भाई-बहन की चुदाई

गांव की दीदी के साथ पहाड़ों में रोमांस

Didi ki chut chodi hollidays me

मेरे पिता और चाचा दो भाई हैं। चाचा मुंबई में बसते थे, जबकि हम गाँव में रहते थे। चाचा हर साल गाँव आया करते थे। यह बात लगभग आठ साल पुरानी है। चाचा की दो बेटियाँ हैं। उस वक्त बड़ी बेटी, जिसका नाम सोनिया था, 22 साल की थी, और छोटी बेटी 19 साल की थी। मैं उस समय 18 साल का था। मुझे सोनिया दीदी बहुत पसंद थीं।

वो मुझे छोटा बच्चा मानती थीं, लेकिन मेरी नजरों में वो एक खूबसूरत लड़की थीं। उनकी साफ रंगत और भरा हुआ बदन मुझे बेकाबू कर देता था। हमारे घर के बाथरूम के दरवाजे में छोटे-छोटे छेद थे। कभी-कभी मौका मिलते ही मैं सोनिया दीदी को नहाते हुए देख लेता था। उनके हल्के भूरे निप्पल और साफ गोरी चूत, जिसकी शक्ल हल्की चाय की तरह थी, मुझे दीवाना बना देती थी।

एक दिन की बात मुझे आज भी याद है। मैं, सोनिया दीदी और उनकी छोटी बहन आशा पहाड़ों पर घूमने गए। वहाँ एक झरना बह रहा था। हम सबने नहाने का फैसला किया। सोनिया दीदी मुझे बच्चा समझती थीं, इसलिए उन्होंने और आशा ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ ब्रा-पैंटी में नहाने लगीं।

भीगी ब्रा और पैंटी में उनके शरीर का हर हिस्सा साफ दिख रहा था। मेरा लंड तो पैंट में ही तन गया, लेकिन पानी में होने की वजह से किसी को पता नहीं चला। थोड़ी देर बाद दोनों बाहर निकल गईं।

मैंने कहा, “मैं अभी आता हूँ।”

मेरा लंड शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। तभी सोनिया दीदी अपने कपड़े लेकर पेड़ों के पीछे चली गईं। मुझे लगा वो कपड़े बदलने जा रही हैं। मैं चुपके से उनके पीछे गया और छिप गया। सोनिया दीदी ने अपनी ब्रा उतारी।

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हाय! उनके गोरे-गोरे स्तनों पर गुलाबी निप्पल देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया। फिर उन्होंने पैंटी उतारी। उनकी चिकनी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मन कर रहा था कि उसे चूम लूँ, लेकिन मैंने काबू किया। तभी आशा ने भी अपनी पैंटी उतार दी। उसकी चूत पर हल्के बाल थे। फिर आशा को पेशाब लगी और वो पास में करने लगी। उसकी खुली चूत देखकर मेरा पानी निकल गया।

मैंने जल्दी से कपड़े पहने और वहीं बैठ गया। दोनों बहनें कपड़े बदलकर आईं और हम घर लौट गए।

पापा ने सोनिया दीदी से कहा कि मुझे अंग्रेजी पढ़ा दें। मेरे लिए तो उनके करीब रहना ही बड़ी बात थी। मैं हर रात उनके कमरे में जाता। वो रात में छोटी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनती थीं, लेकिन ब्रा नहीं पहनती थीं। उनके निप्पल के उभार साफ दिखते थे। उनकी देह की महक मेरे होश उड़ा देती थी। ऐसा ही चलता रहा। कभी-कभी उन्हें मुझ पर शक होता, लेकिन वो मुझे बच्चा ही मानती थीं।

एक रात सोनिया दीदी ने ढीली फ्रॉक पहनी थी, जिसमें आगे बटन थे। मैं उनके कमरे में था। वो मुझे किताब पढ़ा रही थीं। पढ़ाते-पढ़ाते वो सो गईं। नींद में उनकी फ्रॉक थोड़ी ऊपर सरक गई। उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना था। उनके गोरे कूल्हे देखकर मेरा लंड बेकरार हो गया।

मैंने धीरे से उनकी फ्रॉक और ऊपर की और एक बटन खोल दिया। उनके गोल नितंबों के बीच गुलाबी चूत की रेखा दिख रही थी। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनके कूल्हों से सटा दिया। वो हल्के से हिलीं, तो मैं सोने का नाटक करने लगा। वो चादर ओढ़कर सो गईं, लेकिन मेरा लंड शांत नहीं हुआ।

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मैं बाथरूम गया और मुठ मारने लगा। तभी आशा आ गई और उसने सब देख लिया। अगले दिन उसने सोनिया दीदी को बता दिया। मैं शर्मिंदगी से उनके पास नहीं गया। दो दिन बाद सोनिया दीदी ने मुझे बुलाया और पढ़ाई शुरू करने को कहा। मैं चुपचाप पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद उन्होंने पानी लाने को कहा। मैं पानी लाया और फिर पढ़ाई में लग गया।

कुछ देर बाद उन्होंने कहा, “तू पढ़ता रह, मैं थोड़ा लेटती हूँ।”

वो चादर ओढ़कर लेट गईं और शायद सो गईं। तभी उनका एक पैर मेरे ऊपर आ गया और चादर हट गई। मैंने देखा वो पूरी नंगी थीं। उनकी गोरी जाँघें देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैंने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो, आज सोनिया दीदी के साथ सोऊँगा। मैंने उनकी चादर हटाई और उनकी चिकनी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।

तभी सोनिया दीदी जाग गईं और बोलीं, “मैं तुम्हें अच्छी लगती हूँ?”

मैंने कहा, “हाँ!”

“तो बता, तुझे क्या करना आता है?”

“करके दिखाऊँ, दीदी?”

“हाँ, दिखा!”

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मैंने उनके बदन पर हाथ फेरना शुरू किया और उनके गोरे स्तनों को चूसने लगा। उन्हें मजा आने लगा। उन्होंने आँखें बंद कर लीं। उनका बदन रेशम की तरह नरम था। मैं पागल हो गया और उनके पूरे शरीर को चाटने लगा।

फिर मैंने उनकी जाँघें फैलाईं और उनकी गुलाबी चूत को चाटने लगा। वो सिहर उठीं। उसका हल्का नमकीन स्वाद मुझे आज भी याद है।

फिर सोनिया दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगीं। मैं झड़ गया। लेकिन वो नहीं रुकीं। मेरा लंड फिर से तैयार हो गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड को अपनी चूत में डाल लिया।

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उनकी चूत गर्म थी। वो जोर-जोर से उछलने लगीं। मैं उनके स्तनों को दबाने लगा। उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं और फिर उनका पानी निकल गया।

वो मेरे ऊपर लेट गईं। उनका गर्म बदन मेरे ऊपर था। फिर उन्होंने मेरे कान में कहा, “अब सो जा।”

वो बाथरूम गईं, नहाईं और सो गईं।

उन दिनों मैंने सोनिया दीदी के साथ 5-6 बार संभोग किया। मुंबई जाने से एक रात पहले भी मैंने उन्हें चोदा। लेकिन उसके बाद वो गाँव नहीं आईं।

मुझे लगा वो चाहती हैं कि मैं सब भूल जाऊँ। आज मेरी शादी हो चुकी है और उनकी भी। पता नहीं उन्हें वो दिन याद हैं या नहीं, लेकिन मुझे उनकी चूत का स्वाद और बदन की खुशबू हमेशा याद रहेगी।