चाची का दूसरा रूप
Chachi ka dusra roop
मेरे उम्र 18 साल थी, मैं गांव से शहर पढ़ने आया था और अपने चाचा-चाची के घर रहता था। सापना चाची 42 साल की हाउसवाइफ थीं और उनको कोई बच्चा नहीं था। चाचा पास के शहर में काम करते थे और हर शनिवार को आते और सोमवार सुबह चले जाते।
धीरे-धीरे मेरे स्थानीय लड़कों से दोस्ती हुई, उनमें से एक विनोद था। विनोद 20 साल का था। पहले तो वह मुझे अच्छा लगा, फिर बाद में पता चला कि वह ब्लू फिल्में देखता है और उसने मुझे भी इसकी आदत डाल दी थी। कभी-कभी वह बाजार की महिलाओं के पास भी जाता था। वह काफी बदनाम था, और चाची ने मुझे हमेशा उससे दूर रहने को कहा।
एक दिन चाची घर पर नहीं थी, और मैंने विनोद को अपने घर ले आया था। विनोद मेरी चाची के बारे में बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था, कभी मेरी चाची की छाती के बारे में तो कभी उसकी बड़ी गांड के बारे में। मुझे सुनकर अजीब लग रहा था पर अच्छा भी लग रहा था। तभी अचानक चाची बाजार से आई और विनोद को देखकर आग-बबूला हो गई। “इस कमीने की इतनी हिम्मत कि मेरे घर आए, निकल मेरे घर से और फिर कभी मेरे घर न आओ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” विनोद चला गया, वो दिन मुझे भी चाची से बहुत डांट खानी पड़ी।
अगले दिन, मेरा कॉलेज जल्दी छुट्टी हो गई और मैं घर 11 बजे तक वापस आया। घर का दरवाजा अंदर से बंद था और जैसे ही मैं दस्तक करने जा रहा था, तो अंदर से अजीब-अजीब आवाजें आ रही थीं। मैंने दस्तक नहीं की और घर के पीछे वाली खिड़की जो अक्सर आधा खुली रहती थी, की तरफ गया।
खिड़की से अंदर झाँका तो मैं चौंक गया। मैंने देखा, चाची बिस्तर पर लेटी थीं, ब्लाउज के बटन खुले थे, और साड़ी ऊपर। चाची की दोनों टांगें हवा में ऊपर की तरफ थीं और विनोद चाची के ऊपर चढ़कर चाची को चोद रहा था। चाची कह रही थी– “आह्ह आह्ह्ह नहीं छोड़ो मुझे…आह्ह आह्ह” विनोद काफी तेजी से चाची को चोदने लगा था। मैंने यह देखकर समझा कि विनोद चाची को ज़बरदस्ती चोद रहा है। चाची – “बस बस…आह्ह ओयि मां….इसsss…बस बहुत हो गया, अब छोड़ो मुझे…आह्ह”
विनोद की नंगी गांड काफी तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी, चाची आँखें बड़ी करके चौंकते हुए “आह्ह आह्ह इसsss इसsss…” कर रही थीं। बिस्तर काफी जोर से आवाज कर रहा था। विनोद चाची को बहुत बुरी तरह से चोद रहा था। करीब 10 मिनट इस तरह से चाची को चोदने के बाद, विनोद अपना लंड चाची की चुत से निकालकर बैठा। चाची ने अपनी चुत हाथ से सहलाया, और फिर पलट कर ले गई। चाची बिना कुछ बोले अपने एक हाथ से अपनी साड़ी ऊपर उठाकर अपनी गांड नंगी कर दी। चाची की भारी हुई गोरी मोटी गांड देखकर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा। चाची ने अपनी टांगें फैला दी, विनोद चाची की पीठ के ऊपर लेट गया और अपना लंड एक हाथ से पकड़कर चाची की चुत में फिर से घुसा दिया। चाची – “ईिसsss…आराम से चोदो…आह्ह”
विनोद अपने दोनों हाथों के सहारे खुद को ऊपर उठाया और मेरी चाची की मस्त गांड को देखते हुए चाची को अपने लम्बे लंड से चोदने लगा। चाची तरह-तरह की आवाज निकाल रही थीं और विनोद मेरी चाची को बेतहाशा चोद रहा था। करीब 10-15 मिनट बाद विनोद ने चाची की चुत से लंड निकाला। चाही नंगी गांड में वैसे ही उल्टा लेटी रही।
विनोद – “चाची आपकी गांड बहुत मस्त है, ऐसी गांड मैंने आज तक नहीं देखी” चाची लेती लेती बोलीं – “इतनी बुरी तरह चुत चोद लिया अब क्या मेरी गांड भी मारोगे?” विनोद चुपचाप चाची की मस्त कमल गांड को सहला और दबा रहा था। थोड़ी देर में चाची कुतिया बन गई – “चल मार ले मेरी गांड”
यह सुनते ही विनोद अपना लंड चाची की गांड में लगा दिया और एक हाथ से पकड़कर लंड को चाची की गांड में घुसाने लगा। चाची — “ओयि मां….मार गई…धीरे ..आह्ह…आह्ह …धीरे डालlll….”
मुझे खिड़की से दिख रहा था कैसे विनोद का लंड चाची की गांड में घुस रहा था। कल जिसको चाची इतनी बुरी तरह से बेइज्जत करके घर से निकाल दी थी, आज वोही चाची की गांड मार रहा था। विनोद तेजी से चाची की गांड मारने लगा, और चाची जोर-जोर से आगे-पीछे हिल रही थी और जोर-जोर से चीख रही थी। शायद चाची को नहीं लगा था कि विनोद इतनी तेजी से उनकी गांड मार सकता है, बीच-बीच में चाची ने अपने एक हाथ को पीछे लाकर विनोद के लंड को पकड़ लिया ताकि वो और गांड न मारे, पर विनोद चाची के हाथ हटा देता था और चाची की गांड मारने लगता था। थोड़ी देर में विनोद चाची की गांड में ही जहर गया। चाची बिलकुल बेजान बिस्तर पर रही।
विनोद ने चाची की साड़ी से अपना लंड पोचा और वहाँ से चला गया।