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आज मैं दीदी की मेरे बॉस के साथ चुदाई की कहानी-1

आज मैं दीदी की मेरे बॉस के साथ चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो बिलकुल ही सच्ची कहानी है। ये कहानी आज से ठीक दो साल पहले की है। दीदी एक निजी संगठन में काम करती है। मैं भी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हूँ। दोनो अपने काम से खुश नहीं थे. मैं अपने बॉस की तारीफ करता रहता था। मैं भी उनके बॉस से एक बार मिल चुका था जब मैं जीजा से मिलने उनके ऑफिस में गया था।

एक दिन मैं अपनी दीदी के कमरे पर गया जो कि मेरे पास था। जब मैंने वहा पहुचा तो देखा कि उनके कमरे पर मेरे बॉस आये थे। उनके कमरे पर पहुचा तो दीदी को थोड़ी ही देर बाद धीरे से दरवाजा खुला और वो अंदर आ गए। उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। वो बिस्तर पर बैठ गए और उन्होंने दीदी को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

कमरे में एक नाईट लैंप जल रहा था और काफी अँधेरा था। दीदी ने उन्हें बाथरूम जाने को कहा और बाथरूम चली गई। बाथरूम से बाहर आते ही उसने दीदी को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और दीदी के होठों को चूमने लगे। वो धीरे-धीरे काटते हुए दीदी के होठों को चूसने लगे। दीदी को बहुत शर्म आ रही थी।

वो दीदी के जुबान को अपने मुँह में ले कर चूसने लगे। दीदी एक दम पागल सी हो रही थी जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा हो। मुझे मालूम नहीं था कि किस करने में भी इतना मज़ा आएगा। मैंने सोचने लगा कि जब किस करते देखने में इतना मजा आ रहा है तो चुदवाते हुए देखने में कितना मजा आता होगा। वो दीदी के जुबान को चूसे जा रहे थे और उनके हाथ दीदी के पीठ पर चल रहे थे।

उन्होंने दीदी को अपने हाथों में कस लिया और दीदी उनसे एक दम चिपक गई। उनका गरम बदन और सांसो को सायद दीदी महसूस कर रही थी। फिर उनका बाया हाथ दीदी के कमर पर जा कर रुक गया और फिर दीदी के बाई चुची पर आ कर रुक गया। मेरी तो सांस ही रुकने लगी। दीदी पूरी तरह से काँप गई और कसमसाकर उनको हटाने की एक नाकाम सी कोशिश की, पर उन्होंने दीदीको कस कर दबा दिया था।

उन्होंने दीदी के चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और दीदी के निचले होंठ को चूसने लगे। वो दीदी के होठों को करीब 3-4 मिनट तक चूसते रहे और दीदी बेताब होने लगी। उन्होंने दीदी के हाथ को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और अपने हाथों में दीदी को लपेट लिया। दीदी की चुचियाँ उनकी छत से एक दम बैठ गयीं। उन्होंने अपने हाथों को दीदी की पीठ पर फिरना शुरू कर दिया। दीदी तो जैसे पूरी तरह से खो गई।

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फिर उन्होंने दीदी को दीवार की तरफ से मुंह करके खड़े होने को कहा। दीदी ने अपनी मुँह दीवार की तरफ़ कर लिया और दीदी की पीठ उनकी तरफ़ थी। उन्होंने फिर दीदी के चूची पर हाथ रखा और दीदी के कान के नीचे जीभ से चाटने लगे। दीदी तो जैसे एक दम पागल सी होने लगी। फिर धीरे-2 उन्होंने दीदी के गले पर काटना शुरू कर दिया और दीदी बाहर आने लगीं।

उन्होंने दीदी के कान में कहा, “रानी मेरी जान, तू बहुत नमकीन है, आई लव यू।” दीदी सिर्फ, “सर….” हाय कह सकी। मैंने महसूस किया दीदी के गांड के बीचो बीच उनका गरम लंड बैठा हुआ था। उन्होंने कब अपना अंडर वियर उतार दिया मुझे जोश में पता भी नहीं चला।

मुझे अब डर भी लगने लगा और अच्छा भी लग रहा था। मैं पूरी तरह से उत्साहित हो गया था। दीदी ने अपनी गांड को उनकी तरफ से कर दिया ताकि उनका लंड ठीक से एडजस्ट हो सके। उनके हाथ अब धीरे-धीरे दीदी के सलवार के नाड़े पर आ गया। उन्होंने दीदी को किस करते हुए एक झटके में ही सलवार के नाड़े को खोल दिया। दीदी की सलवार सरक कर नीचे ज़मीन पर गिर गई।

उन्होंने बिना देर किए दीदी की पैंटी भी कस कर पकड़ ली और एक झटके में उतार दी। अब दीदी की नंगी गांड पर उनका लंड लगा हुआ था। मैं इतना जोश में आ गया था कि मेरे लंड से पानी भी छूट गया था। मैं उनका लंड देखना चाहता था लेकिन मेरा मुँह तो उनकी पीठ की तरफ था।

फिर वो दीदी के कमीज को ऊपर की तरफ करने लगे। दीदी और जोश में आ गईं और दीदी ने सहूलियत के लिए अपने हाथ ऊपर की तरफ कर दिए। उन्होंने दीदी के कमीज उतार दी। कमीज उतारने के बाद उन्होंने पीछे से दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और एक झटके से दीदी की ब्रा को उतार कर फेंक दिया। मैं उमंग से लाल हो गया. पहली बार किसी मर्द के सामने दीदी एक दम नंगी हो गई थी।

फिर उन्होंने पीछे से दीदी के स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगे। फिर उन्होंने दीदी के निपल्स को मसलना शुरू किया तो दीदी सिसकारियां भरने लगीं। उन्होंने दीदी को दीवार के सहारे दबा दिया। दीदी के गांड पर उनका लंड बैठा हुआ था और दीदी के दोनों स्तन उनकी मुट्ठी में थे। वो उंगली और अंगूठों से दीदी के निप्पल को बेदर्दी से मसलने लगे। दीदी तो जैसे जोश में एक दम पागल सी हो रही थी।

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10 मिनट बाद वो दीदी को पकड़ कर बिस्तर के पास ले गईं और बिस्तर पर बैठने को कहा। दीदी बिस्तर पर बैठ गयीं। उनहोने लाइट ऑन कर दी. जैसे ही रोशनी हुई दीदी अपने बदन को छुपाने के लिए चादर को खींच कर अपनी तरफ से करने लगी तो उसने चादर भी खींच कर फेंक दी। दीदी एक कबूतरी की तरह शिकारी के जाल में थी और वो दीदी को ऊपर से नीचे तक निहार रहे थे।  उनका मोटा और लम्बा लंड दीदी के सामने था।

मुझे देख के साफ पता चल रहा था कि उनका लंड 6″ लंबा और 2″ मोटा है और मैं यही समझता था कि सभी मर्दों का लंड भी इतना लंबा है बहुत बड़ा होता होगा, लेकिन उनका लंड तो बहुत ही मोटा और लम्बा था। मैं उनके लंड को देख कर हैरान रह गया। दीदी उनके लंड को हाथ से पकड़ना चाहती थी और मुँह में ले कर चुनना भी चाहती थी लेकिन शर्म के मारे दीदी ने उनसे कुछ भी नहीं कहा।

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तभी उन्होंने कहा, “रानी, ​​इसको प्यार करो, पकड़ो इसे और मुँह में लेकर इसको चुनो।” उन्होंने दीदी के हाथों को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोले, “पता है ये 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।” मैं तो एक दम जोश में थी जैसे उनके मन की मुराद भी पूरी हो रही थी। दीदी ने तुरन्त ही उनका लंड हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी।

मैं सोचने लगी कि इतना मोटा और लम्बा लंड दीदी की चूत और गांड में कैसे जाएगा। दीदी तो अभी बहुत ही छोटी थी। वो बोले, “रानी, ​​मुँह में लेकर इसको चुनो।” दीदी ने उनके लंड को पकड़ कर अपने जीभ से चाटने लगी। थोड़ी ही देर बाद दीदी ने उसे मुँह में ले लिया और लंड का टोपा चूसने लगी। थोड़ी देर तक चुसाई से उनका लंड और तन गया।

वो दीदी के मुँह में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे। 5 मिनट में उनके लंड से पानी निकला और दीदी के मुँह में भर गया। दीदी ने थूकना चाहा तो वो बोले, “रानी, ​​पी जाओ इस अमृत को।” दीदी ने उनके लंड का सारा पानी निगल लिया और फिर उनके लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ करने लगी। थोड़ी देर में उनका लंड पूरा तरह फिर तन गया। दीदी भी जोश से अपने आपको काबू में नैन रख पा रही थी और बोली, “सर, प्लीज जल्दी कुछ कीजिए ना। नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी।”

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वो दीदी के ऊपर से हट गए और बिस्तर से नीचे उतर कर खड़े हो गए। उन्होंने दीदी की गांड को बिस्तर के किनारे पर रख दिया और वो दीदी के टांगों के बीच आ कर खड़े हो गए। दीदी बिस्तर पर आधी लेती हुई थीं मेरे पैर जमीन पर थे। उन्होंने दीदी के पैरों को हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लंड की टोपी दीदी के चूत के बीच में रख दी। मेरे सारे बदन में आग सी लग गई। तभी उन्होंने एक झटका दिया, उनका आधा लंड दीदी के चूत फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।

दीदी दर्द से चिल्ला उठी, उईईईई…….. माँ……… मर…….. जाउंगी……. मैं……. …आआह्ह……..सर………. रुक जाइये….प्लीज………। दीदी कहने लगी तो वो रुक गए और अपने लंड को दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया। उन्होंने दीदी के गांड को उठा कर एक तकिया नीचे रख दिया। अब दीदी की चूत थोड़ी और ऊपर हो गई। वो दीदी के ऊपर झुक गए और दीदी के होठों को अपने मुँह में ले लिया। कहानी का और दो भाग शेष है, आगे की कहानी अगले भाग में।