नौकर-नौकरानी चुदाई

चुद गयी नौकरनी मुझसे-2

Chud gayi naukrani mujhse-2

इधर मेरा लण्ड तन कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया था। फिर मैंने उसकी ठोड़ी (चिन) पर चुम्बन लिया। अब उसने आंखे खोली और सिर्फ़ पूछते हुए कहा, “साहब ?”
मैंने कहा, “आरती, शर्त हार जाओगी। आंखे बन्द।”
उसने झट से आंखे बन्द कर ली। मैं समझ गया, लड़की तैयार है, बस अब मज़ा लेना है और चुदायी करनी है।

मैंने अब की बार उसके थिरकते हुए होठों पर हलका सा चुम्बन किया। अभी तक मैंने छुआ नही था उसे। उसने फिर आंखे खोली और मैंने हाथ के इशारे से उसकी पलको को फिर ढक दिया। अब मैं आगे बढा, उसके दोनो हाथों को सामने से हटा कर अपनी कमर के चारो तरफ़ लपेट लिया और उसे अपनी बाहों में समेटा और उसके कांपते होठों पर अपने होठ रख दिये और चूमता रहा। कस कर चूमा अबकी बार। क्या नरम होठ थे मानो शराब के प्याले। होठों को चूसना शुरु किया और उसने भी जवाब देना शुरु किया। उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और मैं उसके गुलाबी होठों को खूब चूस चूस कर मज़ा ले रहा था। तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूंचियां जो कि तन गयी थी, मेरे सीने पर दब रही थी। बायें हाथ से मैं उसकी पीठ को अपनी तरफ़ दबा रहा था, जीभ से उसकी जीभ और होठों को चूस रहा था, और दायें हाथ से मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया।

दांया हाथ फिर अपने आप उसकी दायीं चूंची पर चला गया। और उसे मैंने दबाया। हाय हाय क्या चूंची थी। मलायी थी बस मलायी। अब लण्ड फुंकारे मार रहा था। बांये हाथ से मैंने उसके चूतड़ को अपनी तरफ़ दबाया और उसे अपने लण्ड को महसूस करवाया। शादी शुदा लड़की को चोदना आसान होता है। क्योंकि उन्हे सब कुछ आता है। घबराती नही है। ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी, ब्लाऊज के बटन पीछे थे, मैंने अपने दांये हाथ से उन्हें खोल दिया और ब्लाऊज को उतार फेका। चूंचियां जैसे कैद थी, उछल कर हाथों में आ गयी। एकदम सख्त लेकिन मलायी की तरह प्यारी भी। साड़ी को खोला और उतारा। बस अब साया बचा था। वो खड़ी नही हो पा रही थी। उसकी आंखे अभी भी बन्द थी। मैं उसे हल्के हल्के से खींचते हुए अपने बेडरूम मैं ले आया और लेटा दिया। अब मैंने कहा, “आरती रानी अब तुम आंखे खोल सकती हो।”
“आप बहुत पाजी है साहब”, शरमाते हुए उसने आंखे खोली और फिर बन्द कर ली। मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। लण्ड तन कर उछल रहा था। मैंने उसका साया जल्दी से खोला और खींच कर उतारा। जैसे वो चुदवाने को तैयार ही थी। कोई अन्डरवियर नही पहना हुआ था। मैंने बात करने के लिये कहा,
“ये क्या, तुम्हारी चूत तो नंगी है। चड्डी नही पहनती क्या।”

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“नहीं साहब, सिर्फ़ महीना में पहनती हू।” और शरमाते हुए कहा, “साहब, परदे खींच कर बन्द करो ना। बहुत रोशनी है।” मैंने झट से परदों को बन्द किया जिससे थोड़ा अन्धेरा हो गया और मैं उसके ऊपर लेट गया। होठों को कस कर चूमा, हाथों से चूंचियां दबायी और एक हाथ को उसके बुर पर फिराया। घुंघराले बाल बहुत अच्छे लग रहे थे चूत पर। फिर थोड़ा सा नीचे आते हुए उसकी चूंची को मुंह मैं ले लिया। अहा, क्या रस था। बस मज़ा बहुत आ रहा था। अपनी एक अंगुली को उसकी चूत के दरार पर फिराया और फिर उसके बुर में घुसाया। अंगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन मैं छुरी। चूत गरम और गीली थी। उसकी सिसकारियां मुझे और भी मस्त कर रही थी। मैंने उसकी चूत चीरते हुए कहा, “आरती रानी, अब बोलो क्या करूं ?”
“साहब, मत तड़पाईये, बस अब कर दीजिये।” उसने सिसकारियां लेते हुए कहा।
मैंने कहा, “ऐसे नहीं, बोलना होगा, मेरी जान।”

मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा, “साहब, डाल दीजिये ना।”
“क्या डालूं और कहां ?” मैंने शरारत की। दोस्तो चुदायी का मज़ा सुनने में भी बहुत आता है।
“डाल दीजिये ना अपना ये लौड़ा मेरी चूत के अन्दर।” उसने कहा और मेरे होठों से अपने होठ चिपका लिये। इधर मेरे हाथ उसकी चूचियों को मसलते ही जा रहे थे। कभी खूब दबाते, कभी मसलते, कभी मैं चूचियों को चूसता कभी उसके होठों को चूसता। अब मैंने कह ही दिया,
“हां रानी, अब मेरा ये लण्ड तेरी बुर में घुसेगा। बोलो चोद दूं।”
“हां हां, चोदिये साहब, बस चोद दीजिये।” और वो एकदम गरम हो गयी थी।
फिर क्या था, मैंने लण्ड उसके बुर पर रखा और घुसा दिया अन्दर। एकदम ऐसे घुसा जैसे बुर मेरे लण्ड के लिये ही बनी था। दोस्तों, फिर मैंने हाथों से उसकी चूचियों को दबाते हुए, होठों से उसके गाल और होठों को चूसते हुए, चोदना शुरु किया। बस चोदता ही रहा। ऐसा मन कर रहा था की चोदता ही रहूं। खूब कस कस कर चोदा। बस चोदते चोदते मन ही नही भर रहा था। क्या चीज़ थी यारों, बड़ी मस्त थी। वो तो खूब उछल उछल कर चुदवा रही थी।

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“साहब, आप बहुत अच्छा चोद रहे हैं, चोदिये खूब चोदिये, चोदना बन्द मत कीजिये”, और उसके हाथ मेरी पीठ पर कस रहे थे, टांगे उसने मेरी चूतड़ पर घुमा कर लपेट रखी थी और चूतड़ से उचल रही थी। खूब चुदवा रही थी। और मैं चोद रहा था। मैं भी कहने से रुक ना सका,
“आरती रानी, तेरी चूत तो चोदने के लिये ही बनी है। रानी, क्या चूत है। बहुत मज़ा आ रहा है। बोल ना कैसी लग रही है ये चुदायी।”
“बस साहब, बहुत मजा आ रहा है, रुकिये मत, बस चोदते रहिये, चोदिये चोदिये चोदिये।” इस तरह हम ना जाने कितनी देर तक मज़ा लेते हुए खूब कस कस कर चोदते हुए झड़ गये।

क्या चीज़ थी, वो तो एकदम चोदने के लिये ही बनी थी । अभी मन नही भरा था। 20 मिनिट के बाद मैंने फिर अपना लण्ड उसके मुंह में डाला और खूब चुसवाया। हमने 69 की पोजिशन ली और जब वो लण्ड चूस रही थी मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदना शुरु किया। खास कर दूसरी बार तो इतना मज़ा आया की मैं बता नही सकता। क्योंकि अब की बार लण्ड बहुत देर तक चोदता रहा। लण्ड को झड़ने में काफ़ी समय लगा और मुझे और उसे भरपूर मज़ा देता रहा।
कपड़े पहनने के बाद मैंने कहा, “आरती रानी, बस अब चुदवाती ही रहना। वरना ये लण्ड तुम्हे तुम्हारे घर पर आकर चोदेगा।”
“साहब, आप ने इतनी अच्छी चुदायी की है, मैं भी अब हर मौके में आपसे चुदवाऊंगी। चाहे आप पैसे ना भी दो।” कपड़े पहनने के बाद भी मेरे हाथ उसकी चूचियों को हलके हलके मसलते रहे। और मैं उसके गालों और होठों को चूमता रहा। एक हाथ उसके बुर पर चला जाता था और हलके से उसकी चूत को दबा देता था।

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“साहब अब मुझे जाना होगा।” कहा कर वो उठी। मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रखा ,
“रानी एक बार और चोदने का मन कर रहा है। कपड़े नही उतारूंगा।’ दोस्तों, सच में लण्ड कड़ा हो गया था और चोदने की लिये मैं फिर से तैयार था। मैंने उसे झट से लेटाया, साड़ी उठायी, और अपना लौड़ा उसके बुर में पेल दिया। अबकी बार उसे भचाभच करके खूब चोदा और कस कर चोदा और खूब चोदा और चोदता ही रहा। चोदते चोदते पता नही कब लण्ड झड़ गया और मैंने कस कर उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। चूमते हुए चूचियों को दबाते हुए, मैंने अपना लण्ड निकाला और अन्त में उसे विदा किया।
कैसी लगी ये नौकरानी के सथ मेरी मस्ती भरी चुदायी, सच सच बताना। बताना ज़रूर। मैं इन्तज़ार करूंगा।

जो औरत अपनी पास बुझाना चाहती है वो मुझे ई मेल करे मैं दिल्ली में ही हूं।

आप का प्यारा दोस्त अमित