगा था।
अब मैंने स्पीड बढ़ा दी और लगभग 30-40 मिनट के बाद मेरा निकल गया।
फिर मैं और आंटी लेटे रहे।
कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला।
मैंने उठने के बाद आंटी को बताया कि मेरा सपना था कि मैं आंटी और भाभी के साथ सेक्स करूँ, वो आपने पूरा किया।
उन्होंने बताया कि उनकी शादी को 8 साल हो गये हैं और उनके पति ने आज तक उन्हें इतना मज़ा नही दिया।
वे संतुष्ट नहीं हो पाती।
मज़बूरी में उन्हें मूली और बैंगन से काम चलना पड़ता था।
तुमने मेरे दिल ले लिया आज से मैं तुम्हारी हूँ, जो चाहे करो।
उसके बाद उनके साथ नाश्ता किया और मैं वापस चला गया।
आज 2 साल बाद भी मेरा उनके साथ रिश्ता है।
अब हम हफ्ते में 2-3 बार सेक्स करते हैं।
मैंने उनकी सहेली जो डॉक्टर है उसे भी चोद दिया है और उनके बाजू वाली लड़की को भी।
तो आप सभी को कैसी लगी मेरी कहानी मेल करना